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एबीबी समाचार / मप्र के राजभवन में पारम्परिक खेती के स्थान पर संरक्षित खेती की जायेगी। इसमें बिना मिट्टी के जैविक उत्पादन भी किया जायेगा, जिसे मिटटी रहित खेती  के नाम से जाना जाता है। इससे मिट्टी पर निर्भरता कम होगी। नगरीय क्षेत्रों के निवासी राजभवन की खेती को देख कर आधुनिक विधि से अपने घरों में बिना मिट्टी के अपनी जरूरत के अनुसार ताजी सब्जियाँ उगा सकेंगे।
राज्यपाल  लालजी टंडन राजभवन में लाभकारी खेती के व्यवहारिक मॉडल तैयार करवा रहे हैं। राजभवन में शीघ्र ही सब्जी उत्पादन की आधुनिक तकनीक का प्रदर्शन केन्द्र बनाया जाएगा। आधुनिक उद्यानिकी और खेती का व्यवहारिक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए राजभवन में उच्चतकनीक युक्त बहुउद्देशीय गृह  का निर्माण किया जा रहा है। इसमें वर्ष भर सब्जियाँ उगाई जा सकेंगी। किसी भी मौसममें कोई भी सब्जी पैदा की जा सकेगी।
सचिव मनोहर दुबे ने बताया कि आज पारम्परिक खेती के अलावा संरक्षित खेती की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रसायन और कीटनाशक का उपयोग प्रतिबंधित करने के लिये जैविक खेती को ज्यादा महत्व देना होगा। इससे पैदावार और आय, दोनों बढ़ेगी। साथ ही, कम लागत के साथ अधिक उत्पादन से देश को आर्थिक मजबूती मिलेगी। श्री दुबे ने कहा कि इसी मंशा से राजभवन में फल, फूल, सब्जियाँ आदि उगाने के लिये आधुनिक पद्धति के उपयोग का प्रदर्शन केन्द्र तैयार कराया जा रहा है। यह केन्द्र प्रदेश की जनता को नई तकनीक से अवगत कराएगा। इससे लोगों को आधुनिक खेती के बारे में जानकारी भी मिल सकेगी।



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