International Sugar Organisation- वर्ष 2024 में भारत बनेगा संगठन का अध्यक्ष
AAB NEWS/ अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (ISO,International Sugar Organization) ने अपनी 63वीं परिषद बैठक में घोषणा की कि भारत वर्ष 2024 के लिए संगठन का अध्यक्ष होगा। इस संगठन का मुख्यालय लंदन में है। वैश्विक चीनी क्षेत्र का नेतृत्व करना देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और यह इस क्षेत्र में देश के बढ़ते कद को दर्शाता है।
आईएसओ (International Sugar Organization) परिषद बैठक में भाग लेते हुए भारत के खाद्य सचिव श्री संजीव चोपड़ा ने कहा कि भारत 2024 में आईएसओ की अपनी अध्यक्षता की अवधि के दौरान सभी सदस्य देशों से समर्थन और सहयोग चाहता है और गन्ने की खेती, चीनी तथा इथेनॉल उत्पादन में अधिक टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने और उप-उत्पादों के बेहतर उपयोग के लिए सभी सदस्य देशों को एक साथ लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।
भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश रहा है। वैश्विक चीनी खपत में लगभग 15 प्रतिशत हिस्सेदारी और चीनी के लगभग 20 प्रतिशत उत्पादन के साथ, भारतीय चीनी रुझान वैश्विक बाजारों को बहुत प्रभावित करते हैं। यह अग्रणी स्थिति भारत को अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (International Sugar Organisation) का नेतृत्व करने के लिए सबसे उपयुक्त राष्ट्र बनाती है, जो चीनी और संबंधित उत्पादों पर शीर्ष अंतरराष्ट्रीय निकाय है। इसके लगभग 90 देश सदस्य हैं।
चीनी बाजार में विश्व के पश्चिमी गोलार्ध में ब्राजील तो पूर्वी गोलार्ध में भारत अग्रणी है। अब, अमेरिका और ब्राजील के बाद इथेनॉल उत्पादन में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश होने के नाते भारत ने हरित ऊर्जा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और घरेलू बाजार में अधिशेष चीनी की चुनौतियों को जीवाश्म ईंधन आयात के समाधान में बदलने की क्षमता दिखाई है और इसे सीओपी 26 लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक उपकरण के रूप में पेश किया है।
यह उल्लेखनीय है कि भारत में इथेनॉल मिश्रण प्रतिशत 2019-20 में 5 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 12 प्रतिशत हो गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान उत्पादन 173 करोड़ लीटर से बढ़कर 500 करोड़ लीटर से अधिक हो गया है।
भारतीय चीनी उद्योग ने पूरे व्यापार मॉडल को टिकाऊ और लाभदायक दोनों बनाने के लिए इसके आधुनिकीकरण और विस्तार के साथ-साथ अतिरिक्त राजस्व धाराओं का सृजन करने के लिए अपने सह-उत्पादों की क्षमता के दोहन हेतु विविधीकरण में एक लंबा सफर तय किया है।
इसने कोविड महामारी के दौरान अपनी मिलों का संचालन करके अपनी मजबूती साबित की है, जबकि देश लॉकडाउन का सामना कर रहा था और देश में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैंड सैनिटाइज़र का उत्पादन करके आगे बढ़ रहा था।
भारत को अपने किसानों के लिए उच्चतम गन्ना मूल्य का भुगतानकर्ता होने का एक अनूठा गौरव प्राप्त है और अब भी यह बिना किसी सरकारी वित्तीय सहायता के आत्मनिर्भर तरीके से काम करने और लाभ कमाने में पर्याप्त रूप से सक्षम है। सरकार और चीनी उद्योग के बीच तालमेल ने भारतीय चीनी उद्योग को फिर से जीवंत करना और देश में हरित ऊर्जा में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में बदलना संभव बना दिया है।
किसानों के लंबित गन्ना बकाये का युग अब बीते जमाने की बात हो गई है। पिछले सीजन 2022-23 के 98 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान पहले ही किया जा चुका है और पिछले गन्ना मौसम के 99.9 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान हो चुका है। इस प्रकार, भारत में गन्ना बकाया लंबित राशि अब तक के सबसे निचले स्तर पर है।
भारत ने न केवल किसानों और उद्योग का ध्यान रखकर बल्कि उपभोक्ताओं को भी आगो रखकर मिसाल कायम की है। घरेलू चीनी खुदरा कीमतें सुसंगत और स्थिर हैं। जहां वैश्विक कीमतें एक वर्ष में लगभग 40 प्रतिशत बढ़ जाती हैं वहीं भारत चीनी उद्योग पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना पिछले साल से 5 प्रतिशत की वृद्धि के भीतर चीनी की कीमतों को नियंत्रित करने में सक्षम रहा है।
तकनीकी पक्ष पर भी, राष्ट्रीय चीनी संस्थान, कानपुर ने अपना विस्तार किया है और इस क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए इंडोनेशिया, नाइजीरिया, मिस्र, फिजी आदि सहित कई देशों के साथ सहयोग कर रहा है।