नवंबर 2021
Innovation-भारत-ने-विकसित-किया-दुनिया-का-पहला-मल्टीमॉडल-न्यूरोइमेजिंग-डेटाबेस

एएबी समाचार
राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (डीबीटी-एनबीआरसी) ने अभी हाल ही में परियोजना स्वदेश  विकसित की है, जो एक विशिष्ट मस्तिष्क पहल है। यह उन प्रमाणित न्यूरोइमेजिंग, न्यूरोकेमिकल, न्यूरोसाइकोलॉजिकल डेटा और एनालिटिक्स पर केंद्रित है, जो मस्तिष्क विकारों के प्रबंधन के लिए शोधकर्ताओं के लिए सुलभ कराए गए हैं। 
 
स्वदेश पहला बड़े पैमाने वाला मल्टीमॉडल न्यूरोइमेजिंग डेटाबेस है जिसे विशेष रूप से एक मंच के तहत विभिन्न रोग श्रेणियों (चित्र 1) के लिए बड़े डेटा आर्किटेक्चर और एनालिटिक्स के साथ भारतीय आबादी के लिए डिज़ाइन किया गया है। जिसका केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने 19 नवंबर 2021 को स्वदेश का उद्घाटन किया था।

अल्जाइमर रोग (एडी) के अनुसंधान को मजबूत बनाने और आशाजनक उपचार के साथ वैज्ञानिक समुदाय को आगे आने में मदद करने के लिए स्वदेश एक बड़े डेटा आर्किटेक्चर है, 6 मॉड्यूल का प्रबंधन और विश्लेषण करने का प्रस्ताव करता है। इन मॉड्यूल के नाम हैं- न्यूरोडिजेनेरेटिव [एडी, हल्की संज्ञानात्मक हानि (एमसीआई), पार्किंसंस रोग (पीडी)], न्यूरोसाइकिएट्रिक (सिज़ोफ्रेनिया और बाइपोलर विकार), न्यूरोडेवलपमेंटल (ऑटिज़्म और मिर्गी), कोविड -19 से संबंधित बीमारियां अन्य विकार और स्वस्थ विषय।

स्वदेश जावा- आधारित वर्कफ़्लो वातावरण और पायथन से युक्त है। इसमें समर्पित भंडारण लगा है जो इसे गुणवत्ता नियंत्रण, डेटा विश्लेषण रिपोर्ट और डेटा बैकअप उपलब्ध कराता है। इसके विकास से पूरी दुनिया में मल्टी-साइट डेटा और सहयोगी अनुसंधान के एकीकरण में मदद मिलेगी। वर्तमान में, स्वदेश में 500 एडी और एमसीआई रोगियों और 70 पीडी रोगियों का डेटा है। 600 स्वस्थ वृद्ध व्यक्तियों और 800 स्वस्थ युवा व्यक्तियों के डेटा भी नियंत्रण इसके समूह में शामिल हैं।

डीबीटी-एनबीआरसी ने स्वदेश के माध्यम से कई नैदानिक ​​अनुसंधान उपकरण भी विकसित किए हैं। गौरी प्रणाली अनुकूल पैटर्न पहचान और शिक्षण योजनाओं का उपयोग करती है, जिसे एमआरआई तौर-तरीकों और न्यूरोसाइकोलॉजिकल बैटरी के साथ एकल या विभेदक निदान के लिए डिज़ाइन किया गया है। एनआईएनएस-एसटीएटी एक उच्च कार्य प्रदर्शन वाला अति आधुनिक स्वचालित सांख्यिकीय परीक्षण चयन है जो सॉफ्टवेयर पैकेज के निष्पादन के लिए नैदानिक अनुसंधान में उच्च उपयुक्तता से युक्त है।
 
 कल्पना एमआरएस डेटा के विज़ुअलाइज़ेशन, प्रीप्रोसेसिंग और परिमाणीकरण के लिए एक एकीकृत पैकेज है। प्रतीक मल्टीमॉडल न्यूरोइमेजिंग डेटा का विश्लेषण करता है और डेटा के प्रसंस्करण और विश्लेषण के लिए विभिन्न न्यूरोइमेजिंग टूल को संभालने में भी विशेषज्ञता की जरूरत को कम करता है। 
 
स्टिमुलस टाइमिंग इंटीग्रेटेड मॉड्यूल (एसटीआईएम) में एक बहुमुखी प्रतिमान डिजाइन प्रणाली, प्रस्तुति प्रणाली और कार्यात्मक एमआरआई-संबंधित उद्देश्यों के लिए वास्तविक समय प्रतिभागी प्रतिक्रिया-संग्रह प्रणाली लगी है, जिसमें सामान्य स्वस्थ स्थिति में गैर-आक्रामक रूप से मस्तिष्क की गतिविधियों की मेपिंग तथा मस्तिष्क की विभिन्न बीमारियों का नैदानिक ​​​​मूल्यांकन शामिल हैं। 
 
डीबीटी-एनबीआरसी ने भारत लॉन्च किया है जो एडी के शुरुआती डायग्नोस्टिक बायो मारकर के लिए एक बड़ा डेटा विश्लेषणात्मक मॉडल है। इसके डिजायन में हडूप-आधारित बड़ा डेटा ढांचा शामिल था। टीम इंटिग्रेटिंग एमआरआई, एमआरएस और न्यूरो साइकोलॉजिकल टेस्ट आंकड़े शामिल हैं। उनकी टीम स्वस्थ और रोगग्रस्त मामलों के लिए समृद्ध मल्टीमॉडल डेटा सेट्स शामिल करने के लिए इस परियोजना के विस्तार के बारे में काम कर रही है।
 
इस पहल पर एनबीआरसी को बधाई देते हुए, विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने कहा, "मस्तिष्क एक जटिल अंग है और स्वास्थ्य और रोगों में इसकी विस्तृत कार्यक्षमता की पूरी पहचान करना अभी बाकी है। स्वदेश जैसे डेटा बेस अल्जाइमर रोग और कई तंत्रिका संबंधी विकारों को समझने के लिए मल्टीमॉडल मस्तिष्क अध्ययन करने में उपयोगी होने चाहिए।

डीबीटी के बारे में

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग में अपने विकास और कार्यान्वयन के माध्यम से देश में जैव प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देता है और सुधार करता है।

एनबीआरसी के बारे में

राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र भारत का ऐसा एकमात्र संस्थान है, जो न्यूरो साइंस, अनुसंधान और शिक्षा के लिए समर्पित है। एनबीआरसी के वैज्ञानिक और छात्र जैविक, कम्प्यूटेशनल, गणितीय, भौतिक, इंजीनियरिंग और चिकित्सा विज्ञान सहित विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि से आते हैं और मस्तिष्क के रहस्यों को जानने के लिए बहु-विषयी दृष्टिकोण का उपयोग करते हैं।

Export-Grows-लगातार-बढ़-रहा-है-कृषि-एवं-प्रसंस्कृत-खाद्य-उत्पादों-का-निर्यात

एएबी समाचार
  कृषि उत्पाद के निर्यात पर अत्य़धिक जोर देते हुए, भारत ने मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की उसी अवधि की तुलना में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में करीब 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है।

वाणिज्यिक आसूचना एवं सांख्यिकी महानिदेशालय द्वारा जारी त्वरित अनुमानों के अनुसार, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के उत्पादों के कुल  निर्यात में अप्रैल-अक्टूबर 2021 के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अमरीकी डॉलर के रूप में 14.7 प्रतिशत वृद्धि हुई।

एपीईडीए के उत्पादों का कुल निर्यात अप्रैल-अक्टूबर 2020 के 10,157 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढकर अप्रैल-अक्टूबर 2021 में 11,651 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

निर्यातों में यह वृद्धि कोविड-19 के प्रतिबंधों के वाबजूद हुई है। कृषि उत्पादों के निर्यातों में इस वृद्धि को देश के कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात पर जोर देते हुए किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है।

मौजूदा वित्त वर्ष के प्रथम सात माह के दौरान कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में यह महत्वपूर्ण वृद्धि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में निर्यात में वृद्धि की निरंतरता है।

चावल के निर्यात में 10.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जो अप्रैल-अक्टूबर 2020 के 4777.35 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-अक्टूबर 2021 में 5278.95 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

 

त्वरित अनुमानों के अनुसार, ताजे फलों एवं सब्जियों के निर्यात में अमरीकी डॉलर के रूप में 11.6 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जबकि मोटे अनाजों से तैयार तथा विभिन्न प्रसंस्कृत सामग्रियों जैसे प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में 29 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल-अक्टूबर 2020-21 में, ताजे फलों एवं सब्जियों का 1374.59 मिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात किया गया था, जो अप्रैल-अक्टूबर 2021-22 में बढ़कर 1534.05 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

 

भारत ने मौजूदा वित्त वर्ष (2021-22) के प्रथम सात महीने में अन्य मोटे अनाज के निर्यात में 85.4 प्रतिशत की ऊंची छलांग लगाई, जबकि मांस, दूध एवं कुक्कुट उत्पादों के निर्यात में 15.6 प्रतिशत वृद्धि हुई।

 

अन्य मोटे अनाज का निर्यात अप्रैल-अक्टूबर 2020 के 274.98 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-अक्टूबर 2021 में 509.77 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया और मांस, दूध एवं कुक्कुट उत्पादों का निर्यात अप्रैल-अक्टूबर 2020 के 1978.6 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-अक्टूबर 2021 में 2286.32 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

 

अप्रैल-अक्टूबर 2021 में काजू के निर्यात में 29.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, क्योंकि अप्रैल-अक्टूबर 2020 में काजू का निर्यात 205.29 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-अक्टूबर 2021 में 265.27 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

 

वाणिज्य मंत्रालय के तहत कार्यरत एपीईडीए द्वारा की गई पहलों से एक ऐसे समय में देश को इस मील के पत्थर तक पहुंचने में मदद मिली है, जब कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर आने के बाद लागू किए गए प्रतिबंधों के कारण अधिकांश व्यापारिक गतिविधियों को काफी झटका लगा।  

 

एपीईडीए के अध्यक्ष डॉ. एम अंगामुतु ने कहा, हम पूर्वी, उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तथा पर्वतीय राज्यों से निर्यात के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर जोर दे रहे हैं, जहां पहले इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त नहीं था।

 

एपीईडीए की ओर से कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनियां आयोजित करने, उत्पाद विशेष के माध्यम से नए संभावित बाजारों की तलाश करने और सामान्य विपणन अभियानों में भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी जैसी अनेक पहलों से कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई है।

 

एपीईडीए ने अमरीका के साथ हस्तशिल्प सहित संयुक्त अरब अमीरात तथा भौगोलिक संकेतकों वाले उत्पादों के साथ कृषि एवं खाद्य उत्पादों पर क्रेता-विक्रेता की वर्चुअल बैठकों का आयोजन करके भारत में पंजीकृत भौगोलिक संकेतकों (जीआई) वाले उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम भी उठाए हैं। एपीईडीए निर्यात की गई प्रमुख क़ृषि सामग्रिय़ों के जीआई उत्पादों के प्रचार के लिए संभावित आयातक देशों के साथ वर्चुअल तौर पर क्रेता-विक्रेता बैठकों के संचालन की लगातार पहल कर रहा है।  

 

निर्यात वाले उत्पादों के निर्बाध गुणवत्ता प्रमाणन सुनिश्चित करने के क्रम में, एपीईडीए ने अनेक उत्पादों तथा निर्यातकों के लिए परीक्षण की सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से देशभर में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है।

 

एपीईडीए निर्यात परीक्षण तथा अवशेष निगरानी योजनाओं के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के उन्नयन एवं सशक्तिकरण सहायता करता है। एपीईडीए कृषि उत्पादों के निर्यात पर जोर देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, गुणवत्ता में सुधार और बाजार के विकास के क्रम में वित्तीय सहायता योजनाओं के तहत सहायता भी प्रदान करता है।

 

एपीईडीए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी आयोजित करता है, जो निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपने खाद्य उत्पादों को बेचने के लिए एक मंच प्रदान करता है। एपीईडीए कृषि निर्यातों को बढ़ावा देने के लिए आहार, ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस, बायोफैच इंडिया आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम भी आयोजित करता है।

 

एपीईडीए अंतर्राष्ट्रीय बाजार की गुणवत्ता संबंधी जरूरतों को पूरा करने के क्रम में बागवानी के उत्पादों के लिए पैक-हाउसों के पंजीकरण की भी पहल करता है। यूरोपीय संघ और गैर-यूरोपीय देशों के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित करने के क्रम में मूंगफली की शेलिंग तथा ग्रेडिंग और प्रोसेसिंग यूनिटों के लिए निर्यात इकाइयों का पंजीकरण भी करता है।

 

एपीईडीए वैश्विक खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता संबंधी आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मांस प्रसंस्करण संयंत्रों एवं बूचड़खानों का पंजीकरण करता है। अन्य प्रमुख पहलों में स्थान का पता लगाने की प्रणालियों को विकसित करना तथा कार्यान्वित करना शामिल है, जो आयातक देशों के लिए खाद्य सुरक्षा तथा गुणवत्ता अनुपालन सुनिश्चित करता है। निर्यात पर जोर देने के लिए, एपीईडीए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विश्लेषणात्मक सूचना, बाजार पहुंच सूचना तैयार करके निर्यातकों को भेजता है तथा व्यापार संबंधी पूछताछ का समाधान करता है।

 

भारत के निर्यात का तुलनात्मक विवरणः एपीईडीए उत्पाद

उत्पाद शीर्ष

अप्रैल-अक्टूबर,

2020-21

अप्रैल-अक्टूबर

2021-22

प्रतिशत परिवर्तन ( अप्रैल-अक्टूबर,2021)

रुपए करोड

अमरीकी डॉलर

रुपए करोड

अमरीकी डॉलर

अमरीकी डॉलर

फल और सब्जियां

10300.11

1374.59

11367.76

1534.05

11.6

मोटे अनाज तथा विविध प्रसंस्कृत सामग्रियां

7262

972.71

9293.89

1254.71

29.0

मांस, दूध एवं कुक्कुट उत्पाद

14748.51

1978.6

16933.47

2286.32

15.6

चावल

35753.96

4777.35

39096.62

5278.95

10.5

अन्य मोटे अनाज

2046.08

274.98

3773.07

509.77

85.4

काजू

1535.23

205.29

1966.41

265.27

29.2

खाद्य तेल

4277.89

573.14

3867.43

522.31

-8.9

कुल

75924

10157

86299

11651

14.7

स्रोतः डीजीसीआईएस, अप्रैल-अक्टूबर, 2021 के लिए त्वरित अनुमान

Clean-Amrit-Festival-स्वच्छ-शहरों-की-घोषणा-कर-उन्हें-पुरस्कृत-करेगा-भारत

एएबी समाचार
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 20 नवंबर, 2021 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय द्वारा आयोजित 'स्वच्छ अमृत महोत्सव' में स्वच्छ सर्वेक्षण (एसएस) 2021 के पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित करेंगे। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कचरा मुक्त भारत के दृष्टिकोण के अनुसार, समारोह में कचरा-मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के तहत प्रमाणित शहरों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। 

इस महोत्सव में मंत्रालय द्वारा पहले शुरू की गई सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज के तहत शीर्ष निष्पादन करने वाले शहरों को महत्व देते हुए स्वच्छता कर्मचारियों को श्रद्धांजलि भी देगा। प्रधानमंत्री द्वारा 1 अक्टूबर, 2021 को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) 2.0 के शुभारंभ के बाद से यह एक मील का पत्थर है।

पिछले वर्षों के दौरान शहरों की संख्या में लगातार वृद्धि होना भी स्वच्छ सर्वेक्षण के अध्ययन द्वारा प्रमाणित है। 2016 में 73 प्रमुख शहरों के सर्वेक्षण से शुरू होकर, 2021 में छठे स्वच्छ सर्वेक्षण में 4,320 शहरों ने भाग लिया, जो विश्व का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण बन गया है। इस सर्वेक्षण की सफलता का अनुमान इस वर्ष प्राप्त अभूतपूर्व संख्या में, 5 करोड़ से अधिक नागरिकों की रुचि से लगाया जा सकता है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.87 करोड़ अधिक है। 

कोविड महामारी के कारण कई ऑन-ग्राउंड चुनौतियों के बावजूद स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 को 28 दिनों के रिकॉर्ड समय में आयोजित किया गया था। पिछले वर्ष की तुलना में राज्यों और शहरों के निष्पादन में महत्वपूर्ण जमीनी सुधार हुए हैं। उदाहरण के लिए,

  • पिछले वर्ष की तुलना में 6 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों ने जमीनी स्तर पर अपने निष्पादन में कुल मिलाकर सुधार (5–25 प्रतिशत के बीच) दर्ज किया है।
  • 1,100 से अधिक अतिरिक्त शहरों ने स्रोत पृथककरण शुरू कर दिया है;
  • लगभग 1,800 अतिरिक्त शहरी स्थानीय निकायों ने अपने सफाई कर्मचारियों को कल्याणकारी लाभ देना शुरू कर दिया है;
  • 1,500 से अधिक अतिरिक्त शहरी स्थानीय निकायों ने गैर-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग के उपयोग, बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लागू किया है; कुल मिलाकर, 3,000 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों ने इस प्रतिबंध को लागू किया है।
  • सभी पूर्वोत्तर राज्यों के नागरिकों से प्राप्त फीडबैक में महत्वपूर्ण सुधार का पता चलता है - यह इस बात का एक अन्य प्रमाण है कि किस प्रकार यह मिशन दूर-दराज के क्षेत्रों सहित हर नागरिक तक पहुंच रहा है।

कचरा-मुक्त शहरों के स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के तहत प्रमाणन प्रक्रिया में एक समान कठोरता देखी गई थी, जो कि कचरा प्रबंधन मानकों में शहरों का समग्र मूल्यांकन करने के लिए आवास तथा शहरी मामले मंत्रालय द्वारा 2018 में पेश किया गया एक स्मार्ट ढांचा है। 

2018 में, केवल 56 शहरों को कुछ स्टार रेटिंग प्रमाणन से सम्मानित किया गया था। इस साल, यह संख्या कई गुना बढ़कर 342 शहरों (9 फाइव-स्टार शहरों, 166 थ्री-स्टार शहरों और 167 वन-स्टार शहरों के साथ) तक पहुंच गई है। इसके अलावा, इस वर्ष की प्रमाणन प्रक्रिया में 2,238 शहरों की भागीदारी देखी गई, जो शहरी भारत की कचरा-मुक्त भारत के दृष्टिकोण के प्रति संकल्प को दर्शाता है।

स्वच्छ अमृत महोत्सव सफाईमित्रों, स्वच्छता यात्रा में अग्रिम पंक्ति के सिपाहियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के दृढ़ संकल्प की पुष्टि है। पुरस्कार समारोह 'सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती' के तहत शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शहरों के प्रयासों को सलाम करेगा, सीवर और सेप्टिक टैंक क्लीनर की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने और शहरी स्वच्छता के संदर्भ में खतरनाक सफाई के जोखिम को खत्म करने के लिए आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय द्वारा पिछले नवंबर में शुरू की गई एक पहल है। 

कुल 246 शहर अपनी तरह की इस पहली मूल्यांकन प्रक्रिया का हिस्सा थे, जो आज शहरी भारत में 'मैनहोल टू मशीन होल' क्रांति को बढ़ावा दे रही है, जो सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय "जीरो-ह्यूमन कैजुअल्टी" के आसपास केंद्रित है।

पुरस्कार समारोह में केंद्रीय आवास और शहरी मामले के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी, आवास और शहरी मामले के राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर, मुख्यमंत्री, शहरी विकास मंत्री और देशभर के महापौर सहित कई गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। 

इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में प्रस्तुत किए जा रहे 300 से अधिक पुरस्कारों प्रदान किए जाएंगे। इस कार्यक्रम में राजनयिक, राज्य और शहर के प्रशासक और वरिष्ठ अधिकारी, क्षेत्र के भागीदार और ब्रांड एंबेसडर, गैर-सरकारी संगठन तथा सीएसओ सहित लगभग 1,200 अतिथि शामिल होंगे, जबकि देशभर के नागरिक इस आयोजन को वर्चुअल तौर पर देख सकेंगे। राज्यों और शहरों को सम्मानित करने के अलावा, स्वच्छ अमृत महोत्सव ने स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत शुरू की जाने वाली पहल की एक श्रृंखला तैयार की गई है।

पिछले सात वर्षों में, मिशन ने देश के कोने-कोने में अपने ‘पीपल फर्स्ट' फोकस के साथ अनगिनत नागरिकों के जीवन को बदल दिया है। मिशन ने 70 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण करके, सभी के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक स्वच्छता समाधान प्रदान करके शहरी भारत में स्वच्छता की परिभाषा बदल दी है। 

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी ने महिलाओं, ट्रांसजेंडर समुदायों और विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगों) की जरूरतों को प्राथमिकता दी है। यह मिशन 3,000 से अधिक शहरों और 950 से अधिक शहरों को क्रमशः ओडीएफ+ और ओडीएफ++ प्रमाणित करने के साथ स्थायी स्वच्छता की राह पर आगे बढ़ रहा है। शहर जल+ प्रमाणीकरण की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं, जिसमें अपशिष्ट जल का उपचार और उसका इष्टतम पुन: उपयोग संभव होता है। 

वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर स्पष्ट रूप से जोर दिया जा रहा है, जिससे भारत में अपशिष्ट प्रसंस्करण 2014 में 18 प्रतिशत से चार गुना बढ़कर आज 70 प्रतिशत हो गया है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मिशन सफाई कर्मचारियों और अनौपचारिक अपशिष्ट श्रमिकों के जीवन में एक उल्लेखनीय अंतर लाने में सक्षम रहा है। कार्यक्रम में 20 करोड़ नागरिकों (भारत की शहरी आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक शामिल) की सक्रिय भागीदारी ने मिशन को सफलतापूर्वक एक जन आंदोलन में बदल दिया है।

1 अक्टूबर, 2021 को शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0, सभी के लिए स्वच्छता सुविधाओं तक पूर्ण पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। 1 लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों में पूर्ण तरल अपशिष्ट प्रबंधन - स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत पेश किया गया यह नया घटक, यह सुनिश्चित करेगा कि सभी अपशिष्ट जल को सुरक्षित रूप से समाहित, एकत्र, परिवहन और उपचारित किया जाए, ताकि कोई भी अपशिष्ट जल हमारे जल निकायों को प्रदूषित न करे। 

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में, एकल उपयोग प्लास्टिक को समाप्त करने, निर्माण और भवन ढहाने (सी एंड डी) से उत्पन्न अपशिष्ट के प्रसंस्करण की स्थापना पर केंद्रित प्रयासों के साथ स्रोत पृथक्करण, सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाओं की स्थापना और अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) वाले शहरों और 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में यांत्रिक सफाई कर्मियों की सुविधा और तैनाती की जाएगी।

 शहरों को कचरा मुक्त बनाने के उद्देश्य से सभी पुराने डंपसाइटों का उपचार करना स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत एक अन्य महत्वपूर्ण घटक है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 स्वच्छता और अनौपचारिक अपशिष्ट श्रमिकों की भलाई को प्राथमिकता देगा। गहन सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) और व्यवहार परिवर्तन गतिविधियों के माध्यम से मिशन 'जन आंदोलन' या लोगों के आंदोलन को और तेज और मजबूत करेगा जो स्वच्छ भारत मिशन-शहरी का पर्याय बन गया है।

इसलिए स्वच्छ अमृत महोत्सव न केवल स्वच्छता के प्रति शहरों के अटूट समर्पण के लिए एक उपयुक्त स्वागत है, बल्कि शहरी भारत को सभी के लिए एक स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के अपने संकल्प को फिर से दोहराने के लिए एक शंखनाद है।

भारत 'बैक ऑफिस' से दुनिया का 'ब्रेन ऑफिस' बन गया है

एएबी समाचार
  वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि भारत 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के सेवा निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। नई दिल्ली में 'सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद – वैश्विक सेवा सम्मेलन 2021' में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने  सेवाओं को  भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक बताया ।

 

उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र लगभग 2.6 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है और भारत के कुल वैश्विक निर्यात में लगभग 40% का योगदान देता है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में सेवा व्यापार अधिशेष 89 बिलियन डॉलर था और यह सबसे बड़ा एफडीआई प्राप्तकर्ता (2000-2021 53% एफडीआई प्रवाह) रहा है। वैश्विक सेवा सम्मेलन 2021 की थीम “इंडिया सर्व्स: एक्सप्लोरिंग पोटेंशियल ग्रोथ सेक्टर्स बियॉन्ड आईटी / आईटीईएस” थी।

 

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केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने जोर देते हुए कहा कि कौशल, स्टार्टअप और आईटी समाधान द्वारा संचालित सेवा क्षेत्र हमारा प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय सेवाओं में सार्वभौमिक स्वीकृति और सार्वभौमिक आकर्षण की दोहरी शक्ति है।

 

श्री गोयल ने महामारी के दौरान 'वर्क फ्रॉम होम' को सक्षम बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की सराहना की और कहा कि जहां अन्य देशों में सेवा व्यापार उदास रहा, वहीं भारत का सेवा क्षेत्र अत्यधिक लचीलेपन के साथ काफी सक्रिय दिखा।

      उन्होंने कहा कि पर्यटन, आतिथ्य आदि जैसे क्षेत्र जो कोविड​​​​-19 के कारण प्रभावित हुए, अब सुधार के संकेत दिखा रहे हैं। ने सेवा क्षेत्र के कठिन समय से उबरने की भावना की सराहना करते हुए कहा कि कठिन समय टिकता नहीं है, लेकिन ठोस लोग अपना काम करते हैं। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की नि:स्वार्थ सेवा के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की।

 

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मंत्री ने बताया कि 2020 में भारत दो पायदान ऊपर चढ़कर दुनिया का सातवां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक देश बन गया है। उन्होंने कहा कि सर्विसेज पीएमआई अक्टूबर, 21 में एक दशक के उच्च स्तर 58.4 पर पहुंच गया है।

श्री गोयल ने जोर देते हुए कि भारत में दुनिया का शीर्ष सेवा निर्यातक बनने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि सेवाएं भारत की संयोजन (असेंबली) अर्थव्यवस्था को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को बढ़ावा दे रही हैं।

भारत 'बैक ऑफिस' से  बना दुनिया का 'ब्रेन ऑफिस' 

 उन्होंने कहा कि वैश्विक भावनाएं 'भारत क्यों' से अब 'भारत से दुनिया भर की सेवा' में बदल रही हैं। भारत 'बैक ऑफिस' से दुनिया के 'ब्रेन ऑफिस' में बदल गया है। श्री गोयल ने कहा कि आज भारत के सेवा निर्यात में बड़े पैमाने पर आईटी / आईटीज शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अन्य संभावित विकास क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया जो उच्च शिक्षा जैसे उच्च विकास पथ पर भारत के सेवा क्षेत्र को और तेजी दिला सकते हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया आदि के छात्र विरासत, कला और संस्कृति के अध्ययन के लिए भारत को पसंद करते हैं।

उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार सक्रिय रूप से बाजार पहुंच के अवसरों (एफटीए) पर काम कर रही है और एसईआईएस के विकल्प की योजना पर भी काम जारी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आत्मानिर्भर भारत पैकेज, एमएसएमई सहित व्यवसायों के लिए स्वचालित ऋण के माध्यम से सेवा क्षेत्र की मदद की।

उन्होंने कहा कि सरकार ने आत्मानिर्भर भारत पैकेज के माध्यम से सेवा क्षेत्र का समर्थन किया, विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के तहत एमएसएमई सहित व्यवसायों के लिए 56,027 करोड़ रुपये के ऋण जारी किए गए। उन्होंने कौशल विकास में विशेष रूप से एआई, बिग डेटा, रोबोटिक्स आदि जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत की पहल की बात की।

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उन्होंने निर्यात हब के रूप में जिलों के साथ एक व्यापक निर्यात रणनीति तैयार करने में राज्यों की सहायता करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने एक सहायक और सक्षमकर्ता के रूप में भारतीय सेवाओं के विकसित होने और दुनिया भर में लोगों के जीवन को प्रभावित करने में मदद की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार की हस्तक्षेप नहीं करने की नीति ने आईटी क्षेत्र को उत्कृष्ट बनाने में उसे सक्षम बनाया है। उन्होंने प्रोत्साहन पाने के पीछे नहीं पड़कर अपनी प्रतिस्पर्धी ताकत पर खड़े रहने के लिए सेवा क्षेत्र की सराहना की।

उन्होंने आगे बढ़ने की आकांक्षा के लिए मोजो लाने के लिए कॉन्क्लेव आयोजित करने के लिए एसईपीसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें और अधिक मानकों को पेश करना चाहिए और गुणवत्ता में सुधार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें सेवाओं में गुणवत्ता श्रृंखला को आगे बढ़ाना चाहिए और उन क्षेत्रों को चुनना चाहिए जहां हमारी ठोस काबिलियत है और उस पर विस्तार करना चाहिए।

उन्होंने भारत के अन्य हिस्सों में बेंगलुरु आईटी जैसे मॉडल और भारत में जहाजों / विमानों के एमआरओ, पर्यावरण परामर्श आदि जैसे सेवा उद्योगों की स्थापना का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कानूनी / लेखा पेशेवरों के लिए बाजारों का विस्तार करने की आवश्यकता है।

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का हवाला देते हुए श्री गोयल ने कहा कि "हमारा लक्ष्य अनंत आकाश जितना ऊंचा हो सकता है, लेकिन हमारे मन में आगे बढ़ने का संकल्प होना चाहिए, हाथ में हाथ हो तो जीत अपनी होगी"।