सितंबर 2020

Opposition-Misleading-Farmers-on-Agri-Bills

एएबी समाचार ।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह का कहना है कि नए कृषि कानूनों के माध्यम से लाए गए अधिनियम के अनुसार अनुबंध समझौता भूमि के बजाय फसलों के लिए होगा । उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को इस बारे में गुमराह किया जा रहा है। बिल के तहत अनुबंध किसानों के फसल की कीमत पाने के लिए है उनकी जमीन के लिए नहीं बल्कि नया कानून किसान की जमीन की खरीद फरोख्त या बंधक बना कर रखने पर रोक लगता हैकानून में कहीं भी उल्लेख नहीं है की न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म किया जायेगा

Congress Misleading Farmers : किसानो के मामलों में दुष्प्रचार कर रही है कांग्रेस 

मोदी सरकार द्वारा लाए गए किसानों से संबंधित कानूनों के समर्थन में और कांग्रेस पार्टी द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार के खिलाफ अपने लोकसभा क्षेत्र से एक अभियान की शुरूआत करते हुए, डॉ.जितेन्द्र सिंह सीमावर्ती गांवों और कठुआ एवं उधमपुर जिलों के अन्य क्षेत्रों के पार्टी कार्यकर्ताओं, सरपंचों तथा बीडीसी अध्यक्षों को संबोधित कर रहे थे।  

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 डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, विडंबना यह है कि जब आम किसान संतुष्ट है और उसे इन कानूनों को लेकर कोई आशंका नहीं है, तो कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित स्वार्थी तत्व, जिन्हें खेती के बारे में कोई ज्ञान नहीं है या जिनकी खेती में कोई भागीदारी नहीं है, किसानों को गुमराह कर इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
 

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उन्होंने कहा कि यह भारत के कृषक समुदाय और बड़े पैमाने पर आम लोगों के हित में होगाकि सभी समान विचारधारा वाले लोग बाहर निकलें और स्वार्थी तत्वों द्वारा शुरू किए गए दुष्प्रचार एवं दुर्भावनापूर्ण अभियान का विरोध करें।
 

Agri Bill Prohibit Sale of Farmers Land: पूंजीपति नहीं खरीद सकेंगे किसानो की जमीन 

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पूछा कि जब यह विधेयक किसानों की जमीन की बिक्री करने, उसे पट्टे पर देने या बंधक रखने पर प्रतिबंध लगाता है, तो कुछ पूंजीपतियों द्वारा किसानों की जमीन लेने, जैसाकि आरोप लगाया जा रहा है, का सवाल कहां है? उन्होंने कहा कि इस विधेयक में साफ़ कहा गया है कि समझौता फसलों के लिए होगा, न कि भूमि के लिए।
 

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इसके अलावा, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि किसानों के साथ अनुबंध समझौता निर्धारित मूल्य पाने के लिए है । इतना ही नहीं, नया अधिनियम किसानों को बिना किसी दंड के किसी भी समय अनुबंध से हटने का भी प्रावधान करता है।
 

MSP SYSTEM WILL REMAIN INTACT: न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान रहेगा बरकरार

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विपक्ष पर काल्पनिक मुद्दे, जिनका इस कानून में कोई जिक्र नहीं है, उठाकर विवाद पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का प्रावधान किसी भी समय समाप्त किया जाएगा । फिर भी, कांग्रेस पार्टी और कुछ अन्य लोग मासूम किसानों के मन में गलत भय पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
 

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अपने पार्टी के साथियों से यह अपील की कि वे हर गांव में एक-एक किसान तक पहुंचें और उन्हें उनके खिलाफ रची जा रही बड़ी साजिश के बारे में समझएं। उन्होंने कहा कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई व्यापक कल्याणकारी पहलों का लाभ उठाने में कृषक समुदाय को सक्षम बनायेगा ।

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Faceless-IT-Appeal-Will-Simplify-Working-मुकदमेबाजी-घटेगी-पारदर्शिता-बढ़ेगी

एएबी समाचार।
 आयकर विभाग ने अप्रत्यक्ष आयकर अपील  (Faceless Income Tax Appeal) का शुभारंभ किया। ‘फेसलेस अपील्‍स’ के तहत सभी आयकर अपील को फेसलेस परिवेश या माहौल में फेसलेस (कर अधिकारी के समक्ष करदाता की व्‍यक्तिगत उपस्थिति जरूरी नहीं) तरीके से अंतिम रूप दिया जाएगा। हालांकि, इनमें गंभीर धोखाधड़ि‍यों, व्‍यापक कर चोरी, संवेदनशील एवं तलाशी से जुड़े मामलों, अंतर्राष्ट्रीय कर और काला धन अधिनियम से संबंधित अपील शामिल नहीं हैं। इस बारे में आवश्यक राजपत्र अधिसूचना भी आज जारी कर दी गई है।
 
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Taxpayer Charter-करदाताओं का अधिकारपत्र

उल्लेखनीय है कि  प्रधानमंत्री ने 13 अगस्त, 2020 को ‘पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान’ प्‍लेटफॉर्म के हिस्से के रूप में फेसलेस असेसमेंट(Faceless Assessment) और टैक्‍सपेयर्स चार्टर (Taxpayer Charter) का शुभारंभ करते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर, 2020 को ‘फेसलेस अपील्‍स’ का शुभारंभ करने की घोषणा की थी। इसके अलावा, हाल के वर्षों में आयकर विभाग ने कर प्रक्रियाओं के सरलीकरण और करदाताओं के लिए अनुपालन में आसानी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्यक्ष करों में कई सुधार लागू किए हैं।

 

Faceless Appeal -अप्रत्यक्ष गुहार

‘फेसलेस अपील्स’ (Faceless Appeal) के तहत अब से आयकर अपील के अंतर्गत अपील के ई-आवंटन, नोटिस/प्रश्नावली के ई-संचार, ई-सत्यापन/ई-पूछताछ से लेकर ई-सुनवाई (E-Hearings) और आखिर में अपीलीय आदेश के ई-संचार (E-Communication) तक सब कुछ यानी अपील की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी जिसके तहत अपीलकर्ता और विभाग के बीच किसी भी तरह की व्‍यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होगी। इसके तहत करदाताओं या उनके परामर्शदाताओं या अधिवक्‍ताओं और आयकर विभाग के बीच आमने-सामने बैठकर कोई वार्तालाप नहीं होगा। करदाता अपने घर से ही समस्‍त कागजात प्रस्‍तुत कर सकते हैं और इस तरह से अपने बहुमूल्‍य समय एवं संसाधनों को बचा सकते हैं।
  
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Artificial Intelligence- कृत्रिम बुद्धिमाता व डाटा प्रसंस्करण के जरिये आवंटित होंगे मामले

‘फेसलेस अपील्‍स’ (Faceless Appeal) प्रणाली में गतिशील क्षेत्राधिकार के तहत डेटा एनालिटिक्स और एआई के माध्यम से मामलों का आवंटन करना शामिल होगा और इसके साथ ही नोटिसों को केंद्रीकृत तरीके से जारी करने की व्‍यवस्‍था होगी जिस पर दस्तावेज पहचान संख्या (डिन) अंकित होगी। गतिशील क्षेत्राधिकार के हिस्‍से के रूप में मसौदा अपीलीय आदेश जिस शहर में तैयार किया जाएगा, उसकी समीक्षा उसी शहर में नहीं, बल्कि किसी और शहर में की जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप निष्पक्ष, उचित और न्यायसंगत ऑर्डर जारी करना संभव हो पाएगा।
 
 

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Faceless Appeal-मुकदमेबाजी में आयेगी कमी

 फेसलेस अपील (Faceless Appeal)  से न केवल करदाताओं को काफी सहूलियत होगी, बल्कि निष्‍पक्ष एवं न्यायसंगत अपील आदेशों को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा और इसके साथ ही आगे की मुकदमेबाजी भी कम हो जाएगी। नई प्रणाली इसके साथ ही आयकर विभाग के कामकाज में अधिक दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में भी काफी सहायक होगी।

 
सीबीडीटी के पास उपलब्‍ध आंकड़ों के अनुसार 25 September की तारीख में विभाग में आयुक्त (अपील) के स्तर पर लगभग 4.6 लाख अपील लंबित हैं। इनमें से लगभग 4.05 लाख अपील, यानी कुल अपीलों में से लगभग 88% अपील का निपटान फेसलेस अपील व्‍यवस्‍था के तहत किया जाएगा और आयुक्तों (अपील) की कुल वर्तमान संख्‍या के लगभग 85% का उपयोग फेसलेस अपील व्‍यवस्‍था के तहत मामलों के निपटारे के लिए किया जाएगा।
 
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Every-District-Will-have-janaushidhi-kendra-till-2025-आम-जनता-तक-सस्ती-दवाएं-मुहैया-करने-का-अभियान

एएबी समाचार।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा  के मुताबिक आम आदमी के लिए सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने की मकसद से मार्च 2025 तक प्रधानमन्त्री जनऔषधि केन्द्रों की संख्या को बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य रखा गया है । देश में इस समय 15 सितंबर 2020 तक ऐसी दुकानों की संख्या 6606 हो चुकी है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना को 490 करोड़ रुपए के बजट के साथ  2020-21 से 2024- 25 की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है।
 
 

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उन्होंने कहा कि जनऔषधि केन्द्रों का नेटवर्क बढ़ने के साथ ही देश के सभी जिलों में जनऔषधि केंद्र हो जाएंगे जिससे देश के हर कोने में लोगों को किफायती ​कीमतों पर आसानी से दवाएं मिल सकेंगी। मार्च से जून, 2020 तक जनऔषधि केन्द्रों को कई तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा।  

परिवहन के लिए वाहनों की उपलब्धता नहीं होने के कारण केन्द्रीय और क्षेत्रीय गोदामों से जनऔषधि केंद्रों तक दवा  तथा दवाओं के लिए जरुरी कच्चे माल की समय पर और आवश्यकतानुरुप आपूर्ति नहीं हो पाई । इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रों पर दवाओं का सही समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी आईटी सक्षम लाजिस्टिक आपूर्ति-श्रृंखला प्रणाली विकसित करने पर काम हो रहा है।
 

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वर्तमान में, गुरुग्राम, चेन्नई, बेंगलुरु और गुवाहाटी में प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के चार गोदाम कार्य कर रहे है। इसके अलावा, पश्चिमी और मध्य भारत में दो और गोदाम खोलने की योजना है। आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में वितरकों की नियुक्ति भी की जा रही है।
 

कोविड लॉकडाउन के कठिन समय के बावजूद इन केन्द्रों ने बिक्री का शानदार प्रदर्शन करते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कुल 146.59 करोड़ रुपए का कारोबार किया जबकि 2019 20 की पहली तिमाही मे यह आंकड़ा 75.48 करोड़ रुपए रहा था।

जुलाई से 15 सितंबर तक इन केन्द्रों से कुल 109.43 करोड़ रुपए की बिक्री हुई जिसे मिलाकर 15 सितंबर तक कुल 256.02 करोड़ रुपए की बिक्री हो चुकी है। जनऔषधि केन्द्रों  ने गुणवत्ता वाली  दवाओं की कीमतों में भारी कमी करते हुए  देश की एक बड़ी आबादी विशेषकर गरीबों तक इन दवाओं की पहुंच आसान बना दी है ।

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New-Bill-Allow-Farmers-To-Sell-Produce-At-Any-Place-कृषि-क्षेत्र-में-आयेगा-आमूलचूल-बदलाव

एएबी समाचार।
देश में कृषि सुधार के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक लोक सभा से पारित हो गए हैं। ये हैं-
  
“कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020’’ 
                                                                    तथा 
“कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020’’। 
 
इन विधेयकों के विषय में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इनके माध्यम से अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी, वहीं उन्होंने पुनः स्पष्ट किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा तथा राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी।
 

 New  Bill : कृषि क्षेत्र में लायेंगे आमूलचूल बदलाव

श्री तोमर ने कहा कि विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी।

कोविड-19 की परिस्थितियों के कारण, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गत 5 जून को तत्संबंधी अध्यादेश स्वीकृत किए थे। इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में लोक सभा में प्रतिस्‍थापित करने के लिए केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने प्रस्ताव रखे थे, जिन पर चर्चा के बाद लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने इन्हें पारित घोषित किया।

 तोमर ने कहा कि विधेयक,किसानों को विपणन के विकल्प देकर उन्हें सशक्त बनाएगा। कांग्रेस ने भ्रम फैलाने की कोशिश की कि एमएसपी पर उपार्जन खत्म हो जाएगा,जो कि पूर्णतः असत्य है। मोदी जी ने किसानों को आय समर्थन के लिए पीएम-किसान स्कीम लागू की। 
 

 New  Bill : फसल बेचने में अब मर्जी का मालिक होगा किसान

कृषि मंत्री के मुताबिक  किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों,अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। करार अधिनियम से कृषक सशक्त होगा व समान स्तर पर एमएनसी,बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा तथा सरकार उसके हितों को संरक्षित करेगी। किसानों को  चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे, निश्चित समयावधि में विवाद का निपटारा एवं किसान को भुगतान सुनिश्चित होगा।
 

 New  Bill : उपभोक्ताओं को सीधे किसान से उत्पाद खरीदने की होगी आजादी

  श्री तोमर ने कहा कि किसान हमेशा जंजीरों में जकड़ा रहा, जिसके कारण खेती कभी उसकी पसंद का प्रोफेशन नहीं बनी, अब खेती करना और लाभदायक होगा। निवेश बढ़ने से जो अनाज पहले खराब हो जाता था,अब नहीं होगा। उपभोक्ताओं को भी खेत/किसान से सीधे उत्पाद खरीदने की आजादी मिलेगी। कोई टैक्स न लगने से किसान को ज्यादा दाम मिलेगा व उपभोक्ता को भी कम कीमत पर वस्तुएं मिलेगी।

श्री तोमर ने कहा कि हमारी सरकार किसानों की आय बढ़ाने तथा सदैव उनके सामाजिक एवं आर्थिक सशक्‍तिकरण के लिए कार्य करने पर जोर देती रही है। सरकार ने कृषि क्षेत्र के कल्‍याण के लिए अनेक पहल की हैं। कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन में काफी वृद्धि की गई है। वर्ष 2018-19 के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन 46,700 करोड़ रूपए था। 
 
कृषि क्षेत्र के लिए वर्ष 2019-20 के दौरान 1,30,485.21 करोड़ रू. का परिव्‍यय आवंटित किया गया, जो अपने आप में एक रिकार्ड वृद्धि है। वर्ष 2020-21 के लिए आवंटन और भी वृद्धि के साथ 1,34,399.77 करोड़ रू. किया गया है। कृषि क्षेत्र की प्रगति बताते हुए श्री तोमर ने कहा कि खाद्यान्‍नों के उत्‍पादन संबंधी अंतिम अनुमानों के अनुसार,भारत में वर्ष 2018-19 के दौरान 285.20 मिलियन टन उत्‍पादन हुआ तथा वर्ष 2019-20 के चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, अनुमानित उत्‍पादन 296.65 मिलियन टन है।
 
 वर्ष 2019-20 के चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार,खाद्यान्‍नों का खरीफ फसलों का बुवाई क्षेत्र 1085.65 लाख हैक्‍टेयर है एवं रबी फसलों का कुल बुवाई क्षेत्र 646.74 लाख हैक्‍टेयर है। 11 सितंबर 2020 तक खरीफ फसलों की बुवाई 1104.54 लाख हैक्‍टेयर में हो चुकी है, जबकि गत वर्ष इस अवधि तक बुवाई क्षेत्र 1045.18 लाख हैक्टेयर था। इस तरह वर्तमान में, बुवाई क्षेत्र में 59.36 लाख हैक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है।

श्री तोमर ने बताया कि उत्‍पादन लागत का न्‍यूनतम डेढ़ गुना समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने के लिए केंद्रीय बजट वर्ष 2018-19 में की गई घोषणा के अनुसरण में, सरकार ने वर्ष 2018-19 से सभी अधिदेशित फसलों की एमएसपी में वृद्धि की थी, जिसमें अखिल भारतीय औसत उत्‍पादन लागत के कम से कम 50 प्रतिशत लाभ की व्‍यवस्‍था है। मोटे अनाज, दलहन एवं खाद्य तेलों की एमएसपी उच्‍चतर स्‍तर पर निर्धारित की गई है ताकि किसानों को और अधिक दलहन, मोटे अनाज एवं खाद्य तेलों के उत्‍पादन के लिए प्रोत्‍साहित किया जा सकें। 
 
इससे अधिकांश फसलों की बुवाई में महत्‍वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। किसानों को दलहन एवं तिलहन की खरीद के लिए पिछले वर्ष में किए गए एमएसपी भुगतान 8,715 करोड़ रू. की तुलना में इस वर्ष कुल 14,120 करोड़ रू. का भुगतान किया गया, जिसमें 62% की वृद्धि हुई हैं। खरीदे गए दलहन की मात्रा में ढ़ाई गुना वृद्धि हुई, जिसमें पिछले वर्ष रबी सीजन के 8.7 एलएमटी की तुलना में इस वर्ष लॉकडाउन के होने के बाद भी 21.55 एलएमटी खरीद की गई।
 
 इसी प्रकार, रबी-2020 के सीजन की 8 अगस्त 2020 तक 3.9 करोड़ एमटी गेहूं की खरीद की गई, जिसके लिए किसानों को 75,000 करोड़ रू. एमएसपी का भुगतान किया गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 3.4 करोड़ एमटी गेहूं की खरीद एमएसपी पर 63,000 करोड़ रू. में की गई थी। इसके अतिरिक्‍त 1.32 करोड़ एमटी धान की खरीद 24,000 करोड़ रू. का भुगतान करके की गई, जबकि पिछले वर्ष 0.86 करोड़ एमटी धान की खरीद 14,800 करोड़ रू. के एमएसपी मूल्‍य में की गई थी। 
 
रबी सीजन में 8 अगस्त 2020 तक गेहूं, धान, दलहन एवं तिलहन की कुल एमएसपी 1,13,290 करोड़ रू. का भुगतान किया गया जबकि पिछले वर्ष 86,805 करोड़ रू. एमएसपी का भुगतान किया गया था। इस प्रकार, इस वर्ष 31% ज्यादा एमएसपी का भुगतान किया गया।

कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि क्षेत्र को प्रोत्‍साहित करने पर जोर देने व व्‍यवस्‍थित समन्‍वय के फलस्‍वरूप पिछले वर्ष की ग्रीष्‍मकालीन/जायद सीजन के 41.31 लाख हैक्‍टेयर बुवाई क्षेत्र की तुलना में इस वर्ष बुवाई क्षेत्र बढ़कर 57.07 लाख हैक्टेयर हो गया। कोविड-19 से हमारे देश सहित पूरी दुनिया के समक्ष कड़ी चुनौतियां आई हैं, तथापि भारत में कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो हुई क्षति की रिकवरी के लिए देश की सहायता कर रहा है। यह सरकार का ‘’आत्‍मनिर्भर भारत की संकल्‍पना’’ तथा भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सकारात्‍मक कदम है।
श्री तोमर ने बताया कि कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी। वैकल्पिक व्‍यापार चैनल उपलब्ध होने से किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेंगे, अंतरराज्‍यीय व राज्‍य में व्यापार सरल होगा।

  प्रमुख लाभ:                    
  • कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्‍यापारियों को “अवसर की स्‍वतंत्रता”
  • लेन-देन की लागत में कमी,
  • मंडियों के अतिरिक्‍त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्‍करण यूनिटों पर व्‍यापार के लिए अतिरिक्‍त चैनलों का सृजन
  • किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्‍स्‍थता में कमी आएं
  • देश में प्रतिस्‍पर्धी डिजिटल व्‍यापार का माध्‍यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम
  • अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें।


किसानों के हितों का संरक्षण-बिल में, किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था का प्रावधान है। भुगतान सुनिश्चित करने हेतु प्रावधान है कि देय भुगतान राशि के उल्लेख सहित डिलीवरी रसीद उसी दिन किसानों को दी जाएं। मूल्य के संबंध में व्यापारियों के साथ बातचीत करने के लिए किसानों को सशक्त बनाने हेतु प्रावधान है कि केंद्र सरकार, किसी भी केंद्रीय संगठन के माध्यम से, किसानों की उपज के लिए मूल्य जानकारी और मंडी आसूचना प्रणाली विकसित करेगी।
 
 कोई विवाद होने पर निपटाने के लिए बोर्ड गठित किया जाएगा, जो 30 दिनों के भीतर समाधान करेगा। इस विधेयक का उद्देश्‍य ढुलाई लागत, मंडियों में उत्‍पादों की बिक्री करते समय प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप से लिए गए विपणन शुल्‍कों का भार कम करना तथा फसलोपरांत नुकसान को कम करने में मदद करना है। किसानों को उपज की बिक्री करने के लिए पूरी स्‍वतंत्रता रहेगी।
 


श्री तोमर ने बताया कि कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है, जो पारस्परिक रूप से सहमत लाभकारी मूल्‍य फ्रेमवर्क पर भावी कृषि उत्‍पादों की बिक्री व फार्म सेवाओं के लिए कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं एवं निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त व संरक्षित करता है। 
 
राष्ट्रीय कृषि नीति में परिकल्पना की गई है कि "निजी क्षेत्र की भागीदारी को फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा ताकि उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, पूंजी प्रवाह व उत्पादित फसलों विशेषकर तिलहन, कपास व बागवानी के लिए सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराया जा सकें।" इसकी मुख्य विशेषताएं अनुबंधित किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज की आपूर्ति, सुनिश्चित तकनीकी सहायता, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा व फसल बीमा की सुविधा उपलब्ध कराना हैं।

   प्रमुख लाभ:   
  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन
  • उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट
  • अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद
  • अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति
  • क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति
  • शीघ्र वितरण/प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद
  • अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान
  • सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव।

 New  Bill :किसान को खेत से ही फसल की जांच, पैकिंग व ढुलाई की सुविधा मिलेगी

किसानों के हितों का संरक्षण-देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें अपनी कम मात्रा की उपज को बाजारों में ले जाने और उसका अच्छा मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है। आमतौर पर, अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए वाहन क्षमता के अनुरूप पर्याप्त वजन न होने व बातचीत क्षमता की कमी के कारण किसानों को परिवहन लागत के लिए ज्यादा पेमेंट करना पड़ता है। ऐसी कठिनाइयों से किसानों को बचाते हुए अब खेत से उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन की सुविधा मिल सकेगी।
  किसी भी प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए किसानों को उनकी उपज के गुणवत्ता आधारित मूल्य के रूप में अनुबंधित भुगतान किया जाता है। कृषि उपज के लिए करारों को बढ़ावा देने से इनकी उच्च गुणवत्ता तथा निर्धारित आमदनी की प्रक्रिया मजबूत होती है, जिसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न चरणों में कृषि को जोखिम से बचाना है। ये करार उच्च मूल्य वाली कृषि उपज के उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए उद्यमियों द्वारा निवेश को बढ़ाने तथा निर्यात को बढ़ावा देने में मददगार होंगे। कृषि समझौते के तहत विवाद होने पर सुलह व विवाद निपटान तंत्र भी काम करेगा।
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MyGov-Launches-Hindi-Twitter-handle-Telegram -Channel-अब-सरकार-से-ट्विटर-टेलीग्राम-पर-हिंदी-में-भी-हो-सकेगा-संवाद

एएबी समाचार।
हिन्दी दिवस के अवसर पर भारत सरकार की जनसहभागिता का मंच माईगव भी हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध  हो गया है। इस मौके पर भारत सरकार के जनसहभागिता के मंच माईगव ने हिन्दी का ट्विटर हैंडल और टेलीग्राम चैनल की शुरुआत की है ।
 
माईगव का हिन्दी ट्विटर हैंडल @MyGovHindi बनाया गया । जिस पर भारत सरकार के योजनाओं व गतिविधियों की नवीनतम जानकारी हिन्दी में इन्फोग्राफिक्स, वीडियो व पॉडकास्ट के जरिए मुहैया की जाएगी । टेलीग्राम पर भी MYGOV ने अपने आधिकारिक हिन्दी चैनल की शुरुआत की है। इस चैनल से इस लिंक के जरिए जुड़ा जा सकता है। https://t.me/MyGovHindi
 

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सोशल मीडिया - ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और लिंक्डइन - पर MYGOV सबसे सक्रिय उपयोगकर्ताओं  में से एक है । ट्विटर पर इसके 22 लाख , फेसबुक पर 12 लाख  और इंस्टाग्राम पर 10 लाख से अधिक फॉलोवर्स हैं। 
26 जुलाई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सरकारी कार्यक्रमों और नीतियों से संबंधित नागरिक सहभागिता को बढ़ाने के उद्देश्य से MYGOV शुरू किया गया था । जो अब जनभागीदारी एवं सूचना प्रसार के एक पसंदीदा मंच के साथ-साथ कोरोना के इस कठिन समय में नागरिकों के लिए जानकारी का एक विश्वसनीय स्रोत बन गया  है । 
2014 में शुरू  होने के बाद से, MYGOV में 134 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं, 969 कार्यों में 8,32,944  के आसपास जानकारी प्रेषित  की गयी और 845 चर्चा मंचों पर लगभग 45 लाख  से अधिक टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं । 138 प्रश्नोत्तरी कार्यक्रमों में लगभग 61 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया है और 27 शपथ  में 41.65 लाख शपथ ली गई है।
 
 
13 राज्यों में MYGOV के राज्यव्यापी उदाहरण भी उतारे  गए और अन्य राज्य भी इस राह पर आगे बढ़ रहे हैं । वर्त्तमान में लगभग सभी सरकारी विभाग अपने नागरिक सहभागिता की गतिविधियों, नीति निर्माण के लिए परामर्श और साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के बारे में नागरिकों को जानकारी प्रसारित करने के लिए MYGOV मंच का लाभ उठाते हैं ।

IPFT-Develops-Two-New-Disinfectant-सख्त-सतहों-व-फल-सब्जियों-को-करेंगे-कीटनाशक-मुक्त

एएबी समाचार।
कोविड-19 महामारी के समय में भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन व पेट्रोरसायन विभाग अधीनस्थ स्वायत्त संस्थान कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (IPFT) ने दरवाजों,खिडकियों, मेज-कुर्सियों की सतहों और फल-सब्जियों को कीटाणु मुक्त करने के लिए दो अलग-अलग  नए कीटाणुनाशक स्प्रे सफलतापूर्वक विकसित किए  हैं ।
 

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गुरुग्राम स्थित कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान  ( IPFT - Institue of Pesticide Formulation and Techonlogy) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दरवाजों व कुर्सियों के हत्थों, कंप्यूटर के की-बोर्ड और माउस इत्यादि से सूक्ष्म विषाणु और जीवाणु के संक्रमण अप्रत्यक्ष संपर्क के जरिए भी फैल सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए आईपीएफटी ने अल्कोहल आधारित कीटाणु नाशक स्प्रे विकसित किया है जो वनस्पतिक आधारित विषाणु और जीवाणु रोधी है ।
 

यह सूक्ष्म जीवाणुओं-विषाणुओं द्वारा विभिन्न संक्रामक रोगों के नियंत्रण में प्रभावी उपाय हो सकता है । यह स्प्रे तेजी से हवा में उड़ जाता है और किसी सतह, दरवाजे इत्यादि पर स्प्रे करने के बाद इसके धब्बे, महक या नमी नहीं छूटती।
 

IPFT Develops New Pesticides : सब्जियों तथा फलों  का कीटनाशक
 

आईपीएफटी ने सब्जियों तथा फलों  पर से  कीटनाशकों के बचे हुए दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए भी कीटाणुनाशक स्प्रे विकसित किया है । फल एवं सब्जियां दैनिक पोषण के लिए व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल की जाती हैं । कई फलों और सब्जियों पर इस्तेमाल होने वाले कीटाणुनाशक या रोग नाशी दवाओं का असर लंबे समय तक बना रहता है जिसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम हो सकता है।

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 फल और सब्जियों को मानव उपयोग के लिए शत प्रतिशत सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से ही आईपीएफटी ने जल आधारित सूत्रीकरण विकसित किया है। इसका उपयोग बेहद आसान है। इस स्प्रे को पानी में मिलाकर उसमें 15 से 20 मिनट के लिए फल अथवा सब्जी को छोड़ देने के उपरांत उसे स्वच्छ पानी से साफ कर देना होता है। इस सामान्य प्रक्रिया को अपनाने के बाद फल एवं सब्जियां पूरी तरह से रसायन मुक्त हो जाती हैं।
 

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उल्लेखनीय है कि हरियाणा के गुरुग्राम स्थित आईपीएफटी की स्थापना मई 1991 में भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन तथा पेट्रोरसायन विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी। तब से यह संस्थान सुरक्षित, प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल कीटनाशकों का विकास करता रहा है। आईपीएफटी के चार प्रशासनिक संभाग हैं, जिसमें शुद्धीकरण तकनीकी विभाग, जैव विज्ञान विभाग, विश्लेषण विज्ञान विभाग और प्रक्रिया विकास विभाग शामिल हैं।

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