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Achievement- NTPC  ने पिछले वर्ष की   तुलना में 11.6 प्रतिशत अधिक बिजली  बनाई

  1. एनटीपीसी ने अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान स्‍टैंड एलोन (एकल) आधार पर 254.6 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16.1 प्रतिशत अधिक है।
  2. एनटीपीसी ने 14.6 एमएमटी उत्पादन करके कैप्टिव कोयला उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की।
  3. एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता 70824 मेगावाट है
  4. कंपनी ने तीन गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता को पार किया।

All About Business(AAB) NEWS भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान 295.4 बिलियन यूनिट विद्यु उत्पादन किया। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.6 प्रतिशत अधिक है। एकल (स्टैंडअलोन) आधार पर एनटीपीसी ने अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान 254.6 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16.1 प्रतिशत अधिक है।

कोयला संयंत्रों ने वित्‍त वर्ष 2023 में 9 महीने की अवधि के लिए 73.7 प्रतिशत का पीएलएफ दर्ज किया, जबकि यह वित्‍त वर्ष 2022 में समान अवधि के लिए 68.5 प्रतिशत था। एनटीपीसी का शानदार प्रदर्शन एनटीपीसी इंजीनियरों, संचालन और रखरखाव व्‍यवहारों तथा एनटीपीसी प्रणालियों की विशेषज्ञता का प्रमाण है।

इसके अतिरिक्‍त, एनटीपीसी ने 14.6 एमएमटी उत्पादन प्राप्त करके कैप्टिव कोयला उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 51 प्रतिशत अधिक है।

एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता 70824 मेगावाट है। हाल ही में कंपनी ने तीन गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता को पार किया है।

Active-FASTag-Is-Must-To-Avail-offers-and-Discounts

एएबी समाचार।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाल ही में राजपत्र में जारी की गयी अधिसूचना  के मुताबिक ‘फास्टैग’ ( FASTag) का उपयोग करने वालों को ही  टोल शुल्क प्लाजा (Toll Plaza)  पर वापसी यात्रा डिस्‍काउंट या कोई भी अन्य छूट प्राप्‍त सकेंगीं ।  जो भी उपयोगकर्ता  24 घंटे के भीतर वापसी यात्रा करने के लिए डिस्‍काउंट अथवा किसी अन्य स्थानीय छूट का दावा करना चाहते हैं उसके लिए वाहन पर एक वैध कार्यात्मक (active) ‘फास्टैग’ लगाना आवश्यक होगा ।
 

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राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 में संशोधन करने के लिए  राजपत्र अधिसूचना संख्या 534 ई, में अधिसूचित किया गया है कि  राष्ट्रीय राजमार्गों के शुल्क प्लाजा पर डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक अहम कदम है । इस तरह की छूट (डिस्‍काउंट) प्राप्‍त करने के लिए देय शुल्क का भुगतान केवल प्री-पेड तरीकों , स्मार्ट कार्ड या ‘फास्टैग’ अथवा ऑनबोर्ड यूनिट (ट्रांसपोंडर) या इसी तरह के किसी अन्य उपकरण के जरिए किया जाएगा।  
 

अधिसूचना में नियमों में संशोधनों के बारे में उल्लेख किया गया है कि -
i. 24 घंटे के भीतर वापसी या रिटर्न यात्रा पर डिस्‍काउंट प्राप्‍त करने के लिए, यह ‘फास्टैग’ या इसी तरह के अन्य उपकरण के माध्‍यम से संभव होगा और स्वत: होगा तथा किसी पास की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
ii. अन्य सभी मामलों में छूट या डिस्‍काउंट प्राप्‍त करने के लिए,  एक वैध ‘फास्टैग’ होना अब अनिवार्य कर दिया गया है।


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नवीनतम संशोधन से यह भी संभव होगा कि जिन मामलों में 24 घंटे के भीतर वापसी या रिटर्न यात्रा के लिए डिस्‍काउंट उपलब्ध है, उनमें पूर्व रसीद या सूचना की कोई आवश्यकता नहीं होगी और संबंधित नागरिक को छूट अपने-आप मिल जाएगी, बशर्ते कि वापसी यात्रा 24 घंटे के भीतर निश्चित रूप से हो जाए एवं संबंधित वाहन पर एक वैध व कार्यात्मक ‘फास्टैग’ अवश्‍य लगा हो।

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Govt-wants-to-reduce-road-building-cost-by-25-percent
  एएबी समाचार। केंद्र सरकार नई प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल कर सड़क निर्माण की लागत में 25 फीसदी तक की कमी लाना चाहती है । सरकार देश भर में सड़क निर्माण में आधुनिक और हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने पर जोर दे रही है । सरकार उम्मीद जाता रही है कि वह मार्च 2022 तक राजमार्गों पर शत प्रतिशत वृक्षारोपण के लक्ष्‍य को हासिल कर लेगी ।

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 केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम (MSME) मंत्री नितिन गडकरी ने पूरे देश में सड़क निर्माण में  नई हरित राजमार्ग नीति (वृक्षारोपण) की समीक्षा करने और सड़क निर्माण में नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग के बारे में वीडियो कांफ्रेंस के माध्‍यम से विचार-विमर्श करने के लिए  बैठक आयोजित की ।

 National Highway : भू-टैगिंग से होगी वृक्षारोपण की निगरानी

बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए उन्‍होंने कहा कि सड़क निर्माण की लागत 25 प्रतिशत तक कम करना हमारा मिशन होना चाहिए और इसके लिए हमें नई प्रौद्योगिकियों की जरूरत है। उन्‍होंने भू-टैगिंग और वेब आधारित जीआईएस सक्षम निगरानी उपकरणों के माध्‍यम से वृक्षारोपण की निगरानी करने के लिए एक मोबाइल ऐप ‘हरित पथ’ लॉन्‍च किया ।

Harit-path app: भारतीय राष्ट्रीयराजमार्ग प्राधिकरण द्वारा विकसित

इस मोबाइल ऐप का उद्घाटन करते हुए  गडकरी ने वृक्षारोपण की सतत निगरानी और पेड़ों के एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर प्रतिरोपण पर जोर दिया । साथ ही बताया कि यह ऐप  सभी वृक्षारोपण परियोजनाओं के तहत प्रत्‍येक वृक्ष के लिए सभी क्षेत्रीय इकाइयों में से प्रत्‍येक के स्‍थान, विकास, प्रजातियों के विवरण, रखरखाव गतिविधियों, लक्ष्‍यों और उपलब्धियों की निगरानी करने के लिए एनएचएआई द्वारा विकसित किया गया है।
 

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श्री गडकरी ने राज मार्गों के किनारे वृक्षारोपण के लिए विशेष व्‍यक्तियों/एजेंसियों से काम लेने का सुझाव दिया । उन्‍होंने इस कार्य में गैर-सरकारी संगठनों, स्‍वयं सहायता समूहों और बागवानी तथा वन विभाग को शामिल करने का सुझाव दिया । अधिकारीयों ने उन्‍हें आश्‍वासन दिया कि वे मार्च 2022 तक राजमार्गों पर शत प्रतिशत वृक्षारोपण के लक्ष्‍य को अर्जित करने में समर्थ होंगे।
 

NAHI MISSION: पेड़ों को काटने से बचाना

वृक्षारोपण के मुद्दे पर विचार-विमर्श करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि सभी पेड़ों को कटने से बचाना ही हमारा मिशन होना चाहिए और इस उद्देश्‍य के लिए नई प्रौद्योगिकियों से युक्‍त विशिष्‍ट एजेंसियों को इस काम पर रखा जाना चाहिए।
 

उन्‍होंने इन उद्देश्‍यों की मजबूती के लिए स्‍थानीय स्‍वदेशी सामग्रियों जैसे जूट, कॉयर के इस्‍तेमाल पर जोर दिया। उन्‍होंने यह भी कहा कि स्‍थानीय परिस्थितियों के अनुकूल ही वृक्षों की प्रजातियों का सही चुनाव बहुत महत्‍वपूर्ण है।
सड़क निर्माण में नई प्रौद्योगिकियों के बारे में विचार-विमर्श करते हुए उन्‍होंने कहा कि सड़क निर्माण की लागत 25 प्रतिशत कम करना हमारा मिशन होना चाहिए और इसके लिए हमें नई प्रौद्योगिकियों की जरूरत है ।
 

उन्‍होंने अंडमान निकोबार में सड़क निर्माण में ऐसी प्रौद्योगिकी के उपयोग की प्रशंसा  करते हुए कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों, सीमावर्ती क्षेत्रों और तटीय क्षेत्रों जैसे विशिष्‍ट क्षेत्रों के लिए अलग दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकियों की जरूरत   है । बाकी परियोजनाओं में इस उदाहरण को अपनाने के लिए एनएचआईडीसीएल को भी प्रेरित किया ।

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एएबी समाचार ।

NEP 2020 : शिक्षा के क्षेत्र में रूपांतरकारी सुधार के रास्ते खुलेंगें

नई शिक्षा नीति से स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रूपांतरकारी सुधार के रास्ते खुल गए हैं । यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी । इसकी सबसे बड़ी खासियत इसको सबके लिए आसान पहुंच, समानता , गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर बनाया गया है यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है ।

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NEP 2020 : मिलेगी सबके लिए एकसमान स्कूली शिक्षा

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर देती है । इसके तहत स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास औरर नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी ।

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NEP 2020 : स्कूल से दूर हुए २ करोड़ बच्चों को वापस मुख्यधारा लायेगी

इस नई शिक्षा नीति में छात्रों और उनके सीखने के स्तर पर नज़र रखने, औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा सहित बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने, परामर्शदाताओं या प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं को स्कूल के साथ जोड़ने, कक्षा 3, 5 और 8 के लिए एनआईओएस और राज्य ओपन स्कूलों के माध्यम से ओपन लर्निंग, कक्षा 10 और 12 के समकक्ष माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, वयस्क साक्षरता और जीवन-संवर्धन कार्यक्रम जैसे कुछ प्रस्तावित उपाय हैं। एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा।

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NEP 2020 : 3 साल की आंगनवाडी+ 12 साल की स्कूली शिक्षा

 इस नीति के तहत स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18  उम्र के बच्चों के लिए है । इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है । नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।

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NEP 2020 : छोटे बच्चों के लिए  एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित

एनसीईआरटी 8 ​​वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (NCPFECCE)  के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा । एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी। इसमें आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे जिसमें इसीसीई शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होंगे। इसीसीई की योजना और कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास, महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (एचएफडब्ल्यू),  और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।

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Online-food-license

एएबी समाचार /नई दिल्ली/ व्यापार संवाददाता /केंद्र सरकार ने देश में खाद्य व्यापार से जुड़े व्यवसायीयों के लिए काम करना आसान बनाने के लिए विभागीय कार्यप्रणाली में कुछ बुनियादी सुधार किये हैं । भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority Of India) खाद्य व्यापार संचालकों के लिए अनुज्ञप्ति (license ) हासिल करने  पंजीकरण करने के लिए एक ऑनलाइन मंच शुरू किया है ।

खाद्य नियामक ने कहा है कि यह नया प्लेटफॉर्म खाद्य सुरक्षा अनुपालन प्रणाली (FoSCoS) इस तरह तैयार किया गया है कि किसी भी खाद्य व्यवसाय संचालक (Food Business Operator)   के लिये विभाग के साथ किये जाने वाले सभी कार्यों के लिये यही एकमात्र प्लेटफॉर्म होगा. इस प्लेटफॉर्म को इसके मोबाइल ऐप के साथ एकीकृत किया गया है और इसे अन्य आईटी प्लेफॉर्म के साथ जोड़ा जायेगा.

 
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FSSAI ने कहा, शुरुआत में खाद्य सुरक्षा अनुपालन प्रणाली FoSCoS लाइसेंसिंग, पंजीकरण, निरीक्षण और वार्षिक रिटर्न मॉड्यूल की पेशकश करेगा. एक एकल नियामक मंच अखिल भारतीय एकीकृत प्रतिक्रिया प्रणाली को किसी भी खाद्य धोखाधड़ी को रोकने के लिए सक्षम करेगा.


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 खाद्य नियामक एफएसएसएआई (FSSAI) ने फूड बिजनेस ऑपरेटर (FBOs) को लाइसेंस जारी करने और उनके पंजीकरण के लिए एक नया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू किया है. वर्ष 2011 से, FSSAI के ऑनलाइन लाइसेंसिंग प्लेटफॉर्म FLRS (फूड लाइसेंसिंग एंड रजिस्ट्रेशन सिस्टम) ने अब तक 70 लाख लाइसेंस / पंजीकरण जारी किए हैं. इसमें से 35 लाख से अधिक लाइसेंसधारी / पंजीकृत लोग इस पर सक्रिय रूप से लेनदेन कर रहे हैं.

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नियामक ने एक बयान में कहा, एफएसएसएआई अपने क्लाउड आधारित, उन्नत नये खाद्य सुरक्षा अनुपालन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को शुरु कर रहा है, जिसे खाद्य सुरक्षा अनुपालन प्रणाली (FoSCoS) कहा जाता है.



 Liquor-Shops-Open-In-Madhaya-Pradesh
एएबी समाचार । प्रदेश के मदिरा प्रेमियों की लिए अच्छी खबर है । केंद्र  व प्रदेश की सरकारों ने उनके कंठ को तर करने की रास्ते खोले दिए हैं । प्रदेश सरकारों ने केंद्र सरकार द्वारा लाल ,हरे और नारंगी रगों की वर्गीकरण में बंटे जिलों की हिसाब से मदिरा व भांग की दुकाने खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है । राज्य शासन ने प्रदेश में नोवल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मदिरा एवं भांग दुकानों के संचालन की जोनवार वर्गीकृत जिलों में नई व्यवस्था 5 मई से लागू की है।
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प्रदेश में मदिरा एवं भांग दुकाने भारत सरकार द्वारा जारी की गई गाइड लाइन के अनुसार खोले जाने के लिए आबकारी आयुक्त द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टर को परिपत्र जारी किया गया है।
नई व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश में रेड जोन में आने वाले भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन जिलों में मदिरा एवं भांग की समस्त दुकानें आगामी आदेश तक बंद रहेंगी। रेड जोन के अन्य जिलों जबलपुर, धार, बड़वानी, पूर्वी निमाड़(खण्डवा), देवास एवं ग्वालियर जिलों के मुख्यालय की शहरी क्षेत्रों की दुकानों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की मदिरा एवं भांग की दुकानें संचालित की जाएंगी। 
ऑरेंज जोन के अंतर्गत आने वाले खरगौन, रायसेन, होशंगाबाद, रतलाम, आगर-मालवा, मंदसौर, सागर, शाजापुर, छिन्दवाड़ा, अलीराजपुर, टीकमगढ़, शहडोल, श्योपुर, डिण्डौरी, बुरहानपुर, हरदा, बैतूल, विदिशा, मुरैना एवं रीवा के कंटेनमेंट एरिया को छोड़कर शेष मदिरा एवं भांग दुकानें संचालित की जाएंगी। ग्रीन जोन के अंतर्गत आने वाले जिलों की सभी मदिरा एवं भांग दुकानों का संचालन प्रारंभ किया जाएगा।
सभी लायसेंसियों को निर्देशित किया गया है कि वे दुकानों पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार तथा वाणिज्यिक कर विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी एसओपी और दो गज की दूरी का पालन भी सुनिश्चित करें।
आबकारी आयुक्त द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि दुकानों का संचालन सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही किया जा सकेगा। मदिरा दुकानों से सभी तरह की शासकीय औपचारिकताएँ पूर्ण कराई जाएंगी तथा दुकानों के संचालन के लिए लायसेंसधारी और उनके कर्मचारियों को ही पास जारी किए जाएंगे। मदिरा भंडार गृहों को भी अनुमति जारी करने के संबंध में कलेक्टर्स को निर्देश दिए गए हैं।
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एएबी समाचार । मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलाने के उद्देश्य से मंडी अधिनियम में कई संशोधन किये हैं। इनके लागू होने से अब किसान घर बैठे ही अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे। उन्हें मंडी जाने की बाध्यता नहीं होगी। इसके साथ ही, उनके पास मंडी में जाकर फसल बेचने तथा समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने का विकल्प भी जारी रहेगा।प्रदेश सरकार का मकसद किसानों के हित में अधिक प्रतिस्पर्धी व्यवस्था बनाना है ।
किसान घर से ही बेच सकेंगे अपनी उपज, फल, सब्जी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब व्यापारी लाइसेंस लेकर किसानों के घर पर जाकर अथवा खेत पर उनकी फसल खरीद सकेंगे। पूरे प्रदेश के लिए एक लाइसेंस रहेगा। व्यापारी कहीं भी फसल खरीद सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में  ई-ट्रेडिंग व्यवस्था भी लागू की है, जिसमें पूरे देश की मंडियों के दाम किसानों को उपलब्ध रहेंगे। वे देश की किसी भी मंडी में, जहाँ उनकी फसलों का अधिक दाम मिले, सौदा कर सकेंगे। 
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प्रदेश में सौदा पत्रक व्यवस्था लागू किये जाने की अहमियत पर उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से व्यापारी किसानों से उनकी फसल घर से ही खरीद रहे हैं। मंडियों की खरीद की लगभग 80% खरीदी सौदा पत्रकों के माध्यम से हुई है तथा किसानों को इससे उनकी उपज का अच्छा मूल्य भी प्राप्त हुआ है। इस प्रयोग के परिणाम सकारात्मक होने के कारण हमने मंडी अधिनियम में संशोधन किये हैं।
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09 प्रावधानों में से 02 पहले से लागू, 7 को अपनाया गया
मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार द्वारा एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइव-स्टोक मैनेजमेंट एक्ट 2017 (IPLM) मॉडल मंडी अधिनियम राज्यों को भेजकर उसे अपनाने अथवा प्रचलित अधिनियम में संशोधन का विकल्प दिया गया था। अधिनियम को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से गठित मुख्यमंत्रियों की उच्च-स्तरीय समिति ने अपनी प्रारूप रपट  में कहा था कि यदि राज्य अपने मौजूदा मंडी अधिनियम में संशोधन करना चाहते हैं, तो उन्हें उसमें IPLM के प्रावधानों में से कम से कम 7 को शामिल कर संशोधन करना होगा। मध्यप्रदेश में IPLM के प्रावधानों में से दो प्रावधान पहले से ही लागू हैं। इसलिये अन्य 07 प्रावधानों को मंडी अधिनियम में संशोधन के माध्यम से अब प्रदेश में लागू किया गया है।

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यह हैं पूर्व के 2 प्रावधान
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में IPLM के पहले से लागू दो प्रावधान हैं। पहला प्रावधान यह है कि संपूर्ण राज्य में कृषि उपज पहली बार खरीदने के समय ही मंडी शुल्क लिया जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में पश्चातवर्ती क्रय-विक्रय में मंडी शुल्क नहीं लिया जाएगा।  दूसरा प्रावधान यह है कि फलों और सब्जियों के विपणन का विनियमन  अर्थात फल और सब्जियों को मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।
शेष सात प्रावधानों पर कानून में संशोधन किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि अब सात नए प्रावधानों को मंडी अधिनियम में शामिल किया गया है। ये हैं:
  •  निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना के लिये प्रावधान।
  • गोदामों, साइलो शीतघरों  आदि को भी निजी  मंडी घोषित किया जा सकेगा।
  • किसानों से मंडी के बाहर ग्राम स्तर से खाद्य प्रसंस्करण, निर्यातक, थोक  विक्रेता और अंतिम उपयोगकर्ता को सीधे उपज खरीदने का प्रावधान।
  • मंडी समितियों का निजी मंडियों के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
  • प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड से नियामक  शक्तियों को पृथक कर संचालक विपणन को दिए जाने का प्रावधान। 
  • पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापारियों को व्यापार करने का प्रावधान। 
  • प्रशिक्षण के लिए प्रावधान।