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AAB NEWS/ केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 23 सितंबर 2023 को गोवा के पणजी में ऐतिहासिक किले अगौड़ा में 'भारतीय प्रकाश स्तंभ उत्सव' या भारतीय लाइटहाउस महोत्सव के पहले संस्करण का उद्घाटन किया।



इस महोत्सव का उद्देश्य भारत के 75 प्रतिष्ठित प्रकाशस्तंभों के समृद्ध समुद्री इतिहास को पुनर्जीवित करना और दुनिया के सामने उनकी शानदार गाथाओं को सामने लाना है। इस प्रकार के पहले आयोजन के प्रमुख स्थल, फोर्ट अगौड़ा में आयोजित बैठक में गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत; केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री, श्रीपद नाइक और गोवा सरकार के पर्यटन मंत्री श्री रोहन खौंटे ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में राज्य और केंद्र, दोनों सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विधायक माइकल लोबो भी उपास्थित थे।



सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “इस महोत्सव के शुभारंभ के साथ, हम इन प्रतिष्ठित स्थलों की समृद्ध विरासत को उजागर करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ समुद्र तटीय भारत में 75 प्रकाश स्तंभों में सदियों पुराने क्लासिक्स को फिर से जीवंत करने की प्रक्रिया और उन्हें दुनिया के सामने पेश करने के लिए सक्षम कर रहे हैं। 
 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारा देश आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राष्ट्र निर्माण के इस पवित्र प्रयास में हम प्रतिष्ठित प्रकाश स्तंभों को शैक्षिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के प्रमुख केन्द्रों का उत्प्रेरक बनाकर मोदी जी की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। 
 
आज, हम अपने दूरदर्शी नेता, नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शिता और नेतृत्व के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमारे विशिष्ट प्रकाशस्तंभों को मनोरम विरासत पर्यटन स्थलों में बदलने का समर्थन किया है। बहुत लंबे समय तक, अंधेरी रातों के बीच सैकड़ों नाविकों और जहाजों को आशा की रोशनी प्रदान करते समय समुद्र तटों के मूक प्रहरी को नजरअंदाज कर दिया गया था। 
 
"प्रकाश स्तंभ उत्सव" इसे बदलने का हमारा प्रयास है। इन ऐतिहासिक प्रकाशस्तंभों ने हमारे देश के इतिहास में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उसके बारे में आप सभी को सूचित करना, उससे जोड़ना और शिक्षित करना हमारा मिशन है।



भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का लक्ष्य ऐतिहासिक स्थलों को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थलों में विकसित करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी मार्ग के लिए आधार तैयार करने के लिए भारतीय प्रकाश स्तंभ महोत्सव का लाभ प्राप्त करना है। 
 
प्रकाश स्तंभ और लाइटशिप महानिदेशालय ने पहले ही 75 ऐसे प्रकाश स्तंभों की पहचान कर ली है और यह उत्सव हमारी समुद्री विरासत का जश्न मनाने और संरक्षित करने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री महोदय ने कहा, “प्रकाश स्तंभ महोत्सव” एक शानदार उत्सव है जो समय और सुंदरता के माध्यम से एक मनोरम यात्रा होने का वादा करता है। यह एक ऐसी यात्रा है जो हमारे समुद्री इतिहास के छिपे हुए रत्नों को उजागर करेगी और हमारे ऐतिहासिक प्रकाश स्तंभों की अनकही गाथाओं को उजागर करेगी। 
 
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने परिवर्तन के लिए सुधार की पहल के एक हिस्से के रूप में, भारत में पोत परिवहन क्षेत्र में सहायता के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए लाइटहाउस अधिनियम, 1927 को निरस्त करके समुद्री परिवहन के लिए समुद्री सहायता अधिनियम, 2021 लागू किया। 
 
इसके अंतर्गत हमने विरासत प्रकाश स्तंभ की नई अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें केंद्र सरकार अपने नियंत्रण में समुद्री परिवहन के लिए किसी भी सहायता को विरासत प्रकाश स्तंभ के रूप में नामांकित कर सकती है। 
 
समुद्री परिवहन में सहायता के रूप में उनके कार्य के अलावा, ऐसे प्रकाशस्तंभों को शैक्षिक, सांस्कृतिक और पर्यटक उद्देश्यों के लिए विकसित किया जाएगा। यह महोत्सव सिर्फ ज्ञान का नहीं है; यह मूल्यों और अवसरों को पैदा करने के बारे में है। 
 
महोत्सव से अलग, हमारी परिकल्पना प्रकाशस्तंभों को पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा देना, इन ऐतिहासिक संरचनाओं पुनर्जीवन प्रदान करना और स्थानीय समुदायों और व्यवसायों के लिए अवसर पैदा करना है।''



दिन भर चले कार्यक्रम के दौरान, 'हमारे तटों के अग्ररक्षक: भारत के अतीत और वर्तमान के प्रमाण के रूप में प्रकाशस्तंभ' शीर्षक से एक सत्र आयोजित किया गया था, जिसे शासन, नीतियां और राजनीति संस्थान की पहल, भारत प्रवाह द्वारा आयोजित किया गया था, जहां प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्वविद् जो राखीगढ़ी के रूप में ख्याति प्राप्त प्रो. वसंत शिंदे ने भारत के समुद्री इतिहास में प्रकाशस्तंभों के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बात की। 
 
डॉ. सुनील गुप्ता, समुद्री पुरातत्वविद् और नई दिल्ली के प्रधानमंत्री संग्रहालय में ओएसडी; और गोवा राज्य संग्रहालय के निदेशक डॉ. वासु उस्पाकर ने भी सत्र में अपने विचार रखे। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने प्रकाश स्तंभ विरासत पर्यटन विकास के प्रति मंत्रालय के दृष्टिकोण और इस चरण में 75 प्रकाश स्तंभों में निवेश के अवसरों के बारे में एक केस प्रस्तुत किया।



भारत के पहले प्रकाश स्तंभ महोत्सव का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक प्रदर्शनी सत्र, समुद्री इतिहास और संस्कृति पर प्रकाश और ध्वनि शो, ख्याति प्राप्त गायकों के साथ मधुर शामें, समुद्र तटों के जायको और सामुदायिक सहभागिता हैं।

 

River Cruise Ganga Vilas-दुनिया की सबसे लंबे रिवर क्रूज का शुभारंभ हुआ भारत में

AAB NEWS/
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 13 जनवरी, 2023 को वाराणसी में एमवी गंगा विलास के साथ दुनिया की सबसे लंबे रिवर क्रूज का शुभारंभ भारत के लिए रिवर क्रूज पर्यटन के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक होगा। 

यह लग्जरी क्रूज भारत और बांग्लादेश के 5 राज्यों में 27 नदी प्रणालियों में 3,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा। श्री सोनोवाल ने कहा कि इस सेवा के लॉन्च होने के साथ रिवर क्रूज की विशाल अप्रयुक्त क्षमता के इस्तेमाल की शुरुआत होगी।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में, हम उस अपार संपदा की खोज कर रहे हैं, जो हमें समृद्ध नदी प्रणाली प्रदान करती है। 

अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से सतत विकास के इस मार्ग को जबरदस्त बढ़ावा मिला है, क्योंकि कार्गो ट्रैफिक के साथ-साथ यात्री पर्यटन को बढ़ाने के प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। 

एमवी गंगा विलास क्रूज देश में नदी पर्यटन की विशाल क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है। वैश्विक स्तर पर हमारी समृद्ध विरासत और आगे बढ़ेगी, क्योंकि पर्यटक भारत की आध्यात्मिक, शैक्षिक, कल्याण, सांस्कृतिक और साथ ही जैव विविधता की समृद्धि का अनुभव करने में सक्षम होंगे। 

काशी से सारनाथ तक, माजुली से मयोंग तक, सुंदरबन से काजीरंगा तक, यह क्रूज जीवन भर का अनुभव प्रदान करता है। मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के मार्गदर्शन में यह अद्भुत पहल, भारत में नदी क्रूज पर्यटन में एक नए युग की शुरुआत है और नीति तथा अभ्यास दोनों के माध्यम से एक्ट ईस्ट को साकार करने की दिशा में हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत कर रही है।”




एमवी गंगा विलास क्रूज को दुनिया के सामने देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए सुसज्जित किया गया है। विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों, और बिहार में पटना, झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों की 51 दिनों की क्रूज यात्रा की योजना बनाई गई है। 
 
एमवी गंगा विलास क्रूज 62 मीटर लंबा, 12 मीटर चौड़ा है और आराम से 1.4 मीटर के ड्राफ्ट के साथ चलता है। इसमें तीन डेक हैं, 36 पर्यटकों की क्षमता वाले बोर्ड पर 18 सुइट हैं, जिसमें पर्यटकों के लिए एक यादगार और शानदार अनुभव प्रदान करने के लिए सभी सुविधाएं हैं। 
 
जहाज अपने मूल में स्थायी सिद्धांतों का पालन करता है, क्योंकि यह प्रदूषण मुक्त प्रणाली और शोर नियंत्रण तकनीकों से लैस है। एमवी गंगा विलास की पहली यात्रा में स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटक वाराणसी से डिब्रूगढ़ की यात्रा का आनंद लेंगे। एमवी गंगा विलास के डिब्रूगढ़ पहुंचने की संभावित तिथि 1 मार्च, 2023 है।


एमवी गंगा विलास के यात्रा कार्यक्रम को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थानों पर रुकने के साथ भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया है। वाराणसी में प्रसिद्ध "गंगा आरती" से, यह बौद्ध धर्म की महान श्रद्धा के स्थान सारनाथ में रुकेगा। 

यह मायोंग को भी कवर करेगा, जो अपनी तांत्रिक विद्या के लिए जाना जाता है, और माजुली, सबसे बड़ा नदी द्वीप और असम में वैष्णव संस्कृति का केंद्र है। यात्री बिहार स्कूल ऑफ योग और विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी जाएंगे, जिससे उन्हें आध्यात्मिकता व ज्ञान में समृद्ध भारतीय विरासत से रूबरू होने का मौका मिलेगा। 

यह क्रूज रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध बंगाल डेल्टा की खाड़ी में सुंदरबन के जैव विविधता से भरपूर विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से भी गुजरेगा।





श्री सोनोवाल ने देश में रिवर क्रूज पर्यटन को विकसित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस क्षेत्र के विकास से भीतरी इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सरकार देश में रिवर क्रूज पर्यटन की सफलता के लिए क्षमता निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में इस क्षेत्र के अधिकतम प्रदर्शन और तेजी से विकास के लिए नदी पर्यटन सर्किट को मौजूदा पर्यटन सर्किट के साथ विकसित और एकीकृत किया जाएगा।



एमवी गंगा विलास क्रूज अपनी तरह की पहली क्रूज सेवा है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के सहयोग से, इस सेवा की सफलता से उद्यमियों को देश के अन्य हिस्सों में रिवर क्रूज का लाभ उठाने के लिए उत्साहित होने की संभावना है।

वैश्विक रिवर क्रूज बाजार पिछले कुछ वर्षों में 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और 2027 तक क्रूज बाजार के 37 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। विश्व में यूरोप रिवर क्रूज जहाजों के मामले में लगभग 60 प्रतिशत भागीदारी के साथ विकास कर रहा है। 
 
भारत में, कोलकाता और वाराणसी के बीच 8 नदी क्रूज जहाजों का संचालन होता है, जबकि राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (ब्रह्मपुत्र) पर क्रूज की आवाजाही भी संचालित होती है। देश में कई जगहों पर रिवर राफ्टिंग, कैम्पिंग, दर्शनीय स्थलों की यात्रा, कयाकिंग आदि जैसी पर्यटन गतिविधियां संचालित हैं। 
 
राष्ट्रीय जलमार्ग 2 पर 10 यात्री टर्मिनलों का निर्माण किया जा रहा है जो रिवर क्रूज की संभावना को और बढ़ा देगा। वर्तमान में, राष्ट्रीय जलमार्ग 2 में चार नदी क्रूज जहाज काम कर रहे हैं, जबकि यह राष्ट्रीय जलमार्ग 3 (वेस्ट कोस्ट कैनाल), राष्ट्रीय जलमार्ग 8, राष्ट्रीय जलमार्ग 4, राष्ट्रीय जलमार्ग 87, राष्ट्रीय जलमार्ग 97, और राष्ट्रीय जलमार्ग 5 में सीमित क्षमता में काम कर रहा है। 
 
अब जबकि अंतर्देशीय जलमार्गों में क्षमता निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाया जा रहा है, अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यवस्थित फॉरवर्ड और बैकवर्ड के लिंकेज के साथ नदी क्रूज, विशेष रूप से नदियों के दोनों किनारों पर, विकसित होने के लिए तैयार है।
 
Visit-Ayodhya-to-Enjoy-Ramayan-Cruise-Tour-यात्रा-में-रामायण-के-प्रसंगों-से-जुड़े-सेल्फी-पॉइंट-भी-होंगे

एएबी समाचार ।
अयोध्या में सरयू नदी पर जल्द ही  'रामायण क्रूज टूर'  शुरू किया जाएगा।
यह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सरयू नदी (घाघरा / राष्ट्रीय जलमार्ग -40) पर पहली आरामदेह  क्रूज सेवा होगी। इसका उद्देश्य पवित्र सरयू नदी के प्रसिद्ध घाटों की यात्रा करते हुए श्रद्धालुओं को एक तरह की आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव प्रदान करना है।

यह बात केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री मनसुख मंडाविया ने क्रूज सेवा के कार्यान्वयन के लिए उनकी अध्यक्षता  में आयोजित समीक्षा बैठक में कही ।

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क्रूज में वैश्विक स्तर के अनुरूप आवश्यक संरक्षा और सुरक्षा सुविधाओं के साथ-साथ लक्जरी और आराम की सभी सुविधाएँ मौजूद होंगी। क्रूज के अंदरूनी भाग और बोर्डिंग पॉइंट, रामचरितमानस की थीम पर आधारित होंगे। पूरी तरह से वातानुकूलित 80-सीटों वाले क्रूज में घाटों की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए कांच की बड़ी खिड़कियां होंगी। पर्यटकों के आराम के लिए, क्रूज रसोई और पेंट्री सुविधाओं से सुसज्जित होगा। क्रूज में पर्यावरण पर ’शून्य प्रभाव’ के लिए जैव शौचालय और हाइब्रिड इंजन प्रणाली है।

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केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने बताया कि  पर्यटकों को 1-1.5 घंटे की अवधि के 'रामचरितमानस टूर' पर ले जाया जाएगा। यात्रा के दौरान गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस पर आधारित विशेष रूप से बनाई गई वीडियो फिल्म दिखाई जायेगी, जिसमें भगवान राम के जन्म से लेकर उनके राज्याभिषेक तक की कथा होगी। पूरी यात्रा में लगभग 15-16 किलोमीटर की दूरी तय की जायेगी। रामायण के विभिन्न प्रसंगों से प्रेरित कई गतिविधियाँ और सेल्फी पॉइंट होंगे। यात्रा के बाद सरयू आरती होगी, जिसमें प्रत्येक यात्री सक्रिय रूप से भाग ले सकेगा।

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उन्होंने रामचरित क्रूज यात्रा की खासियत बताते हुए कहा कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है, जैसा महान भारतीय महाकाव्य रामायण में वर्णित है। यह हिंदुओं के लिए सात सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों (मोक्षदायिनी सप्त पुरी) में से पहला है। यूपी पर्यटन के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में लगभग 2 करोड़ पर्यटक अयोध्या आये थे। राम मंदिर के निर्माण के के बाद, अनुमान है कि पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।

‘रामायण क्रूज टूर’ न केवल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि यह क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय क्रूज सेवा के सुचारू संचालन के लिए सभी आवश्यक अवसंरचना सहायता प्रदान करेगा।

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Active-FASTag-Is-Must-To-Avail-offers-and-Discounts

एएबी समाचार।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाल ही में राजपत्र में जारी की गयी अधिसूचना  के मुताबिक ‘फास्टैग’ ( FASTag) का उपयोग करने वालों को ही  टोल शुल्क प्लाजा (Toll Plaza)  पर वापसी यात्रा डिस्‍काउंट या कोई भी अन्य छूट प्राप्‍त सकेंगीं ।  जो भी उपयोगकर्ता  24 घंटे के भीतर वापसी यात्रा करने के लिए डिस्‍काउंट अथवा किसी अन्य स्थानीय छूट का दावा करना चाहते हैं उसके लिए वाहन पर एक वैध कार्यात्मक (active) ‘फास्टैग’ लगाना आवश्यक होगा ।
 

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राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 में संशोधन करने के लिए  राजपत्र अधिसूचना संख्या 534 ई, में अधिसूचित किया गया है कि  राष्ट्रीय राजमार्गों के शुल्क प्लाजा पर डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक अहम कदम है । इस तरह की छूट (डिस्‍काउंट) प्राप्‍त करने के लिए देय शुल्क का भुगतान केवल प्री-पेड तरीकों , स्मार्ट कार्ड या ‘फास्टैग’ अथवा ऑनबोर्ड यूनिट (ट्रांसपोंडर) या इसी तरह के किसी अन्य उपकरण के जरिए किया जाएगा।  
 

अधिसूचना में नियमों में संशोधनों के बारे में उल्लेख किया गया है कि -
i. 24 घंटे के भीतर वापसी या रिटर्न यात्रा पर डिस्‍काउंट प्राप्‍त करने के लिए, यह ‘फास्टैग’ या इसी तरह के अन्य उपकरण के माध्‍यम से संभव होगा और स्वत: होगा तथा किसी पास की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
ii. अन्य सभी मामलों में छूट या डिस्‍काउंट प्राप्‍त करने के लिए,  एक वैध ‘फास्टैग’ होना अब अनिवार्य कर दिया गया है।


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नवीनतम संशोधन से यह भी संभव होगा कि जिन मामलों में 24 घंटे के भीतर वापसी या रिटर्न यात्रा के लिए डिस्‍काउंट उपलब्ध है, उनमें पूर्व रसीद या सूचना की कोई आवश्यकता नहीं होगी और संबंधित नागरिक को छूट अपने-आप मिल जाएगी, बशर्ते कि वापसी यात्रा 24 घंटे के भीतर निश्चित रूप से हो जाए एवं संबंधित वाहन पर एक वैध व कार्यात्मक ‘फास्टैग’ अवश्‍य लगा हो।

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Bandhav garh Tiger Reserve Open
एएबी समाचार | Bandhav garh Tiger Reserve बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व का कोर जोन 15 से 30 जून तक पर्यटकों के लिये वापस खुलने जा रहा है। यह कोरोना महामारी के चलते 20 मार्च 2020 से बंद था |  वर्षा ऋतु के दौरान पर्यटक बफर जोन में भ्रमण कर सकेंगे।
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Bandhav garh Tiger Reserve : खोलने  भेजा प्रस्ताव

रिजर्व के क्षेत्र संचालक विंसेंट रहीम की अध्यक्षता में हुई बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की एडवाईजरी और गाइडलाईन के मुताबिक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व को खोलने संबंधी तय किये गये दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जिसमें पर्यटकों को प्रवेश दिशा-निर्देशों  के आधार पर ही मिलेगा। 
 

Bandhav garh Tiger Reserve : 11 से  65 वर्ष  आयु के पर्यटकों को ही मिलेगा प्रवेश
10 वर्ष से कम और 65 वर्ष से अधिक आयु के पर्यटकों को प्रवेश नहीं दिया जायेगा। आई.डी. कार्ड दूर से दिखाना होगा। 6 पर्यटक एक ही परिवार से हैं तो उन्हें एक ही जिप्सी में प्रवेश दिया जायेगा। अगर एक परिवार से नहीं हैं तो एक जिप्सी वाहन में 4 पर्यटक भ्रमण करेंगे। 

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Bandhav garh Tiger Reserve: पार्क में गाड़ी से नीचे नहीं उतर सकेगें पर्यटक
सभी पर्यटक मास्क, सेनीटाइजर और दो गज दूरी के नियम का पालन करेंगे। कोई पर्यटक पार्क के अन्दर गाड़ी से नीचे नहीं उतर सकेगा। सेन्टर पॉइंट पर खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं होगी। जिप्सी वाहन में प्रवेश और वापस आने पर वाहन मालिक को स्वयं ही सेनीटाइज कराना होगा।



  Bandhav garh Tiger Reserve: होटल-पार्क में पर्यटकों की होगी थर्मल स्क्रीनिंग
होटल मालिक पार्क जाने से पूर्व पर्यटकों की थर्मल स्क्रीनिंग करेंगे। साथ ही पर्यटन गेट पर भी पुन: थर्मल स्क्रीनिंग होगी। प्रवेश द्वार को रोज तीन बार सेनीटाइज किया जायेगा। पर्यटकों के सम्पर्क में आने वाले जिप्सी चालक और गाइड मास्क और सेनीटाइजर का उपयोग अनिवार्य रूप से करेंगे। कोरोना जैसे लक्षण दिखने पर पार्क में प्रवेश हरगिज नहीं दिया जायेगा और तत्काल जानकारी प्रशासन को दी जायेगी।

 Bandhav garh Tiger Reserve: पार्क में थूकना  रहेगा  प्रतिबंधित
क्षेत्र संचालक ने बताया कि सभी जिप्सी वाहन में सीट कवर नहीं होगा। पार्क के अन्दर थूकना प्रतिबंधित रहेगा। पानी की बोटल और खाने-पीने की चीजें डस्टबिन में न डालकर वाहन के अन्दर रखना होगा। बैठक में उप संचालक श्री सिद्धार्थ गुप्ता, एसडीओ श्री अनिल शुक्ला, पर्यटन प्रभारी  बीनू गहरवार, गाइड यूनियन के अध्यक्ष श्री राजेश द्विवेदी, जिप्सी यूनियन के अध्यक्ष श्री रतिभान सिंह और होटल यूनियन के अध्यक्ष श्री ज्ञानेन्द्र तिवारी उपस्थित थे।
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एएबी समाचार । मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मंत्रालय में मध्यप्रदेश पर्यटन संचालक मंडल की बैठक में प्रदेश के पर्यटन स्थलों का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के लिए सुनियोजित कार्य-योजना बनाने और पर्यटन को प्रोत्साहित करने वाली एजेंसियों को भी इसमें शामिल करने को कहा है। संचालक मंडल द्वारा बैठक में पर्यटन स्थलों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए कार्य-योजना स्वीकृत की गई। इससे लगभग 50 हजार बालिकाओं और महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश पर्यटन के मामले में समृद्ध प्रदेश है। हमारे यहां विविध सांस्कृतिक परिदृश्य, वन, नेशनल पार्क के साथ बड़ी संख्या में विरासत  संपत्ति भी उपलब्ध है। वर्तमान में जिन राज्यों में पर्यटन समृद्ध है, उसका कारण उनकी बेहतर  विपणन  है। आवश्यकता इस बात की है कि प्रदेश की पर्यटन संपदा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रभावी संसाधनों का इस्तेमाल करें। उन्होंने इसके लिए पर्यटन से जुड़ी विभिन्न राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय टूर-ऑपरेटर, ट्रेवल एजेंट एवं होटल व्यवसाय से जुड़ी एजेंसियों से समन्वय स्थापित कर उनका उपयोग करने को कहा।
देश के विभिन्न शहरों में टूर्स एवं ट्रेवल्स मीट
मुख्यमंत्री ने विरासत  संपत्ति के विकास और बढ़ावा देने  के लिए देश के विभिन्न शहरों में टूर्स एवं ट्रेवल्स मीट करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने पचमढ़ी में हवाई पट्टी का विकास करने और राष्ट्रीय उद्द्यान  के बफर क्षेत्र  में शिविर स्थल  स्थापित करने को कहा। मुख्यमंत्री ने पर्यटन मंडल  में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को भी शामिल करने के निर्देश दिये।
पर्यटन मंत्री  सुरेन्द्र सिंह बघेल ने पर्यटन विकास निगम और बोर्ड में कार्यरत कर्मियों की समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। साथ ही, जिला पर्यटन संवर्धन परिषद में राज्य एवं जिला-स्तर पर समन्वय की दृष्टि से शासन-स्तर पर दो समन्वयकों की नियुक्ति का सुझाव भी दिया।
पर्यटन स्थलों के बनेंगे संकुल
बैठक में पर्यटन स्थलों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की स्वीकृत कार्य योजना में पर्यटन स्थलों को 20 संकुल  में विभाजित करने का निर्णय लिया गया। प्रत्येक संकुल में 50 पर्यटन स्थलों को शामिल किया जाएगा। इनमें महिला पर्यटकों के अनुकूल वातावरण निर्माण, संबंधित जानकारी की सहज उपलब्धता एवं महिलाओं की सुरक्षा एवं सुविधा को ध्यान में रखते हुए अधोसंरचना में सुधार किया जाएगा। इसमें पर्यटन स्थल की स्थानीय महिलाओं एवं बालिकाओं को महिला पर्यटकों की सुरक्षा एवं सहयोग के लिए तैयार किया जाएगा। उन्हें आत्मरक्षा प्रशिक्षण एवं पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं के समीप कार्य करने के लिए कौशल उन्नयन रोजगार एवं स्व-रोजगार की दृष्टि से प्रशिक्षित किया जाएगा। इस योजना के जरिए 50 हजार महिलाओं एवं बालिकाओं को पर्यटन की गतिविधियों से जोड़ने का लक्ष्य है।

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एएबी समाचार ।  वन मंत्री उमंग सिंघार ने अफ्रीकी चीता भारत लाने के संबंध में प्राप्त अनुमति का स्वागत किया है।  सिंघार चीता पुन: स्थापना के लिये गठित कमेटी की बैठक में चीता लाने से पहले की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा करेंगे। मंत्री के निर्देश पर नौरादेही के जंगलों में घास के मैदान विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत और मध्यप्रदेश में पहले चीते पाये जाते थे, जो अब समाप्तप्राय हो चुके हैं। केन्द्र सरकार ने चीतों की पुन: स्थापना के लिये मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर और नौरादेही अभयारण्य के साथ राजस्थान के अभयारण्य को चुना था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए एक आवेदन दायर किया था कि दुर्लभ चीता देश में लगभग विलुप्ति की कगार पर है। इसलिये अफ्रीका के नामीबिया से चीता लाने की अनुमति दी जाये। एनटीसीए ने चीतों के लिये देश में सबसे अनुकूल वन के रूप में कूनो-पालपुर और नौरादेही का चयन किया था। एनटीसीए चीता मंगवाने से पहले क्षेत्र का अध्ययन करेगी।

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एएबी समाचार, भोपाल । हज-2020 के लिये मध्यप्रदेश राज्य हज कमेटी द्वारा आवेदकों को सीटों का वितरण करने के लिये ताजुल मसाजिद में कम्प्यूटर लॉटरी (कुर्रा) का कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है। प्रदेश के 52 जिलों का जिलेवार कुर्रा 12,598 आवेदकों के मध्य 4154 हज सीटों के लिये हुआ। शेष 8444 हज आवेदकों की प्रतीक्षा सूची कम्प्यूटर लॉटरी से बनाई गई।
कुर्रा से चयनित आवेदकों को चयन की सूचना एस.एम.एस. द्वारा दी जा रही है। चयनित आवेदकों को 15 फरवरी तक हज राशि की पहली किश्त के रूप में 81 हजार रुपये प्रति आवेदक विशेष पे-इन-स्लिप के माध्यम से भारतीय स्टेट बैंक अथवा यूनियन बैंक में जमा करनी होगी।
कुर्रा की जानकारी के लिए हज कमेटी ऑफ इंडिया की वेबसाइट  एवं मध्यप्रदेश राज्य हज कमेटी की वेबसाइट पर देखी जा सकती है। आवेदक राज्य हज कमेटी के टेलीफोन नम्बर-0755-2530139 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।

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एएबी समाचार,नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट 'स्वदेश दर्शन योजना ' (Swadesh Darshan yojna) में बदलाव को मंजूरी दे दी. सरकार ने 'स्वदेश दर्शन स्कीम' को और ज्यादा प्रभावशाली बनाने का फैसला किया है. अब तक इस योजना  को 6 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी मिल चुकी और अब इसमें 650 करोड़ रुपये सरकार और देगी.

 'स्वदेश दर्शन योजना ' के तहत अलग-अलग विषयों पर एकीकृत  पर्यटन गलियारे  बनाने की योजना है. गौरतलब है  कि साल 2015 में 'स्वदेश दर्शन योजना ' शुरू हुई थी और अब तक इस योजना  को 6 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है. इस योजना के तहत अब तक 15 गलियारे विकसित की गई है और 79 योजनाओं को मंजूरी दी गई है.

क्या है स्वदेश दर्शन
गलियारा ?
Swadesh Darshan yojna भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी एक ऐसी योजना  है जिसके जरिये पर्यटन स्थल की मूलभूत सुविधा में सुधार करना है. स्वदेश दर्शन योजना  की शुरुआत  भारतीय पर्यटन मंत्रालय ने साल 2015 में की थी.

इस योजना के अंतर्गत दो योजना को भी शामिल किया गया था इस में पहली प्रसाद योजना है यानी तीर्थयात्रा कायाकल्प एवं आध्यात्मिक सवर्धन अभियान  जिसका मकसद  सभी धर्मो के तीर्थधामों को सुविधा उपलब्ध कराना है. दूसरी योजना विषय पर आधारित पर्यटन गलियारे  के एकीकृत विकास के लिए है. यह योजनाए केंद्र सरकार के नेतृत्व में बेहतर तरीके से देश के विरासत  शहरों  को विकसित करने के लिए और ज्यादा से ज्यादातर पर्यटकों को हासिल करने के लिए बनाई गयी है.

15 गलियारों की हुई पहचान
योजना के तहत 15 गलियारों के विकास हेतु पहचान की गई है. जो निम्न हैं: बौद्ध गलियारा , हिमालय
गलियारा, तटीय गलियारा, कृष्णा गलियारा, रेगिस्तानी गलियारा, पूर्वोत्तर भारत गलियारा, आदिवासी गलियारा, परिस्थितिकी गलियारा , वन्यजीव गलियारा, ग्रामीण गलियारा, आध्यात्मिक गलियारा, रामायण गलियारा, विरासत गलियारा, सूफी गलियारा, तीरथंकर गलियारा

स्वदेश दर्शन योजना की विशेषताएं-
>> योजना के हिस्से के तौर पर देश भर में संरचनात्मक विकास के लिए विषय आधारित पर्यटन
गलियारों  की पहचान की जाएगी. 

> विषय आधारित पर्यटन गलियारों  (टीबीटीसी) को धर्म, संस्कृति, जातीयता , स्थान आदि जैसे विशेष विषयों पर बने पर्यटन गलियारा के तौर पर परिभाषित किया जाता है.
>> टीबीटीसी एक राज्य में भी हो सकता है या यह एक ऐसा क्षेत्रीय
गलियारा हो सकता है जिसमें एक से अधिक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश आते हों.

स्वदेश दर्शन योजना के लक्ष्य->> पहचान किये गए विषयाधारित गलियारा में बुनियादी ढाँचे  का एकीकृत  विकास करना.
>> विविध विषयाधारित  गलियारे  के साथ पूरा पर्यटन अनुभव प्रदान करना.
>> गरीबों के हित में पर्यटन के दृष्टिकोण और समुदाय आधारित विकास  को अनुसरण   करना.
>> स्थानीय समुदायों   के बीच आय के स्त्रोतों में वृद्धी, जीवन स्तर एवं क्षेत्र के समग्र विकास की तौर पर पर्यटन के महत्व के बारे में बताते हुए उनमें जागरूकता पैदा करना है.
>> पहचाने गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिए स्थानीय कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, भोजन आदि को बढ़ावा देना है.
>> रोजगार सृजन एवं आर्थिक विकास में इसके प्रत्यक्ष  और गुणात्मक  प्रभाव के लिए अर्जित पर्यटन क्षमता को बढ़ाना है.