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AAB NEWS/
अमेरिकी सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति ने सुझाव दिया है कि शराब की बोतलों पर चेतावनी लेबल लगाया जाए, जिससे उपभोक्ताओं को शराब से कैंसर के खतरे की जानकारी दी जा सके। यह कदम अनुसंधानों के उस निष्कर्ष पर आधारित है, जो बताते हैं कि शराब की खपत से कैंसर का खतरा बढ़ता है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने शराब को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन में वर्गीकृत किया है, जो कि सबसे उच्च जोखिम वाले कैंसरजनक पदार्थों में आता है।

हालांकि यह प्रस्ताव अभी स्वीकृत नहीं हुआ है और इसे कांग्रेस से मंजूरी की आवश्यकता है, जिसे चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। चेतावनी लेबल आम जनता को इस खतरे के प्रति जागरूक करने में सहायक हो सकते हैं, क्योंकि वर्तमान में शराब और कैंसर के बीच संबंध को लेकर जागरूकता सीमित है।

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की डॉ. एमिली हार्टवेल के अनुसार, लोग आमतौर पर शराब के गर्भावस्था और जिगर पर प्रभाव को जानते हैं, लेकिन कैंसर जैसी बीमारियों से इसके संबंध को लेकर जागरूकता कम है। यह पहल स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और शराब के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करने का प्रयास है।

शराब का सेवन न केवल मानसिक और पाचन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली और कैंसर के जोखिम को भी बढ़ाता है। बैपटिस्ट हेल्थ मियामी कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉ. मनमीत सिंह अहलुवालिया के अनुसार, हर साल लगभग 100,000 कैंसर के मामलों और 20,000 मौतों का कारण शराब को माना जाता है।

हालांकि धूम्रपान और कैंसर के बीच संबंध के बारे में 90% लोग जानते हैं, केवल 45% लोग शराब और कैंसर के बीच के लिंक से अवगत हैं। यह आंकड़ा अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च के 2019-2020 सर्वेक्षण में सामने आया। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस संबंध में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।

कनाडा में एक अध्ययन के अनुसार, शराब की बोतलों पर चेतावनी लेबल लगाने से दो महीनों के भीतर शराब और कैंसर के बीच संबंध की जानकारी में 10% वृद्धि हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन की सफलता ने भी दिखाया है कि चेतावनी लेबल से धूम्रपान की दर में कमी आई। यह मॉडल शराब के लिए भी उपयोगी हो सकता है।

हालांकि यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि चेतावनी लेबल पीने की दरों को कितना प्रभावित करेंगे, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि  इस तरह के सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेश प्रभावी होते हैं। अमेरिका में पिछले कुछ दशकों में धूम्रपान की दर में कमी आई है, और ऐसे उपाय शराब के मामले में भी जागरूकता और व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं।

शराब और कैंसर के बीच खुराक-प्रतिक्रिया संबंध होता है, जिसका मतलब है कि जितना अधिक और बार-बार शराब का सेवन करेंगे, कैंसर का जोखिम उतना ही बढ़ेगा। हार्टवेल के अनुसार, यदि आप शराब की मात्रा और आवृत्ति को कम करते हैं, तो कैंसर के जोखिम को भी घटाया जा सकता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है, जो पर्यावरणीय जोखिमों का सामना कर चुके हैं, या जिन्होंने भारी मात्रा में शराब का सेवन किया है।

अध्ययन बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक पेय का सेवन करता है, तो स्तन कैंसर होने का सापेक्ष जोखिम 10% बढ़ जाता है, जबकि दो या अधिक पेय के साथ यह 30% तक बढ़ सकता है।

अहलुवालिया बताते हैं कि शराब शरीर में एसिटाल्डिहाइड नामक रसायन में परिवर्तित हो जाती है, जो डीएनए को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का कारण बन सकती है। इसके अलावा, शराब ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को बढ़ावा देती है, जिससे प्रोटीन और डीएनए को नुकसान पहुंचता है और कैंसर की संभावना बढ़ती है।

हालांकि शराब के कैंसरकारी प्रभावों पर अभी और शोध होना बाकी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि शराब स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। खुशकिस्मती से, लोग शराब की खपत कम करके अपने स्वास्थ्य पर नियंत्रण पा सकते हैं और कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं।

एक समाज में जहां शराब पीना सामान्य और प्रोत्साहित किया जाता है, स्वास्थ्य जोखिमों को नजरअंदाज करना आसान हो सकता है। हार्टवेल के अनुसार, शराब का सेवन स्तन कैंसर, मुंह और गले के कैंसर, बड़ी अंत का कैंसर, एसोफैगल कैंसर और यकृत कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है।

अगर किसी के पास पारिवारिक इतिहास है या ज्ञात जोखिम कारक हैं, तो यह और भी जरूरी हो जाता है कि वे अपने डॉक्टर से चर्चा करें। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां आप शराब की खपत कम करके इन कैंसर के जोखिम को प्रभावी रूप से घटा सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ बात करना न केवल जोखिम को समझने में मदद कर सकता है, बल्कि यह भी तय करने में मदद करता है कि शराब की खपत आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य इतिहास पर कैसे प्रभाव डाल रही है।

चाहे आप सप्ताह में कुछ गिलास पीते हों या खेल के दिन कुछ बियर का आनंद लेते हों, शराब हमारे सामाजिक जीवन का हिस्सा बन चुकी है। लेकिन अगर आप भारी मात्रा में शराब का सेवन करते हैं, तो अभी भी सुधार के अवसर हैं। छोटे बदलाव शुरू करके, आप अपने स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक कदम उठा सकते हैं और आने वाले वर्षों में बेहतर जीवन के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं।

शराब का सेवन कम करने से कैंसर का खतरा समय के साथ घट सकता है, हालांकि यह पूरी तरह से समाप्त नहीं होता। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, जैसे संतुलित आहार और नियमित व्यायाम, से जीवन की गुणवत्ता और दीर्घायु में सुधार हो सकता है, डॉ. अहलुवालिया ने कहा।

लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए शराब का सेवन कम करना महत्वपूर्ण है। हार्टवेल ने कहा कि लोग अब शराब के प्रभावों को अधिक गंभीरता से ले रहे हैं और समझ रहे हैं कि इसका उपयोग, चाहे कम मात्रा में ही क्यों न हो, हानिकारक हो सकता है।

हार्टवेल ने यह भी कहा कि उच्च स्तर पर इस बात की स्वीकार्यता बढ़ रही है कि शराब के उपयोग के साथ हमारे संबंधों को पुनः परिभाषित करने की जरूरत है। यह जागरूकता लोगों को बेहतर तरीके से यह निर्णय लेने में मदद कर सकती है कि वे अपने जीवन को कैसे जीना चाहते हैं और जोखिम को कैसे प्रबंधित करना चाहते हैं।

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AAB NEWS/
दुनिया चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने के रूस और भारत के प्रयासों को एक चूहा  दौड़ के रूप में देख रही है। लेकिन रूस के लूना-25 अंतरिक्ष यान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से सभी की निगाहें भारत पर टिक गयीं हैं उनके बीच यह जाने की बेचैनी बढ़ती जा रही है कि चंद्रमा पर उतरने का भारत का दूसरा प्रयास सफल होगा या नहीं।

क्या है-चंद्रयान-3 ?

 
चंद्रमा की माटी को छूते ही चंद्रयान-3 मिशन भारत को चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला चौथा और चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना देगा। अभी तक केवल  तीन देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस  और चीन - चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतार चुके हैं।

चंद्रयान-3, यानी  "चंद्रमा वाहन", पिछले महीने आंध्र प्रदेश के सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्च किया गया था। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो अंतरिक्ष यान-जिसमें कोई भी अंतरिक्ष यात्री नहीं है-दो सप्ताह के लिए चंद्रमा की सतह पर सक्रिय  रहेगा।  

वहां यह चन्द्रम की सतह की खबर लेने के लिए 60 पाउंड, सौर ऊर्जा से संचालित रोवर को तैनात करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार, मिशन का घोषित मकसद  चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से उतरना, रोवर तैनात करना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है। 


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क्या भारत पहले भी चांद पर कदम रखा  है?

 
नहीं ! पर  भारत का चंद्रयान-1 मिशन 2008  में शुरू हुआ था। जो चंद्र जल अणुओं की खोज के लिहाज से  अहम् था, लेकिन  यह अभियान एक अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के बजाय एक प्रभाव जांच था।

देश ने दूसरी बार वर्ष 2019 में चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यान उतारने की कोशिश की, लेकिन लैंडिंग से कुछ मिनट पहले लैंडर से संपर्क टूट जाने की वजह से चंद्रयान-2 विफल हो  गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय कहा,  " "चाँद को छूने का हमारा संकल्प और भी मजबूत हो गया है।"

हर कोई  बार -बार  चाँद पर जाने की कोशिश क्यों कर रहा है?
हालाँकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध-युग की होड़  ख़त्म हो चुकी हैं लेकिन कुछ हद तक अब वह  अंतरिक्ष दौड़ के रूप में नजर आ रही है ।

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चंद्रयान-3 के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत सहित कई देशों का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूदगी  स्थापित करना तो हैं ही साथ ही वे यह भी पता लगाना चाह रहे हैं कि क्या चन्द्रमा की सतह पर मौजूद बर्फ के पूल  दीर्घकालिक बस्तियों के लिए पानी प्रदान कर सकते हैं या ईंधन स्टेशन के रूप में कार्य कर सकते हैं? क्या विभिन्न तरह की अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए  पानी के घटक भागों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन, का उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में किया जा सकता है?

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AAB NEWS/
रेलवे स्टेशनों पर आने वाले यात्रियों के कल्याण और भलाई के लिए भारतीय रेलवे ने कुछ रेलवे स्टेशनों के सर्कुलेटिंग एरिया और कॉनकोर्स में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) स्थापित करने के लिए एक नीतिगत ढांचा तैयार किया है, जिनका संचालन लाइसेंसधारक करेंगे। पायलट परियोजना के लिए पहचाने गए 50 स्टेशनों की सूची अनुबंध-I में संलग्‍न है।

लाखों दैनिक आगंतुकों और यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, भारतीय रेलवे अपने स्टेशनों पर सुविधाओं में लगातार वृद्धि कर रहा है। रेलवे स्टेशनों पर पीएमबीजेके स्थापित करने के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

सभी को किफायती मूल्यों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां और उपभोज्‍य वस्तुएं (जनऔषधि उत्पाद) उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के मिशन को बढ़ावा देना।


रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों/आगंतुकों को जनऔषधि उत्पादों का आसानी से उपयोग करने में सक्षम बनाना।


किफायती मूल्‍यों पर दवाइयां उपलब्‍ध कराकर समाज के सभी वर्गों के बीच कल्याण और भलाई को बढ़ावा देना।


पीएमबीजेके खोलने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना और उद्यमियों के लिए अवसर जुटाना।

इस योजना के तहत पीएमबीजेके को 'अपेक्षित यात्री सुविधा' माना जाएगा और उसके अनुसार रेलवे वाणिज्यिक रूप से लाइसेंसधारकों द्वारा संचालन के लिए सर्कुलेटिंग एरिया और स्टेशनों के कॉनकोर्स में तैयार किये गए आउटलेट उपलब्‍ध कराएगा।

ये आउटलेट सुविधाजनक स्थानों पर सर्कुलेटिंग एरिया/परिसरों में स्थित होंगे, ताकि स्‍टेशनों पर आने और जाने वाले सभी यात्रियों को लाभ हो।

पीएमबीजेके रेलवे डिवीजनों द्वारा पहचान किए गए स्थानों पर लाइसेंसधारियों द्वारा स्थापित और संचालित किए जाएंगे। आईआरईपीएस के माध्यम से संबंधित रेलवे डिवीजनों के साथ ई-नीलामी द्वारा स्टाल प्रदान किए जाएंगे। इन स्टालों को एनआईडी अहमदाबाद द्वारा डिजाइन किया जाएगा।

पीएमबीजेके आउटलेट्स के सफल बोलीदाताओं को जन औषधि की दुकान चलाने के लिए आवश्यक अनुमति और लाइसेंस प्राप्त करना होगा तथा उन्‍हें दवाइयों के भंडारण के लिए सभी वैधानिक आवश्यकताओं का भी अनुपालन करना होगा।

पीएमबीजेके आउटलेट्स के सफल बोलीदाताओं को परिचालन शुरू करने से पहले पीएमबीजेके के लिए नोडल एजेंसी यानी फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) और जनऔषधि योजना (पीएमबीआई द्वारा अनिवार्य) के लिए अधिकृत वितरकों के साथ भी एक समझौता करना होगा।

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AAB NEWS/
हाल ही में अपने जन्मदिन के मौके पर कृति सेनन ने अपने स्किनकेयर ब्रांड हाइफ़न को बाजार में उतारने की घोषणा की।   वर्तमान में, हाइफ़न श्रंखला में 4 उत्पाद  शामिल है;   - एसपीएफ़ 50 के साथ एक सनस्क्रीन, चमकती त्वचा के लिए एक फेस सीरम और दो बैरियर रिपेयर क्रीम प्रत्येक तैलीय और शुष्क त्वचा के लिए।
 

उत्पादों की  कीमतें 449 रुपये से शुरू होती हैं और 649 रुपये तक जाती हैं; यह किसी लोकप्रिय शख़्सियसत  के नाम से जुड़ी अब तक की बेहद  किफायती कीमतें हैं ।
 


भारतीय सौंदर्य उत्पादों के बाजार में इन उत्पादों के जरिये सेरामाइड्स, पेप्टाइड्स और अल्फा अर्बुटिन जैसे तत्वों को मुहैया कराया गया है । 100% शाकाहारी-निर्मित होने के दावे के  साथ-साथ,  वेबसाइट पर प्रत्येक उत्पाद के लिए विस्तृत  सूची मौजूद है।   

कृति सेनन को हमेशा से ही त्वचा की देखभाल का बहुत शौक माना जाता है। जानकारी के मुताबिक, वह रात में अपनी त्वचा की देखभाल करती हैं और दिन की शुरुआत भी अपनी त्वचा की दोहरी सफाई से करती हैं।
शुरुआत में क्लींजिंग ऑयल के इस्तेमाल से मेकअप हट जाता है और फिर फेसवॉश से त्वचा को साफ किया जाता है। इसके बाद वह गुलाब जल का इस्तेमाल करती हैं। उनके अनुसार, "नम त्वचा उत्पादों को बेहतर तरीके से अवशोषित करती है।"
वह अपनी हथेलियों में नियासिनमाइड टोनर डालती है और इसे अपने चेहरे पर लगाती है।

अगली पंक्ति में हाइड्रेटिंग सीरम है, जो पेप्टाइड्स और हायल्यूरोनिक एसिड के साथ आता है। फिर त्वचा को फिर से जीवंत करने के लिए एक सौम्य रेटिनॉल सीरम लगाया जाता है। सैनॉन फिर सेरामाइड्स युक्त मॉइस्चराइज़र का उपयोग करती है, जो हमारी त्वचा का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा बनता है। सेरामाइड्स हमारे चेहरे के साथ-साथ हमारे पूरे शरीर के सर्वोत्तम स्वास्थ्य और दिखावट के लिए महत्वपूर्ण हैं।

कोलेजन की तरह, उम्र के साथ त्वचा में इसका उत्पादन कम हो जाता है। होठों की देखभाल भी उनकी रात्रि त्वचा देखभाल का एक हिस्सा है। वह अपनी उंगलियों से लिप बाम लगाती हैं और उसी से आंखों के कोनों पर थोड़ा सा मलती हैं।

एक्ट्रेस के मुताबिक, अगर आपके चेहरे पर कोई पिंपल है तो पिंपल पैच का इस्तेमाल किया जा सकता है। अभिनेत्री अपनी पलकों और भौंहों पर अरंडी के तेल और जैतून के तेल का मिश्रण लगाकर इसे पूरा करती है।

फिल्म सेट पर दिन भर की शूटिंग के बाद कृति ने यह भी बताया कि अपनी त्वचा को ठीक से कैसे साफ किया जाए। वह वास्तव में वहां पहुंचने और अशुद्धियों को दूर करने के लिए दोहरी सफाई की दिनचर्या का पालन करती है।

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 AAB NEWS/ 31 JUL 2023 

सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद आज संसद द्वारा पारित कर दिया गया। इस विधेयक को 20 जुलाई, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद 27 जुलाई, 2023 को इसे पारित कर दिया गया था। 40 वर्षों के बाद सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन करने वाला यह ऐतिहासिक विधेयक संसद द्वारा पारित किया गया। 

सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष 1984 में किया गया था। इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य ‘पायरेसी’ की समस्या पर व्यापक रूप से अंकुश लगाना है, जिससे कुछ अनुमानों के अनुसार फिल्म उद्योग को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। 

इस विधेयक के प्रावधानों में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है, जिसे बढ़ाकर 3 साल तक की कैद और ऑडिट की गई कुल लागत का जुर्माना किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की यह परिकल्पना है कि भारत वास्तव में समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता, जो भारत की ताकत है, के साथ दुनिया का कंटेंट हब बनने की अपार क्षमता रखता है। केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री ने भी प्रधानमंत्री की इस परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय सिनेमा को भारत की सॉफ्ट पावर और भारतीय संस्कृति, समाज एवं मूल्यों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाला माना है। 

उन्होंने कहा, “व्यवसाय करने में आसानी के साथ भारतीय फिल्म उद्योग का सशक्तिकरण और गोपनीयता के खतरे से इसकी सुरक्षा, भारत में कंटेंट सृजन करने से जुड़े इकोसिस्टम के विकास का एक लंबा रास्ता तय करेगी और इस क्षेत्र में काम करने वाले सभी कलाकारों एवं कारीगरों के हितों की रक्षा करने में मदद करेगी।”

सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 को जब आज लोकसभा में चर्चा और पारित करने के लिए रखा गया, तो इसके बारे में बोलते हुए केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, “भारत को कहानीकारों के देश के रूप में जाना जाता है, जो हमारी समृद्ध संस्कृति, विरासत, परंपरा और विविधता को दर्शाता है। 

अगले तीन साल में हमारी फिल्म इंडस्ट्री 100 बिलियन डॉलर की हो जाएगी, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। बदलते समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पायरेसी से लड़ने तथा फिल्म इंडस्ट्री को और आगे बढ़ाने के लिए हम इस विधेयक को लेकर आए हैं। इन संशोधनों से फिल्म उद्योग को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने वाली ‘पायरेसी की समस्या पर व्यापक रूप से अंकुश लगेगा।”

श्री ठाकुर ने आगे कहा, “सरकार ने हर 10 साल में फिल्म के लाइसेंस को नवीनीकृत करने की जरूरत को खत्म कर दिया है और इसे जीवन भर के लिए वैध बना दिया है। अब नवीनीकरण के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। के. एम. शंकरप्पा बनाम भारत सरकार मामले के फैसले को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इसे पुनरीक्षण शक्ति से दूर रखा है और अब इस पर विचार करने की पूरी शक्ति का अधिकार सीबीएफसी के स्वायत्त निकाय के पास होगा।''

 

सिनेमैटोग्राफ (चलचित्र) संशोधन विधेयक:

सर्वप्रथम इस विधेयक के द्वारा फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रदर्शन की समस्या का समाधान प्रदान करने तथा इंटरनेट पर चोरी करके फिल्म की अनधिकृत प्रतियों के प्रसारण से होने वाले पायरेसी के खतरे को समाप्त करने का प्रयास किया गया है।

इस विधेयक का दूसरा उद्देश्य यह है कि इसके माध्यम से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्मों के प्रमाणन की प्रक्रिया में बदलाव करने के साथ-साथ फिल्मों के प्रमाणन के वर्गीकरण में सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है।

तीसरा, विधेयक प्रचलित शासकीय आदेशों, उच्चतम न्यायालयों के निर्णयों और अन्य प्रासंगिक कानूनों के साथ वर्तमान कानून को सुसंगत बनाने का प्रयास करता है।

ए) पायरेसी की श्रेणी में आने वाली फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग तथा उनके प्रदर्शन पर रोक लगाने के प्रावधान: सिनेमाघरों में कैम-कॉर्डिंग के माध्यम से फिल्म पायरेसी की जांच करना; इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी फिल्म की पायरेटेड कॉपी अथवा किसी भी अनधिकृत कॉपी रखने और ऑनलाइन प्रसारण तथा प्रदर्शन पर रोक लगाने के उद्देश्य से इसमें सख्त दंडात्मक प्रावधान शामिल किए गए हैं।

बी) आयु-आधारित प्रमाणीकरण: मौजूदा यूए श्रेणी को तीन आयु-आधारित श्रेणियों में उप-विभाजित करके प्रमाणन की आयु-आधारित श्रेणियों की शुरुआत की गई है, अर्थात बारह वर्ष के बजाय सात वर्ष (यूए 7+), तेरह वर्ष (यूए 13+), और सोलह वर्ष (यूए 16+)। ये आयु-आधारित संकेतक केवल अनुशंसात्मक होंगे,

इस पहल का उद्देश्य माता-पिता अथवा अभिभावकों को यह विचार करने के लिए प्रेरित करना है कि क्या उनके बच्चों को ऐसी इस तरह की फिल्में देखनी चाहिए।

सी) उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप: के. एम. शंकरप्पा बनाम भारत सरकार (2000) के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार केंद्र सरकार की पुनरीक्षण शक्तियों की अनुपस्थिति को देखना।

डी) प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता: केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता हेतु अधिनियम में केवल 10 वर्षों के लिए प्रमाणपत्र की वैधता पर प्रतिबंध को हटाया जाना।

ई) टेलीविजन के लिए फिल्मों की श्रेणी में परिवर्तन: टेलीविजन पर प्रसारण के लिए संपादित की गई फिल्मों का पुन:प्रमाणीकरण, क्योंकि केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन वाली श्रेणी की फिल्में ही टेलीविजन पर दिखाई जा सकती हैं।

एफ) जम्मू और कश्मीर का संदर्भ: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुरूप पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के संदर्भ को हटा दिया गया है।

भारतीय फिल्म उद्योग विश्व के सबसे बड़े और सर्वाधिक वैश्वीकृत उद्योगों में से एक है, यह हर वर्ष 40 से अधिक भाषाओं में 3,000 से अधिक फिल्मों का निर्माण करता है। बीते कुछ वर्षों में सिनेमा के माध्यम में और उससे जुड़े उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आ चुके हैं। 

इंटरनेट और सोशल मीडिया की सुलभता के साथ ही पायरेसी का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है। सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 आज संसद द्वारा पारित कर दिया गया, जो पायरेसी के खतरे को रोकने और व्यापार करने में सुगमता लाने के साथ ही भारतीय फिल्म उद्योग को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

 

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AAB NEWS/ 31 JUL 2023 

'न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा' पर फोकस करती राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 इस विचार को प्रतिध्वनित करती है कि किसी भी बच्चे को उसकी पृष्ठभूमि और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान के कारण शैक्षिक अवसर के मामले में पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। 

 इसमें सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है जिसमें महिला और ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल हैं। इसके अतिरिक्त एनईपी राज्यों और स्थानीय सामुदायिक संगठनों की साझेदारी से शिक्षा में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए लैंगिक आधार को एक वैकल्पित प्राथमिकता के रूप में देखने का सुझाव देती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विशेष रूप से लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए एक जेंडर इंक्लूजन फंड (जीआईएफ) स्थापित करने का प्रावधान करती है ताकि सभी लड़कियों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की राष्ट्र की क्षमता का निर्माण किया जा सके। 

बालिकाओं के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एनईपी के उद्देश्यों को सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) के लिए समर्पित संसाधनों को आवंटित करके समग्र शिक्षा 2.0 के तहत विशिष्ट प्रावधानों के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। 

समग्र शिक्षा के अंतर्गत बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न उपायों को लक्षित किया गया है, जिनमें बालिकाओं की पहुंच को आसान बनाने के लिए पड़ोस में स्कूल खोलना, बालिकाओं को आठवीं कक्षा तक निःशुल्क पोशाक और पाठ्य-पुस्तकें, दूरवर्ती/पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए अतिरिक्त शिक्षक तथा शिक्षकों के लिए आवासीय क्वार्टर, महिला शिक्षकों सहित अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति सीडब्ल्यूएसएन की बालिकाओं को कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक स्टाइपेंड, बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, बालिकाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षक संवेदीकरण कार्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों सहित लैंगिक संवेदनशीलता शिक्षण-लर्निंग सामग्री आदि शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर महिला-पुरुष अंतराल को कम करने के लिए शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) स्वीकृत किए जाते हैं, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जैसे लाभ से वंचित समूहों की बालिकाओं के लिए कक्षा छठी से बारहवीं तक आवासीय विद्यालय हैं। 

देश में 30 जून 2023 तक 6.88 लाख लड़कियों के नामांकन के साथ कुल 5639 केजीबीवी स्वीकृत किए गए हैं। केजीबीवी के उन्नयन का कार्य वर्ष 2018-19 में शुरू किया गया था और वर्ष 2022-23 तक कुल 357 केजीबीवी को टाइप-II (कक्षा 6-10) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है तथा 2010 केजीबीवी को टाइप-III (कक्षा 6-12) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है।

शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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 AAB NEWS/ कोयला मंत्रालय के संरक्षण के तहत भारतीय राष्ट्रीय समिति विश्व खनन कांग्रेस ने "कोयले की धुलाई - अवसर और चुनौतियाँ" विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में भारत में कोयला लाभ के भविष्य पर विचार-विमर्श करने के लिए उद्योग विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और हितधारक एक मंच पर आए हैं। इस सेमिनार ने ज्ञान के आदान-प्रदान, सहयोग को बढ़ावा देने और कोयला क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक विशिष्ट मंच उपलब्ध कराया है।

अपने मुख्य संबोधन में कोयला मंत्रालय के सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने कोकिंग और गैर-कोकिंग कोयले के लिए वाशरीज क्षमता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा किया कि ऐसा होने से भारत कोयला आयात पर अपनी निर्भरता को बहुत कम कर सकता है और घरेलू कोयला लाभ को बढ़ावा दे सकता है। 
 
उन्होंने कोयला उत्पादन को कुशलतापूर्वक बढ़ावा देने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों को शामिल करने और नई खदानें खोलने पर जोर दिया। इसके अलावा, परिवहन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए अनेक रेलवे परियोजनाएं चल रही हैं और कोयला उद्योग के विकास में सहायता प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है।



कोयला मंत्रालय के अपर सचिव श्री एम नागराजू ने कोयला धुलाई में तकनीकी अनुकूलनता के महत्व पर जोर किया। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक तकनीकों और कार्यप्रणाली को अपनाकर, कोयला क्षेत्र उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का अधिकतम उत्पादन कर सकता है और इस प्रकार भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के अध्यक्ष श्री पीएम प्रसाद ने अपने संबोधन में कोकिंग और गैर-कोकिंग कोयले दोनों की ही गुणवत्ता बढ़ाने में कोयला वाशरीज की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और विभिन्न क्षेत्रों के लिए गुणवत्ता वाले कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने में कोयला वाशरीज के महत्व पर जोर दिया। 
 
स्वच्छ और अधिक कुशल कोयले की बढ़ती मांग को पहचानते हुए, उन्होंने आने वाले वर्षों में अतिरिक्त वाशरीज की स्थापना की कल्पना की। इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य कड़े गुणवत्ता वाले मानकों को जारी रखते हुए देश की कोयला आवश्यकताओं को पूरा करना है।

डॉ. बी वीरा रेड्डी, निदेशक (टी) सीआईएल और सीएमडी सीसीएल, कोयला मंत्रालय ने कोयले को स्वच्छ बनाने और इसकी गुणवत्ता और दक्षता में सुधार लाने के लिए सेमिनार के उद्देश्य को स्पष्ट किया। उन्होंने अगले वर्ष से पड़ोसी देशों को कोयला निर्यात करने के मंत्रालय के दृष्टिकोण की भी जानकारी दी। इससे इस क्षेत्र में एक प्रमुख कोयला आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की स्थिति मजबूत बनेगी।




तकनीकी सत्र के दौरान, एमडीसीडब्ल्यूएल लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री एच एल सप्रू ने इस बात पर जोर दिया कि कोयले की धुलाई में विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की लैंडिंग लागत में प्रति किलोवाट घंटा 1 रुपये तक की बचत करने की क्षमता है। देश में वर्तमान में 113.6 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की कुल क्षमता वाली 20 वाशरीज संचालित हो रही है, जो साफ और अधिक कुशल कोयला उत्पादन के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

टाटा स्टील के कॉर्पोरेट मामलों के प्रमुख श्री मनीष मिश्रा ने घरेलू इस्पात उद्योग के लिए कोकिंग कोल पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इस्‍पात बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कोकिंग कोयले के उत्पादन में कोयले की धुलाई की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाते हुए, भारतीय कोयले की धोने योग्य विशेषताओं के बारे में एक व्यापक अवलोकन उपलब्ध कराया।

सीआईएमएफआर धनबाद के डॉ. यू.एस. चट्टोपाध्याय ने भारत में कम वाष्पशील कोकिंग कोयले (एलवीसी) के लाभ में आ रही चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने एलवीसी के महत्वपूर्ण भंडारों पर भी प्रकाश डाला, जो झरिया कोलफील्ड्स में 7953 मीट्रिक टन और पूर्वी बोकारो में 496 मीट्रिक टन हैं। 
 
डॉ. चट्टोपाध्याय ने कोयले की गुणवत्ता में गिरावट आने और अपर्याप्त आपूर्ति से संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की। उन्होंने यह भी सिफारिश की कि भारत सरकार विद्युत संयंत्रों को एलवीसी की आपूर्ति रोकने के लिए एक रणनीतिक योजना तैयार करे। उन्होंने पारंपरिक वाशरीज के स्थान पर नई वाशरीज के निर्माण का प्रस्ताव भी रखा और 40 प्रतिशत से अधिक राख सामग्री वाले एलवीसी कोयले के लिए डीशेलिंग संयंत्र स्थापित करने का भी सुझाव दिया।

जेपीएल के ईवीपी श्री कपिल धगट ने डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) बनाने की प्रक्रिया, इस्पात निर्माण और गैसीकरण के विशेष संदर्भ में कोयला लाभ का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने सफलतापूर्वक इस्पात निर्माण प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक कोयले की विशेषताओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी और कोयला खनन के दौरान गुणवत्ता जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया। 
 
श्री धगट ने खदानों के पास नई वाशरीज स्थापित करने, अनुसंधान और विकास प्रयासों को बढ़ाने, मौजूदा वाशरीज का आधुनिकीकरण करने और विभिन्न क्षेत्रों को केवल धुले कोयले की आपूर्ति करने के बारे में जोर दिए जाने की सिफारिश की।

इसके अलावा, श्री गौतम सेनापति ने ब्लास्ट फर्नेस मार्ग में स्टील निर्माण में उपयोग के लिए उच्च ग्रेड गैर-कोकिंग कोयले की धुलाई पर चर्चा की। उन्होंने इस क्षेत्र में कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से पायलट स्तर पर 2-3 प्रकार के कोयले के अधिक नमूने लेने के लिए कोयला मंत्रालय (एमओसी) और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से समर्थन का अनुरोध किया।

एक पैनल चर्चा की अध्यक्षता अपर सचिव श्री एम नागराजू ने की, जिसमें श्री आलोक पर्ती, पूर्व सचिव कोयला,  वीके तिवारी, पूर्व अपर सचिव कोयला, श्रीमती संतोष, डीडीजी एमओसी/सीसीओ, अभिजीत नरेंद्र, जेएस स्टील, श्री वरिंदर धवन, कार्यकारी निदेशक, सेल और कैप्टन आर एस संधू, कार्यकारी अध्यक्ष, एसीबी जगत के दिग्गज और प्रतिनिधि शामिल हुए। 
 
चर्चा में कोयला धुलाई के प्रति समग्र दृष्टिकोण पर जोर दिया गया, जिससे कोयला आयात में कमी सुनिश्चित की जा सकती है और राष्ट्र कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अर्जित करने का लक्ष्य भी रख सकता है, जिससे देश की आर्थिक प्रगति और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान प्राप्त होगा।

कोयला मंत्रालय के ओएसडी डॉ. पीयूष कुमार ने सेमिनार को शानदार ढंग से सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों का उनके बहुमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि सेमिनार की सभी प्रस्तुतियां वेबसाइट  पर भी देखी जा सकती हैं। सेमिनार में 20 कंपनियों के 130 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

"कोयले की धुलाई - अवसर और चुनौतियाँ" विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार ने क्षेत्र में तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देते हुए स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का उत्पादन करने के लिए भारत के समर्पण पर जोर दिया है। अनुसंधान और विकास में निवेश, तकनीकी अनुकूलनता में सुधार और परिवहन बाधाओं को हल करके, भारत का लक्ष्य कोयला धुलाई की पूरी क्षमता को अर्जित करना और वैश्विक कोयला उद्योग में एक प्रमुख दिग्गज के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बनाना है।

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AAB NEWS/
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह मंगलवार को नई दिल्ली में "केन्द्रीय पंजीयक- सहारा रिफण्ड पोर्टल" का शुभारम्भ करेंगे। सहकारिता मंत्रालय ने गठन के बाद से ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्ग दर्शन और गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और सहकारी समितियों के सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए अनेक पहल की हैं।

उल्लेखनीय है कि सहारा समूह की सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं की वैध जमा धनराशि के भुगतान संबंधी शिकायतों के समाधान के लिए सहकारिता मंत्रालय के आवेदन पर, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 29 मार्च 2023 को एक आदेश दिया था। इसके तहत माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं के वैध देयों के भुगतान के लिए "सहारा-सेबी रिफंड खाते" से 5000 करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (CRCS- Central  Registrar of Cooperative societies) को हस्तांतरित किए जाने का आदेश दिया।

सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के प्रमाणिक जमाकर्ताओं द्वारा दावे प्रस्तुत करने के लिए एक 'ऑनलाइन पोर्टल' विकसित किया गया है।

Vande Bharat Express- मप्र के पहली व् भारत की  11 वीं  वन्देभारत रेल भोपाल से दिल्ली के बीच दौड़ेगी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मध्य प्रदेश में भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से भोपाल और नई दिल्ली के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद रानी कमलापति-नई दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ी का निरीक्षण किया और ट्रेन के चालक दल तथा वहां पर उपस्थित बच्चों के साथ बातचीत भी की।

प्रधानमंत्री ने इंदौर के एक मंदिर में रामनवमी कार्यक्रम के दौरान हुई त्रासदी पर दुःख जताते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और इस दुर्घटना के दौरान घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना की।

प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के निवासियों को उनकी पहली वंदे भारत रेलगाड़ी मिलने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह रेलगाड़ी दिल्ली से भोपाल के बीच यात्रा में लगने वाले समय को कम करेगी और व्यवसायियों तथा युवाओं के लिए कई सुविधाएं एवं सहूलियतें प्रदान करेगी।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को दोहराया कि वह स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं क्योंकि उन्होंने ही आज के आयोजन स्थल अर्थात रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का भी उद्घाटन किया था। श्री मोदी ने नई दिल्ली के लिए भारत की अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाने का अवसर प्राप्त होने पर भी आभार व्यक्त किया। 

उन्होंने कहा कि आज का दिन भारतीय रेलवे के इतिहास में दुर्लभतम उदाहरणों में से एक है, क्योंकि किसी प्रधानमंत्री ने बहुत ही कम समय में एक ही रेलवे स्टेशन का दो बार दौरा किया है। श्री मोदी ने कहा कि आज का अवसर आधुनिक भारत के लिए एक नई व्यवस्था और नई परंपराओं के निर्माण का एक प्रमुख उदाहरण है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर स्कूली बच्चों के साथ हुई अपनी बातचीत का उल्लेख किया और बच्चों के बीच इस रेलगाड़ी के बारे में उत्सुकता एवं उत्साह की भावना को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वंदे भारत रेलगाड़ी भारत के जोश और उत्साह का प्रतीक है। श्री मोदी ने कहा कि यह ट्रेन हमारे कौशल, आत्मविश्वास एवं क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करती है।

प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में पर्यटन के लिए वंदे भारत रेलगाड़ी चलने के लाभों पर भी प्रकाश डाला क्योंकि इसके संचालन से सांची, भीमबेटका, भोजपुर और उदयगिरि गुफाओं में पर्यटन के लिए अधिक यात्री आने लगेंगे। इससे रोजगार, आय व स्वरोजगार के अवसरों में भी सुधार होगा।

प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी में भारत की नई सोच और दृष्टिकोण पर जोर देते हुए नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने की कीमत पर पिछली सरकारों द्वारा किए गए तुष्टिकरण का उल्लेख किया। 

उन्होंने कहा कि वे वोट बैंक के पुष्टिकरण में जुटे हुए थे। हम देशवासियों के संतुष्टिकरण में समर्पित हैं। प्रधानमंत्री ने भारतीय रेलवे को सामान्य पारिवारिक परिवहन का साधन बताया और उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि अपने हितों को पूरा करने के लिए इसे पहले उन्नत तथा आधुनिक नहीं बनाया गया।

श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने भारतीय रेलवे को दुनिया में सबसे अच्छा रेल नेटवर्क बनाने का प्रयास किया है। वर्ष 2014 से पहले भारतीय रेलवे पर होने वाली नकारात्मक टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के व्यापक रेल नेटवर्क में हजारों मानव रहित फाटकों के कारण होने वाली घातक दुर्घटनाओं के मुद्दे का भी जिक्र किया। 

उन्होंने कहा कि ब्रॉडगेज रेल नेटवर्क आज मानव रहित गेट से मुक्त हो चुका है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि पहले के समय में ट्रेन दुर्घटनाओं से संबंधित जान-माल के नुकसान की खबरें आना आम बात थी, लेकिन आज के समय में भारतीय रेलवे पहले की अपेक्षा बहुत अधिक सुरक्षित हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रेल यात्रियों की सुरक्षा को और बढ़ावा देने के लिए मेड इन इंडिया 'कवच' के दायरे का विस्तार किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा का दृष्टिकोण केवल दुर्घटनाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भी है कि यात्रा के दौरान जब किसी भी आपात स्थिति में मदद पहुंचेगी तो महिलाओं के लिए अत्यधिक लाभकारी होगा। साफ-सफाई, समयबद्धता और टिकटों की कालाबाजारी सभी को प्रौद्योगिकी और यात्रियों के प्रति चिंता से ठीक किया गया है।

श्री मोदी ने कहा कि 'वन स्टेशन वन प्रोडक्ट' पहल के माध्यम से स्थानीय कारीगरों के उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए रेलवे एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभर रहा है। योजना के तहत यात्री स्टेशन पर ही जिले के स्थानीय उत्पाद जैसे हस्तशिल्प, कला, बर्तन, कपड़ा, पेंटिंग आदि खरीद सकते हैं। देश में लगभग 600 आउटलेट पहले से ही चालू हैं और कम समय में इनसे एक लाख से ज्यादा यात्री खरीदारी कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि "आज भारतीय रेल देश के आम परिवारों के लिए सुविधा का पर्याय बन रही है।" उन्होंने इस संबंध में रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण, 6000 स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा और 900 स्टेशनों पर सीसीटीवी जैसे कदमों को गिनाया। उन्होंने युवाओं में वंदे भारत की लोकप्रियता और देश के कोने-कोने से वंदे भारत की बढ़ती मांग पर भी प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री ने इस साल के बजट में रेलवे के लिए रिकॉर्ड आवंटन का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "जब इच्छा होती है, इरादे स्पष्ट होते हैं और संकल्प दृढ़ होता है तो नए रास्ते निकलते हैं।" श्री मोदी ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में रेल बजट में लगातार वृद्धि की गई है और मध्य प्रदेश को 2014 से पहले के वर्षों के औसत 600 करोड़ रुपये की तुलना में रेल संबंधी बजट में 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।

रेलवे के आधुनिकीकरण का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश के कुछ हिस्सों में हर दूसरे दिन 100 प्रतिशत रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शत-प्रतिशत विद्युतीकरण करने वाले 11 राज्यों में मध्यप्रदेश भी शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद प्रति वर्ष रेलवे मार्गों का औसत विद्युतीकरण 600 किलोमीटर से दस गुना बढ़कर 6000 किलोमीटर हो गया है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "आज मध्यप्रदेश निरंतर विकास की नई गाथा लिख रहा है। चाहे कृषि हो या उद्योग, आज मध्य प्रदेश की ताकत भारत की ताकत का विस्तार कर रही है।" उन्होंने दोहराया कि विकास के उन अधिकांश पैमानों पर मध्यप्रदेश का प्रदर्शन सराहनीय है, जिन पर कभी राज्य को 'बीमारू' कहा जाता था। 

प्रधानमंत्री ने गरीबों के लिए घर बनाने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्यों में होने का उदाहरण दिया। उन्होंने आगे कहा कि राज्य हर घर में पानी पहुंचाने में भी अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने राज्य के किसानों के बारे में बात करते हुए कहा कि वे गेहूं सहित कई फसलों के उत्पादन में नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। उन्होंने राज्य में उद्योगों पर कहा कि यह लगातार नए मानकों की ओर बढ़ रहा है, जिससे युवाओं के लिए अनंत अवसर पैदा हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने देश के अंदर और बाहर दोनों जगह उनकी छवि खराब करने के ठोस प्रयासों के बारे में लोगों को सचेत किया। उन्होंने कहा, "भारत का गरीब, भारत का मध्यम वर्ग, भारत का आदिवासी, भारत का दलित-पिछड़ा, हर भारतीय मेरा सुरक्षा कवच बन गया है"। 

उन्होंने लोगों से देश के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते हुए कहा, "हमें विकसित भारत में मध्यप्रदेश की भूमिका को और बढ़ाना है। यह नई वंदे भारत एक्सप्रेस इसी संकल्प का एक हिस्सा है।”

इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव उपस्थित थे।

वंदे भारत एक्सप्रेस सेवा की पृष्ठभूमि

वंदे भारत एक्सप्रेस ने देश में यात्रा के अनुभव को फिर से परिभाषित किया है। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, भोपाल और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच शुरू की जा रही नई ट्रेन देश की 11वीं वंदे भारत सेवा और 12वीं वंदे भारत ट्रेन होगी। 

स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन अत्याधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस है। यह रेल उपयोगकर्ताओं के लिए एक तेज़, अधिक आरामदायक और अधिक सुविधाजनक यात्रा अनुभव प्रदान करेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र में आर्थिक विकास मजबूती प्राप्त होगी।