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AAB NEWS/
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 01 जनवरी, 2024 को उत्तर प्रदेश में मथुरा के वृन्दावन में बालिकाओं के लिए पहले पूर्ण सैनिक स्कूल संविद गुरुकुलम सैनिक स्कूल का उद्घाटन किया। 

इस विद्यालय में 870 बालिका विद्यार्थियों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इस स्कूल का उद्घाटन सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में गैर सरकारी संगठनों/निजी/राज्य सरकारी विद्यालयों के साथ साझेदारी के अंतर्गत 100 नए सैनिक स्कूलों की स्थापना की पहल के तहत किया गया है, जिनमें से 42 विद्यालय स्थापित किए जा चुके हैं। ये मौजूदा 33 सैनिक स्कूलों के अतिरिक्त बनने वाले विद्यालय हैं, जो पहले से ही पूर्ववर्ती पैटर्न के तहत कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में संविद गुरुकुलम बालिका सैनिक स्कूल को उन लड़कियों के लिए आशा की किरण बताया, जो सशस्त्र बलों में शामिल होने तथा मातृभूमि की रक्षा करने की इच्छा रखती हैं। 

उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में महिलाओं को सशस्त्र बलों में उनका उचित स्थान दिया है, जो वर्षों से उपेक्षित रही थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों की तरह ही राष्ट्र की रक्षा करने का अधिकार है। 

उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के इतिहास में वह स्वर्णिम क्षण था, जब हमने सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश लेने को स्वीकृति प्रदान की थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज देश की महिलाएं न केवल लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, बल्कि वे सीमाओं की सुरक्षा भी कर रही हैं।

यह स्मरण योग्य तथ्य है कि श्री राजनाथ सिंह ने 2019 में सैनिक विद्यालयों में लड़कियों के प्रवेश को शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दे दी थी। मिजोरम के सैनिक स्कूल छिंगछिप में रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई प्रायोगिक परियोजना की सफलता के बाद यह निर्णय लिया गया था।

देश में 100 नए सैनिक स्कूलों की स्थापना के दृष्टिकोण के पीछे का उद्देश्य विद्यार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने सहित उज्ज्वल भविष्य के अवसर प्रदान करना है। 

यह पहल निजी क्षेत्र को आज के युवाओं को आने वाले कल का जिम्मेदार नागरिक बनाकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में सरकार के साथ मिलकर कार्य करने का अवसर भी देती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी वृन्दावन में संविद गुरुकुलम बालिका सैनिक स्कूल के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित थे।

 

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AAB NEWS/ 31 JUL 2023 

'न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा' पर फोकस करती राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 इस विचार को प्रतिध्वनित करती है कि किसी भी बच्चे को उसकी पृष्ठभूमि और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान के कारण शैक्षिक अवसर के मामले में पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। 

 इसमें सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है जिसमें महिला और ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल हैं। इसके अतिरिक्त एनईपी राज्यों और स्थानीय सामुदायिक संगठनों की साझेदारी से शिक्षा में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए लैंगिक आधार को एक वैकल्पित प्राथमिकता के रूप में देखने का सुझाव देती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विशेष रूप से लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए एक जेंडर इंक्लूजन फंड (जीआईएफ) स्थापित करने का प्रावधान करती है ताकि सभी लड़कियों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की राष्ट्र की क्षमता का निर्माण किया जा सके। 

बालिकाओं के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एनईपी के उद्देश्यों को सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) के लिए समर्पित संसाधनों को आवंटित करके समग्र शिक्षा 2.0 के तहत विशिष्ट प्रावधानों के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। 

समग्र शिक्षा के अंतर्गत बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न उपायों को लक्षित किया गया है, जिनमें बालिकाओं की पहुंच को आसान बनाने के लिए पड़ोस में स्कूल खोलना, बालिकाओं को आठवीं कक्षा तक निःशुल्क पोशाक और पाठ्य-पुस्तकें, दूरवर्ती/पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए अतिरिक्त शिक्षक तथा शिक्षकों के लिए आवासीय क्वार्टर, महिला शिक्षकों सहित अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति सीडब्ल्यूएसएन की बालिकाओं को कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक स्टाइपेंड, बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, बालिकाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षक संवेदीकरण कार्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों सहित लैंगिक संवेदनशीलता शिक्षण-लर्निंग सामग्री आदि शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर महिला-पुरुष अंतराल को कम करने के लिए शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) स्वीकृत किए जाते हैं, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जैसे लाभ से वंचित समूहों की बालिकाओं के लिए कक्षा छठी से बारहवीं तक आवासीय विद्यालय हैं। 

देश में 30 जून 2023 तक 6.88 लाख लड़कियों के नामांकन के साथ कुल 5639 केजीबीवी स्वीकृत किए गए हैं। केजीबीवी के उन्नयन का कार्य वर्ष 2018-19 में शुरू किया गया था और वर्ष 2022-23 तक कुल 357 केजीबीवी को टाइप-II (कक्षा 6-10) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है तथा 2010 केजीबीवी को टाइप-III (कक्षा 6-12) में उन्नयन के लिए अनुमोदित किया गया है।

शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

Examination-Alert- देश-भर-में-बारह-सितम्बर-को-होगी-नीट-की-परीक्षा 

 एएबी समाचार। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए देश भर में नीट (यूजी) का आयोजन 12 सितंबर, 2021 को किया जाएगा। इसके लिए आवेदन प्रक्रिया कल शाम 5 बजे से एनटीए की वेबसाइट (वेबसाइटों) के माध्यम से शुरू होगी।

इससे पहले परीक्षा के लिए 1 अगस्त, 2021 की तारीख निर्धारित की गई थी। सामाजिक दूरी के मानदंडों को सुनिश्चित करने के लिए, परीक्षा केंद्र वाले शहरों की संख्या 155 से बढ़ाकर 198 कर दी गई है। वहीं परीक्षा केंद्रों की संख्या भी 2020 में बनाई गई 3862 केंद्रों से और बढ़ाई जाएगी।

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कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा केंद्र में सभी उम्मीदवारों को फेस मास्क प्रदान किया जाएगा। प्रवेश और निकास के दौरान चरणबद्ध टाइम स्लॉट, संपर्क रहित पंजीकरण, पर्याप्त स्वच्छता, सामाजिक दूरी के साथ बैठने आदि को भी सुनिश्चित किया जाएगा। 

सामान्य स्थानों के अलावा, परीक्षा से पहले और इसके बाद सभी फर्नीचर व फिक्स्चर्स और सीटों को सैनिटाइज किया जाएगा। परीक्षा कक्ष/हॉल में पर्याप्त हवा आने व जाने के लिए खुली खिड़कियां और पंखे होंगे।

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Guidelines- घर-पहला-विद्यालय-और-माता-पिता-पहले-शिक्षक-केंद्रीय-शिक्षा-मंत्री

एएबी समाचार@ केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने अपने ट्वीट में कहा कि महामारी के इस 'न्यूनॉर्मल' में माता-पिता की भूमिका को बच्चों के विकास और सीखने के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए,इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य उनकी साक्षरता के स्तर की परवाह किए बिना विद्यालय बंद होने के दौरान बच्चों की सहायता करने में उनकी भागीदारी और जुड़ाव से संबंधित'क्यों', 'क्या', और 'कैसे' के बारे में जानकारी प्रदान करना है। उन्होंने आगे कहा कि घर पहला विद्यालय है और माता-पिता पहले शिक्षक हैं।

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घर आधारित शिक्षण के दिशानिर्देश माता-पिता के लिए एक सुरक्षित व आकर्षक वातावरण और एक सकारात्मक सीखने का माहौल बनाने की जरूरत पर जोर देते हैं, वे बच्चे से वास्तविक अपेक्षाएं रखते हैं, स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और स्वस्थ खाते हैं, इसी समय बच्चों के साथ मस्ती भी करते हैं। ये दिशानिर्देश केवल माता-पिता के लिए ही नहीं, बल्कि देखभाल करने वालों, परिवार के अन्य सदस्यों, दादा-दादी, समुदाय के सदस्यों, बड़े भाई-बहनों के लिए भी हैं, जो बच्चों की बेहतरी को बढ़ावा देने के काम में लगे हुए हैं।

ये दिशानिर्देश बच्चों के घर पर शिक्षण की सुविधा को लेकर माता-पिता और अन्य लोगों के लिए कई सरल सुझाव प्रदान करते हैं।ये सुझाव योग्य गतिविधियां राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)2020 के तहत स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के अनुरूप हैं।

 

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आयु-उपयुक्त कला गतिविधियों को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, यानी बुनियादी चरण (उम्र 3-8 वर्ष), प्राथमिक चरण (उम्र 8-10 वर्ष), माध्यमिक चरण (उम्र 11-14 वर्ष) और द्वी तीयक चरण : किशोरावस्था से वयस्क आयु तक (उम्र 14-18)।ये गतिविधियां सरल और सुझाव योग्य हैं, जिन्हें स्थानीय जरूरतों और संदर्भों के लिए अनुकूलित और अपनाया जा सकता है।ये दिशानिर्देश तनाव या आघात के तहत बच्चों के लिए एक चिकित्सा के रूप में कला की भूमिका को प्रोत्साहित करते हैं।

वहीं ये दिशानिर्देश बच्चों की सीखने की कमियों की निगरानी और उन्हें दूर करके उनके शिक्षण में सुधार लाने पर महत्व देते हैं। दस्तावेजीकरण में माता-पिता का शिक्षकों के साथ सहयोग करना और बच्चे अपने सीखने में जो प्रगति कर रहे हैं, उस पर चिंतन करना शिक्षकों व माता-पिता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

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ये दिशानिर्देश विद्यालयों को घर पर छात्रों को होमवर्क और अन्य पाठ्यक्रम से संबंधित गतिविधियों, निर्णयों और योजना बनाने में सहायता करने और उन्हें विद्यालय के फैसलों में शामिल करने के बारे में जानकारी और विचार प्रदान करके माता-पिता को शामिल करने की सलाह देते हैं। माता-पिता को न्यूजलेटर, ई-मेल, स्मृति पत्र आदि भेजने जैसे संसाधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

इसके अलावा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्हें उनके माता-पिता देख सकते हैं। वे इस संबंध में मार्गदर्शन के लिए शिक्षकों से संपर्क कर सकते हैं।ऐसी अन्य एजेंसियां और संगठन हैं जो एसएमसी/ग्राम पंचायत, विद्यालय प्रशासकों आदि से मांगे जा सकने वाली इन चीजों के बारे में जानकारी देने की सुविधा प्रदानकरते हैं।

  

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कम पढ़े-लिखे या निरक्षर माता-पिता की सहायता करने के लिए दिशानिर्देशों में एक अलग अध्याय शामिल किया गया है।कम साक्षरता वाले माता-पिता को सहायता प्रदान करने के लिए विद्यालय, शिक्षक और स्वयंसेवक सुझाव योग्य कदम उठा सकते हैं।

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एएबी समाचार @
शिक्षा मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा विभाग ने आज युवा लेखकों को  प्रशिक्षित करने के लिए युवा - प्रधानमंत्री योजना की शुरुआत की।
 यह युवा और नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करने के लिए एक लेखक परामर्श कार्यक्रम है, जिससे पढ़ने, लिखने और पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके व वैश्विक स्तर पर भारत और भारतीय लेखन को प्रदर्शित किया सके।

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युवा (युवा, आगामी और बहुमुखी लेखकों) की शुरुआत युवा लेखकों को भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के बारे में लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है। 31 जनवरी, 2021 को मन की बात के दौरान, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने युवा पीढ़ी से स्वतंत्रता सेनानियों, स्वतंत्रता से जुड़ी घटनाओं, स्वतंत्रता संग्राम की अवधि के दौरान वीरता की गाथा के बारे में अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में लिखने का आह्वान किया था। उनका कहना था कि यह भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर भारत की स्वतंत्रता के नायकों को सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि के रूप में होगा।

 

प्रधानमंत्री ने कहा, यह विचारशील नेताओं की एक श्रेणी भी तैयार करेगा जो भविष्य की दिशा तय करेगा।"

युवा, भारत@75 परियोजना (आजादी का अमृत महोत्सव) का एक हिस्सा है। यह योजना विस्मृत नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों, अज्ञात और भूले हुए स्थानों और राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी भूमिका और अन्य विषय वस्तुओं पर लेखकों की युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण को एक अभिनव व रचनात्मक तरीके से सामने लाने के लिए है। इस प्रकार यह योजना लेखकों की एक धारा विकसित करने में सहायता करेगी जो भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विषयों के अलग-अलग पहलुओं पर लिख सकते हैं।

इसके लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में शिक्षा मंत्रालय के तहत नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत संरक्षण के सुव्यवस्थित चरणों के तहत इस योजना के चरणबद्ध निष्पादन को सुनिश्चित करेगा। इस योजना के तहत तैयार की गई पुस्तकों का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत करेगा। इसके अलावा संस्कृति और साहित्य के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के लिए इनका अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया जाएगा, जिससे 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' को बढ़ावा मिलेगा। वहीं चयनित युवा लेखक विश्व के कुछ बेहतरीन लेखकों के साथ बातचीत करेंगे और साहित्यिक उत्सवों आदि में भाग लेंगे।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने युवा दिमागों के सशक्तिकरण और एक सीखने वाला इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया है, जो युवा पाठकों/सीखने वालों को भविष्य की दुनिया में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार कर सकता है। इस संदर्भ में, युवा रचनात्मक संसार के भविष्य के नेताओं की नींव रखने में एक लंबा सफर तय करेगा।

युवा (युवा, आगामी और बहुमुखी लेखकों) की मुख्य विशेषताएं:

  • 1 जून से 31 जुलाई, 2021 तक वेबसाइट  के माध्यम से आयोजित होने वाली अखिल भारतीय प्रतियोगिता के जरिए कुल 75 लेखकों का चयन किया जाएगा।
  • विजेताओं की घोषणा 15 अगस्त, 2021 को की जाएगी।
  • युवा लेखकों को प्रख्यात लेखक/संरक्षक प्रशिक्षित करेंगे।
  • संरक्षण के तहत, पांडुलिपियों को प्रकाशन के लिए 15 दिसंबर, 2021 तक पढ़ा जाएगा।
  • प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन 12 जनवरी, 2022 को राष्ट्रीय युवा दिवस (युवा दिवस) के अवसर पर किया जाएगा।
  • संरक्षण योजना के तहत छह महीने की अवधि के लिए प्रत्येक लेखक को 50,000 रुपये प्रति माह की समेकित छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाएगा।