National Media Campaign-भूमि प्रबंधन की नयी प्रशासनिक पहलों से करेगा जनता को जागरूक
AAB NEWS/ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) भूमि प्रबंधन और प्रशासन की नई पहलों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए भूमि संसाधन विभाग का राष्ट्रीय मीडिया अभियान शुरू किया गया है।
गिरिराज
सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने साध्वी निरंजन
ज्योति, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं ग्रामीण विकास
राज्य मंत्री,अजय तिर्की सचिव, भूमि संसाधन विभाग और अन्य वरिष्ठ
अधिकारियों की उपस्थिति में भूमि संसाधन विभाग के मीडिया अभियान के शुभारंभके मौके पर यह बात कही।
उन्होंने यह भी बताया कि अभियान के पहले चरण में राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली, डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई और कैक्टस परियोजना को शामिल किया गया है। भूमि विनियमन (एनजीडीआरएस) के बारे में केंद्रीय मंत्री ने यह बताया कि इस घटक के तहत भारत सरकार ने राज्यों में उप रजिस्ट्रार कार्यालयों (एसआरओ) के कम्प्यूटरीकरण के लिए राज्य सरकारों को 100% वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 2016 में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) शुरू किया है।
इस राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) के तहत राज्य-विशिष्ट अनुकूलन की सुविधा के साथ एक राष्ट्र एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस प्रणाली की शुरूआत के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में समय और धन की बचत होती है तथा पूरी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो जाती है।
डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई कार्यक्रम के संबंध में, श्री सिंह ने उल्लेख किया कि भूमि संसाधन विभाग ने वर्ष 2009 से वाटरशेड विकास कार्यक्रम लागू किया है जिसे वर्ष 2015-16 में पीएमकेएसवाई योजना के साथ मिला दिया गया था।
डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई कार्यक्रम के संबंध में, श्री सिंह ने उल्लेख किया कि भूमि संसाधन विभाग ने वर्ष 2009 से वाटरशेड विकास कार्यक्रम लागू किया है जिसे वर्ष 2015-16 में पीएमकेएसवाई योजना के साथ मिला दिया गया था।
इसके तहत किए गए कार्यकलापों में, अन्य बातों के साथ-साथ, रिज क्षेत्र निरूपण, जल निकासी लाइन निरूपण, मृदा एवं नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी लगाना, वनीकरण, बागवानी, चारागाह विकास, परिसंपत्तिहीन व्यक्तियों के लिए आजीविका आदि शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने सूचित किया कि मीडिया अभियान के माध्यम से भूमि संसाधन विभाग लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए विभाग के वाटरशेड विकास कार्यकलापों के बारे में जागरूकता पैदा करेगा।
केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि विभाग, वर्षा सिंचित और अवक्रमित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) का कार्यान्वयन कर रहा है। 97 मिलियन हेक्टेयर में से लगभग 29 मिलियन हेक्टेयर अवक्रमित भूमि को वाटरशेड परियोजनाओं के तहत कवर किया गया है, जो शायद विश्व स्तर पर सबसे बड़ा अभियान है।
कैक्टस परियोजना के बारे में चर्चा करते हुए, ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि नोपल्स कैक्टस – एक प्रकार का शूलरहित पौधा है जिसे फलने-फूलने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह वाटरशेड क्षेत्रों में रोपण के लिए बहुत उपयुक्त है।
कैक्टस परियोजना के बारे में चर्चा करते हुए, ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि नोपल्स कैक्टस – एक प्रकार का शूलरहित पौधा है जिसे फलने-फूलने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह वाटरशेड क्षेत्रों में रोपण के लिए बहुत उपयुक्त है।
विभिन्न शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि कैक्टस का पौधा मुख्य रूप से बायो-गैस उत्पादन, बायो-लेदर, जैव-उर्वरक, चारा, औषधि और खाद्य सामग्री के लिए उपयोगी है। इस मीडिया योजना के माध्यम से, विभाग कैक्टस परियोजना के लाभों के बारे में लोगों को जागरूक करने की परिकल्पना करता है।
साध्वी निरंजन ज्योति, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने अपने संबोधन में डीआईएलआरएमपी और डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 की दो योजनाओं के तहत भूमि संसाधन विभाग द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरकार के प्रयासों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए मीडिया अभियान के महत्व का उल्लेख किया ताकि लोग प्रदान की जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं का सर्वोत्तम उपयोग कर सकें।
इन कार्यक्रमों के बारे में आम जनता को जागरूक करने के लिए, विभाग ने एक मीडिया योजना तैयार की है जिसे आज लॉन्च किया गया। अभियान के पहले चरण में आउटडोर मीडिया, सोशल मीडिया, बल्क एसएमएस और रेडियो जिंगल घटक शामिल होंगे।
साध्वी निरंजन ज्योति, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने अपने संबोधन में डीआईएलआरएमपी और डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 की दो योजनाओं के तहत भूमि संसाधन विभाग द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरकार के प्रयासों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए मीडिया अभियान के महत्व का उल्लेख किया ताकि लोग प्रदान की जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं का सर्वोत्तम उपयोग कर सकें।
इन कार्यक्रमों के बारे में आम जनता को जागरूक करने के लिए, विभाग ने एक मीडिया योजना तैयार की है जिसे आज लॉन्च किया गया। अभियान के पहले चरण में आउटडोर मीडिया, सोशल मीडिया, बल्क एसएमएस और रेडियो जिंगल घटक शामिल होंगे।
मीडिया अभियान के पहले चरण के शुभारंभ के बाद, अतिरिक्त घटकों को व्यापक और लक्षित कवरेज के लिए बाद में जोड़ा जाएगा। आज के शुभारंभ का मुख्य बिंदु रेडियो जिंगल्स था जो भूमि संसाधन विभाग में विभागीय रूप से बनाए गए थे।
ग्रामीण विकास मंत्री ने भूमि संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा दिखाई गई उच्च गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिकता की सराहना की और निर्देश दिया कि दोनों कार्यक्रमों के संदेश देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचने चाहिए।
पृष्ठभूमि:
भूमि संसाधन विभाग ने हाल के वर्षों में नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए कई पहलें की हैं। डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत, विभाग नागरिकों के लाभ के लिए भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण और भूकर मानचित्रों के डिजिटलीकरण का प्रयास कर रहा है। उदाहरण के लिए, अधिकारों के अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण और रजिस्ट्रीकरण कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण के संदर्भ में, 8 अगस्त 2023 तक राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि 94% है।
ग्रामीण विकास मंत्री ने भूमि संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा दिखाई गई उच्च गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिकता की सराहना की और निर्देश दिया कि दोनों कार्यक्रमों के संदेश देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचने चाहिए।
पृष्ठभूमि:
भूमि संसाधन विभाग ने हाल के वर्षों में नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए कई पहलें की हैं। डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत, विभाग नागरिकों के लाभ के लिए भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण और भूकर मानचित्रों के डिजिटलीकरण का प्रयास कर रहा है। उदाहरण के लिए, अधिकारों के अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण और रजिस्ट्रीकरण कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण के संदर्भ में, 8 अगस्त 2023 तक राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि 94% है।
इसी प्रकार, देश में 76% नक्शों का डिजिटलीकरण हुआ है। इसके अलावा, भूमि संसाधन विभाग सभी भू-खंडों को भू आधार या विशिष्ट भू-खंड पहचान संख्या प्रदान कर रहा है; और एक साल के समय में, लगभग 9 करोड़ भू-खंडों को भू आधार सौंपा गया है।
पहले, दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण मैनुअली होता था लेकिन अब यह ई-रजिस्ट्रीकरण के रूप में किया जा रहा है। इसने अर्थव्यवस्था को खोल दिया है और बड़े पैमाने पर पूंजी निर्माण की सुविधा प्रदान की है।