अगस्त 2021

Family-Pension-बैंकिंग-एसोसिएशन-की-परिवार-पेंशन-अंतिम-वेतन-का-तीस-फीसदी-हुई 

एएबी समाचार। बैंक कर्मचारियों के परिवारों को राहत देने के लिए, सरकार ने इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन के परिवार पेंशन को अंतिम आहरित वेतन के 30% तक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम से बैंक कर्मचारियों की प्रति परिवार पारिवारिक पेंशन 30,000 रुपये से 35,000 रुपये तक हो जाएगी। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने आज मुंबई में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा संबोधित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।


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सचिव ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के वेतन संशोधन पर 11वें द्विपक्षीय समझौते में, जिस पर इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने 11 नवंबर, 2020 को यूनियनों के साथ हस्ताक्षर किए थे, राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत पारिवारिक पेंशन वृद्धि और नियोक्ता के योगदान की बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव था। 

इसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि "पहले इस योजना में पेंशनभोगी के अंतिम आहृत वेतन का 15, 20 और 30 प्रतिशत का स्लैब था। इसकी अधिकतम सीमा 9,284/- रुपये थी। वह बहुत ही मामूली राशि थी जिसके बारे में वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण चिंतित थीं और चाहती थीं कि इसे संशोधित किया जाए ताकि बैंक कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को जीवन यापन के लिए एक बेहतर राशि मिल सके।


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सरकार ने नई पेंशन योजना के तहत नियोक्ताओं के योगदान को मौजूदा 10% से बढ़ाकर 14% करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

बढ़ी हुई पारिवारिक पेंशन से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के हजारों परिवार लाभान्वित होंगे, जबकि नियोक्ताओं के योगदान में वृद्धि से नई पेंशन योजना के तहत बैंक कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा में बढ़ोतरी होगी।

वित्त मंत्री ने अपनी दो दिवसीय मुंबई यात्रा के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज की समीक्षा की और स्मार्ट बैंकिंग के लिए ईज़ 4.0 सुधार एजेंडा लॉन्च किया।

 

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Gazette-Notification-सड़क-सुरक्षा-की-इलेक्ट्रॉनिक-निगरानी-की-अधिसूचना-जारी

एएबी समाचार
सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और यातायात कानून-पालन के लिये सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है।जिसमें नियमों के तहत यातायात कानूनों का पालन कराने के लिये इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का विस्तार से प्रावधान किया गया है। प्रावधानों में गति पकड़ने वाला कैमरा, सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गन, शरीर पर धारण करने वाला कैमरा, मोटर के डैशबोर्ड पर लगाने वाला कैमराऑटोमैटिक नंबर प्लेट की पहचान सम्बंधी उपकरण (एएनपीआर), वजन बताने वाली मशीन और अन्य प्रौद्योगिकियां शामिल की गई हैं। 

 

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राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि यातायात कानूनों का पालन कराने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राजमार्गों के अति जोखिम तथा अति व्यस्त रास्तों पर लगाया जाये। 

इसके अलावा कम से कम उन सभी प्रमुख शहर के महत्त्वपूर्ण चौराहों-गोल चक्करों पर इन उपकरणों को लगाया जाये, जिन शहरों की आबादी दस लाख से अधिक हो। इसमें 132 शहरों का विवरण शामिल है, जिनका ब्योरा नियमों की तालिका में देखा जा सकता है।

 

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  कानून लागू कराने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इस तरीके से लगाया जायेगा, जिसके कारण न तो कोई बाधा पैदा होगी, न देखने में दिक्कत होगी और न यातायात में कोई व्यवधान पड़ेगा। निम्नलिखित नियम-उल्लंघन के लिये इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनकी फुटेज में स्थान, तिथि और समय दर्ज हो। इनका उपयोग चालान जारी करने में किया जायेगाः-

1. निर्धारित गति-सीमा के दायरे में वाहन नहीं चलाना (धारा 112 और 183);

 

2. अनधिकृत स्थान पर वाहन रोकना या पार्क करना (धारा 122) ;

 

3. वाहन चालक और पीछे बैठी सवारी के लिये सुरक्षा का ध्यान न रखना (धारा 128);

 

4. हेलमेट न पहनना (धारा 129);

 

5.  लाल-बत्ती पार करना, रुकने के संकेत का पालन न करना, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना, कानून का पालन न करते हुये अन्य वाहनों से आगे निकलना या उन्हें ओवरटेक करना, यातायात की विपरीत दिशा में वाहन चलाना, वाहन को इस तरह चलाना, जिसकी अपेक्षा एक सावधान और होशियार चालक से नहीं की जा सकती और उस होशियार चालक को यह भान हो कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है (धारा 184);

 

6. निर्धारित वजन से अधिक भार लेकर गाड़ी चलाना (धारा 194 की उपधारा-1);

 

7.   बिना सेफ्टी-बेल्ट के गाड़ी चलाना (धारा 194बी);

 

8.    मोटर वाहन (चालक) नियम, 2017 (धारा 177ए) के नियम 6 (अपनी लेन में गाड़ी चलाना) की अवहेलना;

 

9.  मालवाहक  वाहनों में सवारी बैठाना (धारा 66);

 

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 10.  मोटर वाहन (चालक) नियम, 2017 (धारा 117ए) के नियम 36 (गाड़ी की नंबर प्लेट के विषय में) की अवहेलना; ऐसे वाहन को चलाना, जिसमें माल इस तरह भरा गया हो कि वह दोनों तरफ या आगे या पीछे या ऊपर की तरफ निकला हो तथा जो निर्धारित सीमा से अधिक हो (धारा 194 की उपधारा-1ए);

 

12.आपातकालीन वाहनों को निकलने का रास्ता देने में कोताही करना (धारा 194ई)।

नियम 167 के तहत जारी होने वाले सभी चालान इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में होंगे और यातायात नियमों का उल्लंघन होते ही वे इलेक्ट्रॉनिक निगरानी तथा कानून-पालन प्रणाली के जरिये अपने-आप तैयार हो जायेंगे। उनमें निम्नलिखित सूचना दर्ज रहेगीः

i.              यातायात नियम का उल्लंघन करने का ब्योरा और वाहन की नंबर प्लेट की फोटो सबूत के तौर पर दर्ज होगी।

 

ii.             कानून लागू कराने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से पैमाइश।

 

iii.            नियम-उल्लंघन की तिथि, समय और स्थान।

 

iv.           अधिनियम के जिस प्रावधान का उल्लंघन किया गया है, नोटिस में उसका हवाला।

v.            भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (1872 का 1) की धारा 65बी की उपधारा (4) के अनुपालन में लिखित साक्ष्य, जिसमें-

 

a.  इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पहचान दर्ज होगी उसे तथा प्रस्तुत करने के तरीके का विवरण होगा,

 

b. उस इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में उल्लंघन पकड़ने वाले उपकरण का विवरण होगा, जिससे पता चलेगा कि वह इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड कंप्यूटर से स्वमेव तैयार हुआ है।

 

c.  राज्य सरकार की तरफ से अधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर रहेगा।

Doctor-Patient-Ratio-भारत-में-2024-तक-प्रति-हजार-जनसंख्या-पर-होगा-एक-चिकित्सक

एएबी समाचार। भारत में 2024 तक प्रति हजार जनसंख्या पर एक चिकित्सक (डॉक्टर) की व्यवस्था हो जाएगी और यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जनसंख्या अनुपात के अनुसार चिकित्सक की अनुशंसा है I इसके साथ अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या को भी 11 लाख से बढ़ाकर 22 लाख की जा रही हैI यह जानकारी नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल ने एक व्याख्यान श्रृंखला में विमर्श के दौरान दी।

 

स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति

डॉ. पॉल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद और विज्ञान प्रसार द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव ऑनलाइन प्रवचन श्रृंखला न्यू इंडिया @ 75 में बताया कि “पिछले 75 वर्षों में भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 

 

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नागरिकों का औसत जीवनकाल बढ़ा

स्वतंत्रता के समय नागरिकों का औसत जीवनकाल केवल 28 वर्ष था और अब यह 70 वर्ष के करीब पहुंच गया है। हालांकि, हम अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के मामले में लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने से बहुत दूर हैं और यह अब भी एक चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में इन समस्याओं को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और जिनके परिणाम उत्साहजनक हैं ”।

 

सस्ती स्वस्थ्य सेवा तक बढ़ी लोगों की पहुँच

उन्होंने आगे कहा कि “आयुष्मान भारत योजना और जन आरोग्य योजना ऐसे कार्यक्रम हैं जो लोगों को सभी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं तथा ये सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, वहन योग्य उपचार की क्षमता और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच की दिशा में कदम हैं। जन आरोग्य योजना के तहत, अब 50 करोड़ लोग वहनीय (सस्ती) स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पात्र हैं। 

 

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प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में सुधार 

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर बहुत अधिक बल दिया गया है। देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2022 तक 150,000 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र स्थापित किए जाएंगे और ये प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के केंद्र होंगे।

 

हमने स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन की उपलब्धता की समस्या के समाधान के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। चिकित्सकों को प्रशिक्षण देकर और स्नातकोत्तर सीटों को दोगुना करके अंतर को पाटने पर बहुत जोर दिया गया है ”।

 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने पिछले 50 वर्षों में देश के विकास और प्रगति में अपने विभाग के योगदान और भारत को दुनिया में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार शक्ति बनाने के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

 

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युवाओं की सहभागिता बढ़ी

प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि “विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)   देश की प्रगति और विकास के लिए युवा प्रतिभाओं की सहायता करने, उनका पोषण करने और विकसित करने की पौधशाला है। 

 

नवाचार से तेज हुआ देश का विकास 

डीएसटी में भविष्य की प्रतिभाओं को तैयार करने की क्षमता हैI पिछले पांच वर्षों में हमने बहुत सारी योजनाएं शुरू की हैं और विद्यमान कमियों की पहचान करने और उन्हें दूर करके सुधार लाने  के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं जिससे  यह सुनिश्चित हो पाए  कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार देश के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें“।

 

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भारत अत्निर्भरता की ओर

उन्होंने विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति 2021 जैसी कई नीतियों के निर्माण में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की भूमिका के बारे में विस्तार से बतायाI इससे देश के हर क्षेत्र को आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक समावेश और पर्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ एक आत्मनिर्भर भारत, भू-स्थानिक डेटा नीति प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाया जा सकेगा । 

 

नीति की दिशा बदली

इससे देश के कोने-कोने में आंकड़ों तक सब की पहुंच  में मदद मिलने के साथ ही   विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बुनियादी ढांचे पर नीति के साथ-साथ वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व नीति की  दिशा भी बदल  जाएगी।