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AAB NEWS/
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस घोषणा पर खेद व्यक्त किया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका संगठन से हटने का इरादा रखता है।

WHO दुनिया के लोगों, जिनमें अमेरिकी भी शामिल हैं, के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें बीमारी के मूल कारणों को संबोधित करना, मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करना, और अक्सर खतरनाक स्थानों पर बीमारी के प्रकोप सहित स्वास्थ्य आपात स्थितियों का पता लगाना, उन्हें रोकना और उनका जवाब देना शामिल है, जहाँ अन्य लोग नहीं जा सकते।

संयुक्त राज्य अमेरिका 1948 में WHO का संस्थापक सदस्य था और तब से 193 अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर WHO के काम को आकार देने और संचालित करने में भाग लेता रहा है, जिसमें विश्व स्वास्थ्य सभा और कार्यकारी बोर्ड में इसकी सक्रिय भागीदारी भी शामिल है। 

सात दशकों से अधिक समय से, WHO और USA ने अनगिनत लोगों की जान बचाई है और अमेरिकियों और सभी लोगों को स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाया है। साथ मिलकर, हमने चेचक को खत्म किया और साथ मिलकर पोलियो को उन्मूलन के कगार पर ला खड़ा किया। अमेरिकी संस्थानों ने WHO की सदस्यता में योगदान दिया है और इससे लाभ उठाया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य सदस्य देशों की भागीदारी के साथ, WHO ने पिछले 7 वर्षों में अपने इतिहास में सबसे बड़े सुधारों को लागू किया है, ताकि देशों में हमारी जवाबदेही, लागत-प्रभावशीलता और प्रभाव को बदला जा सके। यह काम जारी है।

हमें उम्मीद है कि संयुक्त राज्य अमेरिका पुनर्विचार करेगा और हम दुनिया भर के लाखों लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के लाभ के लिए, USA और WHO के बीच साझेदारी को बनाए रखने के लिए रचनात्मक बातचीत में संलग्न होने के लिए तत्पर हैं।

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AAB NEW
S/  अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (ISO,International Sugar Organization) ने अपनी 63वीं परिषद बैठक में घोषणा की कि भारत वर्ष 2024 के लिए संगठन का अध्यक्ष होगा। इस संगठन का मुख्यालय लंदन में है। वैश्विक चीनी क्षेत्र का नेतृत्व करना देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और यह इस क्षेत्र में देश के बढ़ते कद को दर्शाता है। 

आईएसओ (International Sugar Organization) परिषद बैठक में भाग लेते हुए भारत के खाद्य सचिव श्री संजीव चोपड़ा ने कहा कि भारत 2024 में आईएसओ की अपनी अध्यक्षता की अवधि के दौरान सभी सदस्य देशों से समर्थन और सहयोग चाहता है और गन्ने की खेती, चीनी तथा इथेनॉल उत्पादन में अधिक टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने और उप-उत्पादों के बेहतर उपयोग के लिए सभी सदस्य देशों को एक साथ लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।

भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश रहा है। वैश्विक चीनी खपत में लगभग 15 प्रतिशत हिस्सेदारी और चीनी के लगभग 20 प्रतिशत उत्पादन के साथ, भारतीय चीनी रुझान वैश्विक बाजारों को बहुत प्रभावित करते हैं। यह अग्रणी स्थिति भारत को अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (
International Sugar Organisation) का नेतृत्व करने के लिए सबसे उपयुक्त राष्ट्र बनाती है, जो चीनी और संबंधित उत्पादों पर शीर्ष अंतरराष्ट्रीय निकाय है। इसके लगभग 90 देश सदस्य हैं।

चीनी बाजार में विश्व के पश्चिमी गोलार्ध में ब्राजील तो पूर्वी गोलार्ध में भारत अग्रणी है। अब, अमेरिका और ब्राजील के बाद इथेनॉल उत्पादन में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश होने के नाते भारत ने हरित ऊर्जा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और घरेलू बाजार में अधिशेष चीनी की चुनौतियों को जीवाश्म ईंधन आयात के समाधान में बदलने की क्षमता दिखाई है और इसे सीओपी 26 लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक उपकरण के रूप में पेश किया है। 

यह उल्लेखनीय है कि भारत में इथेनॉल मिश्रण प्रतिशत 2019-20 में 5 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 12 प्रतिशत हो गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान उत्पादन 173 करोड़ लीटर से बढ़कर 500 करोड़ लीटर से अधिक हो गया है।

भारतीय चीनी उद्योग ने पूरे व्यापार मॉडल को टिकाऊ और लाभदायक दोनों बनाने के लिए इसके आधुनिकीकरण और विस्तार के साथ-साथ अतिरिक्त राजस्व धाराओं का सृजन करने के लिए अपने सह-उत्पादों की क्षमता के दोहन हेतु विविधीकरण में एक लंबा सफर तय किया है। 

इसने कोविड महामारी के दौरान अपनी मिलों का संचालन करके अपनी मजबूती साबित की है, जबकि देश लॉकडाउन का सामना कर रहा था और देश में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैंड सैनिटाइज़र का उत्पादन करके आगे बढ़ रहा था।

भारत को अपने किसानों के लिए उच्चतम गन्ना मूल्य का भुगतानकर्ता होने का एक अनूठा गौरव प्राप्त है और अब भी यह बिना किसी सरकारी वित्तीय सहायता के आत्मनिर्भर तरीके से काम करने और लाभ कमाने में पर्याप्त रूप से सक्षम है। सरकार और चीनी उद्योग के बीच तालमेल ने भारतीय चीनी उद्योग को फिर से जीवंत करना और देश में हरित ऊर्जा में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में बदलना संभव बना दिया है। 

किसानों के लंबित गन्ना बकाये का युग अब बीते जमाने की बात हो गई है। पिछले सीजन 2022-23 के 98 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान पहले ही किया जा चुका है और पिछले गन्ना मौसम के 99.9 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान हो चुका है। इस प्रकार, भारत में गन्ना बकाया लंबित राशि अब तक के सबसे निचले स्तर पर है।

भारत ने न केवल किसानों और उद्योग का ध्यान रखकर बल्कि उपभोक्ताओं को भी आगो रखकर मिसाल कायम की है। घरेलू चीनी खुदरा कीमतें सुसंगत और स्थिर हैं। जहां वैश्विक कीमतें एक वर्ष में लगभग 40 प्रतिशत बढ़ जाती हैं वहीं भारत चीनी उद्योग पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना पिछले साल से 5 प्रतिशत की वृद्धि के भीतर चीनी की कीमतों को नियंत्रित करने में सक्षम रहा है।

तकनीकी पक्ष पर भी, राष्ट्रीय चीनी संस्थान, कानपुर ने अपना विस्तार किया है और इस क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए इंडोनेशिया, नाइजीरिया, मिस्र, फिजी आदि सहित कई देशों के साथ सहयोग कर रहा है।

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 कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने समुद्र के रास्ते नीदरलैंड को केले की पहली परीक्षण खेप के निर्यात की सुविधा प्रदान की

  • अनुमान के मुताबिक, भारत अगले 5 वर्षों में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के केले का निर्यात करने में सक्षम हो सकता है और इससे 25,000 से अधिक किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है

AAB NEWS/ 


वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने ताजे फलों के निर्यात की संभावनाओं को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए, नीदरलैंड को आईएनआई फार्म्स द्वारा समुद्री मार्ग से ताज़े केलों की पहली परीक्षण खेप के निर्यात की सुविधा प्रदान की है।

नीदरलैंड के लिए केले के एक कंटेनर की पहली निर्यात खेप को कल (9 नवंबर, 2023) कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव ने महाराष्ट्र के बारामती से झंडी दिखाकर रवाना किया।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने केले की परीक्षण खेप के लिए तकनीकी सहायता के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (सीआईएसएच), लखनऊ का सहयोग लिया है, जबकि आईएनआई फार्म्स ने यूरोप में विपणन और वितरण के लिए डेल मोंटे और लॉजिस्टिक्स के लिए मेर्स्क के साथ साझेदारी की है।

यूरोप में केले की परीक्षण खेप कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण-पंजीकृत 'आईएनआई फार्म्स' द्वारा किया गया था, जो भारत से फलों और सब्जियों का एक शीर्ष निर्यातक है और उनकी उपज दुनिया भर के 35 से अधिक देशों में निर्यात की जा रही है। 

पिछले दो वर्षों में, फर्म ने यूरोपीय बाजार के कड़े मानकों को पूरा करने के लिए केले की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास किए हैं। आईएनआई फार्म्स ने एग्रोस्टार समूह के हिस्से के रूप में किसानों के साथ सीधे काम करके केले के लिए एक मूल्य श्रृंखला भी स्थापित की है।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष ने कार्यक्रम के दौरान उल्लेख किया कि नीदरलैंड को केले का निर्यात शुरू होने से केलों के मूल्य में वृद्धि होगी और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह परीक्षण खेप भारतीय केले के लिए यूरोपीय बाजार की महत्वपूर्ण निर्यात क्षमता में वृद्धि करेगा।

वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में लंबी दूरी का बाजार और ऊंची लागत की बाधाएं सामने आई थीं। केले की पहली परीक्षण खेप के निर्यात से गुणवत्ता वाले फलों के निर्यात को सुनिश्चित करके भारतीय निर्यातकों और यूरोपीय संघ (ईयू) के आयातकों के बीच क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी।

विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश होने के बावजूद, वैश्विक बाजार में भारत का केले के निर्यात का हिस्सा वर्तमान में केवल एक प्रतिशत ही है, भले ही विश्व के 35.36 मिलियन मीट्रिक टन केले उत्पादन में देश की हिस्सेदारी 26.45 प्रतिशत है। भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में, 176 मिलियन अमरीकी डालर के केले का निर्यात किया, जिसकी मात्रा 0.36 मिलियन मीट्रिक टन के बराबर है।

यूरोपीय बाजार में पहली परीक्षण खेप के साथ, यह अनुमान लगाया गया है कि भारत अगले पांच वर्षों में एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के केले का निर्यात करने में सक्षम हो सकता है। 

इससे 25,000 से अधिक किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है और आपूर्ति श्रृंखला में 10,000 से अधिक लोगों के लिए प्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण आजीविका का सृजन हो सकता है और अप्रत्यक्ष रूप से खेतों में 50,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकता है।

भारतीय केले के प्रमुख निर्यात स्थलों में ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, उज्बेकिस्तान, सऊदी अरब, नेपाल, कतर, कुवैत, बहरीन, अफगानिस्तान और मालदीव शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, चीन, नीदरलैंड, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों में निर्यात के प्रचुर अवसर हैं।

चूंकि भारत पिछले 15 वर्षों से मध्य पूर्व के साथ केले के व्यापार में बड़ी भूमिका निभा रहा है, इसलिए अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2024 में केले का निर्यात 303 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक हो जाएगा।

केला आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश राज्यों में उगाई जाने वाली एक प्रमुख बागवानी फसल है। आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा केला उत्पादक राज्य है, इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं। ये पांच राज्य वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के केला उत्पादन में सामूहिक रूप से लगभग 67 प्रतिशत का योगदान देते हैं।

अन्य राज्य जो केले का उत्पादन करते हैं उनमें गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए की गई विभिन्न पहलों, जैसे विभिन्न देशों में बी-2-बी प्रदर्शनियों का आयोजन करना और उत्पाद-विशिष्ट और सामान्य विपणन अभियानों के माध्यम से नए संभावित बाजारों की खोज करना, प्राकृतिक, जैविक और भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग वाले कृषि उत्पादों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी के साथ का परिणाम है।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ताजे फलों और सब्जियों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है और उसने महत्वपूर्ण निर्यात क्षमता वाले अन्य फलों के लिए समुद्री प्रोटोकॉल विकसित करने की पहल की है।

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AAB NEWS/
फ्रेंकोइस बेटेनकोर्ट मेयर्स 100 बिलियन डॉलर की संपत्ति अर्जित करने वाली पहली महिला बन गयीं हैं , जो  फ्रांस (France) के फैलते  फैशन (Fashion( और सौंदर्य प्रसाधन (Beauty Products) उद्योगों के लिए एक और मील का पत्थर है।

ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के मुताबिक, गुरुवार को उनकी संपत्ति बढ़कर 100.1 अरब डॉलर हो गई। यह अहम् पल  तब आया जब उनके दादा द्वारा स्थापित सौंदर्य उत्पादों के साम्राज्य "लोरियल एसए"(Loreal) के शेयर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए।

सौंदर्य और फैशन (Beauty and Fashion) तेजी से पैसा कमाने का सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक बनता जा रहा है।

Covid-19-Vaccination- भारत-ने-सबसे-तेजी-से-दुनिया-भर-में-17-करोड़-खुराक-देने-का-लक्ष्य-पाया

एएबी समाचार
@ भारत दुनिया भर में 114 दिनों में 17 करोड़ खुराक के लक्ष्य तक सबसे तेजी से पहुंचने वाला देश है। अमेरिका ने 115 दिन और चीन ने 119 दिन में इतनी खुराक दी थी। देश में अब तक कोविड-19 टीके की करीब 18 करोड़ (शुक्रवार सुबह सात बजे तक 17.93 करोड़) खुराक दी जा चुकी हैं। कोविड-19 टीकाकरण अभियान ने सफलतापूर्वक 118 दिन पूरे कर लिए हैं, जिसमें सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोगपूर्ण प्रयासों के माध्यम से चिह्नित लाभार्थियों को 17.89 करोड़ खुराक दी गयी है। 


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1मई 2021 से 'उदारीकृत मूल्य निर्धारण और त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण रणनीति' लागू की जा रहीहै, जिसमें उपलब्ध खुराक की50 प्रतिदिनसंख्या भारत सरकार के माध्यम से निशुल्क आपूर्ति के रूप में राज्यों/केंद्रशासितप्रदेशोंके लिए निर्धारित की गयी है, जबकि 50 प्रतिशतखुराक राज्यों/केंद्रशासितप्रदेशोंऔर निजी अस्पतालों द्वारा टीका निर्माताओं से सीधे खरीद के लिए उपलब्ध हैं।

किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को भारत सरकार का आवंटन आने वाले पखवाड़े में दूसरी खुराक के लिए खपत के तरीके और लाभार्थियों के भारके हिसाब से तय किया जाता है। 16-31 मई 2021 के पखवाड़े के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन की 191.99 लाख खुराक की निशुल्क आपूर्ति की जाएगी। इनमें कोविशील्ड की 162.5 लाख और कोवैक्सीन की 29.49 लाख खुराक शामिल हैं।

इस आवंटन का वितरण कार्यक्रम पहले से साझा किया जाएगा। राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे संबंधित अधिकारियों को निर्देश दें कि वे आवंटित खुराक का तर्कसंगत और विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करें और टीका अपव्यय को कम करें।

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भारत सरकार द्वारा 15 दिनों के लिए उपलब्ध करायी जाने वाली निशुल्क खुराक की संख्या के बारे में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अग्रिम रूप से सूचित करने के पीछे मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे 45 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लिए, और एचसीडब्ल्यू (स्वास्थ्य सेवा कर्मी) और एफएलडब्ल्यू (अग्रिम पंक्ति के कर्मी) के लिए दिए जाने वाली इन निशुल्क खुराक के विवेकपूर्ण और अधिकतम उपयोग के लिए प्रभावी योजना तैयार करें। 

पिछले पखवाड़े यानी 1-15 मई, 2021 में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को 1.7 करोड़ से अधिक निशुल्क खुराक उपलब्ध करायी गयी हैं। इसके अलावा, राज्यों और साथ ही निजी अस्पतालों के लिए मई 2021 महीने में सीधी खरीद की खातिर 4.39 करोड़ से अधिक खुराक भी उपलब्ध करायी गयी है।

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