2024

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सरकार ने IN-SPACe के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए 1,000 करोड़ रुपये के उद्यम पूंजी निधि (Venture Capital Fund) को मंजूरी दी है। अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप को निधि देने के लिए 5 साल में धीरे-धीरे निधि का इस्तेमाल किया जाएगा।
 

🗼भारत का विनिर्माण पीएमआई सितंबर में 56.5 के मुकाबले बढ़कर अक्टूबर में  57.4 हो गया, और सेवा पीएमआई सितंबर में 57.7 के मुकाबले बढ़कर अक्टूबर में 57.9 हो गया । इसका मतलब है कि दोनों क्षेत्रों में पिछले महीने की तुलना में उत्पादन में वृद्धि देखी गई।

🗼गोदावरी बायोरिफाइनरीज आईपीओ को 1.83 गुना सब्सक्राइब किया गया। खुदरा सदस्यता: 1.71 गुना। सदस्यता के लिए बंद।

🗼क्रिसिल  के मुताबिक सीएनजी कंपनियों की गैस खरीद लागत में 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि होने की उम्मीद है।

🗼सरकार ‘भारत’ किराना ब्रांड के तहत सब्सिडी दरों पर चना साबुत और मसूर दाल बेचने की योजना बना रही है।

🗼वारी एनर्जीज आईपीओ को 76.34 गुना सब्सक्राइब किया गया। खुदरा सदस्यता: 10.79 गुना।

🗼दीपक बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स आईपीओ को 41.54 गुना सब्सक्राइब किया गया। खुदरा सदस्यता: 39.79 गुना।

🗼सितंबर में भारत में 

खुदरा बिक्री में साल-दर-साल 5% की वृद्धि हुई। 

खाद्य और किराना में सबसे अधिक 12% की वृद्धि देखी गई। 

आभूषणों की बिक्री में 8% की वृद्धि हुई, 

उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और 

इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री में 6% की वृद्धि हुई, 

क्यूएसआर और परिधानों की बिक्री में 5% की वृद्धि हुई: आरएआई सर्वेक्षण (RAI Survey)
 

🗼हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ अपने आईपीओ मूल्य से 1.33% नीचे सूचीबद्ध हुआ।

🗼चीन ने अक्टूबर में अपनी मासिक बैठक में प्रमुख उधार (या ब्याज) दरों में कटौती की। 1-वर्ष की दर को घटाकर 3.1% (सितंबर में 3.35% के मुकाबले) कर दिया गया, और 5-वर्ष की दर को घटाकर 3.6% (सितंबर में 3.85% के मुकाबले) कर दिया गया।

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वित्तीय प्रबंधन के लिए 50:30:20 का नियम एक सरल और प्रभावी ढांचा प्रदान करता हैइससे आय-व्यय के फैसलों में  में पारदर्शिता आती है और और संतुलन बनता है। यह प्रसिद्ध दिशा-निर्देश आपकी आय को तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित करता है: आवश्यकताएं, इच्छाएं, और बचत/कर्ज भुगतान। 

इस बंटवारे का मकसद वित्तीय स्थिरता तय करना है, साथ ही आनंद और भविष्य की सुरक्षा के लिए स्थान देना। 50% आय जरूरतों जैसे घर का किराया, भोजन, और बिलों के लिए, 30% इच्छाओं जैसे मनोरंजन और व्यक्तिगत खर्चों के लिए, और 20% बचत या कर्ज चुकाने के लिए निर्धारित की जाती है। यह आय के प्रबंधन का ये दृष्टिकोण आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को आत्मविश्वास और आसानी से प्राप्त करने में मदद करता है।

यह एक व्यावहारिक उपकरण है जो आपको रोजमर्रा कि जिन्दगी के जरूरी खर्चों, व्यक्तिगत भोग-विलास और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है, जिससे अधिक संगठित और समृद्ध वित्तीय भविष्य का मार्ग प्रशस्त होता है। 

सबसे पहले, अपनी आय का 50% ज़रूरी खर्चों के लिए रखें, जिसमें घर का किराया, बिजली-पानी, राशन और यात्रा खर्च शामिल होते हैं। अपनी आधी आय इन आवश्यकताओं पर खर्च करके, आप यह सुनिश्चित करते हैं कि आपकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो रही हैं और आपको वित्तीय तनाव नहीं झेलना पड़ेगा। यह आवंटन आपके वित्तीय स्थिरता के लिए एक मजबूत आधार बनाता है, जिससे आप अपने रोज़मर्रा के खर्चों को आसानी से संभाल सकते हैं।

इसके बाद, अपनी आय का 30% हिस्सा अपनी इच्छाओं के लिए अलग रखें। यह राशि उन खर्चों के लिए होती है जो जीवन की गुणवत्ता बढ़ाते हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं होते, जैसे बाहर खाना, मनोरंजन, यात्रा और शौक। इस हिस्से से खर्च करने पर आप अपने जीवन के सुखों का आनंद ले सकते हैं। यह आपको जिम्मेदार बजट और अपने श्रम के फल का आनंद लेने के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

आपकी आय का अंतिम 20% हिस्सा बचत और ऋण चुकाने के लिए होना चाहिए। यह हिस्सा आपकी आपातकालीन निधि बनाने, भविष्य के लक्ष्यों में निवेश करने और सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने में मदद करता है। साथ ही, यह आपको क्रेडिट कार्ड बैलेंस और अन्य ऋणों को कम करने का मौका भी देता है। बचत और ऋण चुकाने पर ध्यान देकर, आप दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।

इस संतुलित और समझदारी भरे तरीके से आप जरूरी खर्च कर आसानी से बचत भी  कर सकते हैं। साथ ही अपने कर्ज को संभाल सकते हैं। यह योजना न सिर्फ आपको आज के खर्चों से निपटने में मदद करती है, बल्कि एक सुरक्षित और स्थिर भविष्य की ओर भी ले जाती है।

 

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र (एनएएससी) परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) का उद्घाटन किया। इस वर्ष के सम्मेलन का विषय "ट्रांसफॉर्मेशन टुवर्ड्स सस्‍टेनेबल एग्री फूड सिस्‍टम्‍स” है। 

इसका उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, बढ़ती उत्पादन लागत और द्वंद को ध्‍यान में रखते हुए टिकाऊ कृषि की तरफ तत्काल ध्‍यान देना है। इस सम्मेलन में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

उपस्थित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि कृषि अर्थशास्त्रियों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) 65 वर्षों के बाद भारत में हो रहा है। 

उन्होंने भारत के 120 मिलियन किसानों, 30 मिलियन से अधिक महिला किसानों, 30 मिलियन मछुआरों और 80 मिलियन पशुपालकों की ओर से सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। श्री मोदी ने कहा, "आप उस भूमि पर हैं, जहां 500 मिलियन से अधिक पशुधन हैं। मैं आपका कृषि और पशु-प्रेमी देश भारत में स्वागत करता हूं।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन कृषि और खाद्यान्न को लेकर  हमारी मान्यताएं और हमारे अनुभव हैं। उन्होंने भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान और तर्क को दी गई प्राथमिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने खाद्यान्न के औषधीय गुणों के पीछे संपूर्ण विज्ञान के अस्तित्व का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने समृद्ध विरासत पर आधारित कृषि पर लगभग 2000 साल पुराने ग्रंथ ‘कृषि पाराशर’ का जिक्र करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कृषि हजारों साल पुराने इस दृष्टिकोण की नींव पर विकसित हुई है। प्रधानमंत्री ने भारत में कृषि अनुसंधान और शिक्षा की एक मजबूत प्रणाली की ओर इशारा किया।

 उन्होंने कहा, “आईसीएआर खुद 100 से अधिक शोध संस्थानों का दावा करता है।” उन्होंने आगे बताया कि कृषि शिक्षा के लिए 500 से अधिक कॉलेज और 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र हैं।

भारत में कृषि नियोजन में सभी छह मौसमों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों की विशिष्ट विशेषताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश में लगभग सौ किलोमीटर की यात्रा करने पर कृषि उपज में बदलाव आता है। 

प्रधानमंत्री ने कहा, "चाहे वह ज़मीन पर खेती हो, हिमालय में, रेगिस्तान में, पानी की कमी वाले क्षेत्रों में या तटीय क्षेत्रों में, यह विविधता वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और भारत को दुनिया में उम्मीद की किरण दिखाई देती है।"

65 साल पहले भारत में आयोजित कृषि अर्थशास्त्रियों के पिछले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक नया स्वतंत्र राष्ट्र था, जिसने भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय बनाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत खाद्य अधिशेष वाला देश है, दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है, और खाद्यान्न, फल, सब्जियां, कपास, चीनी, चाय और मत्स्य पालन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। 

उन्होंने उस समय को याद किया जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए चिंता का विषय थी, जबकि आज भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान कर रहा है। इसलिए, प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य प्रणाली परिवर्तन पर चर्चा के लिए भारत का अनुभव मूल्यवान है और इससे वैश्विक दक्षिण को लाभ मिलना निश्चित है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘विश्व बंधु’ के रूप में वैश्विक कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने वैश्विक कल्याण के लिए भारत के दृष्टिकोण को याद किया और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’, ‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य’ सहित विभिन्न मंचों पर भारत द्वारा प्रस्तुत किए गए विभिन्न मंत्रों का उल्लेख किया। 

श्री मोदी ने मनुष्यों, पौधों और जानवरों के स्वास्थ्य को अलग-अलग नहीं देखने के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ के समग्र दृष्टिकोण के तहत ही किया जा सकता है।”

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत की आर्थिक नीतियों के केन्‍द्र में कृषि है। उन्होंने कहा कि भारत के 90 प्रतिशत छोटे किसान, जिनके पास बहुत कम ज़मीन है, भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने बताया कि एशिया के कई विकासशील देशों में भी ऐसी ही स्थिति है, जिसके लिए भारत का मॉडल उपयुक्त है। 

 

प्राकृतिक खेती का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं। उन्होंने इस साल के बजट में टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल खेती पर बड़े पैमाने पर ध्यान देने के साथ-साथ भारत के किसानों को समर्थन देने के लिए एक संपूर्ण इकोसिस्‍टम विकसित करने का भी उल्लेख किया।

 जलवायु-अनुकूल फसलों से संबंधित अनुसंधान और विकास पर सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में किसानों को लगभग उन्नीस सौ नई जलवायु-अनुकूल किस्में सौंपी गई हैं। 

उन्होंने भारत में चावल की किस्मों का उदाहरण दिया, जिन्हें पारंपरिक किस्मों की तुलना में 25 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है और काले चावल के सुपरफूड के रूप में उभरने का उदाहरण दिया। 

उन्होंने कहा, "मणिपुर, असम और मेघालय का काला चावल अपने औषधीय गुणों के कारण पसंदीदा विकल्प है।" उन्होंने कहा कि भारत विश्व समुदाय के साथ इससे संबंधित अपने अनुभव साझा करने के लिए भी उतना ही उत्सुक है।

प्रधानमंत्री ने जल की कमी और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ पोषण संबंधी चुनौतियों की गंभीरता को भी स्वीकार किया। उन्होंने श्री अन्न, मिलेट को एक समाधान के रूप में प्रस्तुत किया, क्योंकि यह सुपरफूड ‘न्यूनतम पानी और अधिकतम उत्पादन’ की गुणवत्ता रखता है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की मोटे अनाज की टोकरी को दुनिया के साथ साझा करने की इच्छा व्यक्त की और पिछले वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाए जाने का उल्लेख किया।

कृषि को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की पहल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सौर ऊर्जा खेती के कारण किसानों को ऊर्जा प्रदाता बनने, डिजिटल कृषि बाजार यानी ई-नाम, किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम फसल बीमा योजना के बारे में बात की। 

उन्होंने पारंपरिक किसानों से लेकर कृषि स्टार्टअप्स, प्राकृतिक खेती से लेकर फार्मस्टे और फार्म-टू-टेबल तक कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के औपचारिकीकरण पर भी बात की। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में 90 लाख हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत लाया गया है। 

उन्होंने कहा कि भारत 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ हो रहा है

भारत में कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीक के लाभ उठाने पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने पीएम किसान सम्मान निधि का उल्लेख किया, जिसके तहत एक क्लिक पर 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं, और डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा है जो किसानों को वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है और उन्हें डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। 

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल से करोड़ों किसानों को लाभ होगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने भूमि के डिजिटलीकरण के लिए एक बड़े अभियान का भी जिक्र किया, जिसके तहत किसानों को उनकी भूमि के लिए एक डिजिटल पहचान संख्या दी जाएगी

इसके अलावा खेती में ड्रोन को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां ‘ड्रोन दीदियों’ को ड्रोन संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि इन कदमों से न केवल भारत के किसानों को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी। 

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने बड़ी संख्या में युवाओं की उपस्थिति का उल्लेख किया और विश्वास व्यक्त किया कि अगले पांच दिन दुनिया को टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों से जोड़ने के तरीकों के साक्षी बनेंगे। उन्होंने कहा, "हम एक-दूसरे से सीखेंगे और एक-दूसरे को सिखाएंगे।"

इस अवसर पर केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद, सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर मतीन कैम और डेयर के सचिव तथा आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक मौजूद थे।

पृष्‍ठभूमि 

अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री संघ द्वारा आयोजित त्रिवार्षिक सम्मेलन 02 से 07 अगस्त 2024 तक आयोजित किया जा रहा है और यह 65 वर्षों के बाद भारत में हो रहा है।

इस वर्ष के सम्मेलन का विषय "ट्रांसफॉर्मेशन टुवर्ड्स सस्‍टेनेबल एग्री फूड सिस्‍टम्‍स" है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, बढ़ती उत्पादन लागत और द्वंद जैसी वैश्विक चुनौतियों को ध्‍यान में रखते हुए टिकाऊ कृषि की तरफ तत्काल ध्‍यान देना है। इस सम्मेलन में वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला जाएगा और देश के कृषि अनुसंधान और नीतिगत प्रगति को प्रदर्शित किया जाएगा।

आईसीएई 2024 मंच युवा शोधकर्ताओं एवं अग्रणी पेशेवरों को अपना काम प्रस्तुत करने और वैश्विक साथियों के साथ नेटवर्क बनाने की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी को मजबूत करना, राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर नीति निर्माण को प्रभावित करना और डिजिटल कृषि एवं टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों में प्रगति सहित भारत की कृषि प्रगति को प्रदर्शित करना है। सम्मेलन में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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बीएमडब्ल्यू (BMW) ने आज भारत में बीएमडब्ल्यू 620डी एम स्पोर्ट सिग्नेचर कार को बाजार में उतार दिया है।यह कार बीएमडब्ल्यू (BMW) ग्रुप के चेन्नई स्थित  प्लांट में बनी पहली कार है जो  अब देश भर में सभी बीएमडब्ल्यू (BMW) विक्रेता केंद्रों पर खरीदने  के लिए उपलब्ध है।

बीएमडब्ल्यू 620डी एम स्पोर्ट सिग्नेचर  कार में 2-लीटर 4-सिलेंडर डीजल इंजन लगाया गया है।  जो 190hp की अधिकतम ताकत और 400Nm का पीक टॉर्क बनाता है। 8-स्पीड स्टेपट्रॉनिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के साथ यह कार 7.9 सेकंड में 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है। कार में कम्फर्ट, कम्फर्ट+, स्पोर्ट, इको प्रो और एडेप्टिव जैसे कई परिचालन विकल्प  हैं। 

बीएमडब्ल्यू 620डी एम स्पोर्ट सिग्नेचर की किडनी ग्रिल बीएमडब्ल्यू लेजरलाइट-आधारित हेडलाइट इकाइयों से घिरी हुई है। कूपे डिजाइन के मुताबिक इसमें ढलान जैसी छत है। पीछे की तरफ, आपको एलईडी पीछे की बत्तियां  और क्रोम में प्लेटेड कुछ फ्रीफॉर्म टेलपाइप मिलते हैं। यह कार मिनरल व्हाइट, टैनज़नाइट ब्लू, स्काईस्क्रेपर ग्रे और कार्बन ब्लैक जैसे मेटैलिक पेंटवर्क में उपलब्ध है

केबिन के अंदर, आपको मेमोरी फ़ंक्शन के साथ पूरी तरह से इलेक्ट्रिक फ्रंट सीटें मिलती हैं, जो विशेष सिलाई और काले रंग में कंट्रास्ट पाइपिंग के साथ 'डकोटा' चमड़े में लपेटी जाती हैं।
 

इसमें पैनोरमिक सनरूफ, छह डिमेबल डिज़ाइन के साथ सुखद रौशनी   और 16 स्पीकर के साथ हरमन कार्डन सराउंड साउंड सिस्टम है। रियर-सीट एंटरटेनमेंट प्रोफेशनल में फुल-एचडी तकनीक के साथ दो 10.25-इंच टचस्क्रीन मॉनिटर, एक ब्लू-रे प्लेयर, स्क्रीन मिररिंग फ़ंक्शन और दो यूएसबी पोर्ट शामिल हैं। कार में चार-ज़ोन स्वचालित जलवायु नियंत्रण है।

बीएमडब्ल्यू ऑपरेटिंग सिस्टम 7.0 के साथ बीएमडब्ल्यू लाइव कॉकपिट प्रोफेशनल में 3डी नेविगेशन, 12.3 इंच का पूरी तरह से डिजिटल इंस्ट्रूमेंट डिस्प्ले और 12.3 इंच का कंट्रोल डिस्प्ले शामिल है। यात्री अपने बीएमडब्ल्यू वर्चुअल असिस्टेंट से बात करके कई काम करा सकते हैं। इसमें बीएमडब्ल्यू भावभंगिमा नियंत्रक  भी है जो विभिन्न कार्यों के नियंत्रण के लिए छह पूर्व-निर्धारित हाथ आंदोलनों को पहचानता है।

जहां तक सुरक्षा उपायों  का सवाल है, बीएमडब्ल्यू 620डी एम स्पोर्ट सिग्नेचर में छह एयरबैग, सजगता सहायक Attentiveness  Assistant, ब्रेक असिस्ट के साथ एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABs  ), डायनेमिक ट्रैक्शन कंट्रोल (डीटीसी) सहित डायनेमिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (डीएससी) और इलेक्ट्रॉनिक डिफरेंशियल लॉक मिलते हैं। 

कंट्रोल (ईडीएलसी), कॉर्नरिंग ब्रेक कंट्रोल (सीबीसी), ऑटो होल्ड के साथ इलेक्ट्रिक पार्किंग ब्रेक, साइड-इम्पैक्ट प्रोटेक्शन, इलेक्ट्रॉनिक वाहन इम्मोबिलाइज़र और क्रैश सेंसर और ISOFIX चाइल्ड सीट माउंटिंग।

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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आज सोशल मीडिया पर सभी समर्थनकर्ताओं और इन्फ्लुएंसर्स को परामर्श दिया है कि वे सट्टेबाजी और जुए से जुड़े विदेशी ऑनलाइन प्लेटफार्म के प्रचार या विज्ञापन से बचें, जिसमें किराए के विज्ञापन भी शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा है कि इन विज्ञापनों का उपभोक्ताओं, विशेषकर युवाओं पर ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए का महत्वपूर्ण वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है।

मंत्रालय ने ऑनलाइन विज्ञापन मध्यस्थों को परामर्श दिया है कि वे भारतीय लोगों के लिए ऐसी प्रचार सामग्री को लक्षित न करें। सोशल मीडिया मध्यस्थों को भी परामर्श दिया गया है कि वे अपने उपयोगकर्ताओं के बीच ऐसी सामग्री प्रकाशित करने से बचने के लिए जागरूक प्रयास करें।

परामर्श में चेतावनी दी गई है कि इसका अनुपालन करने में विफल रहने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही हो सकती है, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट या खातों को हटाना या निष्क्रिय करना और लागू कानूनों के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई शामिल है।

परामर्श रेखांकित करता है कि जहां सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा, या उनके द्वारा उपलब्ध या होस्ट किए गए संचार लिंक के लिए मध्यस्थों के दायित्व से छूट प्रदान करती है, वहीं धारा 79 की उपधारा (3)(बी) यह व्यवस्था प्रदान करती है कि दायित्व से छूट तब लागू नहीं होगी यदि वास्तविक जानकारी प्राप्त होने पर, या उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा सूचित किए जाने पर मध्यस्थ द्वारा नियंत्रित कंप्यूटर संसाधन में उपस्थित या उससे जुड़ी किसी भी जानकारी, डेटा या संचार लिंक का उपयोग गैरकानूनी कार्य जैसे अपराध करने के लिए किया जा रहा है और मध्यस्थ किसी भी तरह से साक्ष्य को खराब किए बिना उस संसाधन पर उस सामग्री तक पहुंच को शीघ्रता से हटाने या निष्क्रिय करने में विफल रहता है।

मंत्रालय ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की दिनांक 06 मार्च 2024 के परामर्श को दोहराया है, जिसमें मशहूर हस्तियों और इन्फ्लुएंसर्स द्वारा सट्टेबाजी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने और समर्थन देने के लिए सट्टेबाजी/जुए से जुड़े प्लेटफार्मों के समर्थन के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी और चेतावनी दी थी कि ऐसे किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन या समर्थन कड़ी जांच के अधीन होंगे।

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क्या आपने कभी Pinterest पर मुआयना  किया है और उत्पादों की आकर्षक पेशकश देखी  है? यही है  एफीलेट मार्केटिंग की ताकत  है। अब, यह दर्शनीय दिग्गज एफीलेट मार्केटिंग  के लिए सोने की खान बन रहा है। 

अपने आकर्षक मंच के साथ, Pinterest समझदार  एफीलेट  मार्केटिंग  खिलाडियों  के लिए एक प्रमुख शिकार स्थल के रूप में उभरा है। इसके बारे में सोचें - आप उत्पाद प्रोमो के साथ रचनात्मकता को इतनी सहजता से और  कहां मिश्रित कर सकते हैं और इतना कलात्मक  बना सकते हैं?

लेकिन  Pinterest की परफेक्ट पिनों के पीछे   ऐसी  संभावनाओं की एक दुनिया छिपी है जो बाहर आने का इंतजार कर रही है। प्लेटफ़ॉर्म का विशाल उपयोगकर्ता आधार और खोज इंजन की क्षमता उन लोगों के लिए एक वास्तविक अवसर  प्रदान करती है जो अपने कार्ड सही तरीके से खेलना चाहते हैं। लेकिन आप इसकी क्षमता का लाभ कैसे उठा सकते हैं? आइए Pinterest Affiliate मार्केटिंग   की सफलता के रहस्यों को जानते हैं । 

अपनी  पसंद का बेहतरीन ब्रांड ढूँढना

पहले वही करें जो सबसे जरूरी: अपने विशिष्ट ब्रांड साथी  की पहचान करें। बड़े नामों से परे देखें; अनगिनत एसएमई असाधारण  व्यवसाय के लिए रोमांचक Affiliate  प्रोग्राम   प्रदान करते हैं। खूब सोच विचार  करें - तय  करें कि उनके मूल्य आपके हिसाब के  हों, और उनका कार्यक्रम उचित कमीशन दर का दावा करता हो। प्रामाणिकता कुंजी है; पार्टनर के साथ वास्तविक संबंध आपके कंटेंट निर्माण की भूख  को बढ़ाता है।

योजना बनाएं,पिन बनाएं, प्रकाशित करें,दोहराएँ

आपके ब्रांड पार्टनर के सुरक्षित होने के साथ, एक विषयवस्तु  की  रणनीति तैयार करने का समय आ गया है। Pinterest दृश्यों पर पनपता है, इसलिए आकर्षक विषयों पर विचार-मंथन करें। उत्पाद से खुद को परिचित करें - प्रत्यक्ष अनुभव के साथ शानदार समीक्षाएं सबसे अच्छी होती हैं।

पारदर्शिता सफलता की राह है

याद रखें, आप अपने दर्शकों के बीच विश्वास कायम करते  रहे हैं। निर्दिष्ट लिंक और हैशटैग का उपयोग करके स्पष्ट रूप से Affiliate भागीदारी का खुलासा करें। Pinterest के सामुदायिक दिशानिर्देशों और अपने ब्रांड के Affiliate अनुबंध दोनों का पालन करें।

पिन की ताकत को सामने  लाये

अब, आइए रचनात्मक बनें! ब्रांड की पेशकशों को प्रदर्शित करने के लिए Pinterest के विविध सामग्री विकल्पों - चित्र, वीडियो, इन्फोग्राफिक्स - का लाभ उठाएं। केवल एक पिन पर न रुकें - पहुंच को अधिकतम करने के लिए कई पिन बनाएं।

खोज इंजन में महारत हासिल करने की कोशिश करें

याद रखें, Pinterest एक शक्तिशाली खोज इंजन है। SEO  का जादू यहाँ जीवंत हो उठता है। प्रासंगिक कीवर्ड जोड़ें , मेटा डेटा और रणनीतिक हैशटैग को जरूरत के मुताबिक बनाएं  ताकि यह पक्का  हो सके कि आपकी सामग्री आपके दर्शकों की तलाश के हिसाब से  है और ब्रांड के उत्पाद उनकी जरूरतों को कैसे पूरा कर सकते हैं। रिच पिन आपके गुप्त हथियार हैं - बहुमूल्य जानकारी को सीधे अपनी वेबसाइट से लिंक करें, जिससे उपयोगकर्ता का अनुभव और बेहतर हो जाएगा।

मेट्रिक्स:बताते हैं आपकी सफलता का स्तर

अपनी प्रगति पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है। अच्छा  प्रदर्शन वाली पिनों की पहचान करने और उनकी कारगरता  का आकलन करने के लिए Pinterest के मूल विश्लेषण का उपयोग करें। कई  प्लेटफ़ॉर्म आपके सभी Affiliate लिंक के लिए विश्लेषण और एक केंद्र प्रदान करते हैं।

इन विधि का पालन करके, आप Pinterest को Affiliate Marketing  की सफलता के लिए एक ताकतवर  मंच में बदल सकते हैं। याद रखें, अच्छी  सामग्री, सूझबूझ भरी योजना और दर्शकों की सहभागिता Pinterest के साथ आपकी पूरी कमाई क्षमता को जागृत  करने की कुंजी है। तो, आज ही लाभ के लिए अपना रास्ता तय करना शुरू करें!

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राडो (RADO), घड़ियों के निर्माण  में उपयोग की जाने वाली सामग्री के रूप में सिरेमिक में अपने व्यापक और अग्रणी काम के लिए जाना जाता है। अन्य सामग्रियों के साथ सिरेमिक को मिलाना और धातुओं के साथ संयोजन में विविधतापूर्ण तरीके  से उच्च तकनीक  का उपयोग कर भी  कंपनी  खास उत्पाद सामने लाती है

इनमें से एक लोकप्रिय श्रंखला -कैप्टन कुक है। जो एक क्लासिक गोताखोर के पैमाने की रह चलती  है। शायद यही कारण है कि ब्रांड ने एथोस-एक्सक्लूसिव के लिए इस संग्रह को चुना, जो एथोस की सालगिरह के उपलक्ष्य में बनाया गया है। शौकीनों   को खुश करने के लिए जारी - विश्व स्तर पर राडो के सबसे बड़े बाजारों में से एक में - यह कैप्टन कुक एथोस संस्करण है। 

कैप्टन कुक ऑटोमैटिक एनिवर्सरी एडिशन फ़िरोज़ा के जलीय रंगों में अपने खूबसूरत ग्रेडिएंट डायल के लिए जाना जाता है, जो गोताखोरी और समुद्र की याद दिलाता है। यह दोनों तरफ एंटीरिफ्लेक्टिव परत  वाले नीलमणि क्रिस्टल ग्लास द्वारा महफूज  है। पीछे की तरफ, बंद केसबैक में समुद्री घोड़ों का चित्रण  है - एक कैप्टन कुक स्टेपल - जो समुद्री भाव को बनाये रखता  है। 

राडो के एक अन्य खास डायल के ब्रांड प्रतीक पर सेल्फ-वाइंडिंग मशीन  का जिक्र  है, जिसमें एक एंकर मोटिफ होता है जो घड़ी के हिलने पर घूमता है - चालन  के दोलनशील घुमावदार रोटर की तरह। 

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AAB NEWS/ केंद्रीय वस्त्र, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज यहां वस्त्र क्षेत्र के लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान उपस्थित लोगों से वोकल फॉर लोकल पर जोर देने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा, “स्थानीय के लिए मुखर बनें और स्थानीय को वैश्विक स्तर पर ले जाएं। हमारे उत्पादों को विश्व मंच पर प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह स्पष्ट आह्वान है।”

श्री गोयल ने यह भी कहा कि देश में वस्त्र उत्पादन बढ़ने से आय बढ़ेगी, रोजगार के अवसर खुलेंगे और देश को 'आत्मनिर्भर' बनाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। श्री पीयूष गोयल ने कारीगरों से अपने व्यवसाय को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर पंजीकृत करने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि उन्होंने GeM को हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े सभी कारीगरों और बुनकरों का पंजीकरण बिना किसी पंजीकरण शुल्क के करने का निर्देश दिया गया है।

श्री गोयल ने कहा कि ई-मार्केटप्लेस पर पंजीकरण करने से कारीगरों की दृश्यता बढ़ेगी और उनकी आय बढ़ाने वाले व्यवसायों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार GeM-पंजीकृत व्यवसायों को देश में प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर शामिल करने की सुविधा प्रदान करने का प्रयास करेगी और हस्तशिल्प और हथकरघा को प्राथमिकता देते हुए विदेशी वेबसाइटों पर अपने व्यवसायों को पंजीकृत करने पर जोर देगी। 

उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प और हथकरघा व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे उद्यमों को अधिकारियों का समर्थन, उन्हें GeM वेबसाइट पर अपने शिल्प के माध्यम से एक पहचान बनाने में मदद करेगा।

'मेड इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देते हुए, श्री गोयल ने अधिकारियों से हस्तशिल्प लाभार्थियों के लिए 'हैंडमेड इन इंडिया' लेबल से लाभ उठाने और अपने उत्पादों पर अधिक आय अर्जित करने के तरीके तैयार करने का आग्रह किया। 

श्री गोयल ने कहा कि 'हैंडमेड इन इंडिया' लेबल के तहत मशीन-निर्मित उत्पाद बेचने वाले व्यवसायों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेगी।

श्री गोयल ने कहा कि यदि बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है तो सरकार जूट और कपास का उत्पादन करने वाले किसानों की फसल खरीदने को तैयार है। 

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जूट और कपास के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है और विदेशी निर्यात के लिए खेतों के विजन को पूरा करने के क्रम में गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक उपलब्ध कराने को तैयार है।

उन्होंने वस्त्र क्षेत्र से तकनीकी नवाचार की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया, जिससे कारीगरों और बुनकरों का जीवन आसान हो जाएगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए लाभार्थियों को धन्यवाद दिया और वस्त्र के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना की।

हस्तशिल्प और हथकरघा को विश्व मंच पर फिर से परिभाषित करने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री गोयल ने कहा कि उद्योग को कारीगरों और बुनकरों की ब्रांड वैल्यू और आय बढ़ाने के लिए कपड़ा उत्पादों की गुणवत्ता और पैकेजिंग में सुधार की दिशा में काम करना चाहिए। 

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम-सूर्योदय योजना (मुफ्त सौर ऊर्जा संचालित रूफटॉप योजना), समर्थ योजनाओं और वस्त्र संबंधी योजनाओं से लाभ जैसी योजनाओं के एकीकरण से कारीगरों को अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने और उनकी आय में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने भारत में सबसे बड़े रोजगार सृजन क्षेत्र के रूप में वस्त्र क्षेत्र के महत्व और वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें प्रदान किए गए लाभों पर भी प्रकाश डाला। श्री गोयल ने पारंपरिक विरासत संस्कृति, तकनीकी प्रगति, अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से नवाचार और महिलाओं के सशक्तिकरण को मिलाकर प्रधानमंत्री के "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के विजन पर जोर दिया। स्पष्ट तौर पर यह वस्त्र मंत्रालय की पहली लाभार्थी बैठक है, जो इतने बड़े पैमाने पर आयोजित की गई थी।

बातचीत के दौरान वस्त्र और रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश और वस्त्र मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे। देश भर के 398 केंद्रों से हथकरघा, हस्तशिल्प, जूट, रेशम और समर्थ सहित विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 10,000 लाभार्थियों ने बातचीत में भाग लिया।

 12 अलग-अलग स्थानों से कुल 24 लाभार्थियों ने वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अपनी आजीविका को मजबूत करने के लिए प्राप्त होने वाले लाभों पर अपने अनुभव साझा करते हुए मंत्रियों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की।

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AAB NEWS/
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दीर्घकालिक परिणामों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, न कि अल्पकालिक परिणामों पर। 

रक्षा मंत्री 24 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली में एक निजी मीडिया संगठन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। राजनाथ सिंह ने 'दीर्घकालिक योजना और दीर्घकालिक लाभ को प्राथमिकता देना' वर्तमान सरकार तथा पिछली सरकार के बीच मुख्य अंतर बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि अतीत की सरकारों के विपरीत, वर्तमान सरकार ने ऐसी नीतियां बनाई और लागू की हैं, जो केवल पांच वर्षों के लिए अल्पकालिक लाभ प्रदान नहीं करती हैं। 

उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में लंबी अवधि के फायदे के लिए रक्षा क्षेत्र में किए गए सुधारों का उल्लेख किया, इनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना करना शामिल है, जिससे तीनों सेनाओं के बीच साझेदारी, तालमेल तथा सुचारू समन्वय बढ़ चुका है।

राजनाथ सिंह ने बताया कि सरकार भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो संकट के समय में उनके बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा। 

उन्होंने कहा कि पहले तीनों सेनाएं साइलो में काम करती थीं। हमने उनके एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है, जो लीक से हटकर कर एक अलग कदम था और यह समय की मांग भी थी। 

श्री सिंह ने कहा कि शुरुआत में ऐसा करना थोड़ा कठिन था; लेकिन आज हमारी सेना बेहतर समन्वय के साथ हर चुनौती से निपटने के लिए मिलकर काम करने को तैयार है।

रक्षा मंत्री ने रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में उठाए गए प्रमुख कदमों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय ने सेवाओं की पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां अधिसूचित की हैं, जिनमें 500 से अधिक उपकरण और चार अन्य सूचियां शामिल हैं, इसमें डीपीएसयू के लिए 4,600 से अधिक घटक व उपकरण शामिल हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सैनिक भारत में बने हथियारों तथा प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करें। 

उन्होंने स्थानीय कंपनियों से खरीद के लिए पूंजी अधिग्रहण बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा निर्धारित करने के निर्णय का भी उल्लेख किया। 

श्री सिंह ने कहा कि कुछ लोगों का विचार था, स्वदेशी हथियार विश्व स्तरीय नहीं होंगे; लेकिन, वर्तमान सरकार घरेलू उद्योग की क्षमताओं में विश्वास करती है और वे सभी लगातार अत्याधुनिक उत्पादों में सुधार और वितरण कर सकते हैं।

राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने तथा प्रधानमंत्री श्री मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से दीर्घकालिक लाभ के लिए इसमें आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। 

उन्होंने कहा कि हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगाना एक अल्पकालिक कठिनाई थी, लेकिन आज वह चुनौती धीरे-धीरे अवसर में बदल रही है और भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य पर आगे बढ़ रहा है। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हमारी सेना उन हथियारों और प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही है, जिनका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी सेना बाहर से आयातित उपकरणों से अपने देश की रक्षा नहीं कर सकती है और आज के समय में भारत के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता आवश्यक है। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार के लगातार प्रयास अब लाभ देने लगे हैं क्योंकि रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।

राजनाथ सिंह ने इस तथ्य को दोहराया कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने जैसी पहल के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आधुनिक सैन्य साजो-सामान न केवल भारत में निर्मित हो, बल्कि उन्हें मित्र देशों को भी निर्यात किया जाए। 

उन्होंने कहा कि पहले, भारत को हथियार आयातक राष्ट्र के रूप में जाना जाता था। लेकिन आज प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हम अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आ गए हैं और हमने हथियार निर्यातक शीर्ष-25 देशों की सूची में जगह बना ली है। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि सात-आठ साल पहले, रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये तक भी नहीं पहुंच पाता था, जबकि आज यह 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि 2028-29 तक वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां सरकार बड़ी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है, वहीं वह स्टार्ट-अप के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में प्रतिभाशाली युवाओं को भी आमंत्रित कर रही है, उन्होंने इसे दीर्घकालिक लाभ के लिए उठाया गया एक और कदम बताया। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि आने वाले 20-25 वर्षों में ये कंपनियां अपने नवाचारों के दम पर वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त पहचान को एक नया आयाम देने में सहायता करेंगी। 

श्री सिंह ने हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक का उल्लेख किया, जिसमें स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप से खरीद के लिए लागत, भुगतान की शर्तें, पात्रता आदि को उदार बनाया गया है।

रक्षा मंत्री ने आज के लगातार बदलते समय में प्रौद्योगिकी के एक महान विकल्प के रूप में उभरने पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्मार्ट हथियार, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष युद्ध जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों में होने वाले निवेश के महत्व को रेखांकित किया। 

उन्होंने बताया कि भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख राष्ट्र बनाने की सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें डीआरडीओ के प्रशासनिक नियंत्रण में रक्षा प्रौद्योगिकी नवाचार (आईडीईएक्स) प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना का शुभारंभ तथा राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना करना शामिल है।

रक्षा मंत्री ने यह जानकारी दी है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक 4,35,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी अधिग्रहण को सैद्धांतिक स्वीकृति दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय को केंद्रीय बजट 2024-25 में 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो अन्य मंत्रालयों से सबसे अधिक है। 

राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना के बारे में भी चर्चा की, जिसका लक्ष्य देश की सेना को दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक बनाना है। उन्होंने कहा ये निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में भारत में एयरो-इंजन और गैस टर्बाइन जैसी उच्च-स्तरीय प्रणालियों का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि जब हमारे युवाओं की क्षमता एवं समर्पण असाधारण हो और सरकार की मंशा साफ हो, तो साधारण लक्ष्य तय करने का प्रश्न ही नहीं उठता। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम जल्द ही असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू करेंगे।

रक्षा मंत्री ने जीएसटी के सफल कार्यान्वयन, स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्रों में पहल और बैंकिंग सुधारों सहित अन्य क्षेत्रों में दीर्घकालिक लाभ के लिए कुछ निर्णयों का भी उल्लेख किया। 

उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे सागरमाला और पीएम गति शक्ति योजनाओं के साथ-साथ सामाजिक कल्याण की दिशा में सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया, जो देश के समग्र विकास को सुनिश्चित कर रहे हैं। 

श्री सिंह ने कहा कि सरकार बड़ी दीर्घकालिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिसके परिणाम 5-10 वर्षों के बाद दिखाई देने लगेंगे, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के निर्माण के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के स्पष्ट दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में उनके पुरुष समकक्षों के बराबर अवसर प्रदान कर रही है, जो सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है। 

उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से महिलाओं को उनके राजनीतिक अधिकार दिए गए हैं, जो वर्षों से लंबित थे। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। 

उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है और पहले से अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें बढ़ोतरी होती ही रहेगी।