Shekhchilli ki Diary : थूकने पर पाबन्दी पर- "थुकना बिरादरी" का महा-मंथन शुरू
एएबी-शेखचिल्ली/ मप्र सरकार ने एक फरमान जारी कर सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर पाबंदी लगा दी है। आदेश तो जनता के हित में हैं लेकिन अब सवाल यह है कि इसका पालन होगा की नहीं ? इस आदेश को लेकर लोगों के मन में क्या चल रहा है? वो आदेश की तामीली को लेकर कितने उत्साहित या नाराज हैं ? पान-गुटका,तंबाकू खाने के शौकीन लोगों को तो यह आदेश कालेपानी की सजा से कम नहीं लग रहा है? उन्हें लगता है कि सामाजिक दूरी बनाए रखने की दिशा में सरकार का यह कदम बेहद सख्त है। अब एक नजर उन लोगों पर भी डाली जाए जिन्हें सार्वजनिक स्थलों पर थूकते हुए देखा जाता हैं।
इनमें एक बिरादरी तो वह है जो सर्दी-खांसी की चपेट मे आने के कारण यहां-वहां थूकते नजर आते है। हालांकि यह लोग मौसमी होते हैं। ये देर-सबेर आदेश का पालन करने लगेंगें और कुछ लोग जुर्माना भरने के बाद सुधर जाएंगें। दूसरी बिरादरी में वो लोग आते हैं जिनके अन्दर कुछ-कुछ देर मे थूकने की एक मानसिक कुप्रवृत्ति ही विकसित हो जाती है इसी बिरादरी मे उन लोगों को भी रखा जा सकता है जिनकी अलहदा सफाई-पसंद सोच मे बार-बार थूकने को शरीर को दुरूस्त रखने का बड़ा कारगर उपाय माना जाता है। इस बिरादरी के भी इस आदेश की गिरफ्त मे आने की संभावना बहुत ज्यादा है।
इनमें एक बिरादरी तो वह है जो सर्दी-खांसी की चपेट मे आने के कारण यहां-वहां थूकते नजर आते है। हालांकि यह लोग मौसमी होते हैं। ये देर-सबेर आदेश का पालन करने लगेंगें और कुछ लोग जुर्माना भरने के बाद सुधर जाएंगें। दूसरी बिरादरी में वो लोग आते हैं जिनके अन्दर कुछ-कुछ देर मे थूकने की एक मानसिक कुप्रवृत्ति ही विकसित हो जाती है इसी बिरादरी मे उन लोगों को भी रखा जा सकता है जिनकी अलहदा सफाई-पसंद सोच मे बार-बार थूकने को शरीर को दुरूस्त रखने का बड़ा कारगर उपाय माना जाता है। इस बिरादरी के भी इस आदेश की गिरफ्त मे आने की संभावना बहुत ज्यादा है।
इन्ही के बराबरी में एक अजब-गजब बिरादरी और होती है जो अपने दुश्मनों को तंगाने के लिए हमेशा कोई ऐसा काम करते है जो सामने वाले को पसंद नहीं होता है भले ही उस काम को करने से उन्हें खुद ही परेशानी क्यों न उठानी पड़ती होती हो। अब अगर मौजूदा दौर में इस सनकी बिरादरी के महारथियों ने थूकने की प्रवृत्ति को अपना हथियार बना रखा होगा तो उनकी मुश्किलें भी बढ़ सकतीं हैं। थूकने पर उनके दुश्मन को विचलित हो या न हो पर उन्हें ऐसा करते देख कर जागरूक नागरिक व पुलिस जरूर विचलित हो सकती है और वह इन महारथियों को ऐसे हालातों में पहुंचा सकती है जब इनको पुलिस के डंडों की मालिश या सड़क पर उठ्ठक-बैठक लगाने का अनुभव भी लेना पड़ सकता है।
लेकिन एक और बिरादरी है जो पान-गुटका व तंबाकू के सहारे की बिना जीवन जीने की कल्पना मात्र से सिहर जाती है। सार्वजनिक स्थल पर थूकने पर पाबंदी के आदेश आने के बाद से वो ऐसी ऐसी भाव-भंगिमा बनाते दिख रहें हैं जैसे किसी ने इनके मौलिक अधिकार ही छीन लिए हों ।
सागर शहर के जैसे लगभग सभी शहरों मे, कम या ज्यादा, ऐसे लोगों की बड़ी जमात मौजूद है जिसके पल-पल मे थूकने की अपनी अलग ही वजह हैं। ये किसी दुर्भावना के तहत नहीं थूकते हैं लेकिन थूकते इतना ज्यादा है कि बस इन्हें देखने वालों को ऐसा लगने लगता है कि जैसे ये लोग सिर्फ थूकने के लिए ही पैदा हुए है। किसी भी शहर किसी भी इलाके में चले जाईए वहां इनके द्वारा थूकने की प्रवृत्ति के चलते बदरंग किए हुए कोने में एक से बढ़कर एक आकृतियां व डिजाईनें देखने को मिल जाएंगीं।
ऐसा नहीं हैं कि ये लोग गुटका-पान तंबाकू खाना छोड़ नहीं सकते है। वे ऐसा कर सकते हैं लेकिन उनका मानना है कि ऐसा करने में उन्हें बहुत कठिनाईंयों का सामना करना पड़ता सकता है। पलटू तिवारी कहते हेैं कि इसको मुंह मे भर कर बोलने से एक अलग ही तरह का आत्मविश्वास पैदा होता है। मंझले कक्का किसी विजेता की भांति अपनी मूंछों पर तव देते हुए कहते हैं कि बीस साल हो गए आज तक बिना तंबाकू खाए दिशा को नहीं जा पाए। बडबोले उस्ताद कहते हैं कि हम लोग देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए पान-गुटका व तंबाकू का सेवन कठिन से कठिन हालातों में भी नहीं रोकते हैं आज के समय 20 रूपए का गुटका 100 रूपए मे मिल रहा है पर ऐसे कठिन समय में भी देश की अर्थ्वावस्था का ख्याल रखकर हम लोगों ने इसका सेवन बंद नहीं किया है।
इस बिरादरी का कहना है कि यह थूकने पर पाबंदी तो हमारे लिए जी का जंजाल बन जाएगी। पान-गुटके व तंबाकू की पीक अगर हम थूक नहीं सकेगें तो गुटक भी नहीं सकेंगें। इससे एक और तो सबसे ज्यादा जुर्माना हम लोगों को ही भरना पड़ेंगा और हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ेगा सो वो अलग। अगर बाहर सड़क पर थूक नहीं सकते हैं तो हम लोगों को घर से बाहर निकलना ही दूभर हो जाएगा। यह तो हमारे लिए बिना किसी आदेश के लाॅक-डाउन का फरमान हो गया।
इस बिरादरी के लोग खुद के दिल को समझा नहीं पा रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर पाबंदी लगने वाला आदेश अब हकीकत बन गया है। इसका पालन नहीं करने वालों की सार्वजनिक कुटाई, आर्थिक जुर्माना व बदनामी किए जाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। सबसे खतरनाक बात यह है कि मोबाईल संस्कृति के बोलबाले के तहत कब कौन किसकी फोटो खींच कर उनको "सार्वजनिक स्थल पर थूकने वाले घटिया लोग" के शीर्षक के साथ कब कोई वाट्सएप,फेसबुक, ट्विटर पर वायरल कर खलनायक स्टार बना कर दुनिया भर में हल्ला मचा दे पता ही नहीं चलेगा ।
खैर आगे क्या होगा यह तो वक्त ही बताइयेगा फिलहाल हम तो बस इतना बता सकते है की प्रदेश भर की थुकनी-बिरादरी के बीच थूकने पर पाबन्दी के आदेश पर महामंथन शुरू हो गया है ।