• #Hotspot of Foodie Culture : लज़ीज़ खान-पान के शौकीनों को दीवाना बना रही है सिविल लाइन्स की चौपाटी ..

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    एएबी समाचार/     शहर मे घर से बाहर खाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जहां एक और नए-नए स्वाद का लुत्फ उठाने के शौकीन नई -नई खान पान की दुकानों की तलाश मे रहते हैं। वहीं युवाओं का एक बड़ा वर्ग खान-पान के क्षेत्र मे कुछ नया करने की धुन मे कैफे, टी-बार, चटपटा खाने के चलित दुकानें खोल रहे हैं। परिवार के लोग भी शाम होते ही बच्चों के साथ समय बिताने के लिए परिवार के साथ घरों से निकल पड़ते हैं और इनके हुजूमों को चाट-पकोड़ैें, फास्ट फूड की दुकानो व आईस्क्रीम पार्लर पर देखा जा सकता है।
       
     इस बदलाव के दौर मे सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि खान-पान के क्षेत्र मे युवा उद्यमी सामने आ रहे है। वो नए नए प्रयोग कर रहे हैं और उनके ऐसे प्रयोगों के केन्द्र के रूप मे सिविल लाईन का क्षेत्र जीवंत होता जा रहा है। खासतौर पर सिविल लाईन चैराहे से विश्वविद्यालय की ओर जाने वाले मार्ग पर खान-पान के ऐसे कई नए प्रतिष्ठान शुरू हो गए हैं। इसी बदलाव के चलते इस क्षेत्र आमचर्चा मे चैपाटी के नाम से प्रचलित होता जा रह है।
        
    वैसे तो सिविल लाईन क्षेत्र का जिक्र आते ही कबूतर होटल का नाम लिए बिना बात पूरी नहीं होती थी। इसके बाद ”मुन्ना होटल“ व ”अग्रवाल होटल“ चाय-पान की दुकानों के रूप मे लोकप्रिय बनी रहीं। नीलम होटल व पाण्डे भोजनालय अच्छे सादा भोजन के लिए जाने जाते थे।
        फास्ट फूड का चलन बढ़ते ही ”सत्कार फूड“ आस्तित्व मे आया । यहां के पीजा,बर्गर व हाॅट डाॅग जैसे खाद्य उत्पाद खासतौर से युवाओं मे खूब पसंद किए गए। केंट माॅल के बनने के बाद इसके अंदर भी दक्षिण भारतीय व्यंजनों की दुकानें, माॅक टेल शीतल पेय व फास्ट फूड केन्द्र भी युवाओं के आकर्षण का केन्द्र बने रहे।
        
    लेकिन वर्ष 2015 के बाद से सिविल लाईन क्षेत्र मे खान-पान के क्षेत्र मे बड़ी तेजी से नए-नए प्रयोग होने लगे। मुंबई के प्रसिद्ध बटाटा बड़ा का स्वाद लेकर हर्ष किराना के पास ”वाॅव“ नामक स्टाल शुरू हुआ। इसकी शुरूआत ठंडी थी लेकिन समय के साथ इसके चाहने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती गई।
       
     द्वारका काॅम्प्लेक्स में आईस्क्रीम पार्लर ”टाॅप एन टाउन“ के शुरू होते ही स्वाद के शौकीनों की सिविल लाईन के क्षेत्र मे आवाजाही मे खासी तेजी आ गई। पार्लर के लोकप्रियता का फायदा उठाकर बड़ी तेजी इस गली मे खान-पान की कई दुकानें खुलने लगीं। सुरखी के बड़ा, इडली-डोसा व फल्की,समोसा ने शहर भर के स्वाद के शौकीनों को यहां बार-बार आने को मजबूर कर दिया।
        
    लेकिन इतना सब कुछ होने पर भी युवाओं में नए-नए स्वाद व और चटपटे व्यंजनों का लुत्फ उठाने की चाह कम होने की जगह बढ़ती गई। महानगरों में रहकर पढ़ाई कर रहे युवा जब अपने शहर को लौटते तो वो अपने साथ महानगरों के खान-पान के क्षेत्र मे हो रहे नए-नए प्रयोगों के अनुभवों को साथ ला रहे थे। वे महानगरों के जैसा ही खान-पान का चलन अपने शहर मे भी शुरू होते देखने को बेताब नजर आते थे।
        
    युवाओं की शौकीन मिजाजी को सबसे पहले उनके बीच के ही युवा साथियों ने पकड़ा और शुरू हो गया खान पान के क्षेत्र मे नए-नए प्रयोग किए जाने का सिलसिला ।   ”तंदूरी चाय“ - लोगों की चाय पीने की आदत को ध्यान मे रखते हुए उसमें कुछ नए बदलाव के साथ सिविल लाईन की चैपाटी के नाम से लोकप्रिय हो रहे इलाके मे कुल्हड़ व तंदूरी चाय का टी स्टाल शुरू किया। खास तरह के मसाले में बनी चाय को कुल्हड़ मे चाय पीना शहर वासियों को काफी रास आ रहा है। टी-स्टाल के युवा संचालक इस प्रयोग की सफलता से उत्साहित होकर शहर के अन्य क्षेत्रों में भी कुल्हड़ चाय का केन्द्र शुरू करने की योजना बनाने लगे है।
       
     ”फूडी लाल“  हाल ही में सिविल लाईन क्षेत्र में दक्षिण भारतीय व्यंजन व पाव भाजी परोसने का नया प्रयोग शुरू हुआ है। यह कोई स्थायी प्रतिष्ठान नहीं बल्कि ”चलित गाड़ी“ जिसको बड़ी रचनात्मकता के साथ बनवाया गया है।इसी के अंदर ईडली-डोसा व पाव भाजी जैसे व्यंजन तैयार किए जाते हैं।जिन्हें लोग बड़े चाव से बेंचों पर बैठकर खाते है। इस प्रयोग की सबसे खास बात हैं इसके कुक राजेन्द्र कुमार व लखनलाल दोनों की उम्र ज्यादा नहीं है पर व्यंजन बनाने का उनका अनुभव ज्यादा है। जिसका अंदाजा उनके द्वारा बनाए गए इडली -डोसा खाने वालों के चेहरों पर नजर आने वाली संतुष्टि व उंगलियां चाट-चाट कर खाने के भाव से समझ आ जाता है। यहां के स्वाद ले चुके लोगों से बात करने पर पता चला कि उनके बार-बार यहां आने का कारण अच्छे स्वाद के अलावा कीमतों का वाजिब होना भी है।
       
     ”टी-बार“ चाय के स्वाद मे विविधता की तलाश करने वालों के लिए एक और खुशखबरी है कालीचरण चौराहे  के पास शुरू हुआ ”टी -बार“ यहां परोसी तो ”चाय“ जाती है, पर परोसने का अंदाज कुछ बार के जैसा ही अपनाया गया है। नए अंदाज मे चाय पिलाने व एक से ज्यादा फ्लेवर की चाय उपलब्ध कराने का "टी-बार" शुरू करने का प्रयोग करने वाले 24 वर्षीय अभिषेक ठाकुर का कहना है कि वो कुछ ऐसा करना चाह रहे थे कि लोगों को कई फ्लेवर की चाय तो पीने मिले साथ ही चाय पीते हुए वे लंबी चर्चा भी करते रहें। उन पर यह दबाव कतई न रहे की चाय पी ली है तो अब निकलो...टी-बार को खास गांधी जयंती के दिन शुरू किया गया है। जहां स्वच्छता व प्लास्टिक मुक्त अभियान को ध्यान मे रखते हुए चाय केवल मिट्टी के कुल्हड़ मे ही परोसी जाती है।
       
     कालीचरण चैराहे के आस-पास स्थित कुबेर रेस्टोरेंट, चाट की दुकान "टेस्टी बाईट", "सागर चायनीज", "अमूल रेस्टोरेंट", "राजस्थानी स्वीट्स" व "गुजराती स्वीट्स" जैसे खान-पान के प्रतिष्ठान शहर वासियों के दिलों-दिमाग मे काफी पहले ही अपनी छाप छोड़ चुके हैं और किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।