जनवरी 2024

 Amazon Got Notice For Selling Fake Sri Ram Mandir Ayodhya Prasad

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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने मुख्य आयुक्त श्री रोहित कुमार सिंह के नेतृत्व में अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। यह कार्रवाई www.amazon.in पर 'श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद' नाम से मिठाइयों की बिक्री से संबंधित है।

यह कार्रवाई कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के एक आवेदन के आधार पर शुरू की गई, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि अमेजन 'श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद' के नाम से मिठाइयों की बिक्री से जुड़े भ्रामक व्यापार अभ्यासों में शामिल है।

इसकी जांच में यह पाया गया है कि अलग-अलग मिठाइयां/खाद्य उत्पाद अमेजन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (www.amazon.in) पर "श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद" होने का दावा करते हुए बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

ऐसे ऑनलाइन खाद्य उत्पादों की बिक्री के अभ्यास को सक्षम करना, जो गलत जानकारी देते हों, उपभोक्ताओं को उत्पाद की वास्तविक विशेषताओं के बारे में भ्रमित करता है। इस तरह का अभ्यास उपभोक्ताओं को खरीदारी संबंधी निर्णय लेने के लिए गलत तरीके से प्रभावित करती है। इसकी जगह अगर उत्पाद की सही विशेषताओं का उल्लेख किया गया होता तो उपभोक्ता शायद उत्पाद को खरीदने का निर्णय नहीं लेते।

यह उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम- 2020 के नियम 4(3) के तहत कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी किसी भी तरह का अनुचित व्यापार व्यवहार नहीं अपनाएगी, चाहे वह अपने प्लेटफॉर्म पर व्यापार के दौरान हो या अन्य मंच पर।

इसके अलावा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- 2019 की धारा 2(28) के तहत परिभाषित 'भ्रामक विज्ञापन' का आशय वैसे विज्ञापन से है, जो ऐसे उत्पाद या सेवा के बारे में गलत जानकारी देता है, या ऐसे उत्पाद या सेवा की प्रकृति, पदार्थ, मात्रा या गुणवत्ता के बारे में उपभोक्ताओं को झूठी गारंटी देता है या भ्रमित करने की संभावना रखता है।

सीसीपीए ने नोटिस जारी होने के 7 दिनों के भीतर अमेजन से जवाब मांगा है, ऐसा न करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- 2019 के प्रावधानों के तहत उसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई शुरू की जा सकती है।

कंपनी को जारी नोटिस में उल्लिखित किए गए उत्पाद निम्नलिखित हैं -

 

क्रम संख्या

उत्पाद का नाम

अमेजन पर उत्पाद का लिंक

1.

श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद- 250 ग्राम II  रघुपति घी लड्डू (टाइप-1 प्रसाद, 1X250 ग्राम का पैक)

 

https://www.amazon.in/dp/B0CQXJ13HN?ref_=cm_sw_r_apan_dp_ZKZ5F9X8C368RC679K0A&language=en-IN

 

2

श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद- 250 ग्राम II  खोया खोबी लड्डू (टाइप-3 प्रसाद, 1X250 ग्राम का पैक)

https://www.amazon.in/dp/B0CRJM2PVD/ref=sspa_dk_detail_0?psc=1&pd_rd_i=B0CRJM2PVD&pd_rd_w=XB8MG&content-id=amzn1.sym.0fcdb56a-738b-4621-9da7-d47193883987&pf_rd_p=0fcdb56a-738b-4621-9da7-d47193883987&pf_rd_r=273XDXXXWBZKQSKBKEMM&pd_rd_wg=CGfRM&pd_rd_r=0eebf499-79ab-4289-8fa3-16db3ace294c&s=grocery&sp_csd=d2lkZ2V0TmFtZT1zcF9kZXRhaWwy

3

श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद- 250 ग्राम II  घी बूंदी लड्डू (टाइप-4 प्रसाद, 1X250 ग्राम का पैक)

https://www.amazon.in/dp/B0CRJXVVLF/ref=sspa_dk_detail_1?psc=1&pd_rd_i=B0CRJXVVLF&pd_rd_w=1CbI7&content-id=amzn1.sym.0fcdb56a-738b-4621-9da7-d47193883987&pf_rd_p=0fcdb56a-738b-4621-9da7-d47193883987&pf_rd_r=SXQ447D7MFENCE7EM647&pd_rd_wg=VoOns&pd_rd_r=693b20d9-9d8c-437b-b6b9-d8329cf78d76&s=grocery&sp_csd=d2lkZ2V0TmFtZT1zcF9kZXRhaWwy

4

श्री राम मंदिर अयोध्या प्रसाद- 250 ग्राम II  देसी गाय के दूध का पेड़ा (टाइप-5 प्रसाद, 1X250 ग्राम का पैक)

https://www.amazon.in/Sri-Ram-Mandir-Ayodhya-Prasad/dp/B0CRJZWQKB/ref=pb_allspark_dp_sims_pao_desktop_session_based_d_sccl_2_2/259-5366117-1404625?pd_rd_w=izZKM&content-id=amzn1.sym.0c2e13d1-3874-45db-864e-478422a97adc&pf_rd_p=0c2e13d1-3874-45db-864e-478422a97adc&pf_rd_r=1BQSA1PN91W9H5DTDA6S&pd_rd_wg=gpXh9&pd_rd_r=dcd88acf-06bb-4429-8e7c-f0cd755640c5&pd_rd_i=B0CRJZWQKB&psc=1

                

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बुधवार को वायदा कारोबार में चांदी की कीमत  में 263 रुपये का इजाफा हुआ।
 
मजबूत हाजिर मांग के कारण प्रतिभागियों ने अपने सौदे बढ़ा दिए। जैसी चांदी की  कीमत बढ़कर 72,310 रुपये  प्रति किलोग्राम हो गई।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में, मार्च डिलीवरी के लिए चांदी अनुबंध 263 रुपये या 0.37 प्रतिशत बढ़कर 24,327 लॉट में 72,310 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया।

विश्लेषकों के मुताबिक  कि चांदी की कीमतों में तेजी ख़ास तौर से अच्छे  घरेलू रुझान के कारण प्रतिभागियों द्वारा की गई ताजा स्थिति  के कारण हुई।

वैश्विक स्तर परभी चांदी की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है।  न्यूयॉर्क में चांदी 0.62 प्रतिशत बढ़कर 23.24 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी।

 

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कोलकाता में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC-Inland Waterways Development Council) का पहला संस्करण देश के अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता और व्यवहार्यता बढ़ाने के प्रयास में कई पहलों के साथ संपन्न हुआ। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यों के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ नीति निर्माताओं और उद्योग जगत की हस्तियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

इस बैठक में देश में आर्थिक विकास और वाणिज्य के माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों को सक्षम करने के उद्देश्य से, देश में नदी क्रूज पर्यटन के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई। इस बड़ी राशि में से, अनुमानित रूप से 35,000 करोड़ रुपये क्रूज़ जहाजों के लिए और अमृतकाल के अंत में यानी 2047 तक क्रूज़ टर्मिनल बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। 

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कार्गो व्यापार के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ाने के लिए 15,200 करोड़ रुपये का निवेश अक्टूबर, 2023 में मुंबई में आयोजित ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (GMIS-Global Meritime India Summit) में आया है। 

इससे 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज होने की संभावना है, जिससे 2047 तक कार्गो व्यापार की मात्रा 500 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक बढ़ जाएगी। श्री सोनोवाल ने आज कोलकाता में (IWDC-Inland Waterways Development Council) के उद्घाटन सत्र में 'हरित नौका' दिशानिर्देश और 'नदी पर्यटन रोडमैप, 2047' भी जारी किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री सोनोवाल ने कहा कि भारत 2014 से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में प्रभावशाली ढंग से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता को महसूस किया जाना चाहिए क्योंकि हम पीएम श्री मोदी के एक विजन नीली अर्थव्यवस्था में दुनिया भर में अग्रणी बनने की दिशा में काम कर रहे हैं। 

अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC-Inland Waterways Development Council) की स्थापना हमारे समृद्ध, जटिल और गतिशील जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी। प्राचीन काल से ही जलमार्ग आर्थिक वृद्धि और मानव सभ्यता के विकास का माध्यम रहा है। 

हालांकि, समृद्धि के ये शानदार सिद्ध रास्ते दशकों तक उपेक्षित रहे, जिसके परिणामस्वरूप देश की अमूल्य संपत्ति बर्बाद हो गई। हमारे जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के लिए (IWDC-Inland Waterways Development Council) एक आधुनिक दृष्टिकोण, स्पष्ट रणनीति और अमृतकाल के अंत तक आत्मनिर्भर भारत के लिए सतत विकास सुनिश्चित करने के लक्ष्य की ओर प्रयास कर रहा है।

(IWDC-Inland Waterways Development Council) में नदी क्रूज़ पर्यटन के लिए उपयुक्त अतिरिक्त 26 जलमार्गों की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया था। अभी 8 जलमार्गों की परिचालन क्षमता है। 

इसी दौरान रात्रि विश्राम वाले क्रूज़ सर्किट की संख्या 17 से बढ़ाकर 80 की जाएगी। अंतर्देशीय जलमार्गों में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास में, नदी क्रूज टर्मिनलों की संख्या 185 तक बढ़ाई जाएगी, जो 15 टर्मिनलों की वर्तमान ताकत से 1233 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। 

बढ़ी हुई सर्किट की क्षमता के आधार पर, रात्रि प्रवास के साथ क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 5,000 से बढ़ाकर 1.20 लाख किया जाएगा। इसी प्रकार, राष्ट्रीय जलमार्गों पर रात्रि प्रवास के बिना स्थानीय क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 2 लाख से बढ़ाकर 15 लाख किया जाएगा।

इस बैठक में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक और केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर भी उपस्थित थे। 

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(IWDC-Inland Waterways Development Council)
में राज्य सरकारों के मंत्रियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और अन्य प्रमुख हितधारकों ने भी भाग लिया। आईडब्ल्यूडीसी का आयोजन भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए नोडल एजेंसी भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ((IWDC-Inland Waterways Development Council)) ने किया था। यह एक दिवसीय बैठक कोलकाता डॉक कॉम्प्लेक्स में जहाज एमवी गंगा क्वीन पर आयोजित की गई थी।

श्री सोनोवाल ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्ग प्रगति की धमनियां हैं, और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद ((IWDC-Inland Waterways Development Council)) उनकी क्षमता का दोहन करने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी के नेतृत्व में और सहयोगात्मक प्रयासों तथा रणनीतिक पहलों के साथ हमारा लक्ष्य अवसरों को भुनाना, अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में सतत विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना है। 

'हरित नौका - अंतर्देशीय जहाजों के हरित पारगमन के लिए दिशानिर्देश' के जारी होने के साथ केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय हमारे अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 

रोडमैप ने विभिन्न प्रकार के क्रूज के लिए 30 से अधिक अतिरिक्त संभावित मार्गों की पहचान की थी, जिसमें सभी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लंबे और छोटे, मनोरंजक और विरासत खंड शामिल थे। 

ऐसे अतिरिक्त नदी पर्यटन को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए मार्ग विकास, विपणन रणनीति, बुनियादी ढांचे के विकास और नेविगेशन सहित एक कार्य योजना और रोडमैप भी तैयार है।

कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, जो 2014 में घाटे में था, की स्थिति अब बदल गई है और इस वर्ष यह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 550 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध अधिशेष प्राप्त करेगा।

सरकार ने अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT-Inland Water Transport) की भूमिका को बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप, गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (एनडब्ल्यू-1) के विकास के लिए प्रमुख जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP-Jal Marg Vikas Pariyojna) सहित विभिन्न उपाय शुरू किए। यह परियोजना सामुदायिक घाटों के माध्यम से छोटे गांवों को शामिल करने के साथ-साथ कार्गो, रो-रो और यात्री नौका आवाजाही पर केंद्रित थी। 

इसके अलावा, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 में उल्लिखित (IWT-Inland Water Transport) की मॉडल हिस्सेदारी को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना है। इस लक्ष्य में समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के अनुरूप, कार्गो की मात्रा मौजूदा (IWT-Inland Water Transport) को 120 एमटीपीए से 500 एमटीपीए से अधिक ऊपर उठाना भी शामिल है।

जलमार्ग बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति में वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनलों की स्थापना शामिल है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में वृद्धि हुई है। कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल निर्बाध परिवहन की सुविधा और व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त प्रगति कर रहा है। 

फरक्का में एक नए नेविगेशनल लॉक के पूरा होने से जलमार्ग नौवहन क्षमता में वृद्धि होती है। 60 से अधिक सामुदायिक घाटों का चल रहा निर्माण स्थानीय कनेक्टिविटी और पहुंच के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। ये उपलब्धियां सामूहिक रूप से जलमार्ग बुनियादी ढांचे में दक्षता, कनेक्टिविटी और स्थानीय विकास को बढ़ावा देती हैं।

अंतर्देशीय जल परिवहन ((IWT-Inland Water Transport)) ने जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड, हाइड्रोजन और व्युत्पन्न (जैसे अमोनिया या मेथनॉल) प्रणोदन ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। प्रारंभिक चरण में, आठ इलेक्ट्रिक कैटमरैन जहाजों की तैनाती के साथ एक रणनीतिक कदम उठाया गया था। 

इन जहाजों को रणनीतिक रूप से तीर्थ पर्यटन के लिए रखा गया था, जिनमें से दो राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर अयोध्या, वाराणसी, मथुरा में और दो राष्ट्रीय जलमार्ग-2 पर गुवाहाटी में तैनात थे।  

(IWT-Inland Water Transport) देश में लॉजिस्टिक्स और यात्री आवाजाही परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 111 अधिसूचित राष्ट्रीय जलमार्गों के साथ, 24 राज्यों में 22,000 किमी से अधिक तक फैला हुआ आईडब्ल्यूटी परिवहन के एक प्रभावी वैकल्पिक साधन के रूप में उभरा है।

समुद्री अमृतकाल विजन 2047 भारत की 7500 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा, अंतर्देशीय जलमार्गों के महत्वपूर्ण नेटवर्क और तटीय जिलों में निहित वास्तविक विकास क्षमता का प्रत्यक्ष क्षेत्रीय तालमेल और समावेशी विकास तथा रोजगार पर क्रॉस-सेक्टोरल गुणक प्रभाव के साथ प्रतिनिधित्व करता है। 

समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के तहत आईडब्ल्यूटी को विकसित करने के लिए 46 पहलों की पहचान की गई है, जिनमें से तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जल परिवहन के मॉडल शेयर को बढ़ाने के लिए प्रमुख पहलों में बंदरगाह-आधारित समूह केंद्रों का निर्माण, तट-आधारित उत्पादन/मांग केंद्र, सड़क/रेल/आईडब्ल्यूटी कनेक्टिविटी/विस्तार परियोजनाओं के पास तटीय बर्थ का निर्माण शामिल है। ।

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‘द इकोनॉमिस्ट’ ने 23 दिसंबर, 2023 को प्रकाशित अपने एक लेख में यह बताया 
कि भारत की किसी भी मेट्रो रेल प्रणाली ने अपनी अनुमानित यात्री संख्या का आधा हिस्सा भी हासिल नहीं कर पाई है। 

लेकिन भारत के सरकार ने इस बात के खंडन में जारी अपने जवाब में बताया कि लेख में तथ्यों की अनदेखी गयी है, कि भारत के वर्तमान मेट्रो रेल नेटवर्क के तीन-चौथाई से अधिक हिस्से की कल्पना और उसका निर्माण एवं संचालन दस साल से भी कम समय पहले शुरू किया गया है। 

कई मेट्रो रेल प्रणालियां तो महज कुछ ही वर्ष पुरानी हैं। फिर भी, देश की सभी मेट्रो प्रणालियों में दैनिक यात्रियों की संख्या पहले ही 10 मिलियन का आंकड़ा पार कर चुकी है और अगले एक या दो वर्षों में इसके 12.5 मिलियन से अधिक हो जाने की आशा है। 

भारत में मेट्रो यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है और जैसे-जैसे हमारी मेट्रो प्रणाली विकसित होगी, यह संख्या बढ़ती जायेगी। यह भी गौर दिया जाना चाहिए कि देश की लगभग सभी मेट्रो रेल प्रणालियां वर्तमान में परिचालन लाभ अर्जित कर रही हैं।

दिल्ली मेट्रो जैसी एक परिपक्व मेट्रो प्रणाली मेंदैनिक यात्रियों की संख्या पहले ही सात मिलियन से अधिक हो गई है। यह आंकड़ा 2023 के अंत तक दिल्ली मेट्रो के लिए अनुमानित संख्या से कहीं अधिक है। वास्तव में, विश्लेषणों से यह पता चलता है कि दिल्ली मेट्रो से शहर के भीड़भाड़ वाले गलियारों पर दबाव कम करने में मदद मिली   है। 

 भीड़भाड़ के इस दबाव से अकेले सार्वजनिक बस प्रणालियों के सहारे नहीं निपटा जा सकता था। इस तथ्य को शहर के कुछ गलियारों में परखा जा सकता है जहां डीएमआरसी बहुत अधिक भीड़भाड़ वाले घंटों (पीक-आवर) और भीड़भाड़ वाली दिशा (पीक-डायरेक्शन) में यातायात के क्रम में 50,000 से अधिक लोगों को सेवा प्रदान करता है। 

अकेले सार्वजनिक बसों के माध्यम से इतनी अधिक यातायात संबंधी मांग को पूरा करने हेतु, उन गलियारों में एक घंटे के भीतर 715 बसों को एक ही दिशा में यात्रा करने की आवश्यकता होगी यानी प्रत्येक बस के बीच लगभग पांच सेकंड की दूरी - एक असंभव परिदृश्य! दिल्ली मेट्रो के बिना दिल्ली में सड़क यातायात की स्थिति की कल्पना करना डरावना-सा है।

भारत जैसे विविधता भरे देश में, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का हर माध्यम महत्वपूर्ण है, पृथक रूप से भी और यात्रियों के लिए एक एकीकृत पेशकश के रूप में भी। भारत सरकार आरामदायक, भरोसेमंद और ऊर्जा में मामले में किफायती आवागमन की ऐसी सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है जो टिकाऊ तरीके से दीर्घकालिक अवधि के लिए परिवहन संबंधी विविध विकल्पों का संयोजन प्रदान करेगी। 

सरकार ने हाल ही में बस परिवहन प्रणालियों को बढ़ावा देने हेतु पीएम ई-बस सेवा योजना शुरू की है, जिसमें 500,000 से चार मिलियन के बीच की आबादी वाले शहरों में 10,000 ई-बसें तैनात की जायेंगी। चार मिलियन से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए बस परिवहन से जुड़े उपाय पहले से ही सरकार की ‘फेम’ योजना में शामिल हैं। 

ई-बसें और मेट्रो प्रणालियां जहां विद्युत चालित हैं, वहीं विशिष्ट ऊर्जा की खपत एवं दक्षता की दृष्टि से मेट्रो प्रणालियां काफी आगे हैं। हमारे शहरों के निरंतर विस्तार और व्यापक प्रथम-मील एवं अंतिम-मील कनेक्टिविटी का लक्ष्य हासिल करने के साथ, भारत की मेट्रो प्रणालियों में यात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी।

इस लेख में यह भी कहा गया है कि छोटी यात्राएं करने वाले यात्री परिवहन के अन्य साधनों का उपयोग करना पसंद करते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि “महंगे परिवहन वाला बुनियादी ढांचा” समाज के सभी वर्गों की सेवा नहीं कर रहा है। इस कथन में फिर से संदर्भ का अभाव है क्योंकि यह इस तथ्य की व्याख्या कर पाने में विफल है कि भारतीय शहरों का विस्तार हो रहा है। 

20 साल से अधिक पुरानी डीएमआरसी मेट्रो प्रणाली की औसत यात्रा लंबाई 18 किलोमीटर की है। भारत की मेट्रो प्रणालियां, जिनमें से अधिकांश पांच या दस वर्ष से कम पुरानी हैं, अगले 100 वर्षों के लिए भारत के शहरी क्षेत्रों की यातायात संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने की दृष्टि से योजनाबद्ध और संचालित की गई हैं। 

साक्ष्य पहले से ही इस तथ्य की पुष्टि कर चुके हैं कि ऐसा बदलाव हो रहा है - मेट्रो रेल प्रणाली महिलाओं और शहरी युवा वर्ग के लिए यात्रा का सबसे पसंदीदा साधन है।

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एक समारोह में तूर के किसानों के पंजीकरण, खरीद, भुगतान के लिए ई-समृद्धि व एक अन्य पोर्टल लोकार्पित किया। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) तथा भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारिता संघ (NCCF) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के अवसर पर दलहन में आत्मनिर्भरता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित हुई। 
 
यहां केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे, सहकारिता राज्यमंत्री  बी.एल, वर्मा विशेष अतिथि थे। इसमें किसान एवं पैक्स, एफपीओ, सहकारी समितियों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद थे।

मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये पोर्टल के जरिए ऐसी शुरूआत की है, जिससे नेफेड व एनसीसीएफ के माध्यम से किसानों को एडवांस में रजिस्ट्रेशन कर तूर दाल की बिक्री में सुविधा होगी, उन्हें एमएसपी या फिर इससे अधिक बाजार मूल्य का डीबीटी से भुगतान हो सकेगा। 
 
इस शुरूआत से आने वाले दिनों में किसानों की समृद्धि, दलहन उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता और पोषण अभियान को भी मजबूती मिलती दिखेगी। साथ ही क्रॉप पैटर्न चेंजिंग के अभियान में गति आएगी और भूमि सुधार एवं जल संरक्षण के क्षेत्रों में भी बदलाव आएगा। आज की शुरूआत आने वाले दिनों में कृषि क्षेत्र में प्रचंड परिवर्तन लाने वाली है। 
 
श्री शाह ने कहा कि दलहन के क्षेत्र में देश आज आत्मनिर्भर नहीं है, लेकिन हमने मूंग व चने में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दलहन उत्पादक किसानों पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है कि वर्ष 2027 तक दलहन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हों। 
 
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि किसानों के सहयोग से दिसंबर 2027 से पहले दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा और देश को एक किलो दाल भी आयात नहीं करना पड़ेगी। दलहन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता मंत्रालय और कृषि मंत्रालय सहित अन्य पक्षों की कई बैठकें हुई हैं, जिनमें लक्ष्य प्राप्ति की राह में आने वाली बाधाओं पर चर्चा की गई  है।

उन्होंने कहा कि कई बार दलहन उत्पादक किसानों को सटोरियों या किसी अन्य स्थिति के कारण उचित दाम नहीं मिलते थे, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होता था। इसके कारण वे किसान दलहन की खेती करना पसंद नहीं करते थे। 
 
ये तय किया गया है कि जो किसान उत्पादन करने से पूर्व ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराएगा, उसकी दलहन को एमएसपी पर शत-प्रतिशत खरीद कर लिया जाएगा। इस पोर्टल पर रजिस्टर करने के बाद किसानों के दोनों हाथों में लड्डू होंगे। 
 
फसल आने पर अगर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP-Minimum Support Price) से ज्यादा होगा तो उसका औसत  निकाल कर भी किसान से ज्यादा मूल्य पर दलहन खरीदने का एक वैज्ञानिक फार्मूला बनाया गया है और इससे किसानों के साथ कभी अन्याय नहीं होगा। श्री शाह ने किसानों से अपील की कि वे पंजीयन करें, प्रधानमंत्री श्री मोदी की गारंटी है कि सरकार उनकी दलहन खरीदेगी, उन्हें बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

उन्होंने विश्वास जताया कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में किसान कोई कसर नहीं छोड़ेगा। देश का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी शाकाहारी है, जिनके लिए प्रोटीन का बहुत महत्व है, जिसका दलहन प्रमुख स्रोत है। कुपोषण के खिलाफ देश की लड़ाई में भी दलहन उत्पादन का बहुत महत्व है। 
 
भूमि सुधार हेतु भी दलहन महत्वपूर्ण फसल है, क्योंकि इसकी खेती से भूमि की गुणवत्ता बढ़ती है। भूजल स्तर को बनाए रखना और बढ़ाना है तो ऐसी फसलों का चयन करना होगा, जिनके उत्पादन में पानी कम इस्तेमाल हो, दलहन इनमें है। दलहन एक प्रकार से फर्टिलाइजर का एक लघु कारखाना आपके खेत में ही लगा देती है। 
 
उन्होंने कहा कि भंडारण अभिकरण  (Ware Housing Agencies) के साथ इस ऐप का रियल टाइम बेसिस पर एकीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले दिनों में वेयरहाउसिंग का बहुत बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार के कारण कोऑपरेटिव सेक्टर में आने वाला है। 
 
हर पैक्स एक बड़ा वेयरहाउस बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इससे फसलों को दूर भेजने की समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने किसानों से दलहन अपनाने व देश को 1 जनवरी 2028 से पहले दलहन में आत्मनिर्भर बनाने की अपील की, ताकि देश को 1 किलो दलहन भी इंपोर्ट नहीं करना पड़े।

उन्होंने कहा कि बीते 9 साल में प्रधानमंत्री श्री मोदी के कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन में बहुत बड़ा बदलाव आया है। वर्ष 2013—14 में खाद्यान्न उत्पादन कुल 265 मिलियन टन था और 2022—23 में यह बढ़कर 330 मिलियन टन तक पहुंच चुका है। 
 
आजादी के बाद के 75 साल में किसी एक दशक का विश्लेषण करें तो सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी मोदीजी के नेतृत्व में देश के किसानों ने की है। उन्होंने कहा कि इस दौरान दलहन के उत्पादन में भी बहुत बड़ी बढ़ोतरी हुई है मगर तीन दलहनों में हम आत्मनिर्भर नहीं है और उसमें हमें आत्मनिर्भर होना है।
 
 श्री शाह ने कहा कि प्रोडक्विटी बढ़ाने के लिए अच्छे बीज उत्पादन के लिए एक कॉपरेटिव बनाई गई है, कुछ ही दिनों में हम दलहन और तिलहन के बीजों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए अपना प्रोजेक्ट सामने रखेंगे। हम परंपरागत बीजों का संरक्षण और सवंर्धन भी करेंगे। उत्पादकता बढ़ाने हमने कॉपरेटिव आधार पर बहु-राज्यीय बीज संशोधन समिति बनाई है। उन्होंने अपील की है कि सभी पैक्स समिति में रजिस्टर करें।

श्री शाह ने कहा कि इसके साथ ही इथेनॉल उत्पादन भी हमें बढ़ाना है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है, 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाना है तो हमें इसके लिए लाखों टन इथेनॉल का उत्पादन करना है। 
 
नेफेड व एनसीसीएफ इसी पैटर्न पर आगामी दिनों में मक्के का रजिस्ट्रेशन चालू करने वाले हैं, जो किसान मक्का बोएगा, उसके लिए सीधा इथेनॉल बनाने वाली फैक्ट्री के साथ एमएसपी पर मक्का बेचने की व्यवस्था कर देंगे, जिससे उनका शोषण नहीं होगा और पैसा सीधा बैंक खाते में जाएगा। 
 
उन्होंने कहा कि इससे आपका खेत मक्का उगाने वाला नहीं, बल्कि पेट्रोल बनाने वाला कुंआ बन जाएगा। देश के पेट्रोल के लिए इम्पोर्ट की फॉरेन करेंसी को बचाने का काम किसानों को करना चाहिए। उन्होंने देशभर के किसानों से अपील की है कि हम दलहन के क्षेत्र आत्मनिर्भर बनें और पोषण अभियान को भी आगे बढ़ाएं।

केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में, किसान हित में अनेक ठोस कदम उठाते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों द्वारा कृषि क्षेत्र को सतत् बढ़ावा दे रही है, जिनमें दलहन में देश के आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य अहम है, जिस पर कृषि मंत्रालय भी तेजी से काम कर रहा है। 
 
उन्होंने कहा कि दलहन की क्षमता खाद्य एवं पोषण सुरक्षा तथा पर्यावरणीय स्थिरता का समाधान करने में मदद करती है, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2016 को अंतरराष्ट्रीय दलहन वर्ष की घोषणा के माध्यम से भी स्वीकार किया गया है। दलहन स्मार्ट खाद्य हैं, क्योंकि ये भारत में फूड बास्केट व प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। 
 
दालें पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती हैं। दलहन कम जल ग्रहण करने वाली होती हैं और सूखे या वर्षा सिंचित वाले क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं, मृदा नाइट्रोजन को ठीक करके उर्वरता सुधारने में मदद करती हैं। 
 
म.प्र., महाराष्ट्र, राजस्थान, उ.प्र., आंध्र, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तमिलनाडु व ओडिशा दलहन उत्पादक हैं, जो देश में 96% क्षेत्रफल में दलहन का उत्पादन करते हैं। 
 
गर्व की बात है कि भारत, विश्व में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है, प्रधानमंत्री इसे प्रोत्साहित करते हैं। वर्ष 2014 के बाद से दलहन उत्पादन में वृद्धि हो रही है, वहीं इसका आयात पहले की तुलना में घटा है।

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श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)-दलहन को 28 राज्यों एवं जम्मू व कश्मीर तथा लद्दाख यूटी में कार्यान्‍वित किया जा रहा है। 
 
उन्होंने प्रसन्नता जताई कि दो शीर्ष सहकारी संस्थाओं द्वारा ऐसा पोर्टल बनाया गया है, जहां किसान पंजीयन पश्चात् स्टॉक एंट्री कर पाएंगे, स्टॉक के वेयरहाउस पहुंचते ई-रसीद जारी होने पर किसानों को सीधा पेमेंट पोर्टल से बैंक खाते में होगा। पोर्टल को वेयरहाउसिंग एजेंसियों के साथ एकीकृत किया है, जो वास्तविक समय आधार पर स्टॉक जमा निगरानी करने में सहायक होगा, जिससे समय पर पेमेंट होगा। 
 
इस प्रकार खरीदे स्टॉक का उपयोग उपभोक्ताओं को भविष्य में अचानक मूल्य वृद्धि से राहत प्रदान करने के लिए किया जाएगा। स्टॉक राज्य सरकारों को उनकी पोषण व कल्याणकारी योजनाओं के तहत उपयोग के लिए भी उपलब्ध होगा। 
 
श्री मुंडा ने कहा कि हम सबके सामूहिक प्रयास हमें ऐसे भविष्य की ओर ले जा रहे हैं, जहां भारत दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा। हम किसानों का समर्थन जारी रखें व कृषि आधार को मजबूत करते हुए अधिक समृद्ध-आत्मनिर्भर राष्ट्र की दिशा में काम करें। 
 
श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने खूंटी, झारखंड से जो विकसित भारत संकल्प यात्रा प्रारंभ की है, उसके मूल में किसान भाई-बहन ही है।

नेफेड अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह, एनसीसीएफ अध्यक्ष विशाल सिंह, केंद्रीय सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार, उपभोक्ता मामलों के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह व कृषि सचिव मनोज अहूजा भी मौजूद थे। नेफेड एमडी  रितेश चौहान स्वागत भाषण दिया। एनसीसीएफ एमडी ए. चंद्रा ने आभार माना।

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AAB NEWS/
 भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI-Quality Council Of India)) अब 'नए भारत की नई खादी' की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी, जो माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक 'वैश्विक ब्रांड' बन गया है। 

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC-Khadi And Village Industries Commission) तथा भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI-Quality Council Of India) ने खादी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, कारीगरों को सशक्त बनाने और कोचराब आश्रम, अहमदाबाद में आज खादी के लिए 'मेड इन इंडिया' बैनर तले गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रस्तुत करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। 

एमओयू (MoU) का आदान-प्रदान केवीआईसी के अध्यक्ष  मनोज कुमार और क्यूसीआई (QCI-Quality Council Of India) के अध्यक्ष जक्षय शाह की उपस्थिति में हुआ। दोनों संगठनों के बीच सहयोग का उद्देश्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप 'विश्व स्तरीय खादी उत्पाद' बनाना है।

समझौता ज्ञापन के अनुसार भारतीय गुणवत्ता परिषद खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी उत्पादकता और विपणन क्षमता में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण सहित विभिन्न गतिविधियों में केवीआईसी को सहायता देगी। इसके साथ ही यह खादी कारीगरों को सशक्त बनाने तथा विभिन्न माध्यमों से खादी उत्पादों को बढ़ावा देकर केवीआईसी का समर्थन करेगी। 

इसके अतिरिक्त यह सहयोग खादी को 'मेड इन इंडिया'(Made In India) उत्पादों के रूप में एक नई पहचान देगा, जिससे विश्व भर में गुणवत्ता के प्रतीक के रूप में खादी उत्पादों का उत्पादन और बिक्री बढ़ेगी। इससे खादी कारीगरों को उन्नत कौशल और ज्ञान से लैस करके अधिक उत्पादकता और दक्षता के साथ रोजगार के नए अवसर प्रदान किया जाएगा।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC-Khadi And Village Industries Commission) के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने इस अवसर पर कहा- “माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘नए भारत की नई खादी’ विकसित भारत की पहचान बनने की ओर आगे बढ़ रही है।” केवाईआईसी खादी को और आधुनिक बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। 

इसके अंतर्गत पिछले वर्ष प्रसार भारती, एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड और डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के साथ तीन महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका विस्तार करते हुए आज क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 

इन समझौता ज्ञापनों का उद्देश्य माननीय प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप खादी और ग्रामोद्योग आयोग को आधुनिक बनाने और युवाओं के बीच अपने उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार करना है।” 

श्री मनोज कुमार ने कहा कि क्यूसीआई के साथ इस सहयोग से खादी उद्योग और इससे जुड़े कारीगरों के कौशल में वृद्धि होगी और खादी उत्पादों की गुणवत्ता की वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बनाएगी।

क्यूसीआई के अध्यक्ष श्री जक्षय शाह ने कहा कि "खादी और केवीआईसी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने तथा इसमें शामिल कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए केवीआईसी के साथ साझेदारी करना गर्व का क्षण है, क्योंकि खादी सिर्फ एक उद्योग नहीं है, बल्कि यह भारत की संस्कृति और विरासत का प्रतीक है।" 

खादी भारत की सांस्कृतिक पहचान, शिल्प कौशल और स्थिरता का भी प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि आज जब हम विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं तो यह सहयोग निश्चित रूप से अधिक वैश्विक मान्यता का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान देगा। 

इस अवसर पर खादी संस्थानों के प्रतिनिधि, खादी कारीगर, खादी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ केवीआईसी और क्यूसीआई के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।