New Challenge to make Atmainrbhar Bharat- बनायें स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर
एएबी समाचार। केंद्रीय संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने, देश में स्टार्ट-अप, नवाचार और अनुसंधान के मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र को और गति देने की मकसद से, “स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज- #आत्मनिर्भर भारत के लिए नवाचार समाधान” लॉन्च किया ।
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आईआईटी मद्रास (IIT Madras) और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (C-DAC) ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के माइक्रोप्रोसेसर विकास कार्यक्रम के तत्वावधान में ओपन सोर्स आर्किटेक्चर ( Open Source Architecture) का उपयोग करते हुए शक्ति (32 Bit) और वेगा (64 Bit) नामक दो माइक्रोप्रोसेसर विकसित किए हैं ।
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“स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज- #आत्मनिर्भर भारत के लिए नवाचार समाधान” के तहत नवोन्मेषी, स्टार्टअप और छात्रों को आमंत्रित किया गया है कि वे इन माइक्रोप्रोसेसरों का उपयोग करते हुए विभिन्न टेक्नोलॉजी उत्पादों को विकसित करें ।
दस
महीने की अवधि वाली यह चुनौती 18 अगस्त, 2020 को
https://innovate.mygov.in पर पंजीकरण प्रक्रिया के साथ शुरू होकर जून 2021
में समाप्त होगी। प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत सेमी-फाइनल में पहुँचने वाली
100 टीमों को पुरस्कार के रूप में कुल 1.00 करोड़ रुपये जीतने का अवसर
प्राप्त होगा ।
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वहीँ
फाइनल में पहुँचने वाली 25 टीमों को पुरस्कार के रूप में कुल 1.00 करोड़
रुपये जीतने का मौका मिलेगा । अंतिम मुकाबले में प्रवेश करने वाली शीर्ष 10
टीमों को कुल 2.30 करोड़ रुपये का सीड-फण्ड प्राप्त होगा और 12 महीने तक
इन्क्यूबेशन समर्थन मिलेगा ।
सबसे अहम , प्रतिभागियों को स्वदेशी प्रोसेसर के उपयोग से अपने नवाचारों के निर्माण का अवसर मिलेगा । वे ऐसे प्लेटफार्म पर अपने नवाचार प्रदर्शित कर सकेंगे जहाँ बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखेंगे और उन्हें विचार से बाज़ार तक पहुँचने की सुविधा मिलेगी । इस प्रकार प्रतिभागियों को सरकार के #आत्मनिर्भरता के समग्र मिशन में योगदान करने का मौका मिलेगा।
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"आत्मनिर्भर भारत" के निर्माण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है इस पहल का उद्देश्य भारत की भविष्य की महज रणनीतिक और औद्योगिक क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करना नहीं है, बल्कि सुरक्षा, लाइसेंसिंग, प्रौद्योगिकी अप्रचलन से जुड़े मुद्दों का समाधान करना और आयात पर निर्भरता में कटौती करने की क्षमता विकसित करना भी है।
इन अत्याधुनिक प्रोसेसर वेरिएंट का देश और विदेश स्थित फाउंड्री में डिजाइन, विकास और निर्माण किया जाएग । इससे देश में इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के डिजाइन और विनिर्माण के जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र के अंतिम लक्ष्य को पाने की दिशा में अहम् कदम है ।
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“स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज” देश में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने के मामले में बढ़त बनाये रखने के पहले से तय उपायों की श्रृंखला का हिस्सा है । इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी यह प्रतिस्पर्धा सभी छात्रों औए स्टार्टअप्स के लिए खुली है ।
प्रतियोगियों से अपेक्षा रखती है कि वे इन स्वदेशी प्रोसेसर आईपी के साथ बदलाव करने के साथ-साथ सामाजिक आवश्यकताओं के लिए किफायती समाधान प्रस्तुत करें । इसके अलावा स्वदेशी प्रोसेसर के लिए सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध कराएं जिससे भविष्य में वैश्विक और घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जटिल डिजाइनों को विकसित किया जा सके।
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इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने प्रतियोगियों और प्रौद्योगिकी संसाधनों को विभिन्न प्रकार के लाभों की भी पेशकश की है । इसमें देश के सबसे अच्छे वीएलएसआई और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन विशेषज्ञों से इंटर्नशिप का मौका के साथ नियमित तकनीकी मार्गदर्शन व इनक्यूबेशन केन्द्रों द्वारा व्यवसाय और फंडिंग समर्थन भी शामिल हैं । हार्डवेयर प्रोटोटाइप को विकसित करने और स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन के लिए चैलेंज के विभिन्न चरणों में 4.30 करोड़ के वित्तीय समर्थन की पेशकश की जा रही है।
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