अगस्त 2023

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 AAB NEWS/ नागरिकों को जियो-टैग तस्वीरों और मौलिक सूचना से अवैध कोयला खनन की घटनाओं की रिपोर्ट करने की अनुमति देने वाला मोबाइल ऐप- खनन प्रहरी अवैध कोयला खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में कोयला मंत्रालय द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। कोयला खदान निगरानी और प्रबंधन प्रणाली (सीएमएसएमएस) नामक संबंधित वेब पोर्टल भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स, गांधीनगर और सीएमपीडीआई, रांची के सहयोग से विकसित किया गया है।



अवैध कोयला खनन पर्यावरण, अवैध खनन में शामिल लोगों के जीवन और पारंपरिक निर्वाह आधार और देश की अर्थव्यवस्था में सामान्य गिरावट के लिए खतरा पैदा करता है। सरकार का लक्ष्य ई-गवर्नेंस (E-GOVERNESS) पहल के रूप में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अवैध खनन के खिलाफ पारदर्शी कार्रवाई करना है। 
 
सरकार इस खतरे से निपटने में जनता की भागीदारी के महत्व को पहचानती है। खनन प्रहरी मोबाइल ऐप अवैध कोयला खनन के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने के लिए नागरिकों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है।

खनन प्रहरी मोबाइल ऐप और सीएमएसएमएस वेब पोर्टल (CMSMS WEB PORTAL) का उद्देश्य अवैध कोयला खनन के बारे में रिपोर्टिंग के माध्यम से सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।

खनन प्रहरी मोबाइल ऐप की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

घटनाओं की रिपोर्टिंग: उपयोगकर्ता तस्वीरें लेकर और घटना पर टिप्पणियाँ प्रदान करके आसानी से अवैध खनन की घटनाओं की जानकारी दे सकते हैं। ऐप जीपीएस लोकेशन सुविधा को सक्षम करके तस्वीरों की जियोटैगिंग (GEO TAGGING) की अनुमति देता है।

गोपनीयता: गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उपयोगकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है।

शिकायत ट्रैकिंग: शिकायतकर्ताओं को एक शिकायत संख्या प्राप्त होती है, जिसका उपयोग वे खनन प्रहरी मोबाइल ऐप पर अपनी रिपोर्ट की गई शिकायतों की स्थिति को आसानी से ट्रैक करने के लिए कर सकते हैं।

अब तक खनन प्रहरी मोबाइल ऐप को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें कुल 483 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 78 शिकायतों का सत्यापन हो गया है, तदनुसार उचित कार्रवाई की गई है। खनन प्रहरी मोबाइल ऐप एंड्रॉइड-आधारित मोबाइल फोन के लिए गूगल के प्ले स्टोर और आईओएस-समर्थित आईफोन के लिए एप्पल स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।

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AAB NEWS/
दुनिया चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने के रूस और भारत के प्रयासों को एक चूहा  दौड़ के रूप में देख रही है। लेकिन रूस के लूना-25 अंतरिक्ष यान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से सभी की निगाहें भारत पर टिक गयीं हैं उनके बीच यह जाने की बेचैनी बढ़ती जा रही है कि चंद्रमा पर उतरने का भारत का दूसरा प्रयास सफल होगा या नहीं।

क्या है-चंद्रयान-3 ?

 
चंद्रमा की माटी को छूते ही चंद्रयान-3 मिशन भारत को चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला चौथा और चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना देगा। अभी तक केवल  तीन देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस  और चीन - चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतार चुके हैं।

चंद्रयान-3, यानी  "चंद्रमा वाहन", पिछले महीने आंध्र प्रदेश के सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्च किया गया था। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो अंतरिक्ष यान-जिसमें कोई भी अंतरिक्ष यात्री नहीं है-दो सप्ताह के लिए चंद्रमा की सतह पर सक्रिय  रहेगा।  

वहां यह चन्द्रम की सतह की खबर लेने के लिए 60 पाउंड, सौर ऊर्जा से संचालित रोवर को तैनात करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार, मिशन का घोषित मकसद  चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से उतरना, रोवर तैनात करना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है। 


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क्या भारत पहले भी चांद पर कदम रखा  है?

 
नहीं ! पर  भारत का चंद्रयान-1 मिशन 2008  में शुरू हुआ था। जो चंद्र जल अणुओं की खोज के लिहाज से  अहम् था, लेकिन  यह अभियान एक अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के बजाय एक प्रभाव जांच था।

देश ने दूसरी बार वर्ष 2019 में चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यान उतारने की कोशिश की, लेकिन लैंडिंग से कुछ मिनट पहले लैंडर से संपर्क टूट जाने की वजह से चंद्रयान-2 विफल हो  गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय कहा,  " "चाँद को छूने का हमारा संकल्प और भी मजबूत हो गया है।"

हर कोई  बार -बार  चाँद पर जाने की कोशिश क्यों कर रहा है?
हालाँकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध-युग की होड़  ख़त्म हो चुकी हैं लेकिन कुछ हद तक अब वह  अंतरिक्ष दौड़ के रूप में नजर आ रही है ।

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चंद्रयान-3 के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत सहित कई देशों का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूदगी  स्थापित करना तो हैं ही साथ ही वे यह भी पता लगाना चाह रहे हैं कि क्या चन्द्रमा की सतह पर मौजूद बर्फ के पूल  दीर्घकालिक बस्तियों के लिए पानी प्रदान कर सकते हैं या ईंधन स्टेशन के रूप में कार्य कर सकते हैं? क्या विभिन्न तरह की अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए  पानी के घटक भागों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन, का उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में किया जा सकता है?

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AAB NEWS/
ओटीटी पर मनोरंजन तलाशने वालों केलिए हाल ही में जियो सिनेमा (JIO CINEMA) पर प्रदर्शित हुई वेब सीरीज (Web Series) कालकूट (KaalKoot) दर्शकों को खूब पसंद आ रही है। इस वेब सीरीज के आठ एपिसोड हैं। ढीली-ढाली सी शुरुआत के बाद कहानी जबर्दस्त पकड़ बनाती है और सीरीज के सिनेमाई अंत के पहले तक दर्शक रहस्य व रोमांच के सागर में गोते लगाता रहता है  

Kaalkoot Web Series की कहानी एक ऐसे पुलिस अधिकारी की है जो पुलिस की नौकरी नहीं करना चाहता है लेकिन ये ही नौकरी उसकी झोली में आ जाती है। गली बॉय, मिर्ज़ापुर और बागी 3 जैसी फिल्मों में से अपने अभिनय की पहचान बनाने वाले विजय वर्मा ने पुलिस उप निरीक्षक रवि शंकर त्रिपाठी के किरदार को बेहद जीवंत तरीके से अदा किया है। 

उनके सहयोगी बने पुलिस सिपाही यशपाल शर्मा ने सत्तू यादव और पुलिस अधिकारी SHO जगदीश सहाए बने गोपाल शर्मा की भूमिकाएं भी जबरदस्त प्रभाव छोड़ने वालीं हैं। रविशंकर की माँ की भूमिका में सीमा विश्वास भी बेहद सहज लगीं हैं

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Kaalkoot
Web Series (वेब सीरीज) के संवाद भी प्रभावी हैं लेकिन कहीं कहीं गालियों का प्रयोग भी किया गया है जो कई दृश्यों में गैर जरूरी लगीं । कहानी में कुछ प्रसंग भी हैं जो जबरन ठूंसे ही से लगे। जैसे एक दृश्य में रविशंकर की बुआ का क्षेपक जोड़ा गया जो कहानी के प्रवाह को बढ़ने की जगह तोड़ने वाला लगा। ऐसा लगता है जैसे कहानीकार के दिमाग से अभी भी   बिना गाली और सेक्सी संवाद के web series सफ़ल नहीं होने दकियानूसी बन चुका फार्मूला अभी असर   बनाए हुए है 

 Kaalkoot Web Series का संगीत भी कहानी के अनुरूप ही है। फिल्मानकन भी बहुत अच्छा किया गया है। दृश्य संयोजन भी लाजवाब है 

 लेकिन Kaalkoot Web Series का अंत बेहद फ़िल्मी है। जो पूरी कहानी के सहज जमीन सी जुडी प्रस्तुति से मेल नहीं खाता नजर  नहीं आता है अच्छी खासी रहस्य और रोमांच के साथ आगे बढ़ती कहानी में अचानक से गोलियों की बौछार होने लगती है पुलिस बल एक के बाद एक टपा-टप टपकने लगते हैं  

ऐसा लगता है जैसे सीधे -सादे  से मुख्य किरदार के शरीर में अचानक से बम्बैया हिंदी फिल्म के किसी  हीरो की आत्मा प्रविष्ट हो गयी हो वह भी शरीर में लोहे की सलाखें घुसने के बाद भी गाडी चलाता रहता है, पानी में डूबता है फिर खलनायक से जंग लड़ता है लेकिन उसके अन्दर की शक्ति कम होने का नाम ही नहीं लेती है 

Kaalkoot Web Series के इस सिनेमायी अंत को छोड़ दें तो कुल मिलकर अपने मित्रों को  kaalkoot वेब सीरीज देखने की सलाह दी जा सकती है 

 Click To Watch KaalKoot

 
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AAB NEWS/
रेलवे स्टेशनों पर आने वाले यात्रियों के कल्याण और भलाई के लिए भारतीय रेलवे ने कुछ रेलवे स्टेशनों के सर्कुलेटिंग एरिया और कॉनकोर्स में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) स्थापित करने के लिए एक नीतिगत ढांचा तैयार किया है, जिनका संचालन लाइसेंसधारक करेंगे। पायलट परियोजना के लिए पहचाने गए 50 स्टेशनों की सूची अनुबंध-I में संलग्‍न है।

लाखों दैनिक आगंतुकों और यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, भारतीय रेलवे अपने स्टेशनों पर सुविधाओं में लगातार वृद्धि कर रहा है। रेलवे स्टेशनों पर पीएमबीजेके स्थापित करने के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

सभी को किफायती मूल्यों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां और उपभोज्‍य वस्तुएं (जनऔषधि उत्पाद) उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के मिशन को बढ़ावा देना।


रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों/आगंतुकों को जनऔषधि उत्पादों का आसानी से उपयोग करने में सक्षम बनाना।


किफायती मूल्‍यों पर दवाइयां उपलब्‍ध कराकर समाज के सभी वर्गों के बीच कल्याण और भलाई को बढ़ावा देना।


पीएमबीजेके खोलने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना और उद्यमियों के लिए अवसर जुटाना।

इस योजना के तहत पीएमबीजेके को 'अपेक्षित यात्री सुविधा' माना जाएगा और उसके अनुसार रेलवे वाणिज्यिक रूप से लाइसेंसधारकों द्वारा संचालन के लिए सर्कुलेटिंग एरिया और स्टेशनों के कॉनकोर्स में तैयार किये गए आउटलेट उपलब्‍ध कराएगा।

ये आउटलेट सुविधाजनक स्थानों पर सर्कुलेटिंग एरिया/परिसरों में स्थित होंगे, ताकि स्‍टेशनों पर आने और जाने वाले सभी यात्रियों को लाभ हो।

पीएमबीजेके रेलवे डिवीजनों द्वारा पहचान किए गए स्थानों पर लाइसेंसधारियों द्वारा स्थापित और संचालित किए जाएंगे। आईआरईपीएस के माध्यम से संबंधित रेलवे डिवीजनों के साथ ई-नीलामी द्वारा स्टाल प्रदान किए जाएंगे। इन स्टालों को एनआईडी अहमदाबाद द्वारा डिजाइन किया जाएगा।

पीएमबीजेके आउटलेट्स के सफल बोलीदाताओं को जन औषधि की दुकान चलाने के लिए आवश्यक अनुमति और लाइसेंस प्राप्त करना होगा तथा उन्‍हें दवाइयों के भंडारण के लिए सभी वैधानिक आवश्यकताओं का भी अनुपालन करना होगा।

पीएमबीजेके आउटलेट्स के सफल बोलीदाताओं को परिचालन शुरू करने से पहले पीएमबीजेके के लिए नोडल एजेंसी यानी फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) और जनऔषधि योजना (पीएमबीआई द्वारा अनिवार्य) के लिए अधिकृत वितरकों के साथ भी एक समझौता करना होगा।
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AAB NEWS/
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) भूमि प्रबंधन और प्रशासन की नई पहलों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए भूमि संसाधन विभाग का राष्ट्रीय मीडिया अभियान शुरू किया गया है। 
 
गिरिराज सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने साध्वी निरंजन ज्योति, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री,अजय तिर्की सचिव, भूमि संसाधन विभाग और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में भूमि संसाधन विभाग के मीडिया अभियान के शुभारंभके मौके पर यह बात कही।
 
उन्होंने यह भी बताया कि अभियान के पहले चरण में राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली, डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई और कैक्टस परियोजना को शामिल किया गया है। भूमि विनियमन (एनजीडीआरएस) के बारे में केंद्रीय मंत्री ने यह बताया कि इस घटक के तहत भारत सरकार ने राज्यों में उप रजिस्ट्रार कार्यालयों (एसआरओ) के कम्प्यूटरीकरण के लिए राज्य सरकारों को 100% वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 2016 में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) शुरू किया है। 
 
इस राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) के तहत राज्य-विशिष्ट अनुकूलन की सुविधा के साथ एक राष्ट्र एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस प्रणाली की शुरूआत के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में समय और धन की बचत होती है तथा पूरी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो जाती है।

डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई कार्यक्रम के संबंध में, श्री सिंह ने उल्लेख किया कि भूमि संसाधन विभाग ने वर्ष 2009 से वाटरशेड विकास कार्यक्रम लागू किया है जिसे वर्ष 2015-16 में पीएमकेएसवाई योजना के साथ मिला दिया गया था। 
 
इसके तहत किए गए कार्यकलापों में, अन्य बातों के साथ-साथ, रिज क्षेत्र निरूपण, जल निकासी लाइन निरूपण, मृदा एवं नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी लगाना, वनीकरण, बागवानी, चारागाह विकास, परिसंपत्तिहीन व्यक्तियों के लिए आजीविका आदि शामिल हैं। 
 
केंद्रीय मंत्री ने सूचित किया कि मीडिया अभियान के माध्यम से भूमि संसाधन विभाग लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए विभाग के वाटरशेड विकास कार्यकलापों के बारे में जागरूकता पैदा करेगा। 
 
केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि विभाग, वर्षा सिंचित और अवक्रमित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) का कार्यान्वयन कर रहा है। 97 मिलियन हेक्टेयर में से लगभग 29 मिलियन हेक्टेयर अवक्रमित भूमि को वाटरशेड परियोजनाओं के तहत कवर किया गया है, जो शायद विश्व स्तर पर सबसे बड़ा अभियान है।

कैक्टस परियोजना के बारे में चर्चा करते हुए, ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि नोपल्स कैक्टस – एक प्रकार का शूलरहित पौधा है जिसे फलने-फूलने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह वाटरशेड क्षेत्रों में रोपण के लिए बहुत उपयुक्त है। 
 
विभिन्न शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि कैक्टस का पौधा मुख्य रूप से बायो-गैस उत्पादन, बायो-लेदर, जैव-उर्वरक, चारा, औषधि और खाद्य सामग्री के लिए उपयोगी है। इस मीडिया योजना के माध्यम से, विभाग कैक्टस परियोजना के लाभों के बारे में लोगों को जागरूक करने की परिकल्पना करता है।

साध्वी निरंजन ज्योति, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने अपने संबोधन में डीआईएलआरएमपी और डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 की दो योजनाओं के तहत भूमि संसाधन विभाग द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरकार के प्रयासों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए मीडिया अभियान के महत्व का उल्लेख किया ताकि लोग प्रदान की जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं का सर्वोत्तम उपयोग कर सकें।

इन कार्यक्रमों के बारे में आम जनता को जागरूक करने के लिए, विभाग ने एक मीडिया योजना तैयार की है जिसे आज लॉन्च किया गया। अभियान के पहले चरण में आउटडोर मीडिया, सोशल मीडिया, बल्क एसएमएस और रेडियो जिंगल घटक शामिल होंगे। 
 
मीडिया अभियान के पहले चरण के शुभारंभ के बाद, अतिरिक्त घटकों को व्यापक और लक्षित कवरेज के लिए बाद में जोड़ा जाएगा। आज के शुभारंभ का मुख्य बिंदु रेडियो जिंगल्स था जो भूमि संसाधन विभाग में विभागीय रूप से बनाए गए थे।

ग्रामीण विकास मंत्री ने भूमि संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा दिखाई गई उच्च गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिकता की सराहना की और निर्देश दिया कि दोनों कार्यक्रमों के संदेश देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचने चाहिए।

पृष्ठभूमि:

भूमि संसाधन विभाग ने हाल के वर्षों में नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए कई पहलें की हैं। डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत, विभाग नागरिकों के लाभ के लिए भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण और भूकर मानचित्रों के डिजिटलीकरण का प्रयास कर रहा है। उदाहरण के लिए, अधिकारों के अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण और रजिस्ट्रीकरण कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण के संदर्भ में, 8 अगस्त 2023 तक राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि 94% है। 
 
इसी प्रकार, देश में 76% नक्शों का डिजिटलीकरण हुआ है। इसके अलावा, भूमि संसाधन विभाग सभी भू-खंडों को भू आधार या विशिष्ट भू-खंड पहचान संख्या प्रदान कर रहा है; और एक साल के समय में, लगभग 9 करोड़ भू-खंडों को भू आधार सौंपा गया है। 
 
पहले, दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण मैनुअली होता था लेकिन अब यह ई-रजिस्ट्रीकरण के रूप में किया जा रहा है। इसने अर्थव्यवस्था को खोल दिया है और बड़े पैमाने पर पूंजी निर्माण की सुविधा प्रदान की है।
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पीएम रोजगार मेला योजना
 (PM Modi Rojgar Mela)


प्रधानमंत्री मोदी
रोजगार मेला योजना के तहत शुरू हुए भर्ती अभियान में दस लाख से ज्यादा  लोगों का चयन हुया। उन चयनितों में से करीब 71000 लोगों को मोदी सरकार द्वारा साल 2023 में 20 जनवरी  को नियुक्ति पत्र दिए गए। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए नवनियुक्तों के साथ  हैं संवाद किया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी जी के द्वारा वर्ष 2022 में 22 अक्टूबर के दिन कई मंत्रियों की मौजूदगी में रोजगार मेला योजना की शुरुआत की थी 

 

पीएम रोजगार मेला योजना उद्देश्य 
(PM Rojgar Mela Yojana Objective)


पीएम रोजगार मेला योजना  को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में सुशासन की पहचान बताया। उन्होंने कहा कि इस योजना की शुरुआत ख़ास तौर पर लोगों को उनकी योग्यता के हिसाब से उचित पदों पर नौकरी प्रदान करने के लिय की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने सिर्फ रोजगार का वादा ही नहीं किया बल्कि हमने रोजगार उपलब्ध करवाकर भी दिखाया। इसकी वजह से हमारे देश में रोजगार ही नहीं बल्कि स्वरोजगार का भी स्तर काफी तेजी के साथ बढ़ेगा।

  पीएम रोजगार मेला योजना विशेषताएं  
(PM Rojgar Mela Key Features)
  • योजना के अंतर्गत वर्तमान के समय में तकरीबन 10,00,000 लोगों में से 71,000 लोगों को सरकार के द्वारा उनके पदों पर नियुक्ति पत्र प्रदान किए जा रहे हैं।

  • जहां पहले पदोन्नति के मामले में काफी रुकावट आती थी वहीं अब इस योजना की वजह से सरकार कम समय में और सुव्यवस्थित ढंग से पदोन्नति प्रदान कर रही है।

  • रोजगार मेला की वजह से अधिक से अधिक रोजगार पैदा होंगे और युवाओं को भी उनके सशक्तिकरण और नेशनल डेवलपमेंट मे भागीदारी करने के लिए जरूरी अवसर प्राप्त होंगे।

  • इस योजना के अंतर्गत भारतीय गवर्नमेंट के द्व तहत जूनियर इंजीनियर, लोको पायलट, तकनीशियन, निरीक्षक, उप निरीक्षक, कांस्टेबल, स्टेनोग्राफर, जूनियर एकाउंटेंट, ग्रामीण डाक सेवक, आयकर निरीक्षक, शिक्षक, नर्स, डाक्टर, सामाजिक सुरक्षा अधिकारी, पीए, एमटीएस जैसे विभिन्न पदों पर तैनाती दी जाएगी।

 

कौन है पीएम रोजगार मेला के लिए पात्र?
Who Is Eligible For PM Rojgar Mela?

प्रधानमंत्री मोदी रोजगार मेला योजना के अंतर्गत अलग-अलग पदों के हिसाब से पात्रता का पैमाना भी अलग-अलग है। फिर भी किसी भी पद के लिए आवेदन करने पर न्यूनतम  योग्यता भारत का नागरिक होना व न्यूनतम उम्र 18 साल आवश्यक दस्तावेजों का होने की पात्रता जरूरी है।

पीएम रोजगार मेला-जरूरी दस्तावेज 
(PM Rojgar Mela Documents)

योजना के अंतर्गत अलग-अलग पदों पर नियुक्तियां दी जाती हैकुछ सामान्य दस्तावेज है जो हर पद के साथ जरूरी होते हैं उनकी सूची निम्नानुसार है।

  • आधार कार्ड की फोटो कॉपी

  • पैन कार्ड की फोटो कॉपी

  • पासपोर्ट साइज की रंगीन फोटो

  • फोन नंबर

  • ईमेल आईडी

  • अन्य दस्तावेज

 
पीएम रोजगार मेला योजना में पंजीयन कैसे कराएँ ?
How To Get Registered For PM Rojgar Mela? 

 

यदि आप इस रोजगार मेला का हिस्सा बनना चाहते हैं तो आपको श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की अधिकारिक वेबसाइट या कार्यालय में जाकर अपना पंजीयन कराना होगा जिसे हम रोजगार पंजीयन भी कहते हैं इसके बिना आपको इसका लाभ नहीं मिल सकेगा। रोजगार पंजीयन के लिए नीचे दी गई प्रक्रिया को अपनाएं.

ऑनलाइन पंजीयन
Online Registration

  • रोजगार पंजीयन कराने के लिए आपको सबसे पहले अपने राज्य की श्रम एवं रोजगार विभाग की अधिकारिक वेबसाइट में जाना होगा.

  • इसके बाद आपको उसमे खुद को पंजीकृत (Register) करना होगा. इसके लिए आप वेबसाइट में दिए हुए रजिस्टर बटन पर क्लिक करें.

  • इसके बाद आपसे रजिस्ट्रेशन के लिए जो भी जानकारी वहां मांगी जा रही है. आपको वह भरना है और फिर रजिस्टर(Register) बटन पर क्लिक कर देना है.

  • इस तरह से आप इसमें रजिस्टर हो जायेंगे इसके बाद आपकी स्क्रीन पर रजिस्ट्रेशन(Registration) नंबर दिखेगा   आपको उसे सुरक्षित जगह पर लिख लेना है.

  • इसकी जरुरत आपको आगे रोजगार मेला में हिस्सा लेने में पड़ सकती है.

 

ऑफलाइन पंजीयन 
Offline Registration

यदि आप इसमें ऑफलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो आपको अपने पास के रोजगार कार्यालय में जाकर रोजगार पंजीयन का फॉर्म प्राप्त कर लेना होगा. इसके बाद आप यह फॉर्म भरें और उसे उसी कार्यालय में जमा कर दें. इस तरह से आपका रोजगार पंजीयन हो जायेगा.

नोट :- रोजगार पंजीयन भी एक निश्चित समय के लिए होता है यदि आपने इसमें रजिस्टर किया है तो आपको इसे कुछ साल बाद रिन्यू भी कराना होगा.

रोजगार पंजीयन नवीनीकरण 
Renewal

रिन्यू कराने के लिए आपके पास आपका रोजगार कार्ड एवं पंजीयन नंबर होना आवश्यक है.
अब आपको अपने राज्य के रोजगार विभाग की अधिकारिक वेबसाइट या रोजगार कार्यालय में जाना होगा.
वहां आपको पंजीयन नवीनीकरण का विकल्प मिलेगा आपको उस पर क्लिक करना है. और वहां से आपको इसे रिन्यू कर लेना है.
 

पीएम रोजगार मेला 22 जुलाई को लगेगा
Rojgar Mela 2023

पिछले साल शुरू हुई रोजगार मेला योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा अब तक 6 मेला का आयोजन किया जा चूका है. बा तक इस योजना के तहत 4.33 लाख युवाओं को नौकरी मिल चुकी है. और अब 7वां मेला लगने वाला है जोकि 22 जुलाई को है. यदि आप इसमें भाग लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको आवेदन करना होगा.

पीएम रोजगार मेला हेल्पलाइन नंबर 
 PM Rojgar Mela Helpline Number

प्रधानमंत्री मोदी रोजगार मेला योजना के बारे में हमने सारी जानकारी आपको इसी आर्टिकल में उपलब्ध करवाने का प्रयास किया, परंतु इसके बावजूद अभी भी आपको इस योजना के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करनी है तो आप योजना के लिए जारी किए गए आधिकारिक टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते हैं, आपको बता दें कि हर राज्य के रोजागर कार्यालय का हेल्पलाइन नंबर अलग अलग होता है जोकि आपको उसकी अधिकारिक वेबसाइट पर मिलेगा

All About Business, Beauty Products

AAB NEWS/
हाल ही में अपने जन्मदिन के मौके पर कृति सेनन ने अपने स्किनकेयर ब्रांड हाइफ़न को बाजार में उतारने की घोषणा की।   वर्तमान में, हाइफ़न श्रंखला में 4 उत्पाद  शामिल है;   - एसपीएफ़ 50 के साथ एक सनस्क्रीन, चमकती त्वचा के लिए एक फेस सीरम और दो बैरियर रिपेयर क्रीम प्रत्येक तैलीय और शुष्क त्वचा के लिए।
 

उत्पादों की  कीमतें 449 रुपये से शुरू होती हैं और 649 रुपये तक जाती हैं; यह किसी लोकप्रिय शख़्सियसत  के नाम से जुड़ी अब तक की बेहद  किफायती कीमतें हैं ।
 


भारतीय सौंदर्य उत्पादों के बाजार में इन उत्पादों के जरिये सेरामाइड्स, पेप्टाइड्स और अल्फा अर्बुटिन जैसे तत्वों को मुहैया कराया गया है । 100% शाकाहारी-निर्मित होने के दावे के  साथ-साथ,  वेबसाइट पर प्रत्येक उत्पाद के लिए विस्तृत  सूची मौजूद है।   

कृति सेनन को हमेशा से ही त्वचा की देखभाल का बहुत शौक माना जाता है। जानकारी के मुताबिक, वह रात में अपनी त्वचा की देखभाल करती हैं और दिन की शुरुआत भी अपनी त्वचा की दोहरी सफाई से करती हैं।
शुरुआत में क्लींजिंग ऑयल के इस्तेमाल से मेकअप हट जाता है और फिर फेसवॉश से त्वचा को साफ किया जाता है। इसके बाद वह गुलाब जल का इस्तेमाल करती हैं। उनके अनुसार, "नम त्वचा उत्पादों को बेहतर तरीके से अवशोषित करती है।"
वह अपनी हथेलियों में नियासिनमाइड टोनर डालती है और इसे अपने चेहरे पर लगाती है।

अगली पंक्ति में हाइड्रेटिंग सीरम है, जो पेप्टाइड्स और हायल्यूरोनिक एसिड के साथ आता है। फिर त्वचा को फिर से जीवंत करने के लिए एक सौम्य रेटिनॉल सीरम लगाया जाता है। सैनॉन फिर सेरामाइड्स युक्त मॉइस्चराइज़र का उपयोग करती है, जो हमारी त्वचा का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा बनता है। सेरामाइड्स हमारे चेहरे के साथ-साथ हमारे पूरे शरीर के सर्वोत्तम स्वास्थ्य और दिखावट के लिए महत्वपूर्ण हैं।

कोलेजन की तरह, उम्र के साथ त्वचा में इसका उत्पादन कम हो जाता है। होठों की देखभाल भी उनकी रात्रि त्वचा देखभाल का एक हिस्सा है। वह अपनी उंगलियों से लिप बाम लगाती हैं और उसी से आंखों के कोनों पर थोड़ा सा मलती हैं।

एक्ट्रेस के मुताबिक, अगर आपके चेहरे पर कोई पिंपल है तो पिंपल पैच का इस्तेमाल किया जा सकता है। अभिनेत्री अपनी पलकों और भौंहों पर अरंडी के तेल और जैतून के तेल का मिश्रण लगाकर इसे पूरा करती है।

फिल्म सेट पर दिन भर की शूटिंग के बाद कृति ने यह भी बताया कि अपनी त्वचा को ठीक से कैसे साफ किया जाए। वह वास्तव में वहां पहुंचने और अशुद्धियों को दूर करने के लिए दोहरी सफाई की दिनचर्या का पालन करती है।

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 AAB NEWS/ 31 JUL 2023 

सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद आज संसद द्वारा पारित कर दिया गया। इस विधेयक को 20 जुलाई, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद 27 जुलाई, 2023 को इसे पारित कर दिया गया था। 40 वर्षों के बाद सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन करने वाला यह ऐतिहासिक विधेयक संसद द्वारा पारित किया गया। 

सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष 1984 में किया गया था। इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य ‘पायरेसी’ की समस्या पर व्यापक रूप से अंकुश लगाना है, जिससे कुछ अनुमानों के अनुसार फिल्म उद्योग को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। 

इस विधेयक के प्रावधानों में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है, जिसे बढ़ाकर 3 साल तक की कैद और ऑडिट की गई कुल लागत का जुर्माना किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की यह परिकल्पना है कि भारत वास्तव में समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता, जो भारत की ताकत है, के साथ दुनिया का कंटेंट हब बनने की अपार क्षमता रखता है। केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री ने भी प्रधानमंत्री की इस परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय सिनेमा को भारत की सॉफ्ट पावर और भारतीय संस्कृति, समाज एवं मूल्यों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाला माना है। 

उन्होंने कहा, “व्यवसाय करने में आसानी के साथ भारतीय फिल्म उद्योग का सशक्तिकरण और गोपनीयता के खतरे से इसकी सुरक्षा, भारत में कंटेंट सृजन करने से जुड़े इकोसिस्टम के विकास का एक लंबा रास्ता तय करेगी और इस क्षेत्र में काम करने वाले सभी कलाकारों एवं कारीगरों के हितों की रक्षा करने में मदद करेगी।”

सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 को जब आज लोकसभा में चर्चा और पारित करने के लिए रखा गया, तो इसके बारे में बोलते हुए केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, “भारत को कहानीकारों के देश के रूप में जाना जाता है, जो हमारी समृद्ध संस्कृति, विरासत, परंपरा और विविधता को दर्शाता है। 

अगले तीन साल में हमारी फिल्म इंडस्ट्री 100 बिलियन डॉलर की हो जाएगी, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। बदलते समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पायरेसी से लड़ने तथा फिल्म इंडस्ट्री को और आगे बढ़ाने के लिए हम इस विधेयक को लेकर आए हैं। इन संशोधनों से फिल्म उद्योग को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने वाली ‘पायरेसी की समस्या पर व्यापक रूप से अंकुश लगेगा।”

श्री ठाकुर ने आगे कहा, “सरकार ने हर 10 साल में फिल्म के लाइसेंस को नवीनीकृत करने की जरूरत को खत्म कर दिया है और इसे जीवन भर के लिए वैध बना दिया है। अब नवीनीकरण के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। के. एम. शंकरप्पा बनाम भारत सरकार मामले के फैसले को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इसे पुनरीक्षण शक्ति से दूर रखा है और अब इस पर विचार करने की पूरी शक्ति का अधिकार सीबीएफसी के स्वायत्त निकाय के पास होगा।''

 

सिनेमैटोग्राफ (चलचित्र) संशोधन विधेयक:

सर्वप्रथम इस विधेयक के द्वारा फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रदर्शन की समस्या का समाधान प्रदान करने तथा इंटरनेट पर चोरी करके फिल्म की अनधिकृत प्रतियों के प्रसारण से होने वाले पायरेसी के खतरे को समाप्त करने का प्रयास किया गया है।

इस विधेयक का दूसरा उद्देश्य यह है कि इसके माध्यम से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्मों के प्रमाणन की प्रक्रिया में बदलाव करने के साथ-साथ फिल्मों के प्रमाणन के वर्गीकरण में सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है।

तीसरा, विधेयक प्रचलित शासकीय आदेशों, उच्चतम न्यायालयों के निर्णयों और अन्य प्रासंगिक कानूनों के साथ वर्तमान कानून को सुसंगत बनाने का प्रयास करता है।

ए) पायरेसी की श्रेणी में आने वाली फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग तथा उनके प्रदर्शन पर रोक लगाने के प्रावधान: सिनेमाघरों में कैम-कॉर्डिंग के माध्यम से फिल्म पायरेसी की जांच करना; इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी फिल्म की पायरेटेड कॉपी अथवा किसी भी अनधिकृत कॉपी रखने और ऑनलाइन प्रसारण तथा प्रदर्शन पर रोक लगाने के उद्देश्य से इसमें सख्त दंडात्मक प्रावधान शामिल किए गए हैं।

बी) आयु-आधारित प्रमाणीकरण: मौजूदा यूए श्रेणी को तीन आयु-आधारित श्रेणियों में उप-विभाजित करके प्रमाणन की आयु-आधारित श्रेणियों की शुरुआत की गई है, अर्थात बारह वर्ष के बजाय सात वर्ष (यूए 7+), तेरह वर्ष (यूए 13+), और सोलह वर्ष (यूए 16+)। ये आयु-आधारित संकेतक केवल अनुशंसात्मक होंगे,

इस पहल का उद्देश्य माता-पिता अथवा अभिभावकों को यह विचार करने के लिए प्रेरित करना है कि क्या उनके बच्चों को ऐसी इस तरह की फिल्में देखनी चाहिए।

सी) उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप: के. एम. शंकरप्पा बनाम भारत सरकार (2000) के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार केंद्र सरकार की पुनरीक्षण शक्तियों की अनुपस्थिति को देखना।

डी) प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता: केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता हेतु अधिनियम में केवल 10 वर्षों के लिए प्रमाणपत्र की वैधता पर प्रतिबंध को हटाया जाना।

ई) टेलीविजन के लिए फिल्मों की श्रेणी में परिवर्तन: टेलीविजन पर प्रसारण के लिए संपादित की गई फिल्मों का पुन:प्रमाणीकरण, क्योंकि केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन वाली श्रेणी की फिल्में ही टेलीविजन पर दिखाई जा सकती हैं।

एफ) जम्मू और कश्मीर का संदर्भ: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुरूप पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के संदर्भ को हटा दिया गया है।

भारतीय फिल्म उद्योग विश्व के सबसे बड़े और सर्वाधिक वैश्वीकृत उद्योगों में से एक है, यह हर वर्ष 40 से अधिक भाषाओं में 3,000 से अधिक फिल्मों का निर्माण करता है। बीते कुछ वर्षों में सिनेमा के माध्यम में और उससे जुड़े उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आ चुके हैं। 

इंटरनेट और सोशल मीडिया की सुलभता के साथ ही पायरेसी का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है। सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 आज संसद द्वारा पारित कर दिया गया, जो पायरेसी के खतरे को रोकने और व्यापार करने में सुगमता लाने के साथ ही भारतीय फिल्म उद्योग को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

 

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AAB NEWS/ 31 JUL 2023 

'न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा' पर फोकस करती राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 इस विचार को प्रतिध्वनित करती है कि किसी भी बच्चे को उसकी पृष्ठभूमि और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान के कारण शैक्षिक अवसर के मामले में पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। 

 इसमें सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है जिसमें महिला और ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल हैं। इसके अतिरिक्त एनईपी राज्यों और स्थानीय सामुदायिक संगठनों की साझेदारी से शिक्षा में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए लैंगिक आधार को एक वैकल्पित प्राथमिकता के रूप में देखने का सुझाव देती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विशेष रूप से लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए एक जेंडर इंक्लूजन फंड (जीआईएफ) स्थापित करने का प्रावधान करती है ताकि सभी लड़कियों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की राष्ट्र की क्षमता का निर्माण किया जा सके। 

बालिकाओं के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एनईपी के उद्देश्यों को सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) के लिए समर्पित संसाधनों को आवंटित करके समग्र शिक्षा 2.0 के तहत विशिष्ट प्रावधानों के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। 

समग्र शिक्षा के अंतर्गत बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न उपायों को लक्षित किया गया है, जिनमें बालिकाओं की पहुंच को आसान बनाने के लिए पड़ोस में स्कूल खोलना, बालिकाओं को आठवीं कक्षा तक निःशुल्क पोशाक और पाठ्य-पुस्तकें, दूरवर्ती/पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए अतिरिक्त शिक्षक तथा शिक्षकों के लिए आवासीय क्वार्टर, महिला शिक्षकों सहित अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति सीडब्ल्यूएसएन की बालिकाओं को कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक स्टाइपेंड, बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, बालिकाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षक संवेदीकरण कार्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों सहित लैंगिक संवेदनशीलता शिक्षण-लर्निंग सामग्री आदि शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर महिला-पुरुष अंतराल को कम करने के लिए शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) स्वीकृत किए जाते हैं, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जैसे लाभ से वंचित समूहों की बालिकाओं के लिए कक्षा छठी से बारहवीं तक आवासीय विद्यालय हैं। 

देश में 30 जून 2023 तक 6.88 लाख लड़कियों के नामांकन के साथ कुल 5639 केजीबीवी स्वीकृत किए गए हैं। केजीबीवी के उन्नयन का कार्य वर्ष 2018-19 में शुरू किया गया था और वर्ष 2022-23 तक कुल 357 केजीबीवी को टाइप-II (कक्षा 6-10) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है तथा 2010 केजीबीवी को टाइप-III (कक्षा 6-12) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है।

शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।