एएबी समाचार, नई दिल्ली । अगर आने वाले वक़्त में सब कुछ नीति आयोग के सिफारिशों के मुताबिक हुआ तो साल २०३० के बाद भारत की सड़कों पर पेट्...
एएबी समाचार, नई दिल्ली । अगर आने वाले वक़्त में सब कुछ नीति आयोग के सिफारिशों के मुताबिक हुआ तो साल २०३० के बाद भारत की सड़कों पर पेट्रोल व डीजल से चलने वाले वाहन इतिहास बन चुके होंगे . हाल ही में नीति आयोग ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है कि 2030 के बाद भारत में केवल विद्युत् वाहनों की बिक्री की जानी चाहिए। देश के नीति निर्धारक अब यह मानते नजर आ रहे हैं कि इससे देश में स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकी का दायरा दो-और तीन-पहिया वाहनों से परे भी फ़ैल जायेगा । गौरतलब है की कुछ समय पहले ही नीति आयोग के मुख्य कार्यपालिक अधिकारी अमिताभ कान्त के नेतृत्व वाली एक पैनल ने सलाह दी थी कि देश में वर्ष २०२५ से केवल 150 cc तक के इंजन क्षमता वाले EV (थ्री-व्हीलर्स और टू-व्हीलर्स) को ही बेचा जाना चाहिए ।
नीति आयोग के मुताबिक , चूंकि परिवहन , तेल के लिए सबसे अधिक मांग वाला क्षेत्र बना हुआ है, इसके चलते वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन की लगभग 100% बिक्री भारत की आयात निर्भरता में जबरदस्त कमी ला सकती है। नीति आयोग के मुताबिक , चूंकि परिवहन , तेल के लिए सबसे अधिक मांग वाला क्षेत्र बना हुआ है, इसके चलते वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन की लगभग 100% बिक्री भारत की आयात निर्भरता में जबरदस्त कमी ला सकती है।
नीति आयोग व अमेरिका स्थित रॉकी माउंटेन संस्थान की संयुक्त अध्ययन रपट के मुताबिक भारत साझा एवं इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में काम कर के वर्ष २०३० में सड़क आधारित परिवहन की ईंधन खपत में ६४ फीसदी व कार्बन उत्सर्जन में ३७ फीसदी तक की कमी ला सकेगा । जिसके नतीजतन इस वर्ष में पेट्रोल व डीजल की खपत में १५६ एमटीओई ( दस लाख टन तेल समतुल्य) की कमी आएगी । मौद्रिक हिसाब से यह बचत बाज़ार में पेट्रोल-डीजल ईंधन की मौजूदा कीमतों के आधार पर ३.९ लाख करोड़ के बराबर आती है ।
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग ने वाहनों के विद्युतीकरण को बढ़ावा देने के सिलसिले में विभिन्न मंत्रालयों के लिए अलग जिम्मेदारी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को 2030 तक डीजल और पेट्रोल वाहनों की बिक्री को समाप्त करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया है। मंत्रालय को - एक ओवरहेड बिजली नेटवर्क के साथ एक ऐसा ई-राजमार्ग कार्यक्रम शुरु करने के लिए कहा गया है जिससे चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रक व बस विद्युत् वाहनों के रूप में आ जा सकें।
विद्युत् राजमार्गों में सड़क के ऊपर से बिजली के तार गुजरेंगे जिनसे सड़क पर चलने वाले वाहनों को बिजली मिलेगी , नीति आयोग ने सड़क परिवहन मंत्रालय से इलेक्ट्रिक राजमार्गों की विकास के लिए कुछ क्षेत्रों को चुनने के लिए कहा है । इस सिलसिले में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि विद्युत् राजमार्गों की विकास में स्वीडन देश से सहयोग लिया जा सकता है .दिल्ली-मुंबई राजमार्ग को पहले विद्युत् राजमार्ग के रूप में रूपान्तरित किया जा सकता है ।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय विद्युत गतिशीलता मिशन योजना जनवरी २०१३ में वर्ष २०२० तक ६० से ७० लाख विद्युत् व मिश्रित प्रकार के वाहनों के बेड़े को ध्यान में रख कर शुरू की गई थी। हर दिन भारत में लगभग ५०,००० नए मोटर वाहन (२-३, और ४ और चार पहिया वाहन) पंजीकृत होते हैं। पिछले एक दशक से वाहन पंजीकरण में सालाना 10% की वृद्धि दर्ज की गयी है । फिर भी कुल वाहन बिक्री के लिए विद्युत् वाहन बिक्री का वार्षिक हिस्सा 1% के बहुत कम स्तर पर है, जिसमें लगभग 4 लाख विद्युत् दोपहिया और सड़क पर कुछ हजार विद्युत् कारें हैं।
नीति आयोग के अनुसार, विद्युत् वाहनों को अपनाने में बाधाएं उपभोक्ताओं की सोच , बैटरी की दक्षता, परिचालन का दायरा , विद्युत् वाहनों की गति , ऊर्जित करने का समय, ऊर्जित करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण, बैटरी का पुनः ऊर्जीकरण और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्रों में निहित हैं। सबसे महत्वपूर्ण घटक - ली-आयन बैटरी - देश में बहुत महंगा है क्योंकि कोई घरेलू विनिर्माण नहीं है, जिससे विद्युत् कारों की कीमत बहुत अधिक है।
विद्युत् राजमार्गों में सड़क के ऊपर से बिजली के तार गुजरेंगे जिनसे सड़क पर चलने वाले वाहनों को बिजली मिलेगी , नीति आयोग ने सड़क परिवहन मंत्रालय से इलेक्ट्रिक राजमार्गों की विकास के लिए कुछ क्षेत्रों को चुनने के लिए कहा है । इस सिलसिले में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि विद्युत् राजमार्गों की विकास में स्वीडन देश से सहयोग लिया जा सकता है .दिल्ली-मुंबई राजमार्ग को पहले विद्युत् राजमार्ग के रूप में रूपान्तरित किया जा सकता है ।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय विद्युत गतिशीलता मिशन योजना जनवरी २०१३ में वर्ष २०२० तक ६० से ७० लाख विद्युत् व मिश्रित प्रकार के वाहनों के बेड़े को ध्यान में रख कर शुरू की गई थी। हर दिन भारत में लगभग ५०,००० नए मोटर वाहन (२-३, और ४ और चार पहिया वाहन) पंजीकृत होते हैं। पिछले एक दशक से वाहन पंजीकरण में सालाना 10% की वृद्धि दर्ज की गयी है । फिर भी कुल वाहन बिक्री के लिए विद्युत् वाहन बिक्री का वार्षिक हिस्सा 1% के बहुत कम स्तर पर है, जिसमें लगभग 4 लाख विद्युत् दोपहिया और सड़क पर कुछ हजार विद्युत् कारें हैं।
नीति आयोग के अनुसार, विद्युत् वाहनों को अपनाने में बाधाएं उपभोक्ताओं की सोच , बैटरी की दक्षता, परिचालन का दायरा , विद्युत् वाहनों की गति , ऊर्जित करने का समय, ऊर्जित करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण, बैटरी का पुनः ऊर्जीकरण और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्रों में निहित हैं। सबसे महत्वपूर्ण घटक - ली-आयन बैटरी - देश में बहुत महंगा है क्योंकि कोई घरेलू विनिर्माण नहीं है, जिससे विद्युत् कारों की कीमत बहुत अधिक है।