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AAB NEWS/
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एक समारोह में तूर के किसानों के पंजीकरण, खरीद, भुगतान के लिए ई-समृद्धि व एक अन्य पोर्टल लोकार्पित किया। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) तथा भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारिता संघ (NCCF) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के अवसर पर दलहन में आत्मनिर्भरता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित हुई। 
 
यहां केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे, सहकारिता राज्यमंत्री  बी.एल, वर्मा विशेष अतिथि थे। इसमें किसान एवं पैक्स, एफपीओ, सहकारी समितियों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद थे।

मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये पोर्टल के जरिए ऐसी शुरूआत की है, जिससे नेफेड व एनसीसीएफ के माध्यम से किसानों को एडवांस में रजिस्ट्रेशन कर तूर दाल की बिक्री में सुविधा होगी, उन्हें एमएसपी या फिर इससे अधिक बाजार मूल्य का डीबीटी से भुगतान हो सकेगा। 
 
इस शुरूआत से आने वाले दिनों में किसानों की समृद्धि, दलहन उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता और पोषण अभियान को भी मजबूती मिलती दिखेगी। साथ ही क्रॉप पैटर्न चेंजिंग के अभियान में गति आएगी और भूमि सुधार एवं जल संरक्षण के क्षेत्रों में भी बदलाव आएगा। आज की शुरूआत आने वाले दिनों में कृषि क्षेत्र में प्रचंड परिवर्तन लाने वाली है। 
 
श्री शाह ने कहा कि दलहन के क्षेत्र में देश आज आत्मनिर्भर नहीं है, लेकिन हमने मूंग व चने में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दलहन उत्पादक किसानों पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है कि वर्ष 2027 तक दलहन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हों। 
 
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि किसानों के सहयोग से दिसंबर 2027 से पहले दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा और देश को एक किलो दाल भी आयात नहीं करना पड़ेगी। दलहन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता मंत्रालय और कृषि मंत्रालय सहित अन्य पक्षों की कई बैठकें हुई हैं, जिनमें लक्ष्य प्राप्ति की राह में आने वाली बाधाओं पर चर्चा की गई  है।

उन्होंने कहा कि कई बार दलहन उत्पादक किसानों को सटोरियों या किसी अन्य स्थिति के कारण उचित दाम नहीं मिलते थे, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होता था। इसके कारण वे किसान दलहन की खेती करना पसंद नहीं करते थे। 
 
ये तय किया गया है कि जो किसान उत्पादन करने से पूर्व ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराएगा, उसकी दलहन को एमएसपी पर शत-प्रतिशत खरीद कर लिया जाएगा। इस पोर्टल पर रजिस्टर करने के बाद किसानों के दोनों हाथों में लड्डू होंगे। 
 
फसल आने पर अगर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP-Minimum Support Price) से ज्यादा होगा तो उसका औसत  निकाल कर भी किसान से ज्यादा मूल्य पर दलहन खरीदने का एक वैज्ञानिक फार्मूला बनाया गया है और इससे किसानों के साथ कभी अन्याय नहीं होगा। श्री शाह ने किसानों से अपील की कि वे पंजीयन करें, प्रधानमंत्री श्री मोदी की गारंटी है कि सरकार उनकी दलहन खरीदेगी, उन्हें बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

उन्होंने विश्वास जताया कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में किसान कोई कसर नहीं छोड़ेगा। देश का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी शाकाहारी है, जिनके लिए प्रोटीन का बहुत महत्व है, जिसका दलहन प्रमुख स्रोत है। कुपोषण के खिलाफ देश की लड़ाई में भी दलहन उत्पादन का बहुत महत्व है। 
 
भूमि सुधार हेतु भी दलहन महत्वपूर्ण फसल है, क्योंकि इसकी खेती से भूमि की गुणवत्ता बढ़ती है। भूजल स्तर को बनाए रखना और बढ़ाना है तो ऐसी फसलों का चयन करना होगा, जिनके उत्पादन में पानी कम इस्तेमाल हो, दलहन इनमें है। दलहन एक प्रकार से फर्टिलाइजर का एक लघु कारखाना आपके खेत में ही लगा देती है। 
 
उन्होंने कहा कि भंडारण अभिकरण  (Ware Housing Agencies) के साथ इस ऐप का रियल टाइम बेसिस पर एकीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले दिनों में वेयरहाउसिंग का बहुत बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार के कारण कोऑपरेटिव सेक्टर में आने वाला है। 
 
हर पैक्स एक बड़ा वेयरहाउस बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इससे फसलों को दूर भेजने की समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने किसानों से दलहन अपनाने व देश को 1 जनवरी 2028 से पहले दलहन में आत्मनिर्भर बनाने की अपील की, ताकि देश को 1 किलो दलहन भी इंपोर्ट नहीं करना पड़े।

उन्होंने कहा कि बीते 9 साल में प्रधानमंत्री श्री मोदी के कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन में बहुत बड़ा बदलाव आया है। वर्ष 2013—14 में खाद्यान्न उत्पादन कुल 265 मिलियन टन था और 2022—23 में यह बढ़कर 330 मिलियन टन तक पहुंच चुका है। 
 
आजादी के बाद के 75 साल में किसी एक दशक का विश्लेषण करें तो सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी मोदीजी के नेतृत्व में देश के किसानों ने की है। उन्होंने कहा कि इस दौरान दलहन के उत्पादन में भी बहुत बड़ी बढ़ोतरी हुई है मगर तीन दलहनों में हम आत्मनिर्भर नहीं है और उसमें हमें आत्मनिर्भर होना है।
 
 श्री शाह ने कहा कि प्रोडक्विटी बढ़ाने के लिए अच्छे बीज उत्पादन के लिए एक कॉपरेटिव बनाई गई है, कुछ ही दिनों में हम दलहन और तिलहन के बीजों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अपना प्रोजेक्ट सामने रखेंगे। हम परंपरागत बीजों का संरक्षण और सवंर्धन भी करेंगे। उत्पादकता बढ़ाने हमने कॉपरेटिव आधार पर बहु-राज्यीय बीज संशोधन समिति बनाई है। उन्होंने अपील की है कि सभी पैक्स समिति में रजिस्टर करें।

श्री शाह ने कहा कि इसके साथ ही इथेनॉल उत्पादन भी हमें बढ़ाना है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है, 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाना है तो हमें इसके लिए लाखों टन इथेनॉल का उत्पादन करना है। 
 
नेफेड व एनसीसीएफ इसी पैटर्न पर आगामी दिनों में मक्के का रजिस्ट्रेशन चालू करने वाले हैं, जो किसान मक्का बोएगा, उसके लिए सीधा इथेनॉल बनाने वाली फैक्ट्री के साथ एमएसपी पर मक्का बेचने की व्यवस्था कर देंगे, जिससे उनका शोषण नहीं होगा और पैसा सीधा बैंक खाते में जाएगा। 
 
उन्होंने कहा कि इससे आपका खेत मक्का उगाने वाला नहीं, बल्कि पेट्रोल बनाने वाला कुंआ बन जाएगा। देश के पेट्रोल के लिए इम्पोर्ट की फॉरेन करेंसी को बचाने का काम किसानों को करना चाहिए। उन्होंने देशभर के किसानों से अपील की है कि हम दलहन के क्षेत्र आत्मनिर्भर बनें और पोषण अभियान को भी आगे बढ़ाएं।

केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में, किसान हित में अनेक ठोस कदम उठाते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों द्वारा कृषि क्षेत्र को सतत् बढ़ावा दे रही है, जिनमें दलहन में देश के आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य अहम है, जिस पर कृषि मंत्रालय भी तेजी से काम कर रहा है। 
 
उन्होंने कहा कि दलहन की क्षमता खाद्य एवं पोषण सुरक्षा तथा पर्यावरणीय स्थिरता का समाधान करने में मदद करती है, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2016 को अंतरराष्ट्रीय दलहन वर्ष की घोषणा के माध्यम से भी स्वीकार किया गया है। दलहन स्मार्ट खाद्य हैं, क्योंकि ये भारत में फूड बास्केट व प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। 
 
दालें पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती हैं। दलहन कम जल ग्रहण करने वाली होती हैं और सूखे या वर्षा सिंचित वाले क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं, मृदा नाइट्रोजन को ठीक करके उर्वरता सुधारने में मदद करती हैं। 
 
म.प्र., महाराष्ट्र, राजस्थान, उ.प्र., आंध्र, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तमिलनाडु व ओडिशा दलहन उत्पादक हैं, जो देश में 96% क्षेत्रफल में दलहन का उत्पादन करते हैं। 
 
गर्व की बात है कि भारत, विश्व में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है, प्रधानमंत्री इसे प्रोत्साहित करते हैं। वर्ष 2014 के बाद से दलहन उत्पादन में वृद्धि हो रही है, वहीं इसका आयात पहले की तुलना में घटा है।

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श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)-दलहन को 28 राज्यों एवं जम्मू व कश्मीर तथा लद्दाख यूटी में कार्यान्‍वित किया जा रहा है। 
 
उन्होंने प्रसन्नता जताई कि दो शीर्ष सहकारी संस्थाओं द्वारा ऐसा पोर्टल बनाया गया है, जहां किसान पंजीयन पश्चात् स्टॉक एंट्री कर पाएंगे, स्टॉक के वेयरहाउस पहुंचते ई-रसीद जारी होने पर किसानों को सीधा पेमेंट पोर्टल से बैंक खाते में होगा। पोर्टल को वेयरहाउसिंग एजेंसियों के साथ एकीकृत किया है, जो वास्तविक समय आधार पर स्टॉक जमा निगरानी करने में सहायक होगा, जिससे समय पर पेमेंट होगा। 
 
इस प्रकार खरीदे स्टॉक का उपयोग उपभोक्ताओं को भविष्य में अचानक मूल्य वृद्धि से राहत प्रदान करने के लिए किया जाएगा। स्टॉक राज्य सरकारों को उनकी पोषण व कल्याणकारी योजनाओं के तहत उपयोग के लिए भी उपलब्ध होगा। 
 
श्री मुंडा ने कहा कि हम सबके सामूहिक प्रयास हमें ऐसे भविष्य की ओर ले जा रहे हैं, जहां भारत दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा। हम किसानों का समर्थन जारी रखें व कृषि आधार को मजबूत करते हुए अधिक समृद्ध-आत्मनिर्भर राष्ट्र की दिशा में काम करें। 
 
श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने खूंटी, झारखंड से जो विकसित भारत संकल्प यात्रा प्रारंभ की है, उसके मूल में किसान भाई-बहन ही है।

नेफेड अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह, एनसीसीएफ अध्यक्ष विशाल सिंह, केंद्रीय सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार, उपभोक्ता मामलों के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह व कृषि सचिव मनोज अहूजा भी मौजूद थे। नेफेड एमडी  रितेश चौहान स्वागत भाषण दिया। एनसीसीएफ एमडी ए. चंद्रा ने आभार माना।

Kisan-Credit-Card-किसानों-को-बिना-गारंटी-लोन-हासिल-करने-का-आसान-तरीका

एएबी समाचार ।
Kisan Credit Card: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का छोटे किसानों के लिए फायदे की योजना है. इसके जरिए किसानों को 1.6 लाख रुपये का लोन बिना गारंटी के दिया जा रहा है.इस सीमा से अधिक ऋण लेने के लिए अतिरिक्त गारंटी देनी होती है । वहीं 3 साल में किसान इसके जरिए 5 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं.
 इस कार्ड में ब्याज दर महज  4 फीसदी सालाना है. लेकिन इसके लिए पीएम किसान में आपका खाता खुला होना जरूरी है. सरकार आगे करीब 2.5 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड इश्यू करने जा रही है. इस योजना का लाभ लेने के  इच्छुक किसानों को  इसके बारे में हर जरूरी जानकारी रखनी जरूरी है.

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Kisan Credit Card: किसान क्रेडिट कार्ड पर क्यों मिलता है कम ब्याज ..?

 
किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसान 5 साल में 3 लाख रुपये तक का लोन लघु अवधि का ऋण ले सकते हैं. वैसे तो 9 फीसदी की दर पर कर्ज  मिलता है, लेकिन सरकार इसपर 2 फीसदी की सब्सिडी देती है. इस लिहाज से यह 7 फीसदी हुआ. वहीं अगर किसान इस कर्ज समय पर लौटा देता है तो उसे 3 फीसदी की अतिरिक्त  छूट मिल जाती है. यानी इस शर्त पर उसको कर्ज  पर महज 4 फीसदी ब्याज देना होता है.

Kisan Credit Card: 5 साल कि होती है  किसान क्रेडिट कार्ड कि वैधता 


किसान क्रेडिट कार्ड की वैधता  5 साल की है. 1.6 लाख रुपये तक का कर्ज  अब बिना गारंटी मिल रहा है. इसके पहले यह सीमा 1 लाख रुपये थी. कर्ज कि राशि एक लाख साठ हजार से अधिक होने पर अतिरिक्त गारंटी (collateral security )  देनी होती है । सभी केसीसी लोन पर अधिसूचित फसल /अधिसूचित क्षेत्र, फसल बीमा के अंतर्गत लिए  जाते हैं.

Kisan Credit Card: किसान कार्ड पाने के लिए पीएम किसान में खाता होना जरूरी
किसान क्रेडिट कार्ड के लिए  आवेदन के लिए पीएम किसान सम्मान निधि में खाता  होना जरूरी है. सिर्फ वही ग्राहक सरकार की इस योजना का फायदा ले सकते हैं.

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Kisan Credit Card: आवेदन का तरीका

इसके लिए किसान को सबसे पहले अधिकारिक वेब  साइट पर जाना होगा.
यहां किसान को क्रेडिट कार्ड का फॉर्म डाउनलोड करना होता है . इस फॉर्म में किसान को अपनी भूमि के दस्तावेज, फसल की डिटेल के साथ भरना होती है .

 यह जानकारी भी देनी होगी कि आवेदक किसान ने किसी अन्य बैंक या शाखा से कोई और किसान क्रेडिट कार्ड तो नहीं बनवाया है.  आवेदन भरकर जमा करें, जिसके बाद संबंधित बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड आपको मिल जाएगा.

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 Kisan Credit Card: इन दस्तावेजों कि होती है जरूरत 

पहचान के लिए: वोटर ID card/ PAN कार्ड/ पासपोर्ट/आधार कार्ड/ ड्राइविंग लाइसेंस आदि. पता कि पुष्टि के लिए : वोटर ID card / पासपोर्ट/आधार कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस आदि.
 

Kisan Credit Card: कहां से मिल सकता है यह कार्ड

KCC किसी भी को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(RRB) के अलावा SBI, BOI और IDBI बैंक से भी यह कार्ड से हासिल किया जा सकता है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(NPCI) रुपे KCC जारी करता है.

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White-Revolution-now-in-Bundelkhand-बुंदेलखंड-में-पांव-पसार-रही-है-श्वेत-क्रांति

By- Madhur Tiwari @ सागर। एएबी समाचार। जिस  बुंदेलखंड को लोग सदियों से पिछड़ेपन और रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करते मजदूरों के क्षेत्र के तौर पर जानते आये हैं उस क्षेत्र में भी अब आवोहवा बदलने लगी है। लोगों के जुझारूपन और एक अच्छे नेतृत्व के चलते बुंदेलखंड अंचल में भी एक क्रांति धीरे -धीरे अंगड़ाई ले रही है। उम्मीद है कि अगर सब कुछ ठीक चलता रहा तो कोई आश्चर्य नहीं कि देश  में पहले-पहल  "ऑपरेशन फ्लड" के साथ शुरू हुई श्वेत क्रांति के जन्मस्थान के रूप में जाने जाने वाले  गुजरात के बाद श्वेत क्रांति की अलख जगाने का श्रेय बुंदेलखंड के साथ हिस्से में आ जाये ।


पथरीली जमीन और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र आज दूध उत्पादन को लेकर सागर में अपनी पहचान बना चुका है। करीब 7 साल पहले एक छोटे से स्तर पर चार से छह ग्रामीणों ने दूध कलेक्शन की शुरुआत की थी जो आज एक वृहद रूप धारण कर चुका है। बदलाव की इस इबारत को  लिखने का श्रेय अगर किसी को जा रहा है तो वह है  केसली  की देवश्री कृषक उत्पादक कंपनी ।


शुरुआत में तो एक छोटा सा स्व सहायता समूह था, लेकिन धीरे-धीरे किसानों की मेहनत के कारण आज एक कंपनी के रूप में विकसित हो गई है। हर रोज आस-पास के गांव से 4 से 5 हजार लीटर दूध का संग्रहण  कर यह संस्था स्थानीय स्तर के अलावा जबलपुर और महाराष्ट्र के जलगांव तक दूध की सप्लाई कर रही है।

Aajivika Mission Providing Technical Support : आजीविका मिशन से कंपनी को वित्तीय सहयोग


इस कंपनी को खड़ा करने में ग्रामीणों की मेहनत और लगन तो है ही, लेकिन इसमें आजीविका मिशन का विशेष योगदान रहा है। आजीविका मिशन की मदद से शुरुआत में छोटा ऋण मिला और इसके बाद आज इस संस्था ने केसली के अलावा शाहगढ़ व गढ़ाकोटा में भी 3-3 हजार लीटर क्षमता के बीमएमसीसी  (Bulk Milking & Chilling Center) स्थापित कर दिए हैं। देवश्री  ब्रांड के रूप में कम्पनी ने अपने दुग्ध उत्पादों को बाज़ार में उतारना शुरू कर दिया है ।

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Milk Collection Center - 78 गांव में बनाए संग्रहण केंद्र


व्यापार बढ़ने के बाद आज की स्थिति में देवश्री संस्था केसली क्षेत्र के 78 गांव में दुग्ध संग्रहण केंद्र (Collection Center) बना चुकी है। जिनसे क्षेत्र के 17 सौ से 18 सौ किसान परिवार जुड़े हुए हैं। इन किसानों को अपनी खेती-बाड़ी के अलावा दूध से भी अच्छी खासी इनकम हो जाती है जो इनके परिवार के संचालन में एक बड़ी मददगार साबित हुई है।

Workers AreThe ownerThemselves- खुद ही मालिक खुद ही मजदूर


आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक हरीश दुबे  व सहयोगी अनूप तिवारी  के अनुसार ग्रामीणों ने भले ही एक छोटे से स्तर से शुरुआत कर आज एक कंपनी खड़ी की  है, लेकिन आज भी वह खुद ही पूरा काम करते हैं। हजारों लीटर दूध एकत्रीकरण करने वाली संस्था के मालिक भी वही हैं और मजदूर भी वही। वह अलग से मजदूर लगाकर काम नहीं कराते हैं।

इस संस्था से जुड़े लोगों के की कड़ी  मेहनत का ही नतीजा है की कम्पनी  बे-मौसम में भी हर रोज 4 से 5 हजार लीटर दूध कर रहे एकत्रित कर रही है ।इस दुग्ध उत्पादक संघ से अब तक  17 सौ से 18 सौ दूध उत्पादकजुड़ चुके हैं ।


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एएबी समाचार । मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलाने के उद्देश्य से मंडी अधिनियम में कई संशोधन किये हैं। इनके लागू होने से अब किसान घर बैठे ही अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे। उन्हें मंडी जाने की बाध्यता नहीं होगी। इसके साथ ही, उनके पास मंडी में जाकर फसल बेचने तथा समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने का विकल्प भी जारी रहेगा।प्रदेश सरकार का मकसद किसानों के हित में अधिक प्रतिस्पर्धी व्यवस्था बनाना है ।
किसान घर से ही बेच सकेंगे अपनी उपज, फल, सब्जी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब व्यापारी लाइसेंस लेकर किसानों के घर पर जाकर अथवा खेत पर उनकी फसल खरीद सकेंगे। पूरे प्रदेश के लिए एक लाइसेंस रहेगा। व्यापारी कहीं भी फसल खरीद सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में  ई-ट्रेडिंग व्यवस्था भी लागू की है, जिसमें पूरे देश की मंडियों के दाम किसानों को उपलब्ध रहेंगे। वे देश की किसी भी मंडी में, जहाँ उनकी फसलों का अधिक दाम मिले, सौदा कर सकेंगे। 
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प्रदेश में सौदा पत्रक व्यवस्था लागू किये जाने की अहमियत पर उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से व्यापारी किसानों से उनकी फसल घर से ही खरीद रहे हैं। मंडियों की खरीद की लगभग 80% खरीदी सौदा पत्रकों के माध्यम से हुई है तथा किसानों को इससे उनकी उपज का अच्छा मूल्य भी प्राप्त हुआ है। इस प्रयोग के परिणाम सकारात्मक होने के कारण हमने मंडी अधिनियम में संशोधन किये हैं।
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09 प्रावधानों में से 02 पहले से लागू, 7 को अपनाया गया
मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार द्वारा एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइव-स्टोक मैनेजमेंट एक्ट 2017 (IPLM) मॉडल मंडी अधिनियम राज्यों को भेजकर उसे अपनाने अथवा प्रचलित अधिनियम में संशोधन का विकल्प दिया गया था। अधिनियम को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से गठित मुख्यमंत्रियों की उच्च-स्तरीय समिति ने अपनी प्रारूप रपट  में कहा था कि यदि राज्य अपने मौजूदा मंडी अधिनियम में संशोधन करना चाहते हैं, तो उन्हें उसमें IPLM के प्रावधानों में से कम से कम 7 को शामिल कर संशोधन करना होगा। मध्यप्रदेश में IPLM के प्रावधानों में से दो प्रावधान पहले से ही लागू हैं। इसलिये अन्य 07 प्रावधानों को मंडी अधिनियम में संशोधन के माध्यम से अब प्रदेश में लागू किया गया है।

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यह हैं पूर्व के 2 प्रावधान
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में IPLM के पहले से लागू दो प्रावधान हैं। पहला प्रावधान यह है कि संपूर्ण राज्य में कृषि उपज पहली बार खरीदने के समय ही मंडी शुल्क लिया जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में पश्चातवर्ती क्रय-विक्रय में मंडी शुल्क नहीं लिया जाएगा।  दूसरा प्रावधान यह है कि फलों और सब्जियों के विपणन का विनियमन  अर्थात फल और सब्जियों को मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।
शेष सात प्रावधानों पर कानून में संशोधन किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि अब सात नए प्रावधानों को मंडी अधिनियम में शामिल किया गया है। ये हैं:
  •  निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना के लिये प्रावधान।
  • गोदामों, साइलो शीतघरों  आदि को भी निजी  मंडी घोषित किया जा सकेगा।
  • किसानों से मंडी के बाहर ग्राम स्तर से खाद्य प्रसंस्करण, निर्यातक, थोक  विक्रेता और अंतिम उपयोगकर्ता को सीधे उपज खरीदने का प्रावधान।
  • मंडी समितियों का निजी मंडियों के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
  • प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड से नियामक  शक्तियों को पृथक कर संचालक विपणन को दिए जाने का प्रावधान। 
  • पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापारियों को व्यापार करने का प्रावधान। 
  • प्रशिक्षण के लिए प्रावधान।

Crop Insurance PayOff
एएबी समाचार । प्रदेश के 15 लाख किसानों को एक मई को उनके बैंक खातों में फसल बीमा की कुल 2990 करोड़ की राशि प्राप्त हो जाएगी।   पिछली सरकार ने खरीफ एवं रबी फसलों के लिए देय प्रीमियम 22 सौ करोड़ का भुगतान नहीं किया था। इसके कारण किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिला। मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वर्तमान  सरकार ने  मार्च माह में ही बीमा कंपनियों की यह राशि जारी कर दी, जिससे अब किसानों को फसल बीमा राशि प्राप्त हो जाएगी।
प्रमुख सचिव कृषि ने बताया कि सरकार द्वारा खरीफ वर्ष 2018 तथा रबी वर्ष 2018-19 की फसल बीमा के प्रीमियम की राशि बीमा कंपनियों को जारी कर दी गई है। अब इन वर्षों की फसल बीमा की राशि किसानों को प्राप्त हो जाएगी। खरीफ 2018 में प्रदेश के 35 लाख किसानों द्वारा फसलों का बीमा कराया गया था। उनमें से 8.40 लाख किसानों को 19 सौ 30 करोड़ रुपए की बीमा राशि प्राप्त होगी। इसी प्रकार, रबी 2018-19 में प्रदेश के 25 लाख किसानों द्वारा रबी फसलों का बीमा कराया गया था। इनमें से 6.60 लाख किसानों को 10 सौ 60 करोड़ रुपए की बीमा राशि प्राप्त होगी।
Procurement-Chana-Masoor
एएबी समाचार । वर्तमान में प्रदेश में चल रहे गेहूँ उपार्जन कार्य के साथ ही  29 अप्रैल से चना एवं मसूर की भी समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ की जाएगी। इस सिलसिले में  सभी जिलों में आवश्यक व्यवस्थाएँ की जा रहीं हैं । दिशा निर्देश , लॉक डाउन एवं सामाजिक दूरी मानदंडों का पालन करते हुए यह कार्य प्रारंभ कराया जाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में रबी उपार्जन कार्य एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा की ।
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 प्रमुख सचिव कृषि  अजीत केसरी ने चना, मसूर की खरीदी के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिए प्रतिदिन 6-6 किसानों को एसएमएस भेजे जा रहे हैं।  उन्होंने बताया कि अधिकांश जिलों में सरसों की खरीदी भी प्रारंभ की जा रही है।
गेहूँ उपार्जन के विषय में प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण  शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि प्रदेश के सभी उपार्जन केन्द्रों पर अभी तक 3 लाख 72 हजार किसानों से 16 लाख 73 हजार एमटी गेहूं खरीदी गया है। किसानों को त्वरित भुगतान के लिए 560 करोड़ रूपये की राशि बैंकों को भिजवा दी गई है, जिसमें से 36 करोड़ रूपये किसानों के खातों में पहुंच चुके हैं।





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एएबी समाचार । कृषि मंत्री  कमल पटेल ने मंत्रालय में आयोजित बैठक में निर्देश दिये हैं कि रबी उपार्जन में किसानों से उनकी उपज की तुलावटी नहीं ली जायेगी। उन्होंने बताया कि तुलावटी की राशि का वहन राज्य सरकार करेगी।
 श्री पटेल ने विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया द्वारा प्रदेश में विभिन्न मण्डियों में किसानों से अलग-अलग दर पर तुलावटी की राशि लिये जाने की शिकायत पर यह निर्देश दिये। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की शिकायतें अन्य विधायकों द्वारा भी की जा रही थीं।
किसान सीधे व्यापारी को बेच सकेंगे अपनी उपज
मंत्री  पटेल ने कहा कि रबी उपार्जन के अंतर्गत मण्डी से पर्ची कटवाकर किसान सीधे अपनी उपज व्यापारियों को बेच सकेंगे। किसानों से तुलावटी का पैसा नहीं लिया जायेगा।