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Forest Survey Report 2021-देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है जंगल
 

एएबी समाचार/ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा तैयार 'इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021' जारी की। एफएसआई को देश के वन और वृक्ष संसाधनों का आकलन करने का काम सौंपा गया था।

वन सर्वेक्षण के निष्कर्षों को साझा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश का कुल वन और वृक्षों से भरा क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर है जो
देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 
24.62 प्रतिशत है। वर्ष 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

 

श्री भूपेंद्र यादव ने इस तथ्य पर प्रसन्नता व्यक्त की कि वर्ष 2021 के मौजूदा मूल्यांकन से पता चलता है कि 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनों से पटा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का ध्यान वनों को न केवल मात्रात्मक रूप से संरक्षित करने पर है बल्कि गुणात्मक रूप से इसे समृद्ध करने पर भी है।

वन सर्वेक्षण रिपोर्ट यानि आईएसएफआर-2021 भारत के जंगलों में वन आवरण, वृक्ष आवरण, मैंग्रोव क्षेत्र, जानवरों की बढ़ती संख्या, भारत के वनों में कार्बन स्टॉक, जंगलों में लगने वाली आग की निगरानी व्यवस्था, ​​बाघ आरक्षित क्षेत्रों में जंगल का फैलाव, एसएआर डेटा का उपयोग करके जमीन से ऊपर बायोमास के अनुमानों और जलवायु परिवर्तन के संवेदनशील जगहों (हॉटस्पॉट) के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

 

प्रमुख निष्कर्ष

  • देश का कुल वन और वृक्षों से भरा क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62 प्रतिशत है। 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें से वनावरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 721 वर्ग किमी की वृद्धि पाई गई है।
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  • वन आवरण में सबसे ज्यादा वृद्धि खुले जंगल में देखी गई है, उसके बाद यह बहुत घने जंगल में देखी गई है। वन क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी), इसके बाद तेलंगाना (632 वर्ग किमी) और ओडिशा (537 वर्ग किमी) हैं।
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  • क्षेत्रफल के हिसाब से, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53%), अरुणाचल प्रदेश (79.33%), मेघालय (76.00%), मणिपुर (74.34%) और नगालैंड (73.90%) हैं।
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  • 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आच्छादित है। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से पांच राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों जैसे लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं, जबकि 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात् मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव,असम,ओडिशा में वन क्षेत्र 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच है।
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  • देश में कुल मैंग्रोव क्षेत्र 4,992 वर्ग किमी है। 2019 के पिछले आकलन की तुलना में मैंग्रोव क्षेत्र में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि पाई गई है। मैंग्रोव क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य ओडिशा (8 वर्ग किमी), इसके बाद महाराष्ट्र (4 वर्ग किमी) और कर्नाटक (3 वर्ग किमी) हैं।
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  • देश के जंगल में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है और 2019 के अंतिम आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। कार्बन स्टॉक में वार्षिक वृद्धि 39.7 मिलियन टन है।

 

कार्यप्रणाली

भारत सरकार के डिजिटल भारत के दृष्टिकोण और डिजिटल डेटा सेट के एकीकरण की आवश्यकता के अनुरूप, एफएसआई ने 2011 की जनगणना के अनुसार भौगोलिक क्षेत्रों के साथ व्यापक अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल ओपन सीरीज टॉपो शीट के साथ भारतीय सर्वेक्षण द्वारा प्रदान किए गए जिला स्तर तक विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों की हर स्तर की जानकारियों का उपयोग किया है।

मिड-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए देश के वन आवरण का द्विवार्षिक मूल्यांकन जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर वनावरण और वनावरण में बदलावों की निगरानी करने के लिए 23.5 मीटर के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन 1:50,000 की व्याख्या के साथ भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह डेटा (रिसोर्ससैट-II) से प्राप्त एलआईएसएस-III डेटा की व्याख्या पर आधारित है।

यह जानकारी जीएचजी खोजों, जानवरों की संख्या में बढ़ोत्तरी, कार्बन स्टॉक, फॉरेस्ट रेफरेंस लेवल (एफआरएल) जैसी वैश्विक स्तर की विभिन्न खोजों, रिपोर्टों और यूएनएफसीसीसी लक्ष्यों को वनों के लिए योजना एवं उसके वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए सीबीडी वैश्विक वन संसाधन आकलन (जीएफआरए) के तहत अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग के लिए तथ्य प्रदान करेगी।

पूरे देश के लिए उपग्रह डेटा अक्टूबर से दिसंबर 2019 की अवधि के लिए एनआरएससी से प्राप्त किया गया था। उपग्रह डेटा का पहले विश्लेषण किया जाता है और उसके बाद बड़ी कड़ाई से उसकी जमीनी सच्चाई का भी पता लगाया जाता है। विश्लेषित डेटा की सटीकता में सुधार के लिए अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी का भी उपयोग किया जाता है।

देश में वनों की स्थिति के वर्तमान मूल्यांकन में प्राप्त सटीकता का स्तर काफी अधिक है। वनावरण वर्गीकरण की सटीकता का आकलन 92.99% किया गया है। वन और गैर-वन वर्गों के बीच वर्गीकरण की सटीकता का मूल्यांकन 85% से अधिक के वर्गीकरण की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सटीकता के मुकाबले 95.79% किया गया है। इसमें कठिन क्यूसी और क्यूए अभ्यास भी किया गया

 

आईएसएफआर 2021 की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं

वर्तमान आईएसएफआर 2021 में, एफएसआई ने भारत के टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण के आकलन से संबंधित एक नया अध्याय शामिल किया है। इस संदर्भ में, टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण में बदलाव पर यह दशकीय मूल्यांकन वर्षों से लागू किए गए संरक्षण उपायों और प्रबंधन के प्रभाव का आकलन करने में मदद करेगा।

इस दशकीय मूल्यांकन के लिए, प्रत्येक टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आईएसएफआर 2011 (डेटा अवधि 2008 से 2009) और वर्तमान चक्र (आईएसएफआर 2021, डेटा अवधि 2019-2020) के बीच की अवधि के दौरान वन आवरण में परिवर्तन का विश्लेषण किया गया है।

इसमें एफएसआई की नई पहल के तहत एक नया अध्याय जोड़ा गया है जिसमें जमीन से ऊपर बायोमास' का अनुमान लगाया गया है। एफएसआई ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), इसरो, अहमदाबाद के सहयोग से सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) डेटा के एल-बैंड का उपयोग करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर जमीन से ऊपर बायोमास (एजीबी) के आकलन के लिए एक विशेष अध्ययन शुरू किया। 

असम और ओडिशा राज्यों (साथ ही एजीबी मानचित्र) के परिणाम पहले आईएसएफआर 2019 में प्रस्तुत किए गए थे। पूरे देश के लिए एजीबी अनुमानों (और एजीबी मानचित्रों) के अंतरिम परिणाम आईएसएफआर 2021 में एक नए अध्याय के रूप में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। विस्तृत रिपोर्ट अध्ययन पूरा होने के बाद प्रकाशित की जाएगी।

एफएसआई ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी के गोवा कैंपस के सहयोग से 'भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट की मैपिंग' पर आधारित एक अध्ययन किया है। 

यह सहयोगात्मक अध्ययन भविष्य की तीन समय अवधियों यानी वर्ष 2030, 2050 और 2085 के लिए तापमान और वर्षा डेटा पर कंप्यूटर मॉडल-आधारित अनुमान का उपयोग करते हुएभारत में वनावरण पर जलवायु हॉटस्पॉट का मानचित्रण करने के उद्देश्य से सहयोगात्मक अध्ययन किया गया था।

रिपोर्ट में राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र के अनुसार विभिन्न मापदंडों पर भी जानकारी शामिल है। रिपोर्ट में पहाड़ी, आदिवासी जिलों और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वनावरण पर विशेष विषयगत जानकारी भी अलग से दी गई है।

ऐसी उम्मीद है कि रिपोर्ट में दी गई जानकारी देश में वन और वृक्ष संसाधनों पर नीति, योजना और दीर्घकालिक प्रबंधन के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगी।

Bandhav garh Tiger Reserve Open
एएबी समाचार | Bandhav garh Tiger Reserve बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व का कोर जोन 15 से 30 जून तक पर्यटकों के लिये वापस खुलने जा रहा है। यह कोरोना महामारी के चलते 20 मार्च 2020 से बंद था |  वर्षा ऋतु के दौरान पर्यटक बफर जोन में भ्रमण कर सकेंगे।
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Bandhav garh Tiger Reserve : खोलने  भेजा प्रस्ताव

रिजर्व के क्षेत्र संचालक विंसेंट रहीम की अध्यक्षता में हुई बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की एडवाईजरी और गाइडलाईन के मुताबिक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व को खोलने संबंधी तय किये गये दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जिसमें पर्यटकों को प्रवेश दिशा-निर्देशों  के आधार पर ही मिलेगा। 
 

Bandhav garh Tiger Reserve : 11 से  65 वर्ष  आयु के पर्यटकों को ही मिलेगा प्रवेश
10 वर्ष से कम और 65 वर्ष से अधिक आयु के पर्यटकों को प्रवेश नहीं दिया जायेगा। आई.डी. कार्ड दूर से दिखाना होगा। 6 पर्यटक एक ही परिवार से हैं तो उन्हें एक ही जिप्सी में प्रवेश दिया जायेगा। अगर एक परिवार से नहीं हैं तो एक जिप्सी वाहन में 4 पर्यटक भ्रमण करेंगे। 

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Bandhav garh Tiger Reserve: पार्क में गाड़ी से नीचे नहीं उतर सकेगें पर्यटक
सभी पर्यटक मास्क, सेनीटाइजर और दो गज दूरी के नियम का पालन करेंगे। कोई पर्यटक पार्क के अन्दर गाड़ी से नीचे नहीं उतर सकेगा। सेन्टर पॉइंट पर खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं होगी। जिप्सी वाहन में प्रवेश और वापस आने पर वाहन मालिक को स्वयं ही सेनीटाइज कराना होगा।



  Bandhav garh Tiger Reserve: होटल-पार्क में पर्यटकों की होगी थर्मल स्क्रीनिंग
होटल मालिक पार्क जाने से पूर्व पर्यटकों की थर्मल स्क्रीनिंग करेंगे। साथ ही पर्यटन गेट पर भी पुन: थर्मल स्क्रीनिंग होगी। प्रवेश द्वार को रोज तीन बार सेनीटाइज किया जायेगा। पर्यटकों के सम्पर्क में आने वाले जिप्सी चालक और गाइड मास्क और सेनीटाइजर का उपयोग अनिवार्य रूप से करेंगे। कोरोना जैसे लक्षण दिखने पर पार्क में प्रवेश हरगिज नहीं दिया जायेगा और तत्काल जानकारी प्रशासन को दी जायेगी।

 Bandhav garh Tiger Reserve: पार्क में थूकना  रहेगा  प्रतिबंधित
क्षेत्र संचालक ने बताया कि सभी जिप्सी वाहन में सीट कवर नहीं होगा। पार्क के अन्दर थूकना प्रतिबंधित रहेगा। पानी की बोटल और खाने-पीने की चीजें डस्टबिन में न डालकर वाहन के अन्दर रखना होगा। बैठक में उप संचालक श्री सिद्धार्थ गुप्ता, एसडीओ श्री अनिल शुक्ला, पर्यटन प्रभारी  बीनू गहरवार, गाइड यूनियन के अध्यक्ष श्री राजेश द्विवेदी, जिप्सी यूनियन के अध्यक्ष श्री रतिभान सिंह और होटल यूनियन के अध्यक्ष श्री ज्ञानेन्द्र तिवारी उपस्थित थे।
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एएबी समाचार ।  वन मंत्री उमंग सिंघार ने अफ्रीकी चीता भारत लाने के संबंध में प्राप्त अनुमति का स्वागत किया है।  सिंघार चीता पुन: स्थापना के लिये गठित कमेटी की बैठक में चीता लाने से पहले की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा करेंगे। मंत्री के निर्देश पर नौरादेही के जंगलों में घास के मैदान विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत और मध्यप्रदेश में पहले चीते पाये जाते थे, जो अब समाप्तप्राय हो चुके हैं। केन्द्र सरकार ने चीतों की पुन: स्थापना के लिये मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर और नौरादेही अभयारण्य के साथ राजस्थान के अभयारण्य को चुना था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए एक आवेदन दायर किया था कि दुर्लभ चीता देश में लगभग विलुप्ति की कगार पर है। इसलिये अफ्रीका के नामीबिया से चीता लाने की अनुमति दी जाये। एनटीसीए ने चीतों के लिये देश में सबसे अनुकूल वन के रूप में कूनो-पालपुर और नौरादेही का चयन किया था। एनटीसीए चीता मंगवाने से पहले क्षेत्र का अध्ययन करेगी।


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एबीबी समाचार / मंत्रि-परिषद ने राज्य के वन क्षेत्रों में पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए रिसॉर्ट बार लायसेंस का सरलीकरण करने का निर्णय लिया। इसमें राष्ट्रीय उद्यानों के अतिरिक्त वन अभयारण्य के पास भी रिसॉर्ट बार लायसेंस की सुविधा दी जाएगी। रिसॉर्ट बार राष्ट्रीय उद्यान/अभयारण्यों की सीमा से 20 किलोमीटर की सीमा में स्थित होना चाहिए। 
रिसॉर्ट में दस कमरों के स्थान पर न्यूनतम पाँच कमरों का प्रावधान किया गया। रिसॉर्ट बार के लिए न्यूनतम क्षेत्र 2 हेक्टेयर को घटाकर एक एकड़ करने का निर्णय लिया गया। वन्य क्षेत्रों में स्थित रिसॉर्ट बार के लिए वार्षिक लायसेंस फीस पाँच कमरे के लिए 50 हजार, 6 से 10 कमरे के लिए एक लाख और 10 से अधिक कमरे वाले रिसॉर्ट के लिए डेढ़ लाख रूपये करने का निर्णय लिया गया है। 
सभी बार लायसेंसों की स्वीकृति और नवीनीकरण के प्रकरणों में अग्नि सुरक्षा संबंधी व्यवस्था के संबंध में निर्धारित प्रमाण-पत्र के स्थान पर जिला आबकारी अधिकारी तथा संबंधित रिसॉर्ट बार अनुज्ञप्तिधारी के संयुक्त हस्ताक्षर से रिपोर्ट ली जाएगी।

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एएबी समाचार / मप्र सरकार पर्यावरणीय पर्यटन  को बढ़ावा देने के लिये इस वर्ष शासकीय और अशासकीय विद्यालयों के 1 लाख 20 हजार विद्यार्थियों को वन क्षेत्रों में भ्रमण कराएगी । वन मंत्री  उमंग सिंघार वन विहार की विहार वीथिका में राज्य स्तरीय वन्य-प्राणी सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित में कहा कि लोग  वनों से दूर होते जा रहे हैं। इसलिये पर्यावरणीय पर्यटन को प्रोत्साहित करना जरूरी हो गया है। मंत्री  सिंघार ने कहा कि मध्यप्रदेश को बाघ प्रदेश  घोषित किया गया है। अभी प्रदेश में 526 बाघ  हैं। इस संख्या में वृद्धि के लिये गुजरात सरकार से सहयोग का आग्रह किया गया है।
 सिंघार ने इस मौके पर लोगों को वनों और वन्य-प्राणियों के संरक्षण, सर्वधन और सुरक्षा की शपथ दिलाई और हरित केलिन्डर  का विमोचन किया। इस मौके पर 'वनरक्षक प्रोटेक्टर ऑफ पेराडाइज' वृतचित्र का प्रदर्शन किया गया। वन मंत्री ने वृत चित्र के निर्माता युवा फिल्मकार फरहान खान को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
पुरस्कार वितरण
वन मंत्री  सिंघार ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी महाविद्यालयीन और विद्यालयीन विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। राज्य स्तरीय वन्य-प्राणी सप्ताह 2019 में आयोजित प्रतियोगिताओं में करीब 3200 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सप्ताह के दौरान चित्रकला, वन्यप्राणी फोटो, वन्यप्राणी संरक्षण के लिये युवा संसद, फोटोग्राफी कार्यशाला, शिक्षक कार्यशाला, सृजनात्मक कार्यशाला, रंगोली, पाम पेंटिग एवं मेहंदी क्विज, फेन्सी ड्रेस, फेस पेंटिग प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई।