2020
Fastag-will-be-mandatory-for-all-vehical-From-1st-january-पथकर-चौकियों-पर-केवल-डिजिटल-भुगतान-ही-होंगे

एएबी समाचार।
केन्द्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं एमएसएमई मंत्री  नितिन गडकरी ने नए साल से देश में सभी वाहनों के लिए फास्टैग को अनिवार्य किये जाने की घोषणा की है। आभासी रूप से आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि फास्टैग को 1 जनवरी, 2021 से लागू किया जाएगा। इस कदम से मिलने वाले लाभों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह यात्रियों के लिए उपयोगी है क्योंकि उन्हें नकद भुगतान के लिए टोल प्लाजा पर रुकने की जरुरत नहीं होगी। इससे समय और ईंधन की भी बचत होगी।

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फास्टैग की शुरुआत 2016 में की गयी थी, और चार बैंकों ने मिलकर लगभग एक लाख फास्टैग जारी किए। 2017 के अंत तक, इन फास्टैग की संख्या बढ़कर सात लाख हो गई। 2018 में 34 लाख से अधिक फास्टैग जारी किए गए थे।

केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस साल नवंबर में एक अधिसूचना जारी कर पुराने वाहनों में, सीएमवीआर, 1989 में संशोधनों के जरिए 1 दिसम्बर, 2017 से पहले बेचे गये वाहनों में भी, 1 जनवरी, 2021 से फास्टैग को अनिवार्य बनाया था।

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केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार, 1 दिसंबर 2017 से, नए चार पहिया वाहनों के पंजीकरण के लिए फास्टैग को अनिवार्य कर दिया गया था और इसकी आपूर्ति वाहन निर्माताओं या उनके डीलरों द्वारा की जा रही है। इसके अलावा, यह भी अनिवार्य किया गया था कि फास्टैग के लिए फिट होने के बाद ही परिवहन वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया जाएगा। राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों के लिए 1 अक्टूबर 2019 से फास्टैग मानकों पर फिट होना अनिवार्य किया गया था।

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यह भी अनिवार्य किया गया है कि फॉर्म 51 (बीमा का प्रमाण पत्र) में संशोधन के जरिए नया तीसरा पक्ष (थर्ड पार्टी) बीमा, जिसमें फास्टैग आईडी का विवरण दर्ज किया जाएगा, प्राप्त करते समय एक वैध फास्टैग अनिवार्य होगा। यह प्रावधान 1 अप्रैल 2021 से लागू होगा।

टोल प्लाज़ा पर केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से शुल्क का भुगतान 100 प्रतिशत होना और वाहनों का शुल्क प्लाज़ा के माध्यम से निर्बाध रूप से गुजरना सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। प्लाज़ा में प्रतीक्षा करते हुए कोई समय जाया नहीं करना होगा और इससे ईंधन की बचत होगी।

विविध चैनलों पर फास्टैग की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भौतिक ठिकानों और ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से भी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि नागरिक अपनी सुविधा के अनुसार अगले दो महीनों के भीतर उन्हें अपने वाहनों पर चिपका सकें।

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Govt-Recognise-Yoga-As-A-Competitive-Sport-लक्ष्य-योग-को-बनाना-है-ओलिंपिक-खेलों-का-हिस्सा

एएबी समाचार।
आयुष मंत्रालय और युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने योगासन को एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में औपचारिक मान्यता देने की घोषणा की। सरकार का यह फैसला योग क्षेत्र के हितधारकों के साथ 3-4 साल के व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया है। केंद्र सरकार के मुताबिक  योगासन योग का एक अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग है, जो सामाजिक मनोविज्ञान की प्रकृति है और फिटेनसव सामान्य स्वास्थ्य में अपनी प्रभावकारिता के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय है।

केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  श्रीपद नाइक और युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  किरेन रिजिजू  द्वारा नई दिल्ली में संयुक्त प्रेस वार्ता में श्री नाइक ने योगासन प्रतियोगिताओं को भारतीय योग परंपरा का हिस्सा बताया, जहां सदियों से ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती रही हैं। उन्होंने कहा कि आज भी कई स्तरों पर ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही है, लेकिन प्रतियोगिताओं को राष्ट्रीय पटल पर उभरने के लिए मजबूत और दीर्घकालिक स्वरूप का सामने आना बाकी है।

 

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उन्होंने आगे कहा कि "योगासन के एक खेल बनने से, नई तकनीकें और नई रणनीतियां अनुशासित रूप से शामिल होना सुनिश्चित होगा, जिससे हमारे खिलाड़ियों और अधिकारियों को इस क्षेत्र में बेहतर करियर बनाने का लाभ मिलेगा"।

इस अवसर पर मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए श्री किरेन रिजिजू ने कहा कि योगासन को खेलों के रूप में मान्यता मिलने से जो प्रतिस्पर्धा पैदा होगी, उससे दुनिया भर के लोगों में योग के प्रति रुचि बढ़ेगी।उन्होंने यह भी कहा कि दोनों मंत्रालय योगासन को एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में स्थापित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हम योगासन को खेलो इंडिया और यूनिवर्सिटी गेम्स में एक खेल के रूप में शामिल करने की योजना बना रहे हैं और हम इसे राष्ट्रीय खेलों का भी हिस्सा बनाएंगे लेकिन किसी भी खेल का लक्ष्य और उद्देश्य ओलंपिक खेलों में शामिल होना है और यह एक लंबी यात्रा की शुरुआत है। श्री रिजिजू ने यह भी कहा कि योग एक बहुत ही सुंदर, आकर्षक और लोकप्रिय खेल बनने जा रहा है।

 

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 इस दौरान आयुष सचिव ने एक प्रस्तुति दी जिसमें बताया गया कि योगासन के खेल की प्रतियोगिताओं के लिए 4 स्पर्धाओं और 7 श्रेणियों में 51 पदक प्रस्तावित किये जा सकते है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए प्रस्तावित कार्यक्रमों में पारंपरिक योगासन, कलात्मक योगासन (एकल), कलात्मक योगासन (युगल), लयबद्ध योगासन (युगल), मुक्त प्रवाह/समूह योगासन, व्यक्तिगत ऑल राउंड- चैम्पियनशिप और टीम चैम्पियनशिप शामिल हैं।

सचिव ने यह भी सूचित किया कि निम्नलिखित कदम या गतिविधियां योगासन खेल के भविष्य के रोडमैप और विकास का हिस्सा बनेंगी:

  • 2021 की शुरुआत में पायलट योगासन प्रतियोगिता "नेशनल इंडिविजुअल योगासन स्पोर्ट चैंपियनशिप (वर्चुअल मोड)" के नाम से होनी है।    
  • . योगासन खेल की प्रतियोगिताओं, प्रतिस्पर्धाओं और कार्यक्रमों का एक वार्षिक कैलेंडर जारी करना।
  • प्रतियोगिताओं के लिए एक स्वचालित स्कोरिंग प्रणाली का विकास करना।

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  • कोच, रेफरी, जजों और प्रतियोगिताओं के निदेशकों के लिए पाठ्यक्रम।
  • खिलाड़ियों के लिए कोचिंग कैंप।
  • योग आसनों के लिए एक लीग का उद्घाटन, जिससे इस खेल के खिलाड़ियों के लिए बेहतर करियर और सामाजिक स्थिति, विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
  • योगासन को राष्ट्रीय खेलों, खेलो इंडिया और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में खेल प्रतिस्पर्धा के रूप में प्रस्तुत करना। 
  • योगासन खिलाड़ियों के लिए नौकरी के अवसर पैदा करने के लिए कदम।

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Economic-proposal-to-bring-fuel-prices-down-by-60%-बजट-सत्र-से-पूर्व-इस-पर-हो-सकता-बड़ा-फैसला

प्रो. जी. एल. पुणताम्बेकर*

देश के एक जाने-माने अर्थशास्त्री ने प्रधानमंत्री के सामने एक अनूठा प्रस्ताव रखा है। केन्द्र सरकार ने अगर इस प्रस्ताव पर अमल किया तो कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले दिनों में देश में पेट्रोल व डीजल की आसमान छूतीं  कीमतें अपने मौजूदा स्तर से 50 से 60 फीसदी तक नीचे आया सकतीं हैं । इतना ही नहीं इस बदलाव से सरकार की  राजस्व आय में कोई कमी भी नहीं आएगी बल्कि वह दो से तीन गुना ज्यादा बढ़ जाएगी।
 

प्रधानमंत्री के सामने यह प्रस्ताव रखने वाले अर्थशास्त्री कोई नए नहीं बल्कि वही अर्थशास्त्री हैं जिनके पूर्व प्रस्ताव पर अमल कर प्रधानमंत्री ने देश में विमुद्रीकरण करने का साहस भरा फैसला लिया था। ये अर्थशास्त्री हैं -अर्थक्रांति प्रतिष्ठान पुणे के अनिल बोकिल । जो अब दूसरा प्रस्ताव लेकर आए हैं।
 

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Economic Proposal : सरकार की राजस्व आये बढ़ाएगा

इस प्रस्ताव की खास बात यह है कि अनिल बोकिल ने इन उत्पादों के दामों में भारी भरकम कमी के साथ सरकारी खजाने में होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए भी समानांतर रूप से ऐसा विकल्प प्रस्तुत किया है जो केंद्र सरकार को इस मद से मिलने वाले राजस्व से ढाई  गुना अधिक राजस्व दिलाने  वाला है।
 

यद्यपि   सरकारी तंत्र  के साथ आम आदमी को  इस दावे पर भरोसा नहीं होगा पर यह दावा सही है। शायद इसीलिये अनिल बोकिल इसे “विचार”नहीं “ प्रस्ताव” कहते है क्योंकि वे इसे अमल में लाने का सम्पूर्ण खाका भी  प्रस्तुत करते है । बकौल अनिल बोकिल, यह प्रस्ताव पूर्णरूप से व्यावहारिक है बस, जरूरी है  कि सरकार “आउट ऑफ द बॉक्स “ सोचना आरंभ करे ।  

अब बात अनिल बोकिल के उस प्रस्ताव की कर लेते हैं जिसको अपनाकर  पेट्रोल दृडीजल की खुदरा कीमतों  में  60 प्रतिशत की  भारी कमी के साथ  सरकारी खजाने में इस मद से मिलने वाले राजस्व मे लगभग ढाई गुने का इजाफा किया जा सकता है।  
 

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Economic Proposal : बैंकों कीआय भी बढ़ाएगा

यदि आगामी बजट में इस  विकल्प को स्वीकृति मिलती है तो यह कोरोना संकट के बीच  आम उपभोगता, उद्योग और कृषि  क्षेत्र के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती  है । इतना ही नहीं, इसके माध्यम से केंद्र सरकार  के साथ बैंकों को भी अतिरिक्त आय जुटाने की गुंजाईश इस प्रस्ताव में है ।
   

अनिल बोकिल के  नये प्रस्ताव को समझने  के लिए उनके द्वारा प्रस्तुत आधारभूत आंकड़ों पर पहले गौर करना होगा । यदि 1 दिसंबर,2020 की दिल्ली की पेट्रोल और  डीजल की कीमतों को देखें तो वे क्रमश रू 82.34 रुपये ओर 72.42 रुपये प्रति लीटर थी और इसमे केंद्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले कर अर्थात एक्साइज ड्यूटि और रोड सेस मिलाकर  क्रमश रू 32.98 रुपये और 31.83 रुपये प्रति लीटर की लागत शामिल  हैं  ।
 

Economic Proposal : पेट्रोल-डीजल की कीमतों को आधा कर देगा

अनिल बोकिल के प्रस्ताव में इन केन्द्रीय करों को पूर्णतः समाप्त करने की सिफारिश है और यदि ऐसा होगा तो इन्हें घटाकर हमें पेट्रोल 49.36 रुपये ओर डीजल 40.59 रुपये प्रति लीटर की दर से मिलेगा । अर्थात वर्तमान कीमतों से ये उत्पाद 56 से 60 प्रतिशत कम दाम पर मिलेंगे ।
 

आप कहेंगे कि एक तरफ सरकार अपने अनियंत्रित राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर दुनिया में सबसे अधिक लगभग 69 कर लगाने को निर्विकल्प मानती है तो और दूसरी तरफ  इन्हें पूर्णतः समाप्त करने के विकल्प कैसे चुना जा सकता है ?  तो इसके लिए अनिल बोकिल ने जो विकल्प दिया है, वह काबिले गौर है ।
 

उन्होंने इसके लिए  देश के वर्तमान स्तर पर होने वाले डिजिटल ट्रांजेक्शन पर अधिकतम केवल 0.30 प्रतिशत  बी.टी.टी. (बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स  ) लगाकर  वर्तमान से लगभग  ढाई  गुना ज्यादा राजस्व एकत्रित करने का विकल्प दिया है  ।
 
 

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Economic Proposal : रिजर्व बैंक के आंकड़ों के आधार पर हुआ तैयार

अनिल बोकिल ने भारतीय रिजर्व बैंक के वर्ष 2019 -20 जो आंकडे अपने विश्लेषण के लिए हैं उनके अनुसार वर्तमान व्यवस्था में केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी से 2,23,056 करोड़ रुपये, कच्चे तेल पर सेस से 14789 और कस्टम ड्यूटी से 22,927 रुपये और  इस प्रकार कुल 2,60,773 रुपये इस मद से  मिलते हैं । इनके प्रस्ताव को स्वीकार करने पर केंद्र सरकार को यह राजस्व तो नही मिलेगा, लेकिन वे इस नुकसान की भरपाई बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स से करने का विकप्ल देते है।
 

इसके लिए भी उन्होंने रिजर्व बैंक के ही आकड़ों को लिया है । इन आंकड़ों  के अनुसार अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल 3475 लाख करोड़ का बैंक ट्रांजेक्शन था जिसमे से यदि 1275 लाख करोड़ रुपये के अंतर-बैंकीय  और सरकारी ट्रांजेक्शन हटा दिए जावें तो कुल 2200 लाख करोड़ के ट्रांजेक्शन बीटीटी के लिए यदि शामिल किये जा सकते  है ।
 
 

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Economic Proposal : केंद्र सरकार को सुझाये आय के नए रास्ते

इन शेष बैंक व्यवहारों पर यदि   0.30 प्रतिशत की दर से भी  बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स  वसूल किया जाए तो  कुल 6.60 लाख करोड़ का राजस्व मिलेगा जो वर्तमान व्यवस्था से मिलने वाले  2,60,773 करोड़ रुपये  से  लगभग ढाई गुने से अधिक है । इस अतिरिक्त राजस्व का प्रयोग केंद्र सरकार या तो अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में कर सकती है या फिर इससे  अन्य महतवपूर्ण विकास कार्यों को  पूरा करने में कर सकती है ।
 

अनिल बोकिल ने अपने प्रस्ताव में इस राजस्व का 4% बैंकों को सेवा शुल्क के रूप में बांटने का प्रस्ताव भी दिया है जिससे बैंकों को लगभग 26400 करोड़ रुपयों की आय भी होगी । इतना ही नहीं जिस प्रकार कोरोना काल में डिजिटल ट्रांजेक्शन की प्रवृति में वृधि  हुई है, यदि यह जारी रहती है तो इस बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स  से मिलने वाले राजस्व में और भी वृधि होगी ।    
    
 

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Economic Proposal : अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने में करेगा मदद

अनिल बोकिल ने  अपने नए  प्रस्ताव  को आगामी केन्द्रीय  बजट में  शामिल करने का सुझाव दिया है और बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, मीडीया और  आम जनता से भी यह  अपील की है कि वे भी इस प्रस्ताव का विश्लषण करें  और इसे लागू करने की मांग सरकार के समक्ष रखें  क्योंकि यह प्रस्ताव हर दृष्टि से एक उत्तम विकल्प है। 

आज जब   कोरोना संकट में केंद्र और राज्य सरकारें देश की अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए प्रयास कर रही हैं तब इस लक्ष्य को पाने के लिए अनिल बोकिल का प्रस्ताव  हर नजरिए से फायदा दिलाने वाला है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को राहत प्रदान करने वाला है ।
 

 इतना ही नही, इस प्रस्ताव के माध्यम से अनिल बोकिल के मूल अर्थक्रांति प्रस्ताव ( केंद्र और राज्य सरकार के सभी करों को समाप्त कर एकमात्र बैंकिंग ट्रांजेक्शन टैक्स की व्यवस्था लागू करना ) की प्रभावशीलता का परीक्षण भी हो जाएगा।
 

 सवाल है कि क्या सरकार यह बड़ा बदलाव करेगी ?वास्तव में  प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के विगत 6 वर्षों के अपने कार्यकाल में नवाचार को लागू करने में जो तत्परता दिखाई है उसी से  “ मोदी है तो मुमकिन है “ का  नारा प्रसिद्द हुआ  है और यही बात  उम्मीद जगाती है ।
 

सुखद यह भी है कि  मोदी ने अनिल बोकिल के अर्थक्रांति प्रस्ताव को डीमोनेटाइजेशन के निर्णय के समय सुना है और इसलिए यह उम्मीद की जा सकती है कि केंद्र सरकार द्वारा आगामी बजट में अनिल बोकिल के इस विकल्प को स्वीकृति मिलेगी और वर्षों बाद उपभोगता पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भारी कमी का सुखद अनुभव करेंगे ।

* लेखक  डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ,म. प्र. में  वाणिज्य विभाग प्रोफेसर हैं ।
** इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

 

Govt-Advisory-to-Private-TV-Channel-फैंटेसी-खेलों-के-विज्ञापनों-का-न-दे-बढ़ावा

एएबी समाचार।
  सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी टेलीविजन प्रसारकों एक परामर्श जारी किया है। जिसमें कहा है कि वे ऑनलाइन गेमिंग, फैंटेसी स्पोर्ट्स आदि से संबंधित विज्ञापनों के लिए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करे। मंत्रालय ने सलाह दी है कि इन विज्ञापनों में ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए जो विधि या क़ानून द्वारा प्रतिबंधित हों ।

इस एडवाइजरी में कहा गया है कि, "सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पता चला है कि ऑनलाइन गेमिंग, फैंटेसी स्पोर्ट्स आदि पर बड़ी संख्या में विज्ञापन टेलीविजन पर दिखाई दे रहे हैं। इस संबंध में चिंताएं जताई गई थीं कि ये विज्ञापन भ्रामक प्रतीत होते हैं, ये ग्राहकों को उससे जुड़े वित्तीय और अन्य जोखिमों के बारे में सही ढंग से नहीं बताते हैं, इसलिए ये केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत निर्धारित विज्ञापन कोड की सख्त अनुपालना में नहीं हैं।”

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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, एएससीआई, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स और ऑनलाइन रम्मी फेडरेशन के प्रतिनिधियों के साथ एक परामर्श बैठक की । उसी बैठक के बाद निजी चैनलों को परामर्श जारी किया गया है ।

एएससीआई के दिशा-निर्देशों के मुताबिक ऐसे हरेक गेमिंग विज्ञापन के साथ ये चेतावनी दी जानी चाहिए: "इस गेम में वित्तीय जोखिम का एक तत्व शामिल है और इसकी लत लग सकती है। कृपया जिम्मेदारी से और अपने स्वयं के जोखिम पर ही इसे खेलें”। इस तरह के डिस्क्लेमर को विज्ञापन में कम से कम 20 प्रतिशत जगह दी जानी चाहिए। 

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इन दिशा-निर्देशों में ये भी कहा गया है कि गेमिंग विज्ञापन 18 वर्ष से कम उम्र के यूज़र्स को "असली पैसा जीतने के लिए ऑनलाइन गेमिंग" का खेल खेलते हुए नहीं दर्शा सकते, या न ही ऐसा सुझाव दे सकते हैं कि ऐसे यूज़र्स इन गेम्स को खेल सकते हैं। 

इन विज्ञापनों को न तो ये सुझाव देना चाहिए कि ऑनलाइन गेमिंग रोजगार के विकल्प के रूप में आय कमाने का मौका प्रदान करती है और न ही ऐसे खेल खेलने वाले व्यक्ति को दूसरों की तुलना में अधिक सफल के रूप में चित्रित करना चाहिए।

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) 1985 में स्थापित हुई थी जो भारत में विज्ञापन उद्योग का एक मुंबई स्थित स्व-नियामक स्वैच्छिक संगठन है। इसका मकसद ये सुनिश्चित करना है कि विज्ञापन स्व-विनियमन के उसके कोड के अनुरूप हों। केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत टेलीविजन नेटवर्क्स के लिए एएससीआई द्वारा निर्धारित विज्ञापन कोड का पालन करना अनिवार्य है।

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