• White Revolution now in Bundelkhand : बुंदेलखंड में पांव पसार रही है श्वेत क्रांति

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    By- Madhur Tiwari @ सागर। एएबी समाचार। जिस  बुंदेलखंड को लोग सदियों से पिछड़ेपन और रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करते मजदूरों के क्षेत्र के तौर पर जानते आये हैं उस क्षेत्र में भी अब आवोहवा बदलने लगी है। लोगों के जुझारूपन और एक अच्छे नेतृत्व के चलते बुंदेलखंड अंचल में भी एक क्रांति धीरे -धीरे अंगड़ाई ले रही है। उम्मीद है कि अगर सब कुछ ठीक चलता रहा तो कोई आश्चर्य नहीं कि देश  में पहले-पहल  "ऑपरेशन फ्लड" के साथ शुरू हुई श्वेत क्रांति के जन्मस्थान के रूप में जाने जाने वाले  गुजरात के बाद श्वेत क्रांति की अलख जगाने का श्रेय बुंदेलखंड के साथ हिस्से में आ जाये ।


    पथरीली जमीन और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र आज दूध उत्पादन को लेकर सागर में अपनी पहचान बना चुका है। करीब 7 साल पहले एक छोटे से स्तर पर चार से छह ग्रामीणों ने दूध कलेक्शन की शुरुआत की थी जो आज एक वृहद रूप धारण कर चुका है। बदलाव की इस इबारत को  लिखने का श्रेय अगर किसी को जा रहा है तो वह है  केसली  की देवश्री कृषक उत्पादक कंपनी ।


    शुरुआत में तो एक छोटा सा स्व सहायता समूह था, लेकिन धीरे-धीरे किसानों की मेहनत के कारण आज एक कंपनी के रूप में विकसित हो गई है। हर रोज आस-पास के गांव से 4 से 5 हजार लीटर दूध का संग्रहण  कर यह संस्था स्थानीय स्तर के अलावा जबलपुर और महाराष्ट्र के जलगांव तक दूध की सप्लाई कर रही है।

    Aajivika Mission Providing Technical Support : आजीविका मिशन से कंपनी को वित्तीय सहयोग


    इस कंपनी को खड़ा करने में ग्रामीणों की मेहनत और लगन तो है ही, लेकिन इसमें आजीविका मिशन का विशेष योगदान रहा है। आजीविका मिशन की मदद से शुरुआत में छोटा ऋण मिला और इसके बाद आज इस संस्था ने केसली के अलावा शाहगढ़ व गढ़ाकोटा में भी 3-3 हजार लीटर क्षमता के बीमएमसीसी  (Bulk Milking & Chilling Center) स्थापित कर दिए हैं। देवश्री  ब्रांड के रूप में कम्पनी ने अपने दुग्ध उत्पादों को बाज़ार में उतारना शुरू कर दिया है ।

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    Milk Collection Center - 78 गांव में बनाए संग्रहण केंद्र


    व्यापार बढ़ने के बाद आज की स्थिति में देवश्री संस्था केसली क्षेत्र के 78 गांव में दुग्ध संग्रहण केंद्र (Collection Center) बना चुकी है। जिनसे क्षेत्र के 17 सौ से 18 सौ किसान परिवार जुड़े हुए हैं। इन किसानों को अपनी खेती-बाड़ी के अलावा दूध से भी अच्छी खासी इनकम हो जाती है जो इनके परिवार के संचालन में एक बड़ी मददगार साबित हुई है।

    Workers AreThe ownerThemselves- खुद ही मालिक खुद ही मजदूर


    आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक हरीश दुबे  व सहयोगी अनूप तिवारी  के अनुसार ग्रामीणों ने भले ही एक छोटे से स्तर से शुरुआत कर आज एक कंपनी खड़ी की  है, लेकिन आज भी वह खुद ही पूरा काम करते हैं। हजारों लीटर दूध एकत्रीकरण करने वाली संस्था के मालिक भी वही हैं और मजदूर भी वही। वह अलग से मजदूर लगाकर काम नहीं कराते हैं।

    इस संस्था से जुड़े लोगों के की कड़ी  मेहनत का ही नतीजा है की कम्पनी  बे-मौसम में भी हर रोज 4 से 5 हजार लीटर दूध कर रहे एकत्रित कर रही है ।इस दुग्ध उत्पादक संघ से अब तक  17 सौ से 18 सौ दूध उत्पादकजुड़ चुके हैं ।


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