Economic proposal to bring fuel prices down by 60% -प्रस्ताव में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के भी हैं सुझाव

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प्रो. जी. एल. पुणताम्बेकर*

देश के एक जाने-माने अर्थशास्त्री ने प्रधानमंत्री के सामने एक अनूठा प्रस्ताव रखा है। केन्द्र सरकार ने अगर इस प्रस्ताव पर अमल किया तो कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले दिनों में देश में पेट्रोल व डीजल की आसमान छूतीं  कीमतें अपने मौजूदा स्तर से 50 से 60 फीसदी तक नीचे आया सकतीं हैं । इतना ही नहीं इस बदलाव से सरकार की  राजस्व आय में कोई कमी भी नहीं आएगी बल्कि वह दो से तीन गुना ज्यादा बढ़ जाएगी।
 

प्रधानमंत्री के सामने यह प्रस्ताव रखने वाले अर्थशास्त्री कोई नए नहीं बल्कि वही अर्थशास्त्री हैं जिनके पूर्व प्रस्ताव पर अमल कर प्रधानमंत्री ने देश में विमुद्रीकरण करने का साहस भरा फैसला लिया था। ये अर्थशास्त्री हैं -अर्थक्रांति प्रतिष्ठान पुणे के अनिल बोकिल । जो अब दूसरा प्रस्ताव लेकर आए हैं।
 

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Economic Proposal : सरकार की राजस्व आये बढ़ाएगा

इस प्रस्ताव की खास बात यह है कि अनिल बोकिल ने इन उत्पादों के दामों में भारी भरकम कमी के साथ सरकारी खजाने में होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए भी समानांतर रूप से ऐसा विकल्प प्रस्तुत किया है जो केंद्र सरकार को इस मद से मिलने वाले राजस्व से ढाई  गुना अधिक राजस्व दिलाने  वाला है।
 

यद्यपि   सरकारी तंत्र  के साथ आम आदमी को  इस दावे पर भरोसा नहीं होगा पर यह दावा सही है। शायद इसीलिये अनिल बोकिल इसे “विचार”नहीं “ प्रस्ताव” कहते है क्योंकि वे इसे अमल में लाने का सम्पूर्ण खाका भी  प्रस्तुत करते है । बकौल अनिल बोकिल, यह प्रस्ताव पूर्णरूप से व्यावहारिक है बस, जरूरी है  कि सरकार “आउट ऑफ द बॉक्स “ सोचना आरंभ करे ।  

अब बात अनिल बोकिल के उस प्रस्ताव की कर लेते हैं जिसको अपनाकर  पेट्रोल दृडीजल की खुदरा कीमतों  में  60 प्रतिशत की  भारी कमी के साथ  सरकारी खजाने में इस मद से मिलने वाले राजस्व मे लगभग ढाई गुने का इजाफा किया जा सकता है।  
 

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Economic Proposal : बैंकों कीआय भी बढ़ाएगा

यदि आगामी बजट में इस  विकल्प को स्वीकृति मिलती है तो यह कोरोना संकट के बीच  आम उपभोगता, उद्योग और कृषि  क्षेत्र के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती  है । इतना ही नहीं, इसके माध्यम से केंद्र सरकार  के साथ बैंकों को भी अतिरिक्त आय जुटाने की गुंजाईश इस प्रस्ताव में है ।
   

अनिल बोकिल के  नये प्रस्ताव को समझने  के लिए उनके द्वारा प्रस्तुत आधारभूत आंकड़ों पर पहले गौर करना होगा । यदि 1 दिसंबर,2020 की दिल्ली की पेट्रोल और  डीजल की कीमतों को देखें तो वे क्रमश रू 82.34 रुपये ओर 72.42 रुपये प्रति लीटर थी और इसमे केंद्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले कर अर्थात एक्साइज ड्यूटि और रोड सेस मिलाकर  क्रमश रू 32.98 रुपये और 31.83 रुपये प्रति लीटर की लागत शामिल  हैं  ।
 

Economic Proposal : पेट्रोल-डीजल की कीमतों को आधा कर देगा

अनिल बोकिल के प्रस्ताव में इन केन्द्रीय करों को पूर्णतः समाप्त करने की सिफारिश है और यदि ऐसा होगा तो इन्हें घटाकर हमें पेट्रोल 49.36 रुपये ओर डीजल 40.59 रुपये प्रति लीटर की दर से मिलेगा । अर्थात वर्तमान कीमतों से ये उत्पाद 56 से 60 प्रतिशत कम दाम पर मिलेंगे ।
 

आप कहेंगे कि एक तरफ सरकार अपने अनियंत्रित राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर दुनिया में सबसे अधिक लगभग 69 कर लगाने को निर्विकल्प मानती है तो और दूसरी तरफ  इन्हें पूर्णतः समाप्त करने के विकल्प कैसे चुना जा सकता है ?  तो इसके लिए अनिल बोकिल ने जो विकल्प दिया है, वह काबिले गौर है ।
 

उन्होंने इसके लिए  देश के वर्तमान स्तर पर होने वाले डिजिटल ट्रांजेक्शन पर अधिकतम केवल 0.30 प्रतिशत  बी.टी.टी. (बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स  ) लगाकर  वर्तमान से लगभग  ढाई  गुना ज्यादा राजस्व एकत्रित करने का विकल्प दिया है  ।
 
 

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Economic Proposal : रिजर्व बैंक के आंकड़ों के आधार पर हुआ तैयार

अनिल बोकिल ने भारतीय रिजर्व बैंक के वर्ष 2019 -20 जो आंकडे अपने विश्लेषण के लिए हैं उनके अनुसार वर्तमान व्यवस्था में केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी से 2,23,056 करोड़ रुपये, कच्चे तेल पर सेस से 14789 और कस्टम ड्यूटी से 22,927 रुपये और  इस प्रकार कुल 2,60,773 रुपये इस मद से  मिलते हैं । इनके प्रस्ताव को स्वीकार करने पर केंद्र सरकार को यह राजस्व तो नही मिलेगा, लेकिन वे इस नुकसान की भरपाई बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स से करने का विकप्ल देते है।
 

इसके लिए भी उन्होंने रिजर्व बैंक के ही आकड़ों को लिया है । इन आंकड़ों  के अनुसार अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल 3475 लाख करोड़ का बैंक ट्रांजेक्शन था जिसमे से यदि 1275 लाख करोड़ रुपये के अंतर-बैंकीय  और सरकारी ट्रांजेक्शन हटा दिए जावें तो कुल 2200 लाख करोड़ के ट्रांजेक्शन बीटीटी के लिए यदि शामिल किये जा सकते  है ।
 
 

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Economic Proposal : केंद्र सरकार को सुझाये आय के नए रास्ते

इन शेष बैंक व्यवहारों पर यदि   0.30 प्रतिशत की दर से भी  बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स  वसूल किया जाए तो  कुल 6.60 लाख करोड़ का राजस्व मिलेगा जो वर्तमान व्यवस्था से मिलने वाले  2,60,773 करोड़ रुपये  से  लगभग ढाई गुने से अधिक है । इस अतिरिक्त राजस्व का प्रयोग केंद्र सरकार या तो अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में कर सकती है या फिर इससे  अन्य महतवपूर्ण विकास कार्यों को  पूरा करने में कर सकती है ।
 

अनिल बोकिल ने अपने प्रस्ताव में इस राजस्व का 4% बैंकों को सेवा शुल्क के रूप में बांटने का प्रस्ताव भी दिया है जिससे बैंकों को लगभग 26400 करोड़ रुपयों की आय भी होगी । इतना ही नहीं जिस प्रकार कोरोना काल में डिजिटल ट्रांजेक्शन की प्रवृति में वृधि  हुई है, यदि यह जारी रहती है तो इस बैंकिंग ट्रांजेक्शन  टैक्स  से मिलने वाले राजस्व में और भी वृधि होगी ।    
    
 

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Economic Proposal : अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने में करेगा मदद

अनिल बोकिल ने  अपने नए  प्रस्ताव  को आगामी केन्द्रीय  बजट में  शामिल करने का सुझाव दिया है और बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, मीडीया और  आम जनता से भी यह  अपील की है कि वे भी इस प्रस्ताव का विश्लषण करें  और इसे लागू करने की मांग सरकार के समक्ष रखें  क्योंकि यह प्रस्ताव हर दृष्टि से एक उत्तम विकल्प है। 

आज जब   कोरोना संकट में केंद्र और राज्य सरकारें देश की अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए प्रयास कर रही हैं तब इस लक्ष्य को पाने के लिए अनिल बोकिल का प्रस्ताव  हर नजरिए से फायदा दिलाने वाला है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को राहत प्रदान करने वाला है ।
 

 इतना ही नही, इस प्रस्ताव के माध्यम से अनिल बोकिल के मूल अर्थक्रांति प्रस्ताव ( केंद्र और राज्य सरकार के सभी करों को समाप्त कर एकमात्र बैंकिंग ट्रांजेक्शन टैक्स की व्यवस्था लागू करना ) की प्रभावशीलता का परीक्षण भी हो जाएगा।
 

 सवाल है कि क्या सरकार यह बड़ा बदलाव करेगी ?वास्तव में  प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के विगत 6 वर्षों के अपने कार्यकाल में नवाचार को लागू करने में जो तत्परता दिखाई है उसी से  “ मोदी है तो मुमकिन है “ का  नारा प्रसिद्द हुआ  है और यही बात  उम्मीद जगाती है ।
 

सुखद यह भी है कि  मोदी ने अनिल बोकिल के अर्थक्रांति प्रस्ताव को डीमोनेटाइजेशन के निर्णय के समय सुना है और इसलिए यह उम्मीद की जा सकती है कि केंद्र सरकार द्वारा आगामी बजट में अनिल बोकिल के इस विकल्प को स्वीकृति मिलेगी और वर्षों बाद उपभोगता पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भारी कमी का सुखद अनुभव करेंगे ।

* लेखक  डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ,म. प्र. में  वाणिज्य विभाग प्रोफेसर हैं ।
** इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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