अप्रैल 2020
Crop Insurance PayOff
एएबी समाचार । प्रदेश के 15 लाख किसानों को एक मई को उनके बैंक खातों में फसल बीमा की कुल 2990 करोड़ की राशि प्राप्त हो जाएगी।   पिछली सरकार ने खरीफ एवं रबी फसलों के लिए देय प्रीमियम 22 सौ करोड़ का भुगतान नहीं किया था। इसके कारण किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिला। मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वर्तमान  सरकार ने  मार्च माह में ही बीमा कंपनियों की यह राशि जारी कर दी, जिससे अब किसानों को फसल बीमा राशि प्राप्त हो जाएगी।
प्रमुख सचिव कृषि ने बताया कि सरकार द्वारा खरीफ वर्ष 2018 तथा रबी वर्ष 2018-19 की फसल बीमा के प्रीमियम की राशि बीमा कंपनियों को जारी कर दी गई है। अब इन वर्षों की फसल बीमा की राशि किसानों को प्राप्त हो जाएगी। खरीफ 2018 में प्रदेश के 35 लाख किसानों द्वारा फसलों का बीमा कराया गया था। उनमें से 8.40 लाख किसानों को 19 सौ 30 करोड़ रुपए की बीमा राशि प्राप्त होगी। इसी प्रकार, रबी 2018-19 में प्रदेश के 25 लाख किसानों द्वारा रबी फसलों का बीमा कराया गया था। इनमें से 6.60 लाख किसानों को 10 सौ 60 करोड़ रुपए की बीमा राशि प्राप्त होगी।
Shekhchilli-ki-diary|Ban-On-Public-Spitting
एएबी-शेखचिल्ली/ मप्र सरकार ने एक फरमान जारी कर सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर पाबंदी लगा दी है। आदेश तो जनता के हित में हैं लेकिन अब सवाल यह है कि इसका पालन होगा की नहीं ? इस आदेश को लेकर लोगों के मन में क्या चल रहा है? वो आदेश की तामीली को लेकर कितने उत्साहित या नाराज हैं ? पान-गुटका,तंबाकू खाने के शौकीन लोगों को तो यह आदेश कालेपानी की सजा से कम नहीं लग रहा है? उन्हें लगता है कि सामाजिक दूरी बनाए रखने की दिशा में सरकार का यह कदम बेहद सख्त है। अब एक नजर उन लोगों पर भी डाली जाए जिन्हें सार्वजनिक स्थलों पर थूकते हुए देखा जाता हैं।  

इनमें एक बिरादरी तो वह है जो सर्दी-खांसी की चपेट मे आने के कारण यहां-वहां थूकते नजर आते है। हालांकि यह लोग मौसमी होते हैं। ये देर-सबेर आदेश का पालन करने लगेंगें और कुछ लोग जुर्माना भरने के बाद सुधर जाएंगें। दूसरी बिरादरी में वो लोग आते हैं जिनके अन्दर कुछ-कुछ देर मे थूकने की एक मानसिक कुप्रवृत्ति ही विकसित हो जाती है इसी बिरादरी मे उन लोगों को भी रखा जा सकता है जिनकी अलहदा सफाई-पसंद सोच मे बार-बार थूकने को शरीर को दुरूस्त रखने का बड़ा कारगर उपाय माना जाता है। इस  बिरादरी के भी  इस आदेश की  गिरफ्त मे आने की संभावना बहुत ज्यादा है।

इन्ही के बराबरी में एक अजब-गजब बिरादरी और होती है जो अपने दुश्मनों को तंगाने के लिए हमेशा कोई ऐसा काम करते है जो सामने वाले को  पसंद नहीं होता है भले ही उस काम को करने से उन्हें खुद ही परेशानी क्यों न उठानी पड़ती होती हो। अब अगर मौजूदा दौर में इस सनकी बिरादरी के महारथियों ने  थूकने की प्रवृत्ति को अपना हथियार बना रखा होगा तो उनकी मुश्किलें भी बढ़ सकतीं हैं। थूकने पर उनके दुश्मन को विचलित हो या न हो पर उन्हें ऐसा करते देख कर जागरूक नागरिक व पुलिस जरूर विचलित हो सकती है और वह इन महारथियों को ऐसे हालातों में पहुंचा सकती है जब इनको पुलिस के डंडों की मालिश या सड़क पर उठ्ठक-बैठक लगाने का अनुभव भी लेना पड़ सकता है।

लेकिन एक और बिरादरी है जो पान-गुटका व तंबाकू के सहारे की बिना  जीवन जीने की कल्पना मात्र से सिहर जाती है। सार्वजनिक स्थल पर थूकने पर पाबंदी के आदेश आने के बाद से वो ऐसी ऐसी भाव-भंगिमा बनाते दिख  रहें हैं जैसे किसी ने इनके मौलिक अधिकार ही छीन लिए हों ।
    सागर शहर के जैसे लगभग सभी शहरों मे, कम या ज्यादा, ऐसे लोगों की बड़ी जमात मौजूद है जिसके पल-पल मे थूकने की अपनी अलग ही वजह हैं। ये किसी दुर्भावना के तहत नहीं थूकते हैं लेकिन थूकते इतना ज्यादा है कि बस इन्हें देखने वालों को ऐसा लगने लगता है कि जैसे ये लोग सिर्फ थूकने के लिए ही पैदा हुए है। किसी भी शहर किसी भी इलाके में चले जाईए वहां इनके द्वारा थूकने की प्रवृत्ति के चलते बदरंग किए हुए कोने में एक से बढ़कर एक आकृतियां व डिजाईनें देखने को मिल जाएंगीं। 

ऐसा नहीं हैं कि ये लोग गुटका-पान तंबाकू खाना छोड़ नहीं सकते है। वे ऐसा कर सकते हैं लेकिन उनका मानना है कि ऐसा करने में उन्हें बहुत कठिनाईंयों का सामना करना पड़ता सकता है। पलटू तिवारी कहते हेैं कि इसको मुंह मे भर कर बोलने से एक अलग ही तरह का आत्मविश्वास पैदा होता है। मंझले कक्का किसी विजेता की भांति अपनी मूंछों पर तव देते हुए कहते हैं कि बीस साल हो गए आज तक बिना तंबाकू खाए दिशा को नहीं जा पाए। बडबोले  उस्ताद कहते हैं कि हम लोग देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए पान-गुटका व तंबाकू का सेवन कठिन से कठिन हालातों में भी नहीं रोकते हैं आज के समय 20 रूपए का गुटका 100 रूपए मे मिल रहा है पर ऐसे कठिन समय में भी देश की अर्थ्वावस्था का ख्याल रखकर हम लोगों ने  इसका सेवन बंद नहीं किया है। 

इस बिरादरी का कहना है कि यह थूकने पर पाबंदी तो हमारे लिए जी का जंजाल बन जाएगी।  पान-गुटके व तंबाकू की पीक अगर हम  थूक नहीं सकेगें तो गुटक भी नहीं सकेंगें। इससे एक और तो सबसे ज्यादा जुर्माना हम लोगों को ही भरना पड़ेंगा और हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ेगा सो वो अलग। अगर बाहर सड़क पर थूक नहीं सकते हैं तो हम लोगों को घर से बाहर निकलना ही दूभर हो जाएगा। यह तो हमारे लिए बिना किसी आदेश के लाॅक-डाउन का फरमान हो गया। 

इस बिरादरी के लोग खुद के दिल को समझा नहीं पा रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर पाबंदी लगने वाला आदेश अब हकीकत बन गया है। इसका पालन नहीं करने वालों की सार्वजनिक कुटाई, आर्थिक जुर्माना व बदनामी किए जाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। सबसे खतरनाक बात यह है कि मोबाईल संस्कृति के बोलबाले के तहत कब कौन किसकी फोटो खींच कर उनको "सार्वजनिक स्थल पर थूकने वाले  घटिया लोग" के शीर्षक के साथ कब कोई वाट्सएप,फेसबुक, ट्विटर पर वायरल कर खलनायक स्टार बना कर दुनिया भर में हल्ला मचा दे पता ही नहीं चलेगा ।

खैर आगे क्या होगा यह तो वक्त ही बताइयेगा फिलहाल हम तो बस इतना बता सकते है की प्रदेश भर की थुकनी-बिरादरी के बीच थूकने पर पाबन्दी के आदेश पर महामंथन  शुरू हो गया है ।


Get-E-Pass-In-MP
एएबी समाचार ।  प्रदेश में लॉकडाउन के कारण प्रदेश के नागरिक अन्य राज्यों तथा अन्य प्रदेशों के नागरिक बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश में फँसे हुए है। राज्य शासन ने ऐसे लोगों के आवागमन के लिए ई-पास की सुविधा देने का निर्णय लिया है। यह सुविधा भोपाल, इंदौर तथा उज्जैन जिलों में लागू नहीं होगी। इन जिलों में पारिवारिक सदस्यों की मृत्यु, चिकित्सकीय आकस्मिकता अथवा विशेष परिस्थितियों में पूर्ववत अनुमतियाँ जारी की जाएंगी।
जिलों में लॉकडाउन के कारण रुके हुए प्रभावित लोग यदि अपने संसाधनों से वापस जाना चाहते है, तो वे अपना आवेदन  करने के लिए E-PASS  पर क्लिक सकते हैं। संबंधित जिलों के द्वारा ई-पास जारी किया जायेगा। प्रदेश के बाहर रुके लोग अगर अपने संसाधन से प्रदेश में आना चाहते हैं, तो वे भी इस पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। वे जिस जिले में वापस आ रहे हैं, उस जिले के अधिकारी द्वारा ई-पास जारी किया जायेगा। दोनों ई-पास जारी करने की प्रक्रिया पूर्ववत जारी पारिवारिक सदस्यों की मृत्यु, परिवार में चिकित्सीय आकस्मिकता के अतिरिक्त होगी।
स्टेट कोरोना कंट्रोल रुम के प्रभारी अपर मुख्य सचिव आई.सी.पी. केशरी ने सभी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कहा है कि ई-पास जारी करने की सुविधा इंदौर, उज्जैन, भोपाल में लागू नहीं होगी। इसके अतिरिक्त, जिलों के प्रतिबंधित  क्षेत्रों से भी आवागमन प्रतिबंधित रहेगा। प्रदेश में आने वाले व्यक्तियों का रिकार्ड रखा जायेगा तथा उनका आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जाएगा।

 Relif-On-Financial-Front
 एएबी समाचार ।  कोरोना संकट से मुक़ाबला कर रही केंद्र सरकार ने अब अलग अलग आर्थिक मोर्चों पर भी काम शुरू करती नजर आ रही है । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ग़रीबों को राहत देने के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी कई कदम उठाए हैं.  लोग अपने अपने घरों में हैं. उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है.

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इसी दिशा में सरकार ने सबसे अहम् फैसला बैंक के डेबिट कार्डों पर लेनदेन पर लगने वाले शुल्क को अस्थाई तौर पर ख़त्म कर दिया है । अधिकृत जानकारी के मुताबिक  30 जून 2020 तक किसी भी बैंक के डेबिट कार्ड से किसी भी अन्य बैंक के एटीएम से पैसे निकालने पर कोई चार्ज नहीं देना होगा. सरकार ने लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है. सरकार की मंशा है कि कैश निकालने के लिए लोगों को अपने घरों से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े और पास के ही उपलब्ध एटीएम से पैसे निकाल सकें.


आम दिनों के लिए RBI की ओर से जारी नियमों के मुताबिक , बैंकों को महीने में कम से कम पांच मुफ्त लेनदेन  की छूट देनी है. फिर एटीएम कहीं भी हो. नकद आहरण रहित लेनदेन यानी जिसमें निकासी नहीं होगी, उसमें बैंकों को सुविधा मुफ्त देनी है.


महानगरों में किसी और बैंक के एटीएम से ट्रांजेक्‍शन : अगर एटीएम बेंगलुरु, चेन्‍नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्‍ली जैसे महानगरों में है तो उस मामले में बैंकों को कम से कम तीन मुफ्त लेनदेन  की छूट देनी है.


 छह महानगरों  को छोड़कर किसी और शहरों में  बैंकों को बचत खाताधारकों को महीने में अन्‍य बैंक से कम से कम पांच मुफ्त लेनदेन की इजाजत देनी है.

(2)न्यूनतम राशि  रखने की जरूरत नहीं- बचत बैंक खाते के लिए न्यूनतम राशि शुल्क को खत्म कर दिया गया है. यानी 30 जून 2020 तक बैंक खाते में न्यूनतम राशि जमा रखने  की जरुरत नहीं है.

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपने करोड़ों ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया है. SBI ने सभी तरह के बचत खातोंपर औसत राशि रखने  की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है.

इसका मतलब ग्राहकों को अब अपने खातों में न्यूनतम राशि जमा  रखने का झंझट खत्म हो गया है. एसबीआई के इस फैसले से 44.51 करोड़ ग्राहकों को फायदा होगा. इसके अलावा, एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में SBI ने बचत बैंक खातों पर अपनी ब्याज दर को तर्कसंगत बनाते हुए सपाट 3 फीसदी सालाना कर दिया.

(3) ऑनलाइन लेनदेन हुआ मुफ्त - सरकारी बैंक PNB ने इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के जरिए लेनदेन  पर लगने पर IMPS शुल्क को पूरी तरह से खत्म कर दिए है. पंजाब नेशनल बैंक  ने यह जानकारी दी है. पीएनबी ने बताया कि IMPS शुल्क का को पूरी तरह से खत्म करने का यह फैसला तत्काल रुप से प्रभावी होगी.पंजाब नेशनल बैंक के ग्राहक अब इस फैसले के बाद प्रति दिन 50,000 रुपये के अंतरण  के लिए कोई शुल्क  नहीं देंगे. इसके पहले उन्हें IMPS शुल्क  के तौर पर 5 रुपये + GST देना होता था.

इसके पहले पिछले साल ही भारतीय स्टेट बैंक ने भी अपने ऐलान किया था कि वो YONO ऐप, मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए किए जाने वाले IMPS अंतरण  पर कोई शुल्क नहीं लेगा. एसबीआई ने इसे 1 अगस्त 2019 से लागू कर दिया था.
  

(4) गृह आवास  मासिक किश्त  पर भी मिल रही है छूट- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तीन महीने के लिए मासिक किश्त की  भुगतान में राहत देने का ऐलान के बाद अब सभी बैंक इस पर छूट दे रहे है. मासिक किश्त की  भुगतान पर राहत का फैसला 1 मार्च से 31 मई, 2020 के बीच पड़ने वाली सभी किस्तों के भुगतान पर लागू है.


 विकल्प -1 जितने समय के लिए ग्राहक ने ईएमआई के भुगतान में छूट का विकल्प चुना है, उस समय का ब्याज वह एक ही बार जून में दे सकता है.

विकल्प -2 ब्याज दर बकाया  राशि में जोड़ी जा सकती है, जिससे बाकी के महीनों की ईएमआई बढ़ जाएगी.

विकल्प -3 ग्राहकों की लोन की अवधि बढ़ सकती है.

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लोन ईएमआई पर छूट लेने पर क्या होगा-अगर ग्राहक ने 8.5 फीसदी ब्याज पर 20 लाख रुपये का आवासीय ऋण  लिया है और उसने पहले ही 105 मासिक किश्त का   भुगतान कर लिया है, तो बकाया मूल राशि 15,05,408 रुपये हुई, जो उसे 135 और मासिक किश्त के  भुगतान में पूरी करनी है.

अब अगर वह तीन महीने की मासिक किश्त की  भुगतान में छूट का विकल्प चुनता है, तो उसे ब्याज के घटक  के तौर पर 32,217 रुपये देने होंगे.

अगर वह अपनी पहले वाली मासिक किश्त की  भुगतान की रकम (17,356 रुपये) को जारी रखना चाहता है, तो वह 140 महीनों में ऋण  पूरा कर सकेगा. यानी इससे उसकी लोन की अवधि पांच माह बढ़ जाती है.

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विकल्प 1- ग्राहक मासिक किश्त की  भुगतान की राशि बढ़ाए और अवधि  में इजाफा ना करे. इससे उसकी मासिक किश्त की  भुगतान 17,356 रुपये से बढ़कर 17,728 रुपये हो जाएगी. प्रति माह मासिक किश्त की  भुगतान में 372 रुपये बढ़ेंगे, जिसका वह आसानी से भुगतान कर सकेगा.

विकल्प -2 -छूट की अवधि  के समय के ब्याज का भुगतान तीन माह बाद एक साथ या एक साल से दो साल के समय तक कर दें.

विकल्प -3 नवीनतम ब्याज दर के लिए बात करें. ऐसा इसलिए क्योंकि पांच साल या उससे पहले से लिए हए लोन का ब्याज दर अधिक हो सकती है. इसलिए अपने बैंक से बात करके लोन को रेपो रेट से लिंक करें.


कार लोन लेने पर क्या होगा असर- अगर आपने कार ऋण  लिया है और 10 लाख रुपया के मूल का भुगतान 78 महीने में करना है, तो मासिक किश्त के  भुगतान में दो महीने की छूट का विकल्प चुनने पर लोन अवधि 80 महीने हो जाएगी.
  
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निजी ऋण लेने पर क्या होगा असर- अगर आपने आठ लाख रुपये का निजी ऋण लिया है, जिसका भुगतान आपको 30 महीने में करना है, तो दो महीने के लिए मासिक किश्त के  भुगतान की छूट की स्थिति में 21,872 रुपये के ब्याज की वसूली के लिए अवधि 31 महीने हो जाएगी.