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AAB NEWS/ केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रोगियों की देखभाल की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने और उपलब्ध नवीनतम नैदानिक और चिकित्सीय तौर-तरीकों का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), क्वांटम और अन्य नई प्रौद्योगिकियों के साथ चिकित्सा विज्ञान के छात्र (मेडिकोज) को कुशल बनाने का प्रस्ताव दिया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह बेंगलुरु के रमैया मेडिकल कॉलेज में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (भारत) के 63वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।



विशेष रूप से युवा पेशेवरों में निरंतर कौशल निर्माण पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह, जो एक प्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ और मेडिसिन के प्रोफेसर भी हैं, ने कहा कि भारत ने प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रोग निरोधी और एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में नेतृत्व किया है। 
 
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (एनएएमएस) जैसे पेशेवर चिकित्सा निकाय और सरकार देश के सभी नागरिकों को रोग निरोधी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए एक साथ आगे आकर कार्य कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि “जहां भी हम रोगी की देखभाल करने में सक्षम नहीं हैं, हम कम से कम नई तकनीक के माध्यम से बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और मुझे लगता है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (एनएएमएस) रोग निरोधी चिकित्सकों की सेवाएं ले सकता है, जो विशुद्ध रूप से रोग निरोधी चिकित्सा क्षेत्र में विशेषज्ञ हों। 
 
यदि हम ऐसा कर पाते हैं तो हम न केवल चिकित्सा अथवा चिकित्सकीय देखभाल क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेंगे, बल्कि वास्तव में उस विशाल युवा वर्ग की ऊर्जा को संरक्षित करते हुए राष्ट्रीय जिम्मेदारी को निभाएंगे, जो India@2047 का वास्तुकार बनने जा रहा है।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पिछले 9 वर्षों ने भारत को कम लागत में चिकित्सा सुविधा के गंतव्य के रूप में बदला है और यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कार्यभार संभालने के बाद से कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुधारों और सक्षम प्रावधानों को कार्य रूप में लाया गया है।

उन्होंने कहा, ''पहले भारत को शायद ही किसी रोग निरोधी स्वास्थ्य देखभाल के लिए जाना जाता था, लेकिन आज भारत को दुनिया के टीकाकरण केंद्र के रूप में पहचाना जाता है, जिसने डीएनए कोविड वैक्सीन, दुनिया का पहला इंट्रा-नेजल कोविड वैक्सीन, भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित टीका, सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए "सीईआरवीएवीएसी" और विभिन्न बीमारियों के लिए कई अन्य टीकों का उत्पादन किया है।




डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में 145 मेडिकल कॉलेज से यह संख्या बढ़कर 260 हो गई है, इसके अलावा एम्स ने 19 शैक्षणिक सत्र शुरू कर दिए हैं। 
 
एमबीबीएस यूजी सीटों की संख्या वर्ष 2014 में 51,348 से बढ़कर 91,927 हो गई है, जो 79% की वृद्धि है। पीजी सीटों की संख्या भी वर्ष 2014 में 31,185 सीटों से 93 फीसदी बढ़कर 60,202 सीटें हो गई हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आयुष्मान भारत अब तक की दुनिया की सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य बीमा योजना है और इसकी संकल्पना का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। उन्होंने कहा कि यह संभवत: दुनिया की एकमात्र स्वास्थ्य बीमा योजना है जो पहले से मौजूद बीमारी के लिए भी बीमा कवर लेने का विकल्प प्रदान करती है।




डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि लोगों की उम्र बढ़ने से भारत को अमृतकाल के दौरान द्विध्रुवीय चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा, “70 प्रतिशत से अधिक आबादी 40 वर्ष से कम आयु की है। एक ओर, युवा आयु वर्ग में जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत है, और दूसरी ओर, हमारे पास बुजुर्ग आबादी की बढ़ती संख्या है। इस प्रकार, हमारे सामने बीमारियों को फैलने से रोकने के साथ-साथ अक्षमता की जांच करने की दोहरी चुनौती है।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत ने स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, हाल ही में चन्द्रयान-3 के प्रक्षेपण, क्वांटम प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। नई दिल्ली में सबसे सफल जी 20 शिखर सम्मेलन के मौके पर घोषित अंतर्राष्ट्रीय जैव ईंधन गठबंधन का चिकित्सा बिरादरी पर भी बहुत बड़ा असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘इसने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया के सबसे सर्वश्रेष्ठ नेताओं में से एक या संभवतः विश्व के सर्वश्रेष्ठ नेता के रूप में स्थापित किया है।’



विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 और भारत की वैक्सीन की कहानी पिछले चार-पांच वर्षों में भारत की बड़ी सफलता की कहानियां हैं।

“हमारे पास सब कुछ था, लेकिन हम संभवतः एक सक्षम वातावरण के होने का इंतजार कर रहे थे। यह अनुकूल वातावरण नीति निर्माताओं के स्तर से, राजनीतिक नेतृत्व के स्तर से आना चाहिए और यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आने के बाद से हुआ।”

उन्होंने कहा, "ऐसे देश में जहां 40 वर्ष से कम आयु की 70 प्रतिशत आबादी है और आज के युवा India@2047 के प्रमुख नागरिक बनने जा रहे हैं, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हमारी अर्थव्यवस्था के लिए निर्धारित विकास की अपेक्षित दर को प्राप्त करने में रोग निरोधी स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक स्तर पर सामूहिक स्वास्थ्य जांच मदद करेगी।”

Achievement- मध्य प्रदेश में GEM 4 STAR मिलने वाली पहली निजी हॉस्पिटल सागरश्री

एएबी समाचार/ सागर 14 दिसम्बर 2021/
 

सागर श्री हॉस्पिटल ने अपनी उपलब्धियों में एक और बढ़ोत्तरी करते हुए जेम सर्टिफिकेशन प्राप्त किया है जो कि भारत के सस्टेनेबिलिटी मूवमेंट में प्रोग्राम है यह सर्टिफिकेट उन संस्थाओ को दिया जाता है जिनके भवन का निर्माण निर्धारित सुरक्षा मानक अनुसार एवं जल व उर्जा को संरक्षित करने के आधार पर किया जाता है। 
 
एसोचैम ने पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन बिल्डिंग डिजाइन और निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से "जेम सस्टेनेबिलिटी (ग्रीन) सर्टिफिकेशन प्रोग्राम" शुरू किया है। GEM सस्टेनेबिलिटी सर्टिफिकेशन रेटिंग प्रोग्राम BEE ECBC 2017 और NBC 2016 पर आधारित है। 
 
इस पहल के माध्यम से, ASSOCHAM आवास, शहरी विकास, आवासीय, वाणिज्यिक, होटल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों, स्कूलों, फैक्ट्री भवनों और संबंधित विकास को सस्टेनेबिलिटी सर्टिफिकेशन रेटिंग प्रदान करता है। सागरश्री हॉस्पिटल के डायरेक्टर सौरभ सिंघई एवं आकाश बजाज की दूर दर्शिता के कारण शुरू से ही बिल्डिंग का निर्माण पर्यावरण अनुरूप किया गया, इसमें भारत के मशहूर आर्किटेक्ट मनु मल्होत्रा जी (RSMS DELHI) की डिजाईन एवं मार्गदर्शन में बिल्डिंग का निर्माण कार्य किया गया | 
 
सागरश्री हॉस्पिटल के प्रोजेक्ट मैनेजर आशीष राजपूत ने GEM सर्टिफिकेट के बारे में विस्तार से चर्चा की और बताया GEM सर्टिफिकेशन के तहत  –
1. हरित भवन के नजरिए से मूल्यवर्धन के लिए सस्टेनेबिलिटी विशेषज्ञों द्वारा सभी डिजाइन दस्तावेजों जैसे आर्किटेक्चरल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, प्लंबिंग और लैंडस्केप की समीक्षा।
2. कुशल भवन डिजाइन जो भवन की ऊर्जा और पानी की खपत को कम करेगा।
3. एक भवन का डिजाइन जो अधिकतम दिन के उजाले, ताजी हवा का उपयोग करेगा और भवन में रहने वालों को स्वस्थ वातावरण प्रदान करेगा।
4. सस्टेनेबिलिटी सर्टिफिकेशन रेटिंग अन्य पारंपरिक इमारतों की तुलना में परियोजनाओं को अतिरिक्त लाभ देगी।
5. इसमें प्राकतिक स्रोत का अधिकतम उपयोग होना चाहिए |
 
सागरश्री हॉस्पिटल को बुंदेलखंड का “रत्न” ही कहा जा सकता है क्योकि सागर शहर में सागरश्री हॉस्पिटल आने के बाद नगर में चिकित्सकीय सुविधा में काफी इजाफा हुआ है तथा आने वाले समय में सागरश्री हॉस्पिटल ने सागर को एक मेडिकल हब बनाने में सर्वश्रेष्ठ योगदान होगा | जिसके कारण बुंदेलखंड में काफी युवाओं को नौकरी  एवं मरीजो को अच्छे डॉक्टर के द्वारा का इलाज संभव हुआ है |जोकि पहले केवल मेट्रो सिटी में मिलता था अब आपके अपने शहर सागर में सागरश्री के द्वारा प्रदान किया जा रहा है |  
 
सागरश्री संभाग का पहला एकमात्र हॉस्पिटल है जोकि हॉस्पिटलों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के द्वारा सर्टिफाईड है | उसके बाद एक मात्र सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल है जहाँ 16 विभाग के डॉक्टर एक छत के नीचे मिलेगे साथ ही साथ अत्याधुनिक मशीनरी अत्याधुनिक ऑपरेशन थयेटर जहाँ जरुरत पढने पर बॉडी पार्ट ट्रांसप्लांट किये जा सकते है | यह हॉस्पिटल इतना आधुनिक है की सागर संभाग में और किसी हॉस्पिटल के लिए संभव नहीं है |
 
कोरोना काल  में जहाँ सभी डर रहे थे सागर का एक मात्र हॉस्पिटल था जिसने सबसे पहले कोरोना से पीढित मरीजों का इलाज करने का बीड़ा  उठाया | सबसे पहला हॉस्पिटल जिसने लोगो को वेक्सिनेशन का बीड़ा उठाया | 
 
आपके अपने निशक्तजन के लिए शहर का पहला हॉस्पिटल जहाँ आयुष्मान योजना का लाभ मिलना शुरू हुआ और आजतक हजारो लोगो इस से लाभान्वित हुए | आपके शहर के लिए सागरश्री हॉस्पिटल और उनके प्रबंधन ने शायद ही कुछ है जो न किया हो |
 
सागरश्री प्रबंधन ने बताया की अब सागर शहर में सागरश्री हॉस्पिटल एक और उपलब्धि जोड़ने वाला है जिस से आपको अपने शहर में कैंसर जैसी बीमारी का इलाज भी संभव हो जाएगा  | अब कैंसर के मरीज को यहाँ वहाँ भटकना नहीं पडेगा | जल्द से जल्द सागरश्री कैंसर यूनिट का काम शुरू करने वाला है आप सभी अपना विश्वास बनाये रखे लोगो से यही आपेक्षित है |

Nutrition For Growth Summit-दुनिया  भर में  40% से अधिक लोग अधिक वजन  या मोटापे का शिकार हैं

एएबी समाचार
। दिसम्बर 2021
जिनेवा,स्विट्ज़रलैंड  COVID-19 और जलवायु परिवर्तन ने कुपोषण को उसके सभी रूपों में बढ़ा दिया है और दुनिया भर में खाद्य प्रणालियों की स्थिरता और लचीलेपन को खतरा है। 7 - 8 दिसंबर 2021 को टोक्यो में न्यूट्रिशन फॉर ग्रोथ समिट में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2025 पोषण लक्ष्यों पर प्रगति में तेजी लाने के लिए छह नई प्रतिबद्धताओं की घोषणा की है, जिन्हें महामारी के दौरान और भी आगे बढ़ा दिया गया है। इसमे शामिल है:

  •  अधिक वजन और मोटापे को रोकने और प्रबंधित करने के लिए पहल का विस्तार करें; 
  • सुरक्षित और स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने वाले खाद्य वातावरण बनाने के लिए गतिविधियों को आगे बढ़ाएं; 
  • तीव्र कुपोषण को दूर करने में देशों का समर्थन करना; एनीमिया में कमी पर कार्रवाई में तेजी लाने; 
  • गुणवत्तापूर्ण स्तनपान प्रोत्साहन और समर्थन बढ़ाना; तथा पोषण डेटा सिस्टम, डेटा उपयोग और क्षमता को मजबूत करना।  

आज, दुनिया भर में सभी लोगों में से एक तिहाई लोग कम से कम एक प्रकार के कुपोषण से प्रभावित हैं। सभी पुरुषों और महिलाओं में से 40% से अधिक (2.2 बिलियन लोग) अब अधिक वजन वाले या मोटे हैं। जबकि अस्वास्थ्यकर आहार प्रति वर्ष कम से कम 8 मिलियन मौतों से जुड़ा हुआ है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, "अपने सभी रूपों में कुपोषण दुनिया में मौत और बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है।" "डब्ल्यूएचओ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में अपनी यात्रा के हिस्से के रूप में आवश्यक पोषण सेवाओं तक पहुंच का उत्तरोत्तर विस्तार करने के लिए और सभी लोगों के लिए स्वस्थ आहार का समर्थन करने के लिए स्थायी खाद्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए सभी देशों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पिछले एक दशक में कुपोषण के सभी रूपों में वृद्धिशील सुधारों के बावजूद, यह प्रगति असमानता, जलवायु संकट, संघर्ष और वैश्विक स्वास्थ्य असुरक्षा की बढ़ती दरों के साथ पीछे हट गई है। कुपोषण के कई बोझ, जैसे स्टंटिंग, वेस्टिंग, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, मोटापा और आहार संबंधी गैर-संचारी रोग, एक ही समुदाय, घर और यहां तक कि एक ही व्यक्ति के भीतर तेजी से सह-अस्तित्व में हैं। वर्तमान रुझानों के अनुसार 2025 तक दो में से एक व्यक्ति कुपोषित हो जाएगा और अगले दशक में अनुमानित 40 मिलियन बच्चे मोटापे या अधिक वजन से पीड़ित होंगे।
 
हाशिए के समुदायों में, बाल कुपोषण और खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है। पिछले साल, 149 मिलियन बच्चों ने खराब आहार, स्वच्छ पानी और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी और अन्य पहुंच संबंधी मुद्दों के कारण विकास को रोक दिया था। मरने वाले 5 वर्ष से कम उम्र के पैंतालीस प्रतिशत बच्चों में मृत्यु का मूल कारण अल्पपोषण था।  

जबकि प्रगति के सकारात्मक संकेत हैं, जैसे कि दुनिया 2025 तक विशेष रूप से स्तनपान बढ़ाने के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ट्रैक पर है, COVID-19 महामारी ने पोषण संकट को हवा दी। इसने विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को प्रभावित किया है, और स्वास्थ्य, भोजन, सामाजिक सुरक्षा और मानवीय सहायता बुनियादी ढांचे सहित पोषण के लिए वैश्विक प्रणालियों से अभूतपूर्व चुनौतियों और संसाधनों का विचलन लाया है। 
 
डब्ल्यूएचओ के पोषण और खाद्य सुरक्षा विभाग के निदेशक डॉ फ्रांसेस्को ब्रांका ने कहा, "आज, वैश्विक विकास सहायता का 1% से भी कम पोषण पर केंद्रित है।" "अस्वस्थ आहार और कुपोषण को समाप्त करने के लिए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है, और डब्ल्यूएचओ की न्यूट्रीशन फॉर ग्रोथ समिट के लिए नई प्रतिबद्धताएं इसे दर्शाती हैं। पोषण पर कार्रवाई के 2016-2025 दशक के दौरान विकास के लिए पोषण शिखर सम्मेलन कार्रवाई में तेजी लाने का एक जबरदस्त अवसर है।  
 
डब्ल्यूएचओ तीन महत्वपूर्ण पोषण के लिए विकास फोकस क्षेत्रों (स्वास्थ्य, भोजन और लचीलापन) के भीतर काम करना जारी रखता है, उनके उपयोग में नियामक मार्गदर्शन और सहायक देशों को मजबूत करके; पोषण डेटा की निगरानी और पहुंच सुनिश्चित करके; राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज योजनाओं, बहुक्षेत्रीय प्रणालियों और राजकोषीय नीतियों में पोषण और खाद्य प्रणालियों के हस्तक्षेप को एकीकृत करने के लिए सरकारों और निर्णय निर्माताओं को सहायता प्रदान करके; और आपात स्थितियों में चल रहे कार्य द्वारा।  
World-Rabies-Day-भारत-में-वर्ष -2030-तक-रेबीज-के-खात्मे-की-राष्टीय-कार्य-योजना-शुरू

एएबी समाचार
  विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मंडाविया और केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने वर्ष 2030 तक कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज के खात्मे की राष्ट्रीय कार्ययोजना (एनएपीआरई) का अनावरण किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी राज्य मंत्री श्री संजीव कुमार बाल्यान भी उपस्थित रहे।
 

 

मंत्रियों ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से रेबीज को एक ध्यान देने योग्य बीमारी बनाने का अनुरोध किया। श्री मनसुख मंडाविया और श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने वन हैल्थ दृष्टिकोण के माध्यम से 2030 तक कुत्तों से होने वाली रेबीज के उन्मूलन के लिए एक संयुक्त अंतर-मंत्रालयी घोषणा समर्थन वक्तव्य भी लॉन्च किया।

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कार्यक्रम के सामयिक महत्व पर बोलते हुए, श्री मनसुख मंडाविया ने कहा, मनुष्य एक अकेला रहने वाला प्राणी नहीं है और पशुओं से बीमारियां ग्रहण करता है, जो उसके परिवेश में भी बसे हुए हैं। मानवीय सीमा के बाहर, जानवर लड़ते हैं और एक दूसरे के बीच वायरल संचरण को सक्षम बनाते हैं। 

मानव-पशु संपर्क और पर्यावरण के साथ उनके व्यापक संपर्क को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण से इन चुनौतियों से पार पाने में सहायता मिल सकती है। 

 

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 उन्होंने यह भी माना कि वर्षा, गर्मी जैसे पर्यावरणीय कारक भी रोगाणुओं और बीमारियों को बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र में अधिक शोध और अधिक जागरूकता की जरूरत महसूस होती है।

हर किसी को कोरोना वायरस से पैदा महामारी की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, पहले लोग 20-25 किलोमीटर की परिधि से बाहर नहीं निकलते थे, यह स्थिति आधुनिक जीवन के साथ काफी बदल गई है। 

 

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अब एक व्यक्ति को रातोंरात अंतर महाद्वीपीय यात्रा करना संभव हुआ है, जिससे वह विभिन्न देशों में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के साथ संपर्क में सक्षम हो गया है। इसके परिणामस्वरूप त्वरित और अनियंत्रण संचरण संभव हुआ है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बीमारी से मानवीय लागत के रूप में पड़ने वाले असर पर भी बात की। एक जानवर के इलाज के दौरान एक प्राणीजन्य बीमारी के संपर्क में आने के अपने अऩुभव को साझा किया। 

उन्होंने माना कि बीमारी से पीड़ित होने वाले अधिकांश वे लोग हैं, जो अपने जीवन के सबसे उत्पादक वर्षों में हैं। उन्होंने कहा, रेबीज जैसी जानवरों से होने वाली बीमारियां परिवारों के कमाऊ सदस्य होने की परवाह किए बिना लोगों की जिंदगियां लील लेती हैं।

 

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श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने ग्रामीणों को ग्रामीण जीवन में रेबीज के खतरे के प्रति आगाह किया, जिसे वे अंग्रेजी से इतर हडकवा नाम से जानते हैं। उन्होंने कहा, ग्रामीण इलाकों में हडकवा का नाम लेने से ही आतंक मच जाता है। 

ग्रामीण सक्रिय रूप से सामने आएंगे, जब उन्हें मालूम चलेगा कि रेबीज का नाम ही हडकवा है। वे इस नेक प्रयास में सरकार की सहायता के लिए सक्रिय होंगे। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इस योजना के अंतर्गत होने वाली गतिविधियों को लोकप्रिय बनाने में ज्यादा परिचित शब्द हडकवा के उपयोग के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।

 

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केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने भी रेबीज के मामले में वैक्सीन और दवा के बीच के अंतर के प्रति लोगों को जागरूक बनाने में व्यापक आईईसी कराने का सुझाव दिया; कई लोग भ्रमित हो गए हैं और दवा के साथ एक एहतियाती कदम वैक्सीन को उपचारात्मक समाधान समझने की गलती करते हैं।

  भले ही रेबीज से होने वाली हर मौत को वैक्सीन से रोका जा सकता है, लेकिन एक बार मनुष्य में यह बीमारी होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।

वन हैल्थ दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने के प्रति सहमति जाहिर करते हुए, उन्होंने अंतर मंत्रालयी निकायों और अन्य हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय के लिए एक मुख्य संस्था की स्थापना का भी सुझाव दिया।

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इतने कम समय में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के साथ परामर्श में एक कार्ययोजना तैयार करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को बधाई देते हुए, डॉ. पवार ने कहा, रेबीज 100 प्रतिशत जानलेवा है, लेकिन वैक्सीन से 100 प्रतिशत बचाव संभव है। दुनिया में रेबीज से होने वाली मौतों में से 33 प्रतिशत भारत में होती हैं। 

 उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निपाह, जाइका, एविएन फ्लू जैसी प्राणीजन्य बीमारियों से पार पाने और इनफ्लुएंजा, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों की निगरानी के व्यापक अनुभव के साथ एनसीडीसी सरकार के समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को प्रोत्साहन देने में एक अहम भूमिका निभाएगा।

श्री बालयान ने वन हैल्थ के दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी वर्तमान बीमारियों में दो तिहाई के मूल में जानवरों के होने के साथ इस दौर की स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए नई रणनीतियां बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने माना, रेबीज ऐसी बीमारी है, जिसे नियंत्रित करने का काम किसी एक विभाग को दिया जाना संभव नहीं है। यह बीमारी मनुष्य और जानवरों को समान रूप से प्रभावित करती है।

 

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कार्यक्रम के दौरान पशुपालन और डेयरी सचिव श्री अतुल चतुर्वेदी, निदेशक, सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रो. (डॉ.) सुनील कुमार, पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक, भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ओफरिन, जेएस (एचएफडब्ल्यू) श्री लव अग्रवाल के अलावा एनसीडीसी व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।