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रंग थिएटर की नाट्य प्रस्तुति में मुख्य किरदार "अंजी " की भूमिका में शुभांगी श्रीवास
एएबी-कला समीक्षक/  उज्जैन/ शहर के कालिदास अकादमी संकुल भवन मे आयोजित अर्जुन सिंह रंगोत्सव में सागर के रंग थियेटर नाट्य समूह ने भी अपनी प्रस्तुति दी। रंग थियेटर  के कलाकारों ने नाटककार विजय तेंडुलकर की प्रमुख रचनाओं में से एक अंजी को पेश किया। यह नाट्य प्रस्तुति एक प्रौढ़ होती युवती द्वारा उसकी शादी के लिए रूचि नहीं लेने के घटनाक्रम   पर केन्द्रित रही। 
नाटक मे बेहद प्रभावी ढंग से यह दिखाया गया कि परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्या होने के कारण जो अहमियत मिलती थी वह कैसे उसके लिए जी का जंजाल बन गई । उसकी कमाई से उसकी छोटी बहनों तक के विवाह हो गए लेकिन उसके प्रौढ़ अवस्था की ओर बढ़ते कदमों के बावजूद परिवार के सदस्य अंजी की शादी के बारे मे कोई भी फैसला नहीं ले रहे थे क्योंकि उन्हें भय था कि अंजी के विवाह के बाद घर का खर्चा कैसे चलेगा। 
ऐसे में "अंजी" अपने लिए खुद ही एक दूल्हा तलाशने का फैसला लेती है उसकी इसी तलाश यात्रा को नाटक के जरिए दिखाया गया है नाट्य समारोह मे सागर के रंग थियेटर समूह के कलाकारों प्रस्तुत यह नाटक राजेंन्द्र पांचाल के निर्देशन मे तैयार किया गया नाटक की केन्द्रीय किरदार अंजी के दूल्हे की तलाश के घटनाक्रम को बेहद मनोरंजक अंदाज में पेश किया। 
नाटक को असरदार बनाने मे सधे हुए प्रकाश संयोजन व उतार-चढ़ाव से भरे पार्श्व संगीत ने दर्शकों को बांधे रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नाटक के सभी पात्रों के बीच अभिनय में अच्छा ताल-मेल देखने को मिला। अंजी का मुख्य किरदार निभा रहीं शुभांगनी  श्रीवास ने अपनी बेलाग व भावप्रवण अदाकारी से दर्शकों से खूब तालियां बटोरीं।

अन्य किरदारों में पारूल पटेल  ने सनजी, यशवंत लोधी ने सूत्रधार , मनोहर ने मिश्रा जी,  रूपेंद्र ने प्रभुदयाल, शुभम शरण ने होटल रिशेप्सनिस्ट, गोविंदा ने आटो चालाक  और अनुज ने दद्दा की भूमिका निभाई। पार्श्व संगीत में हारमोनियम पर अतुल  ड्रम पर बालमुकुंद, ढोलक पर निक्की और मंजीरा पर ज्ञानी का साथ रहा। प्रकाश संयोजन संगीत श्रीवास्तव का रहा। मनीष बोहरे और रवि आनंद सिंह चंदेल दल के समन्वयक के तौर पर अपनी शशक्त  उपस्थिति बनाये रहे


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