फ़रवरी 2020
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एएबी समाचार 'नमस्ते ओरछा'' महोत्सव 6 मार्च को ओरछा (जिला निवाड़ी) में भगवान श्रीराम के अयोध्या से ओरछा आगमन की कथा से शुरू होगा। इस ऐतिहासिक गाथा को थ्री-डी मैपिंग से जहाँगीर महल की दीवारों पर दिखाया जाएगा। इसके साथ ही शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियों के बीच यहाँ विदेशी संगीतज्ञों के साथ बुंदेली गायक सुर-ताल मिलाते दिखाई देंगे। पहले दिन के कार्यक्रम का समापन बुंदेली व्यंजनों के जायके से किया जायेगा। पूरी ओरछा नगरी को रामराजा मंदिर के रंग में रंगने की कवायद शुरू की गई है।

महोत्सव का खाका  तैयार

तीन दिवसीय ओरछा महोत्सव का खाका  तैयार कर लिया गया है। देश-विदेश से आने वाले प्रतिनिधियों  को तीन दिन में यहाँ की संस्कृति, संगीत, पर्यावरण, भोजन आदि हर चीज से रू-ब-रू कराने की कोशिश की जा रही है। देश-विदेश से आने वाले हर क्षेत्र के प्रतिनिधियों  को ओरछा में निवेश  करने के लिए आमंत्रित किया जा सके, इस बात को ध्यान में रखकर पूरा कार्यक्रम तैयार किया गया है।
महोत्सव की उद्घाटन समारोह  में संध्या समूह   का नृत्य , क्लिंटन का संगीत प्रदर्शन , बुंदेली कलाकारों तिपन्या के साथ संतूर-वादन का कार्यक्रम होगा। दूसरे दिन 7 मार्च की शाम कंचना घाट पर बेतवा नदी की महा-आरती होगी। यहाँ पर प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका शुभा मुद्गल का गायन होगा। इसके साथ ही शास्त्रीय नृत्यांगना  अदिति मंगलदास नृत्य  प्रस्तुति देंगी। इसके बाद कल्पवृक्ष के पास आयोजित संगीत कार्यक्रम में इण्डियन ओशन ग्रुप, मृग्या, स्वनन किरकिरे के गायन के साथ ही फ्रेंच गायक मनु चाव एवं बुंदेली कलाकार  कालू राम की जुगलबंदी का आनंद लोग उठायेंगे।

आसमान से निहारेंगे ओरछा की सुंदरता

कार्यक्रम में आने वाले देशी-विदेशी मेहमानों को यहाँ के प्राकृतिक वातावरण से रू-ब-रू कराने के लिये प्राकृतिक पदयात्रा , योग, हेरिटेज साइकिलिंग एवं फोटोग्राफी जैसे कार्यक्रम रखे गये हैं। दूसरे दिन सुबह से सभी प्रतिनिधियों  को वन परिक्षेत्र एवं बेतवा नदी के बीच ले जाकर ये कार्यक्रम कराये जायेंगे। इसके साथ ही, ओरछा की ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक सुंदरता का आसमानी मंजर दिखाने के लिये गर्म हवा से उडनेवाले गुब्बारे  से पर्यटकों को भ्रमण कराया जायेगा।

ओरछा में ई-रिक्शा

'नमस्ते ओरछा'' महोत्सव में आने वाले प्रतिनिधियों  को हर जगह ले जाने के लिये प्रशासन द्वारा ई-रिक्शा की व्यवस्था की गई है। यहाँ का वातावरण किसी प्रकार से प्रदूषित न हो, इसके लिये डीजल-पेट्रोल वाहनों का कम उपयोग किया जायेगा। इसके लिये प्रशासन द्वारा बड़े पैमाने पर ई-रिक्शा की व्यवस्था की जा रही है।

माँ बेतवा की महा-आरती

महोत्सव में राज्य सरकार बेतवा के महत्व को सभी लोगों के बीच ले जाने का प्रयास करेगी। महोत्सव में 7 मार्च की शाम को सभी प्रतिनिधियों  कंचना घाट पर बेतवा की महा-आरती में शामिल होंगे। यहीं पर शुभा मुद्गल का गायन होगा। इसके बाद लगभग 500 वर्ष पुराने कल्पवृक्ष को भी दिखाया जायेगा तथा कल्पवृक्ष के पास संगीत कार्यक्रम  होगा।

खुलेंगे विकास के द्वार

ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक संसाधनों से लबरेज ओरछा को महोत्सव के लिये तैयार किये जा रहे संसाधनों का समुचित लाभ मिले, इसके लिये सरकार फिल्म, विवाह ,पर्यटन  सहित अन्य ऐसे ही उद्योगों से जुड़े प्रतिनिधियों  को भी आमंत्रित कर रही है। इसके साथ, तमाम अधिकारियों की 7 मार्च की दोपहर में सभा होगी। इसमें इन्हें ओरछा में आकर निवेश करने के लिये प्रेरित किया जायेगा। आठ मार्च की शाम बुंदेली भोजन के हाट के साथ 'नमस्ते ओरछा'' महोत्सव का समापन होगा।

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एएबी समाचार । ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह के निर्देशानुसार प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा रबी के मौसम के दौरान कृषकों को 10 घंटे बिजली देने के लिए प्रभारी मंत्री से अनुमोदन के बाद समय सारणी का निर्धारण कर दिया गया है। कटनी, जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सागर, सिवनी, छतरपुर, टीकमगढ़, रीवा, सीधी, सतना, शहडोल जिलों  में 4+6 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। इसी तरह बाकी शेष जिले  समय सारणी को पाक्षिक स्तर पर आपस में बदल दिया जाता है।
मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत होशंगाबाद, ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, दतिया, गुना, अशोक नगर एवं श्योपुर जिलों में कृषि कार्य के लिये लगातार 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। सीहोर, राजगढ़, बैतूल, रायसेन, विदिशा, भोपाल एवं हरदा में जिला योजना समिति के अनुमोदन से 4+6 घंटे की समय सारणी लागू कर दी गई है।
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत गैर कृषि फीडर पर 24 घंटे तथा 11 केव्ही कृषि फीडरों को दो भागों में क्रमश: ग्रुप ए व ग्रुप बी में विभक्त कर 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। छिंदवाड़ा, दमोह,  जिले में लगातार 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है।
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत 11 जिलों में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद 4+6 घंटे की समय सारणी लागू कर दी गई है। खंडवा, बुरहानपुर, झाबुआ एवं रतलाम जिला योजना समिति की बैठक होना शेष होने के कारण पूर्ववत 4+6 समय सारणी लागू है।

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एएबी समाचार । नई दिल्ली. डिजिटल तकनीक व इन्टरनेट  के मौजूदा दौर में ग्राहकों की लिए बैंक से पैसों का लेनदेन इतना आसान हो गया है जिसकी दो तीन दशक पूर्व कल्पना करना भी मुनासिब  नजर नहीं आता था । ग्राहकों को सुविधाएँ देने के मामले में भारतीय स्टेट बैंक शुरू से ही बढ़त बनाये हुए है ।
  देश का सबसे बड़ा बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) अपने ग्राहकों की सहूलियत के लिए कई तरह की सेवाएं प्रदान करता है. इन्हीं सेवाओं में से एक यह भी है कि ग्राहक SBI क्विक ऐप (SBI Quick App) की मदद से शुल्क रहित  नंबर पर फ़ोन  कर अपने खाते  में कुल मौजूद राशि  के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. SBI बैंकिंग एंड मोबाइल सर्विसेज (Banking and Mobile Services) के तहत ग्राहक अपने खाते उपलब्ध धन राशि , लघु लेखपत्र  जैसी सुविधाओं का लाभ मिस्ड कॉल या SMS भेज कर प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करना होगा.
ऐसे में अगर आप भी अपने SBI खाते में मौजूद राशि संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको शुल्क रहित नंबर - 9223766666 पर घंटी बजानी पड़ती है . इसके कुछ पलों  के बाद ही आपको पूरी जानकारी SMS के जरिए भेज दी जाएगी. SBI ग्राहक अपने खाते में मौजूद राशि  संबंधित जानकारी - 09223866666 घंटी बजाकर  कर प्राप्त कर सकते हैं. ये दोनो नंबर मुफ्त उपलब्ध  है.

अकाउंट बैलेंस के लिए क्या करें?
अगर आपको अपने SBI अकाउंट का बैलेंस जानना है तो आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से ‘BAL’ टाइप कर 09223766666 पर SMS भेजना होगा.

ऐसे प्राप्त करें मिनी स्टेटमेंट
अगर आपको लघु खाता  विवरण  चाहिए तो इसके लिए आप ‘MSTMT’ टाइप कर 09223866666 पर SMS भेजना होगा. आप चाहें तो इस नंबर पर मिस्ड कॉल कर भी ये जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि मिनी स्टेटमेंट के जरिए आपको पिछले 5 ट्रांजैक्शन की ही जानकारी मिल सकेगी. 

चेकबुक के लिए भी कर सकते हैं आवेदन
अगर आपको SBI चेक बुक के लिए आवेदन करना है तो इसके लिए भी आप SBI बैंकिंग एंड मोबाइल सर्विसेज का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए आपको "CHQREQ" टाइप कर 09223588888 पर SMS भेजना होगा. यह मैसेज भेजने के बाद आपको एक SMS भेजा जाएगा जिसमें एक डिजिट नंबर दिया होगा. इसके दो घंटे के अंदर आप आपको CHQACCY6 के साथ भेजे गए नंबर को टाइप कर 09223588888 पर मैसेज करना होगा.

मिल जाएगा 6 महीने का बैंक लेखा -जोखा
SBI ग्राहक बचत खाते के पिछले 6 महीने के लेखे-जोखे की भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए आवेदन करने के बाद पिछले 6 महीने का बैंक लेखा-जोखा  ग्राहक के पंजीकृत email ID पर पीडीएफ फाइल के तौर पर भेज दिया जाएगा. इसके लिए आपको ‘ESTMT <space> <Account Number> <space> <code> टाइप कर 09223588888 पर SMS भेजना होगा. 4 अंकों का नंबर का कोड आपकी पसंद का कोई भी नंबर होगा, जिसकी मदद से स्टेटमेंट की पीडीएफ फाइल को इनक्रिप्ट किया जाएगा.

ये है सेवाओं के लिए पंजीयन  कराने की प्रक्रिया
SBI बैंकिंग एंव मोबाइल सर्विसेज के तहत कोई भी सेवा प्राप्त करने के लिए आपको सबसे पहले रजिस्टर कराना होगा. इस पंजीयन  का काम भी आप घर बैठे अपने मोबाइल फोन की मदद से कर सकते हैं. इसके लिए आपको सन्देश  बॉक्स में ‘REG Account Number’ टाइप कर 09223488888 पर क्लिक करना होगा. आपको एक बात का ध्यान रखन होगा कि उसी नंबर से यह मैसेज भेजें, जो आपके खाते  में पंजीकृत  हो.

इन विकल्पों के अलावा कोई भी SBI ग्राहक अपने खाता  संबंधी किसी भी जानकारी को नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, SBI ब्रांच, पासबुक और एटीएम के जरिए प्राप्त कर सकता है.
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एएबी समाचार । वाणिज्यिक कर मंत्री  ब्रजेन्द्र सिंह राठौर ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में उपभोक्ताओं को विदेशी मदिरा की बिक्री ऑनलाइन नहीं की जायेगी। नई आबकारी नीति में विदेशी मदिरा के भंडार गृह से  से दुकान तक परिवहन के अनुज्ञा  ऑनलाइन प्रदान किये जाने की व्यवस्था की गई है। विदेशी मदिरा के परिवहन अनुज्ञा  ऑनलाइन प्रदाय करने का उद्देश्य नकली विदेशी मदिरा की बिक्री और उसके अवैध परिवहन की रोकथाम करना है।
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एएबी समाचार । प्रदेश सरकार ने नए साल के लिए प्रस्तावित आबकारी नीति के जरिये प्रदेश के पर्यटन स्थलों को अंगूर से बनी शराब से गुलज़ार करने का रास्ता साफ़ कर दिया है । मात्र १० हजार रूपए  सालाना के नजराने पर पर्यटन स्थलों पर 'वाइन' के विक्रय केंद्र खोले जा सकेंगे । इसके अलावा अब विदेशी मदिरा का प्रदाय ऑनलाइन भी हो सकेगा ।
प्रदेश में वर्ष 2020-21 के लिये प्रस्तावित आबकारी व्यवस्था में राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से 2544 देशी मदिरा दुकानों और 1061 विदेशी मदिरा दुकानों का निष्पादन पूर्व वर्ष के वार्षिक मूल्य में 25 प्रतिशत की वृद्धि के साथ किया जाएगा। दुकानों का निष्पादन ई-टेंडर सह-नीलामी प्रक्रिया से होगा। प्रस्तावित व्यवस्था में देशी और विदेशी मदिरा की उप दुकानें नहीं खोली जायेंगी। प्रदेश में वर्ष 2020-21 में देशी और विदेशी मदिरा की उप-दुकानें (SUB SHOPS) नहीं खोली जाएंगी। 
प्रदेश के अंगूर उत्पादन किसानों की आय में वृद्धि करने और अंगूर की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंगूर से बनाई जा रही वाईन के प्रचार-प्रसार के लिये पर्यटन स्थलों पर 15 नये विक्रय केंद्र  खोले जाएंगे। इन विक्रय केन्द्रों  की फीस मात्र 10,000 रूपये वार्षिक होगी।
 प्रदेश के चार बड़े महानगर वाले जिले इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में दुकानों के 2-2 समूह बनाए जायेंगे। इन समूहों में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की देशी-विदेशी मदिरा की दुकानें शामिल होंगी। शेष 12 नगर निगम वाले जिलों में दुकानों का एक समूह बनाया जाकर निष्पादन की कार्यवाही ई-टेंडर सह-नीलामी प्रक्रिया से होगी। शेष 36 जिलों में वर्ष 2019-20 में प्रचलित मदिरा दुकानों के यथास्थित एकल समूहों के वार्षिक मूल्य में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर आरक्षित मूल्य निधारित किया जाएगा। इन दुकानों का निष्पादन वर्ष 2019-20 में प्रचलित व्यवस्था के अनुसार अर्थात नवीनीकरण/लॉटरी/ई-टेंडर (CLOSE BID AND AUCTION) के माध्यम से किया जाएगा।
विदेशी मदिरा के प्रदाय को ऑनलाइन किया जाएगा। मदिरा के व्यवसाय पर प्रभावी नियंत्रण रखने के उद्देश्य से प्रत्येक बोतल में बारकोड लगाये जाने के अतिरिक्त बोतल की निगरानी की व्यव्स्था का प्रयास किया जाएगा। वर्ष 2020-21 की आबकारी नीति में प्रक्रियात्मक सरलताएं भी सम्मिलित हैं।
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यह सही है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो ”ओरछा“ मप्र का दूसरा विश्वधरोहर स्थल बन जाएगा। अक्सर पिछड़ेपन के नाम पर बुंदेलखंड का जिक्र किया जाता रहा है लेकिन यह भी अजब बात है आर्थिक रूप से पिछड़ा बताए जाने के बावजूद भी है बुंदेलखंड  ऐतिहासिक धरोहर व सांस्कृतिक परंपराओं के लिहाज से संपन्न है और दुनिया भर के लोग इस धरोहर को देखने के लिए यहाँ  भागे चले आ रहे हैं । ऐसा लगता है के पर्यटन उद्योग ही बुंदेलखंड के लिए 'नाम और दाम' दिला सकता है ।  ऐतिहासिक व सांस्कृतिक सम्पन्नता ही  बुंदेलखंड के माथे से आर्थिक पिछड़ेपन का दाग मिटा पायेगी ।

 ऐसा मन जा रहा है कि इसी चलन में छुपी व्यापार की संभावनाओं को पकड़ कर प्रदेश सरकार ने ”नमस्ते ओरछा“ कार्यक्रम के आयोजन का मन बनाया है । बड़े पैमाने पर ओरछा शहर की शक्ल-सूरत बदलने की तैयारी चल रही है । स्थानीय लोग इस कार्यक्रम को लेकर काफी प्रसन्न नजर आ रहे हैं। 

पर्यटकों की आवागमन से रोजी-रोटी कमाने वाले व्यापारियों को लग रहा हैं कि सामान्यतः  गर्मी के मौसम मे पर्यटकों की आवक कम रहती है उसकी भरपाई यह आयोजन करेगा। सालों से भदरंग पड़ीं किले की दीवारों की साफ-सफाई के बाद रंगत बदलने की उम्मीद नजर आने लगी है । हालांकि वे  यह भी मान रहे हैं कि आयोजन की तारीख पास आने तक किले की सूरत पूरी तरह से निखर जाएगी इसकी संभावना कम ही लग रही है। 

ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के समर्थक यह आशा व्यक्त कर रहे हैं कि प्रदेश सरकार ऐतिहासिक स्थलों के कायाकल्प, उन्नयन व रखरखाव के तूफानी प्रयासों के बीच स्मारकों की मौलिकता को 'बाजारीकरण' की भेंट चढ़ने से बचाने के प्रति भी काफी सजगता बरत रही होगी । बदरंग व सालों से उपेक्षित पड़ीं किले की दीवारों को चमकाने के लिए आनन-फानन में मनमाने रंगों में रंगने की जगह ईमारतों की ऐतिहासिकता के लिहाज से मुफीद माने जाने वाले रंगों का ही प्रयोग करेगी।

 ऐतिहासिक ईमारतों से धन कमाने की मंशा के चलते उनमें ऐसे रेस्टोंरेंट आदि नहीं खोलने देंगें जिनकी साज सज्जा मे प्रयुक्त होने वाली सामग्री इमारतों  की ऐतिहासिकता के लिहाज से प्रसांगिक ही नजर ना आती हो । लेकिन मप्र सरकार धन्यवाद की पात्र है कि उसने ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर से संपन्न बुंदेलखंड अंचल की खूबियों को दुनिया की नजर मे लाने व पर्यटन को बढ़ावा देकर क्षेत्र मे आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए एक सकारात्मक पहल की है।
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एएबी समाचार । बुंदेलखंड ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्त्व के सम्पदा से भरपूर है  । खजुराहो की विश्व धरोहर स्थल घोषित होने के बाद अब ओरछा भी इसी राह पर चल रहा है । ओरछा  की सांस्कृतिक धरोहर, महल एवं भवनों की स्थापत्य शैली एवं बुन्देली कलम की दृष्टि से इसे यूनेस्को की संभावित सूची में नामित हो चुका है । उम्मीद है कि यह शीघ्र ही विश्व धरोहर स्मारक समूह में अंकित हो जायेगा। 

 ओरछा राम राजा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह शहर बेतवा नदी के किनारे पर बसा है। बेतवा नदी के दोनों किनारों के पुरातत्त्वीय सर्वेक्षण से पता चलता है कि यह क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से लगातार पुष्पित एवं पल्ल्वित होता रहा है। ओरछा का क्षेत्र बुन्देलखण्ड में आता है। पूर्व में किए गए सर्वेक्षण से क्षेत्र में कई ताम्राश्म काल के प्राचीन स्थल, तत्कालीन विद्वानों द्वारा खोजे गए। 

इस काल के बाद इस क्षेत्र में पूर्व ऐतिहासिक काल के ब्राह्मी लिपि के अभिलेख, मौर्य काल, शुंग कालीन, गुप्त, प्रतिहार, परमार, चन्देल राजाओं का क्रमबद्ध रूप से इतिहास हमें देखने को मिलता है। इन शासकों द्वारा बनाये गए मंदिर, मूर्तियाँ एवं आवासीय अवशेष ओरछा, गढ़कुण्डार और टीकमगढ़ आदि के आसपास के गाँवों में देखने को मिलते हैं। बुन्देलखण्ड में 9 वीं शताब्दी के बाद चन्देल शासकों का शासन था, जिनके अवशेष यहाँ के मंदिर, प्राचीन महत्व एवं बावड़ी आदि के रूप में हमें ओरछा के पास के मोहनगढ़ और गढ़कुण्डार किले के आस-पास देखने को मिलते हैं।

चन्द्रबरदाई, जो पृथ्वीराज रासो के दरबार में कवि थे, ने लिखा है कि 12वीं शताब्दी में ओरछा, चन्देल शासकों के पास था। परमर्दिदेव के बाद गढ़कुण्डार किले पर खंगार वंश के राजाओं का शासन हुआ और खूब सिंह खंगार ने अपने को स्वतंत्र शासक के रूप में घोषित किया। सोहनपाल बुन्देला ने अंतिम गढ़कुण्डार शासक हरमत सिंह को 1257 ई. में परास्त कर अपनी बुन्देला सत्ता स्थापित की। जिन शासक ने इस क्षेत्र में शासन किया उनमें सोहनपाल, सहजेन्द्र, पृथ्वीराज, राम सिंह, रामचन्द्र, मेदिनी पाल, अर्जन देव, मलखन सिंह, रूद्रप्रताप आदि महत्वपूर्ण थे।

रूद्रप्रताप ने बुन्देलों की राजधानी गढ़कुण्डार से ओरछा 1531 ई. में स्थानांतरित की। ओरछा के बुन्देला शासकों के पूर्व भी यहाँ बसाहट के अवशेष थे। बुन्देला शासकों ने मात्र उनका पुनर्निर्माण भी किया। इनमें चार दीवारी और प्रवेश द्वार मुख्य थे। बेतवा नदी के किनारे रूद्रप्रताप एवं भारती चन्द्र ने चार दीवारी के भीतर ओरछा किले का निर्माण कराया। ओरछा के बुन्देला शासकों में प्रमुख रूप से भारतीय चन्द्र, मधुकर शाह, राम शाह, वीर सिंह बुन्देला आदि उल्लेखनीय हैं। 
 
इनमें वीर सिंह बुन्देला द्वारा ओरछा में काफी निर्माण कार्य किया गया। इन्हीं के समय बुन्देली स्थापत्य तथा इण्डो-पर्सियन स्थापत्य कला का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। यहाँ के किले, गढ़िया, महल, मंदिर, बावड़ी इत्यादि एवं बुन्देली कलम की भित्ति चित्र, चित्रकला का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाद में बुन्देला शासकों ने अपनी राजधानी टीहरी यानी टीकमगढ़ बना ली। आस-पास के क्षेत्र, जिनमें टीकमगढ़, मोहनगढ़, लिघोरा, दिघौरा, आस्टोन, खरगापुर, बलदेवगढ़ आदि शामिल है, में विरासत भवनों का निर्माण किया।
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एएबी समाचार । मुख्यमंत्री कमल नाथ की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मध्यप्रदेश फिल्म पर्यटन नीति-2020 का अनुमोदन किया । नई नीति  के तहत मध्यप्रदेश को फिल्म निर्माताओं के लिए प्रमुख आकर्षण बनाना एवं निजी निवेश को प्रोत्साहित करना। राज्य में फिल्म शूटिंग के माध्यम से कौशल विकास और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी गयी है ।
 सिनेमाघर, मल्टीप्लेक्स  निर्माण को प्रोत्साहन
प्रदेश में एकल स्क्रीन सिनेमा, बंद सिनेमा घरों के पुनरूद्वार को बढ़ावा देना और मौजूदा सिनेमा हॉल को अपग्रेड करना तथा मल्टीप्लेक्स की स्थापना को प्रोत्साहित करना/वित्तीय अनुदान दिया जायेगा ।
वित्तीय प्रोत्साहन
  • फीचर फिल्म, टी.वी. सीरियल/ शो/वेब ‍सीरीज/शो/डाक्यूमेंट्री की शूटिंग के लिये वित्तीय अनुदान के माध्यम से मध्यप्रदेश में शूटिंग को प्रोत्साहन।
  • मध्यप्रदेश के स्थानों के प्रचार-प्रसार के लिये अधिक स्क्रीन टाईम के लिये विशेष अनुदान।
  • मध्यप्रदेश की विशेष ब्रांडिंग करने वाली फिल्मों के लिए विशेष वित्तीय प्रावधान।

  • अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं और दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माताओं के लिये विशेष वित्तीय प्रोत्साहन।
  • स्थायी प्रकृति के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर वित्तीय प्रोत्साहन/अनुदान/ भूमि आवंटन।
फिल्म उद्योग को प्रोत्साहन
फिल्म निर्माताओं के लिये समय सीमा में अनुमति की सुविधा और सहायता देना।
रियायती दरों पर एमपीएसटीडीसी की ईकाइयों में सेवाएँ उपलब्ध कराना।
फिल्म नीति क्रियान्वयन के लिये विशेष समर्पित फिल्म समारोह प्रकोष्ठ का निर्माण।
एकल खिड़की व्यवस्था के माध्यम से फिल्मांकन अनुमति के लिये संबंधित विभागों से आवश्यक समन्वय स्थापित करना।
फिल्म सिटी, फिल्म स्टूडियो, कौशल विकास केन्द्र आदि के लिये राज्य में फिल्म उद्योग को प्रोत्साहन।
फिल्म से संबंधित विभिन्न आयोजनों में सहभागिता की जाकर प्रदेश का प्रचार-प्रसार करना।
बुनियादी ढांचे यथा- आवास एवं परिवहन आदि का विकास।
फिल्म निर्माण परियोजनाओं के लिए के लिए विशेष सहयोग
राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले आधारभूत ढांचे और सेवाओं जैसे हवाई जहाज, हेलीकॉप्टरों, सम्पत्तियों आदि को फिल्म निर्माताओं को प्रक्रियानुसार उपलब्ध कराना
फिल्म सिटी, फिल्म स्टूडियो, पोस्ट-प्रोडक्शन सेन्टर, वीएफएक्स सेन्टर, स्किल डेव्लपमेंट सेन्टर , फिल्म इंस्टीटयूट एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीटयूट, इनक्यूबेशन सेन्टर और अन्य फिल्म संबंधी स्टार्टअप प्रोजेक्ट जैसे विभिन्न फिल्म निर्माण परियोजनाओं के लिए पर्यटन नीति अन्तर्गत भूमि आवंटन ।

फिल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीटयूट ऑफ इण्डिया (एफटीआईआई) पुणे, सत्यजीत रे फिल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीटयूट ऑफ कोलकाता, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली और अन्य समकक्ष प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना।

फिल्म से संबंधित पाठयक्रमों/विषयों पर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन।
मध्यप्रदेश का प्रचार-प्रसार
आवेदक को फिल्म नीति-2020 में अनुदान प्राप्त करने के लिए फिल्म में राज्य सरकार और पर्यटन विभाग को श्रेय देना होगा। साथ ही पर्यटन विभाग/राज्य शासन के 'लोगो' का उपयोग एवं फिल्म शूटिंग के स्थान का नाम आवश्यक रूप से उल्लेखित करना होगा, जिससे मध्यप्रदेश का प्रचार-प्रसार होगा।



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सागर मे मप्र की प्रदेश स्तरीय महात्वाकांक्षी ई-बस्ता योजना का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में बताया गया की  शुरूआती तौर पर , प्रशासन के मुताबिक जिले की राहतगढ़ तहसील के 34 पटवारियों को लैपटाप वितरित किए गए । लेकिन राजस्व मंत्री के मुताबिक 32 पटवारियों को लैप टाप दिए गए । कहने को तो मात्र दो अंकों का अंतर है सरकार के नुमांईदें व प्रशासनिक अधिकारी अलग-अलग आंकड़े एक ही मंच से पेश कर आखिर जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं ? 
इससे लगता है दोनों के बीच मे तालमेल का अभाव है। दोंनों के अंदर ही अलग- अलग तरह की ठकरास सी भरी है एक बार जो कह दिया सो कह दिया जिसने जो आंकड़ा बोल दिया तो उनके लिए वह ही सही है। प्रशासन कह रहा है कि इस पायलट योजना के सफल हो ने पर प्रदेश भर के कुल 20 हजार पटवारियों को लैप टाप दिए जाएंगें लेकिन राजस्व मंत्री के मुताबिक प्रदेश के कुल 19 हजार पटवारियों को लैपटाप दिए जाएंगें। आखिर यह गणित है क्या? प्रशासन व मंत्री के बीच के आंकड़ों के अंतर के चलते एक हजार पटवारियों का हेरफेर नजर आ रहा है । 
अगर प्रशासन अपने आंकड़ों के मुताबिक 20 हजार लेपटाप खरीदेगा और मंत्री जी अपने आंकड़े के मुताबिक 19 हजार पटवारियों को लैपटाप बांटेगें तो बाकी के एक हजार लैपटाप का क्या होगा? जब मंत्री के मुताबिक पटवारियों की संख्या 19 हजार है तो उनकी सरकार 19 हजार लैपटाप ही खरीदेगी। ऐसे में प्रशासन अपने एक हजार अतिरिक्त पटवारियों के लिए लैपटाप का इंतजाम कहां से करेगा? 
आंकड़ों की जुबानी तो यह लगता है कि प्रशासन व सरकार के नुमाईंदे तू डाल-डाल, मैं पांत-पांत की तर्ज पर चल रहे हैं । आंकड़ों की इस बाजीगिरी से जनता का भला होगा या बंटाधार तो आने वाला वक्त ही बताएगा। तब तक तो जनता अपन सर खुजलाती रही और अटकलें लगाती रहे कि क्या सटीक आंकड़ों के बिना जनकल्याण की सटीक योजनाएं बनाईं जा सकतीं हैं ?
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एएबी समाचार । शहर के निजी चिकित्सालय  सागरश्री हॉस्पिटल के चिकित्सा विशेषज्ञ ने ‘ब्रेन ट्यूमर के मरीज का सफलता पूर्वक शल्यक्रिया कर भीषण दर्द की शिकायत से मुक्ति दिलाई ।
सागर श्री अस्पताल द्वारा जारी अधिकृत प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक पीड़ित महिला  करीब छः माह से सिर  में लगातार दर्द से परेशान थी उसने  इस सिलसिले में कई चिकित्सकों से जाँच भी करायी  । चिकित्सकों  ने जांच में महिला को सिर में गांठ होने की आशंका जताई । कई जांचों  के बाद भी आराम नहीं मिलने पर पीडिता सागर श्री अस्पताल पहुंची । जहाँ  मरीज की हालत को देखकर तुरंत एम् आर आई जांच करायी , जांच में गांठ (‘ब्रेन ट्यूमर) के आकार बढ़ जाने की कारण कई नाजुक नसों को भी घेर चुका था। मरीज की  चिकित्सकीय जांचों की उपरान्त न्‍यूरोसर्जरन डॉ. एस.के.जैन  एंव ई.एन.टी. सर्जन डॉ. अभिनित जैन द्वारा कम से कम चीरे लगाने की  पद्दति से ऑपरेशन एक महिला मरीज के सिर में मौजूद गांठ को  ऑपरेशन के द्वारा निकल दिया ।


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एएबी समाचार । मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक  मनीष सिंह ने निर्देशित किया है कि उपभोक्ताओं की बिलिंग संबंधी शिकायतों का निराकरण मैदानी स्तर पर तत्काल सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि मीटर सही होने पर औसत  बिलिंग नहीं की जाए। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यदि मीटर सही होने पर भी उपभोक्ताओं को औसत  बिल भेजे जाते हैं और ऐसी शिकायतें सही पाई जाती हैं, तो संबंधित अधिकारी के विरूद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। मैदानी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि आकस्मिक निरीक्षण कर उपभोक्ता परिसरों की जॉंच करें और यदि मीटर चालू होने के बाद भी औसत खपत के आधार पर बिल भेजे जा रहे हैं, तो संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करें।मीटर खराब होने पर ही उपभोक्ताओं को औसत बिलिंग के आधार पर बिल जारी किए जाएं।
  उन्होंने कहा कि किसी भी अवस्था में बिलिंग दक्षता 80 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए। शहरी क्षेत्रों में 90 फीसदी का लक्ष्य रखा जाए। प्रबंध संचालक सिंह गोविन्दपुरा स्थित कंपनी मुख्यालय में वाणिज्य विभाग के अंतर्गत वाणिज्यिक कार्यों से जुड़े एएमआर सेल, बीआई सेल, विजिलेंस, बकाया राशि वसूली, बिलिंग, डिमांड आदि कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
कंपनी ने स्पष्ट किया है कि मीटर रहित कनेक्शनों में टैरिफ आदेश के प्रावधान के अनुसार बिलिंग की जाए। एवरेज बिलिंग की समस्या के निराकरण तथा उपभोक्ता द्वारा उपभोग की गई विद्युत की खपत के सही आकलन के लिए खराब या जले मीटरों को एक कार्य-योजना बनाकर तत्काल बदलना सुनिश्चित किया जाए। जिन कनेक्शनों में मीटर नहीं है, उन पर तत्काल मीटर लगाए जाए।

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एएबी समाचार । आदिम-जाति कल्याण विभाग द्वारा आकांक्षा योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में आदिवासी विद्यार्थियों को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिये आवेदन-पत्र डाउनलोड करने यहाँ क्लिक करें । इच्छुक छात्र-छात्राएँ अपने आवेदन 20 फरवरी से 20 मार्च, 2020 तक भर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में आदिम-जाति कल्याण विभाग द्वारा 4 संभागीय मुख्यालयों जबलपुर, इंदौर, भोपाल एवं ग्वालियर में जेईई, नीट, एम्स और क्लेट की तैयारी के लिये द्विवर्षीय नि:शुल्क कोचिंग दिये जाने की व्यवस्था है।
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एएबी समाचार । नई दिल्ली. दुनिया में सोने धातु के  सबसे बढे आयातकर्ता के रूप में पहचाने जाने वाले भारत देश में पिछले करीब एक साल से सोने की आयात में गिरावट दर्ज की जा रही है ।यह गिरावट जनवरी माह में तो ३० फीसदी के आंकड़े को भी पार कर गयी । इसके चलते देश के अन्दर सोने के व्यापारियों के मन में बढ़ा असमंजस का भाव पैदा होता नजर आ रहा है । 

देश में सोने का आयात  चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान करीब 9 फीसदी घटकर 24.64 अरब डॉलर (1.74 लाख करोड़ रुपये) रहा. वाणिज्य मंत्रालय  के आंकड़े के अनुसार इससे पूर्व वित्त वर्ष 2018-19 की इसी अवधि में मूल्यवान धातु  का आयात 27 अरब डॉलर था. सोने के आयात में कमी से देश का व्यापार घाटा  कम होकर अप्रैल-जनवरी अवधि में 133.27 अरब डॉलर रहा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 163.27 अरब डॉलर था. पीली धातु के आयात में पिछले साल जुलाई से ही गिरावट दर्ज की जा रही है. हालांकि पिछले साल अक्टूबर और नवंबर में इसमें सकारात्मक वृद्धि हुई. वहीं दिसंबर में करीब 4 प्रतिशत और इस साल जनवरी में 31.5 प्रतिशत की गिरावट आयी.

 bharat sone ka sabse bada ayatak भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक

भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है. मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिये इसका आयात किया जाता है. मात्रा के हिसाब से देश में सालाना 800 से 900 टन सोने का आयात होता है. सोने के आयात का व्यापार घाटा और चालू खाते के घाटे पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिये सरकार ने धातु पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया है.

dus mahine mein nau feesdi ghata 10 महीने में 9 फीसदी घटा आयात
 

उद्योग विशेषज्ञों का दावा है कि इस क्षेत्र में काम कर रही इकाइयां उच्च शुल्क के कारण अपना विनिर्माण आधार पड़ोसी देश में स्थापित कर रहे हैं. रत्न एवं आभूषण निर्यात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान 1.45 प्रतिशत घटकर 25.11 अरब डॉलर रहा. देश का सोने का आयात 2018-19 में करीब 3 प्रतिशत घटकर 32.8 अरब डॉलर रहा.

Reserve bank ke aankde 

रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार चालू खाते का घाटा मौजूदा वित्त वर्ष में जुलाई-सितंबर के दौरान घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.9 प्रतिशत यानी 6.3 अरब डॉलर रहा. एक साल पहले इसी अवधि में यह जीडीपी का 2.9 प्रतिशत या 19 अरब डॉलर था.

 ratna abhoosan niryaat
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद के आंकड़े के अनुसार बिना तराशे यानी कच्चे हीरों का आयात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान 15.54 प्रतिशत घटकर 11 अरब डॉलर रहा. हालांकि सोने की छड़ों का आयात आलोच्य अवधि में 3.56 प्रतिशत बढ़कर 6.6 अरब डॉलर रहा.
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एएबी समाचार । अडानी समूह  आटा, चावल, पेप्सिको आलू और कोका कोला संतरे-आम निर्माण इकाई में करेंगे निवेश अडानी विल्मर अपने फार्चून आटे के व्यापार में प्रदेश में बड़ा निवेश करेगा। विदिशा में सोयाबड़ी और बासमती चावल प्र-संस्करण में निवेश हो रहा है । 

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 पेप्सिको ने मध्यप्रदेश से हर वर्ष 110 करोड़ मूल्य के आलू की खरीदी को भविष्य में दोगुना करने को कहा। आलू से जुड़े उत्पादों की इकाई भी पेप्सिको प्रदेश में स्थापित करेगी।कोका कोला कंपनी ने संतरा और आम का ताजा रस बनाने की निर्माण इकाई स्थापित करने और इसमें निवेश के प्रति सहमति व्यक्त की। 

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मुख्यमंत्री कमल नाथ ने प्रदेश में खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए नई दिल्ली में औद्योगिक गोल मेज सम्मलेन के दूसरे सत्र में जानकारी देते हुए बताया कि इंदौर और भोपाल में फल और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जल्द ख़राब होने वाले उत्पादों के लिए केंद्र   की स्थापना की जाएगी। इसी तरह, कृषि विपणन के क्षेत्र में हुए बदलावों के अनुरूप मण्डी अधिनियम में भी संशोधन किए जाएंगे। 
कान्फ्रेंस में खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र से जुड़े प्रमुख उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री से चर्चा में उनकी उद्योग अनुकूल और प्रभाग अनुसार  नीतियों के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए मध्यप्रदेश में निवेश के प्रति गहरी दिलचस्पी दिखायी। अडानी ग्रुप, पेप्सिको और कोका कोला कंपनी ने प्रदेश में निवेश की घोषणाएँ भी की। 

मध्यप्रदेश को बनाया जाएगा देश की उद्यानिकी राजधानी

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश को देश की उद्यानिकी राजधानी बनाना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि यही एक मात्र एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके जरिए हम अपनी अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बना सकते हैं। किसानों की आय को दोगुना कर सकते है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए हम प्रदेश में एक अलग नीति बनाने जा रहे हैं, जो उद्यानिकी फसलों के साथ-साथ इस क्षेत्र से जुडे़ निवेश को प्रदेश में प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने उद्योगपतियों से कहा कि वे मध्यप्रदेश को उद्यानिकी राजधानी बनाने में सहयोग करें। उन्होंने उद्योगपतियों को आमंत्रित करते हुए कहा कि प्रदेश में निवेश के लिए बने अनुकूल वातावरण का लाभ उठाते हुए रोजगार और विकास के क्षेत्र में सहयोग करें।
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कान्फ्रेंस में मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहंती ने राज्य सरकार द्वारा निवेशकों को दी जाने वाली रियायतों का प्रस्तुतिकरण करते हुए बताया कि राज्य सरकार ने उद्योग के  विभिन्न सेक्टरों के लिए अलग-अलग नीतियाँ बनायी हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है, जिसके पास कर से जुड़ी नीति है। श्री मोहंती ने बताया कि 400 हेक्टेयर क्षेत्र भूमि पूलिंग नीति बनाने वाला भी मध्यप्रदेश पहला राज्य है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के पास ऊर्जा क्षेत्र  के लिए छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना  नीति  है। प्रमुख सचिव उद्योग डॉ. राजेश राजौरा ने भी उद्योग से जुड़ी जानकारियाँ दी।
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एक दिवसीय गोलमेज सम्मलेन  में कपड़ा और परिधान क्षेत्र से लगभग 65 उद्योगपति तथा खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र से जुड़े लगभग 50 से ज्यादा उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री के साथ संवाद किया। इनमें प्रमुख कंपनियाँ ट्राइडेंट, गोकल दास एक्सपोर्ट, मयूर यूनिकोटर्स, प्रतिभा सिनटेक्स, रेमण्ड, पर्ल फैशन, काजो तथा खाद्य प्र-संस्करण से जुड़े उद्योग अडानी, पेप्सी, कोका कोला, हल्दी राम, आईटीसी, यूनीलिवर, कारगिल इंडिया, फरेरो, ब्लू स्टार एवं डेन्टॉस शामिल हैं।