Sadhna Cut Hair Style is still a cult-अदाकारी के जलवों से हमेशा जीवंत बनीं रहेंगीं साधना
एएबी समाचार । चाहे बरेली के बाज़ार में झुमका गिरने की बात हो , रूठों को माने की मनुहार हो , या प्रिय को जीवन की डोर से बाँधने की बात हो जब -जब भी ये गीत कानों में पड़ेंगे तब -तब इस अदाकारा को चाहने वाले यह कहने से खुद को रोक नहीं पाएंगे की -मैं देखूं जिस और सखी रे सामने मेरे .... आ जातीं हैं अभिनेत्री साधना शिवदासानी । जी हाँ आज उनकी जयंती के दिवस उन्हें याद किये बिना कैसे रहा जा सकता है ।
भूमिका चाहे चुलबुली हसीना की रही हो या फिर संजीदा युवती की उन्होंने बड़ी खूबी से निभायी । हिंदी फ़िल्मी दुनिया के शोमैन कहे जाने वाले राजकपूर द्वारा फिल्म श्री 420 में एक छोटी से भूमिका दिए जाने की बाद साधना के लिए उनकी अदाकारी की कद्रदान मिलने लगे ।
उनकी अदाकारी के विभिन रंगों को देखकर फिल्म निर्माताओं ने उनको फिल्मो में अहम् भूमिकाएँ देना शुरू कर दिया । एक फूल दो माली, मेरे मेहबूब, आरजू, वक्त, वो कौन थी, मेरा साया, वंदना, अमानत, गीता मेरा नाम' उल्फत,लव इन शिमला, बदतमीज, इश्क पर जोर नहीं, परख, प्रेमपत्र,हम दोनों, गबन, जैसी फ़िल्में की सफलताओं में उनकी अदाकारी के योगदान की चर्चा होने लगी ।
दो सितंबर 1941 में जन्मी साधना शिवदासानी की मां लालीदेवी और पिता शेवाराम थे। विभाजन के बाद जब उनका परिवार भारत आया उनकी उम्र महज 6 वर्ष थी । साधना ने रूमानी, रहस्मयी फिल्मों के अलावा कला फिल्मों में भी अभिनय किया । साधना कट के नाम से चर्चित हुई उनकी हेयर स्टाइल, का जिक्र किये बिना उनका परिचय पूरा माना ही नहीं जा सकता है । फिल्मो में उनको ख़ास तरह के पहनावा में ज्यादा पसंद किया गया । चूड़ीदार-कुर्ता, शरारा, गरारा, कान में बड़े झुमके, बाली और बेसुध करने वाली मुस्कान ने उन्हें एक अलग तरह की ही पहचान दी ।
साधना जिन प्रमुख अदाकारों के साथ काम किया उनमें फिरोज खान, सुनील दत्त, मनोज कुमार, शम्मी कपूर, संजय खान ,राजेन्द्र कुमार, राज कपूर, जॉय मुखर्जी, देव आनंद, , शशि कपूर, किशोर कुमार, व वसंत चौधरी आदि का नाम आता है ।
अभिनेत्री साधना के करीबियों के मुताबिक वो हमेशा सार्वजनिक आयोजनों से दूरी बनाये रखना पसंद करतीं थीं । फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक भरी पार्टियों में इस चमकदार अभिनेत्री को अक्सर अनुपस्थित ही पाया जाता था ।
लेकिन जब कभी भी उन पर फिल्माए गए गीत - झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में , अजी रूठा कर के कहाँ जाईये गा , ओ सजना बरखा बहार आई , अभी न जाओ छोड़कर , तेरा मेरा प्यार अमर ..., तुझे जीवन की डोर से बाँध लिया है ..गोरे-गोरे चाँद से मुख पर काली -काली आँखे ...के बोल जब भी किसी के कानों में पड़ते थे उनके जेहन में साधना का मुस्कराता शरारती चेहरा न उभरता हो ऐसा कम ही होता था । आज साधना भले दुनिया में नहीं पर उनके द्वारा निभाए गए किरदारों के बहाने वो सदा अपने चाहने वालों की यादों में मौजूद रहेंगी ।
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