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क्या आपने कभी Pinterest पर मुआयना  किया है और उत्पादों की आकर्षक पेशकश देखी  है? यही है  एफीलेट मार्केटिंग की ताकत  है। अब, यह दर्शनीय दिग्गज एफीलेट मार्केटिंग  के लिए सोने की खान बन रहा है। 

अपने आकर्षक मंच के साथ, Pinterest समझदार  एफीलेट  मार्केटिंग  खिलाडियों  के लिए एक प्रमुख शिकार स्थल के रूप में उभरा है। इसके बारे में सोचें - आप उत्पाद प्रोमो के साथ रचनात्मकता को इतनी सहजता से और  कहां मिश्रित कर सकते हैं और इतना कलात्मक  बना सकते हैं?

लेकिन  Pinterest की परफेक्ट पिनों के पीछे   ऐसी  संभावनाओं की एक दुनिया छिपी है जो बाहर आने का इंतजार कर रही है। प्लेटफ़ॉर्म का विशाल उपयोगकर्ता आधार और खोज इंजन की क्षमता उन लोगों के लिए एक वास्तविक अवसर  प्रदान करती है जो अपने कार्ड सही तरीके से खेलना चाहते हैं। लेकिन आप इसकी क्षमता का लाभ कैसे उठा सकते हैं? आइए Pinterest Affiliate मार्केटिंग   की सफलता के रहस्यों को जानते हैं । 

अपनी  पसंद का बेहतरीन ब्रांड ढूँढना

पहले वही करें जो सबसे जरूरी: अपने विशिष्ट ब्रांड साथी  की पहचान करें। बड़े नामों से परे देखें; अनगिनत एसएमई असाधारण  व्यवसाय के लिए रोमांचक Affiliate  प्रोग्राम   प्रदान करते हैं। खूब सोच विचार  करें - तय  करें कि उनके मूल्य आपके हिसाब के  हों, और उनका कार्यक्रम उचित कमीशन दर का दावा करता हो। प्रामाणिकता कुंजी है; पार्टनर के साथ वास्तविक संबंध आपके कंटेंट निर्माण की भूख  को बढ़ाता है।

योजना बनाएं,पिन बनाएं, प्रकाशित करें,दोहराएँ

आपके ब्रांड पार्टनर के सुरक्षित होने के साथ, एक विषयवस्तु  की  रणनीति तैयार करने का समय आ गया है। Pinterest दृश्यों पर पनपता है, इसलिए आकर्षक विषयों पर विचार-मंथन करें। उत्पाद से खुद को परिचित करें - प्रत्यक्ष अनुभव के साथ शानदार समीक्षाएं सबसे अच्छी होती हैं।

पारदर्शिता सफलता की राह है

याद रखें, आप अपने दर्शकों के बीच विश्वास कायम करते  रहे हैं। निर्दिष्ट लिंक और हैशटैग का उपयोग करके स्पष्ट रूप से Affiliate भागीदारी का खुलासा करें। Pinterest के सामुदायिक दिशानिर्देशों और अपने ब्रांड के Affiliate अनुबंध दोनों का पालन करें।

पिन की ताकत को सामने  लाये

अब, आइए रचनात्मक बनें! ब्रांड की पेशकशों को प्रदर्शित करने के लिए Pinterest के विविध सामग्री विकल्पों - चित्र, वीडियो, इन्फोग्राफिक्स - का लाभ उठाएं। केवल एक पिन पर न रुकें - पहुंच को अधिकतम करने के लिए कई पिन बनाएं।

खोज इंजन में महारत हासिल करने की कोशिश करें

याद रखें, Pinterest एक शक्तिशाली खोज इंजन है। SEO  का जादू यहाँ जीवंत हो उठता है। प्रासंगिक कीवर्ड जोड़ें , मेटा डेटा और रणनीतिक हैशटैग को जरूरत के मुताबिक बनाएं  ताकि यह पक्का  हो सके कि आपकी सामग्री आपके दर्शकों की तलाश के हिसाब से  है और ब्रांड के उत्पाद उनकी जरूरतों को कैसे पूरा कर सकते हैं। रिच पिन आपके गुप्त हथियार हैं - बहुमूल्य जानकारी को सीधे अपनी वेबसाइट से लिंक करें, जिससे उपयोगकर्ता का अनुभव और बेहतर हो जाएगा।

मेट्रिक्स:बताते हैं आपकी सफलता का स्तर

अपनी प्रगति पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है। अच्छा  प्रदर्शन वाली पिनों की पहचान करने और उनकी कारगरता  का आकलन करने के लिए Pinterest के मूल विश्लेषण का उपयोग करें। कई  प्लेटफ़ॉर्म आपके सभी Affiliate लिंक के लिए विश्लेषण और एक केंद्र प्रदान करते हैं।

इन विधि का पालन करके, आप Pinterest को Affiliate Marketing  की सफलता के लिए एक ताकतवर  मंच में बदल सकते हैं। याद रखें, अच्छी  सामग्री, सूझबूझ भरी योजना और दर्शकों की सहभागिता Pinterest के साथ आपकी पूरी कमाई क्षमता को जागृत  करने की कुंजी है। तो, आज ही लाभ के लिए अपना रास्ता तय करना शुरू करें!

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राडो (RADO), घड़ियों के निर्माण  में उपयोग की जाने वाली सामग्री के रूप में सिरेमिक में अपने व्यापक और अग्रणी काम के लिए जाना जाता है। अन्य सामग्रियों के साथ सिरेमिक को मिलाना और धातुओं के साथ संयोजन में विविधतापूर्ण तरीके  से उच्च तकनीक  का उपयोग कर भी  कंपनी  खास उत्पाद सामने लाती है

इनमें से एक लोकप्रिय श्रंखला -कैप्टन कुक है। जो एक क्लासिक गोताखोर के पैमाने की रह चलती  है। शायद यही कारण है कि ब्रांड ने एथोस-एक्सक्लूसिव के लिए इस संग्रह को चुना, जो एथोस की सालगिरह के उपलक्ष्य में बनाया गया है। शौकीनों   को खुश करने के लिए जारी - विश्व स्तर पर राडो के सबसे बड़े बाजारों में से एक में - यह कैप्टन कुक एथोस संस्करण है। 

कैप्टन कुक ऑटोमैटिक एनिवर्सरी एडिशन फ़िरोज़ा के जलीय रंगों में अपने खूबसूरत ग्रेडिएंट डायल के लिए जाना जाता है, जो गोताखोरी और समुद्र की याद दिलाता है। यह दोनों तरफ एंटीरिफ्लेक्टिव परत  वाले नीलमणि क्रिस्टल ग्लास द्वारा महफूज  है। पीछे की तरफ, बंद केसबैक में समुद्री घोड़ों का चित्रण  है - एक कैप्टन कुक स्टेपल - जो समुद्री भाव को बनाये रखता  है। 

राडो के एक अन्य खास डायल के ब्रांड प्रतीक पर सेल्फ-वाइंडिंग मशीन  का जिक्र  है, जिसमें एक एंकर मोटिफ होता है जो घड़ी के हिलने पर घूमता है - चालन  के दोलनशील घुमावदार रोटर की तरह। 

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AAB NEWS/ केंद्रीय वस्त्र, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज यहां वस्त्र क्षेत्र के लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान उपस्थित लोगों से वोकल फॉर लोकल पर जोर देने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा, “स्थानीय के लिए मुखर बनें और स्थानीय को वैश्विक स्तर पर ले जाएं। हमारे उत्पादों को विश्व मंच पर प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह स्पष्ट आह्वान है।”

श्री गोयल ने यह भी कहा कि देश में वस्त्र उत्पादन बढ़ने से आय बढ़ेगी, रोजगार के अवसर खुलेंगे और देश को 'आत्मनिर्भर' बनाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। श्री पीयूष गोयल ने कारीगरों से अपने व्यवसाय को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर पंजीकृत करने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि उन्होंने GeM को हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े सभी कारीगरों और बुनकरों का पंजीकरण बिना किसी पंजीकरण शुल्क के करने का निर्देश दिया गया है।

श्री गोयल ने कहा कि ई-मार्केटप्लेस पर पंजीकरण करने से कारीगरों की दृश्यता बढ़ेगी और उनकी आय बढ़ाने वाले व्यवसायों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार GeM-पंजीकृत व्यवसायों को देश में प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर शामिल करने की सुविधा प्रदान करने का प्रयास करेगी और हस्तशिल्प और हथकरघा को प्राथमिकता देते हुए विदेशी वेबसाइटों पर अपने व्यवसायों को पंजीकृत करने पर जोर देगी। 

उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प और हथकरघा व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे उद्यमों को अधिकारियों का समर्थन, उन्हें GeM वेबसाइट पर अपने शिल्प के माध्यम से एक पहचान बनाने में मदद करेगा।

'मेड इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देते हुए, श्री गोयल ने अधिकारियों से हस्तशिल्प लाभार्थियों के लिए 'हैंडमेड इन इंडिया' लेबल से लाभ उठाने और अपने उत्पादों पर अधिक आय अर्जित करने के तरीके तैयार करने का आग्रह किया। 

श्री गोयल ने कहा कि 'हैंडमेड इन इंडिया' लेबल के तहत मशीन-निर्मित उत्पाद बेचने वाले व्यवसायों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेगी।

श्री गोयल ने कहा कि यदि बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है तो सरकार जूट और कपास का उत्पादन करने वाले किसानों की फसल खरीदने को तैयार है। 

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जूट और कपास के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है और विदेशी निर्यात के लिए खेतों के विजन को पूरा करने के क्रम में गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक उपलब्ध कराने को तैयार है।

उन्होंने वस्त्र क्षेत्र से तकनीकी नवाचार की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया, जिससे कारीगरों और बुनकरों का जीवन आसान हो जाएगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए लाभार्थियों को धन्यवाद दिया और वस्त्र के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना की।

हस्तशिल्प और हथकरघा को विश्व मंच पर फिर से परिभाषित करने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री गोयल ने कहा कि उद्योग को कारीगरों और बुनकरों की ब्रांड वैल्यू और आय बढ़ाने के लिए कपड़ा उत्पादों की गुणवत्ता और पैकेजिंग में सुधार की दिशा में काम करना चाहिए। 

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम-सूर्योदय योजना (मुफ्त सौर ऊर्जा संचालित रूफटॉप योजना), समर्थ योजनाओं और वस्त्र संबंधी योजनाओं से लाभ जैसी योजनाओं के एकीकरण से कारीगरों को अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने और उनकी आय में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने भारत में सबसे बड़े रोजगार सृजन क्षेत्र के रूप में वस्त्र क्षेत्र के महत्व और वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें प्रदान किए गए लाभों पर भी प्रकाश डाला। श्री गोयल ने पारंपरिक विरासत संस्कृति, तकनीकी प्रगति, अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से नवाचार और महिलाओं के सशक्तिकरण को मिलाकर प्रधानमंत्री के "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के विजन पर जोर दिया। स्पष्ट तौर पर यह वस्त्र मंत्रालय की पहली लाभार्थी बैठक है, जो इतने बड़े पैमाने पर आयोजित की गई थी।

बातचीत के दौरान वस्त्र और रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश और वस्त्र मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे। देश भर के 398 केंद्रों से हथकरघा, हस्तशिल्प, जूट, रेशम और समर्थ सहित विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 10,000 लाभार्थियों ने बातचीत में भाग लिया।

 12 अलग-अलग स्थानों से कुल 24 लाभार्थियों ने वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अपनी आजीविका को मजबूत करने के लिए प्राप्त होने वाले लाभों पर अपने अनुभव साझा करते हुए मंत्रियों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दीर्घकालिक परिणामों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, न कि अल्पकालिक परिणामों पर। 

रक्षा मंत्री 24 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली में एक निजी मीडिया संगठन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। राजनाथ सिंह ने 'दीर्घकालिक योजना और दीर्घकालिक लाभ को प्राथमिकता देना' वर्तमान सरकार तथा पिछली सरकार के बीच मुख्य अंतर बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि अतीत की सरकारों के विपरीत, वर्तमान सरकार ने ऐसी नीतियां बनाई और लागू की हैं, जो केवल पांच वर्षों के लिए अल्पकालिक लाभ प्रदान नहीं करती हैं। 

उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में लंबी अवधि के फायदे के लिए रक्षा क्षेत्र में किए गए सुधारों का उल्लेख किया, इनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना करना शामिल है, जिससे तीनों सेनाओं के बीच साझेदारी, तालमेल तथा सुचारू समन्वय बढ़ चुका है।

राजनाथ सिंह ने बताया कि सरकार भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो संकट के समय में उनके बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा। 

उन्होंने कहा कि पहले तीनों सेनाएं साइलो में काम करती थीं। हमने उनके एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है, जो लीक से हटकर कर एक अलग कदम था और यह समय की मांग भी थी। 

श्री सिंह ने कहा कि शुरुआत में ऐसा करना थोड़ा कठिन था; लेकिन आज हमारी सेना बेहतर समन्वय के साथ हर चुनौती से निपटने के लिए मिलकर काम करने को तैयार है।

रक्षा मंत्री ने रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में उठाए गए प्रमुख कदमों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय ने सेवाओं की पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां अधिसूचित की हैं, जिनमें 500 से अधिक उपकरण और चार अन्य सूचियां शामिल हैं, इसमें डीपीएसयू के लिए 4,600 से अधिक घटक व उपकरण शामिल हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सैनिक भारत में बने हथियारों तथा प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करें। 

उन्होंने स्थानीय कंपनियों से खरीद के लिए पूंजी अधिग्रहण बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा निर्धारित करने के निर्णय का भी उल्लेख किया। 

श्री सिंह ने कहा कि कुछ लोगों का विचार था, स्वदेशी हथियार विश्व स्तरीय नहीं होंगे; लेकिन, वर्तमान सरकार घरेलू उद्योग की क्षमताओं में विश्वास करती है और वे सभी लगातार अत्याधुनिक उत्पादों में सुधार और वितरण कर सकते हैं।

राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने तथा प्रधानमंत्री श्री मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से दीर्घकालिक लाभ के लिए इसमें आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। 

उन्होंने कहा कि हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगाना एक अल्पकालिक कठिनाई थी, लेकिन आज वह चुनौती धीरे-धीरे अवसर में बदल रही है और भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य पर आगे बढ़ रहा है। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हमारी सेना उन हथियारों और प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही है, जिनका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी सेना बाहर से आयातित उपकरणों से अपने देश की रक्षा नहीं कर सकती है और आज के समय में भारत के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता आवश्यक है। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार के लगातार प्रयास अब लाभ देने लगे हैं क्योंकि रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।

राजनाथ सिंह ने इस तथ्य को दोहराया कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने जैसी पहल के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आधुनिक सैन्य साजो-सामान न केवल भारत में निर्मित हो, बल्कि उन्हें मित्र देशों को भी निर्यात किया जाए। 

उन्होंने कहा कि पहले, भारत को हथियार आयातक राष्ट्र के रूप में जाना जाता था। लेकिन आज प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हम अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आ गए हैं और हमने हथियार निर्यातक शीर्ष-25 देशों की सूची में जगह बना ली है। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि सात-आठ साल पहले, रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये तक भी नहीं पहुंच पाता था, जबकि आज यह 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि 2028-29 तक वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां सरकार बड़ी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है, वहीं वह स्टार्ट-अप के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में प्रतिभाशाली युवाओं को भी आमंत्रित कर रही है, उन्होंने इसे दीर्घकालिक लाभ के लिए उठाया गया एक और कदम बताया। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि आने वाले 20-25 वर्षों में ये कंपनियां अपने नवाचारों के दम पर वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त पहचान को एक नया आयाम देने में सहायता करेंगी। 

श्री सिंह ने हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक का उल्लेख किया, जिसमें स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप से खरीद के लिए लागत, भुगतान की शर्तें, पात्रता आदि को उदार बनाया गया है।

रक्षा मंत्री ने आज के लगातार बदलते समय में प्रौद्योगिकी के एक महान विकल्प के रूप में उभरने पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्मार्ट हथियार, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष युद्ध जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों में होने वाले निवेश के महत्व को रेखांकित किया। 

उन्होंने बताया कि भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख राष्ट्र बनाने की सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें डीआरडीओ के प्रशासनिक नियंत्रण में रक्षा प्रौद्योगिकी नवाचार (आईडीईएक्स) प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना का शुभारंभ तथा राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना करना शामिल है।

रक्षा मंत्री ने यह जानकारी दी है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक 4,35,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी अधिग्रहण को सैद्धांतिक स्वीकृति दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय को केंद्रीय बजट 2024-25 में 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो अन्य मंत्रालयों से सबसे अधिक है। 

राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना के बारे में भी चर्चा की, जिसका लक्ष्य देश की सेना को दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक बनाना है। उन्होंने कहा ये निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में भारत में एयरो-इंजन और गैस टर्बाइन जैसी उच्च-स्तरीय प्रणालियों का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि जब हमारे युवाओं की क्षमता एवं समर्पण असाधारण हो और सरकार की मंशा साफ हो, तो साधारण लक्ष्य तय करने का प्रश्न ही नहीं उठता। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम जल्द ही असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू करेंगे।

रक्षा मंत्री ने जीएसटी के सफल कार्यान्वयन, स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्रों में पहल और बैंकिंग सुधारों सहित अन्य क्षेत्रों में दीर्घकालिक लाभ के लिए कुछ निर्णयों का भी उल्लेख किया। 

उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे सागरमाला और पीएम गति शक्ति योजनाओं के साथ-साथ सामाजिक कल्याण की दिशा में सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया, जो देश के समग्र विकास को सुनिश्चित कर रहे हैं। 

श्री सिंह ने कहा कि सरकार बड़ी दीर्घकालिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिसके परिणाम 5-10 वर्षों के बाद दिखाई देने लगेंगे, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के निर्माण के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के स्पष्ट दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में उनके पुरुष समकक्षों के बराबर अवसर प्रदान कर रही है, जो सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है। 

उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से महिलाओं को उनके राजनीतिक अधिकार दिए गए हैं, जो वर्षों से लंबित थे। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। 

उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है और पहले से अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें बढ़ोतरी होती ही रहेगी।

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बुधवार को वायदा कारोबार में चांदी की कीमत  में 263 रुपये का इजाफा हुआ।
 
मजबूत हाजिर मांग के कारण प्रतिभागियों ने अपने सौदे बढ़ा दिए। जैसी चांदी की  कीमत बढ़कर 72,310 रुपये  प्रति किलोग्राम हो गई।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में, मार्च डिलीवरी के लिए चांदी अनुबंध 263 रुपये या 0.37 प्रतिशत बढ़कर 24,327 लॉट में 72,310 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया।

विश्लेषकों के मुताबिक  कि चांदी की कीमतों में तेजी ख़ास तौर से अच्छे  घरेलू रुझान के कारण प्रतिभागियों द्वारा की गई ताजा स्थिति  के कारण हुई।

वैश्विक स्तर परभी चांदी की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है।  न्यूयॉर्क में चांदी 0.62 प्रतिशत बढ़कर 23.24 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी।

 

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कोलकाता में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC-Inland Waterways Development Council) का पहला संस्करण देश के अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता और व्यवहार्यता बढ़ाने के प्रयास में कई पहलों के साथ संपन्न हुआ। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यों के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ नीति निर्माताओं और उद्योग जगत की हस्तियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

इस बैठक में देश में आर्थिक विकास और वाणिज्य के माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों को सक्षम करने के उद्देश्य से, देश में नदी क्रूज पर्यटन के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई। इस बड़ी राशि में से, अनुमानित रूप से 35,000 करोड़ रुपये क्रूज़ जहाजों के लिए और अमृतकाल के अंत में यानी 2047 तक क्रूज़ टर्मिनल बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। 

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कार्गो व्यापार के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ाने के लिए 15,200 करोड़ रुपये का निवेश अक्टूबर, 2023 में मुंबई में आयोजित ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (GMIS-Global Meritime India Summit) में आया है। 

इससे 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज होने की संभावना है, जिससे 2047 तक कार्गो व्यापार की मात्रा 500 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक बढ़ जाएगी। श्री सोनोवाल ने आज कोलकाता में (IWDC-Inland Waterways Development Council) के उद्घाटन सत्र में 'हरित नौका' दिशानिर्देश और 'नदी पर्यटन रोडमैप, 2047' भी जारी किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री सोनोवाल ने कहा कि भारत 2014 से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में प्रभावशाली ढंग से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता को महसूस किया जाना चाहिए क्योंकि हम पीएम श्री मोदी के एक विजन नीली अर्थव्यवस्था में दुनिया भर में अग्रणी बनने की दिशा में काम कर रहे हैं। 

अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC-Inland Waterways Development Council) की स्थापना हमारे समृद्ध, जटिल और गतिशील जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी। प्राचीन काल से ही जलमार्ग आर्थिक वृद्धि और मानव सभ्यता के विकास का माध्यम रहा है। 

हालांकि, समृद्धि के ये शानदार सिद्ध रास्ते दशकों तक उपेक्षित रहे, जिसके परिणामस्वरूप देश की अमूल्य संपत्ति बर्बाद हो गई। हमारे जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के लिए (IWDC-Inland Waterways Development Council) एक आधुनिक दृष्टिकोण, स्पष्ट रणनीति और अमृतकाल के अंत तक आत्मनिर्भर भारत के लिए सतत विकास सुनिश्चित करने के लक्ष्य की ओर प्रयास कर रहा है।

(IWDC-Inland Waterways Development Council) में नदी क्रूज़ पर्यटन के लिए उपयुक्त अतिरिक्त 26 जलमार्गों की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया था। अभी 8 जलमार्गों की परिचालन क्षमता है। 

इसी दौरान रात्रि विश्राम वाले क्रूज़ सर्किट की संख्या 17 से बढ़ाकर 80 की जाएगी। अंतर्देशीय जलमार्गों में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास में, नदी क्रूज टर्मिनलों की संख्या 185 तक बढ़ाई जाएगी, जो 15 टर्मिनलों की वर्तमान ताकत से 1233 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। 

बढ़ी हुई सर्किट की क्षमता के आधार पर, रात्रि प्रवास के साथ क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 5,000 से बढ़ाकर 1.20 लाख किया जाएगा। इसी प्रकार, राष्ट्रीय जलमार्गों पर रात्रि प्रवास के बिना स्थानीय क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 2 लाख से बढ़ाकर 15 लाख किया जाएगा।

इस बैठक में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक और केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर भी उपस्थित थे। 

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(IWDC-Inland Waterways Development Council)
में राज्य सरकारों के मंत्रियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और अन्य प्रमुख हितधारकों ने भी भाग लिया। आईडब्ल्यूडीसी का आयोजन भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए नोडल एजेंसी भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ((IWDC-Inland Waterways Development Council)) ने किया था। यह एक दिवसीय बैठक कोलकाता डॉक कॉम्प्लेक्स में जहाज एमवी गंगा क्वीन पर आयोजित की गई थी।

श्री सोनोवाल ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्ग प्रगति की धमनियां हैं, और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद ((IWDC-Inland Waterways Development Council)) उनकी क्षमता का दोहन करने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी के नेतृत्व में और सहयोगात्मक प्रयासों तथा रणनीतिक पहलों के साथ हमारा लक्ष्य अवसरों को भुनाना, अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में सतत विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना है। 

'हरित नौका - अंतर्देशीय जहाजों के हरित पारगमन के लिए दिशानिर्देश' के जारी होने के साथ केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय हमारे अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 

रोडमैप ने विभिन्न प्रकार के क्रूज के लिए 30 से अधिक अतिरिक्त संभावित मार्गों की पहचान की थी, जिसमें सभी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लंबे और छोटे, मनोरंजक और विरासत खंड शामिल थे। 

ऐसे अतिरिक्त नदी पर्यटन को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए मार्ग विकास, विपणन रणनीति, बुनियादी ढांचे के विकास और नेविगेशन सहित एक कार्य योजना और रोडमैप भी तैयार है।

कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, जो 2014 में घाटे में था, की स्थिति अब बदल गई है और इस वर्ष यह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 550 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध अधिशेष प्राप्त करेगा।

सरकार ने अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT-Inland Water Transport) की भूमिका को बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप, गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (एनडब्ल्यू-1) के विकास के लिए प्रमुख जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP-Jal Marg Vikas Pariyojna) सहित विभिन्न उपाय शुरू किए। यह परियोजना सामुदायिक घाटों के माध्यम से छोटे गांवों को शामिल करने के साथ-साथ कार्गो, रो-रो और यात्री नौका आवाजाही पर केंद्रित थी। 

इसके अलावा, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 में उल्लिखित (IWT-Inland Water Transport) की मॉडल हिस्सेदारी को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना है। इस लक्ष्य में समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के अनुरूप, कार्गो की मात्रा मौजूदा (IWT-Inland Water Transport) को 120 एमटीपीए से 500 एमटीपीए से अधिक ऊपर उठाना भी शामिल है।

जलमार्ग बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति में वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनलों की स्थापना शामिल है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में वृद्धि हुई है। कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल निर्बाध परिवहन की सुविधा और व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त प्रगति कर रहा है। 

फरक्का में एक नए नेविगेशनल लॉक के पूरा होने से जलमार्ग नौवहन क्षमता में वृद्धि होती है। 60 से अधिक सामुदायिक घाटों का चल रहा निर्माण स्थानीय कनेक्टिविटी और पहुंच के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। ये उपलब्धियां सामूहिक रूप से जलमार्ग बुनियादी ढांचे में दक्षता, कनेक्टिविटी और स्थानीय विकास को बढ़ावा देती हैं।

अंतर्देशीय जल परिवहन ((IWT-Inland Water Transport)) ने जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड, हाइड्रोजन और व्युत्पन्न (जैसे अमोनिया या मेथनॉल) प्रणोदन ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। प्रारंभिक चरण में, आठ इलेक्ट्रिक कैटमरैन जहाजों की तैनाती के साथ एक रणनीतिक कदम उठाया गया था। 

इन जहाजों को रणनीतिक रूप से तीर्थ पर्यटन के लिए रखा गया था, जिनमें से दो राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर अयोध्या, वाराणसी, मथुरा में और दो राष्ट्रीय जलमार्ग-2 पर गुवाहाटी में तैनात थे।  

(IWT-Inland Water Transport) देश में लॉजिस्टिक्स और यात्री आवाजाही परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 111 अधिसूचित राष्ट्रीय जलमार्गों के साथ, 24 राज्यों में 22,000 किमी से अधिक तक फैला हुआ आईडब्ल्यूटी परिवहन के एक प्रभावी वैकल्पिक साधन के रूप में उभरा है।

समुद्री अमृतकाल विजन 2047 भारत की 7500 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा, अंतर्देशीय जलमार्गों के महत्वपूर्ण नेटवर्क और तटीय जिलों में निहित वास्तविक विकास क्षमता का प्रत्यक्ष क्षेत्रीय तालमेल और समावेशी विकास तथा रोजगार पर क्रॉस-सेक्टोरल गुणक प्रभाव के साथ प्रतिनिधित्व करता है। 

समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के तहत आईडब्ल्यूटी को विकसित करने के लिए 46 पहलों की पहचान की गई है, जिनमें से तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जल परिवहन के मॉडल शेयर को बढ़ाने के लिए प्रमुख पहलों में बंदरगाह-आधारित समूह केंद्रों का निर्माण, तट-आधारित उत्पादन/मांग केंद्र, सड़क/रेल/आईडब्ल्यूटी कनेक्टिविटी/विस्तार परियोजनाओं के पास तटीय बर्थ का निर्माण शामिल है। ।

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AAB NEWS/
आरईसी लिमिटेड ने 35,000 करोड़ रुपये तक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। 

इन परियोजनाओं को अगले 5 वर्षों में आरवीएनएल पूरा करेगा। इन परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब परियोजनाएं, रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, सड़क, बंदरगाह और मेट्रो परियोजनाएं शामिल हैं।

आरईसी के निदेशक (वित्त) श्री अजॉय चौधरी और आरवीएनएल के निदेशक (संचालन) श्री राजेश प्रसाद ने आरईसी के सीएमडी श्री वीके देवांगन, आरवीएनएल के निदेशक (वित्त) श्री संजीब कुमार, आरवीएनएल की डीपीई श्रीमती अनुपम बान, और आरईसी तथा आरवीएनएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

ऊर्जा मंत्रालय के तहत 1969 में स्थापित महारत्न सीपीएसई- आरईसी लिमिटेड ऊर्जा-बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक ऋण और अन्य वित्त उत्पाद प्रदान करता है जिसमें उत्पादन, ट्रांसमिशन, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी स्टोरेज और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। 

(REC) ने हाल ही में गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी विविधता ला दी है, जिसमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, आईटी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक अवसंरचना (शैक्षिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह तथा स्टील और रिफाइनरी जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्र के लिए इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ई एंड एम) कार्य शामिल हैं। आरईसी की ऋण पुस्तिका के अनुसार, आरईसी ने 4,74,275 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिए हैं।

आरवीएनएल (RVNL), रेल मंत्रालय के अधीन "अनुसूची 'ए' नवरत्न" केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जो भारतीय रेलवे की लगभग 30 प्रतिशत बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को पूरा करता है और पीपीपी मॉडल के तहत बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी अग्रणी रहा है। 

रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) मुख्य रूप से रेलवे परियोजनाओं पर काम करता है और इसने सड़क, बंदरगाह, सिंचाई तथा मेट्रो परियोजनाओं में भी काम करना शुरू किया है, जिनमें से कई का रेलवे के बुनियादी ढांचे के साथ किसी न किसी तरह का जुड़ाव है।