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 AAB NEWS 

AAB NEWS/ केंद्रीय वस्त्र, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज यहां वस्त्र क्षेत्र के लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान उपस्थित लोगों से वोकल फॉर लोकल पर जोर देने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा, “स्थानीय के लिए मुखर बनें और स्थानीय को वैश्विक स्तर पर ले जाएं। हमारे उत्पादों को विश्व मंच पर प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह स्पष्ट आह्वान है।”

श्री गोयल ने यह भी कहा कि देश में वस्त्र उत्पादन बढ़ने से आय बढ़ेगी, रोजगार के अवसर खुलेंगे और देश को 'आत्मनिर्भर' बनाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। श्री पीयूष गोयल ने कारीगरों से अपने व्यवसाय को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर पंजीकृत करने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि उन्होंने GeM को हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े सभी कारीगरों और बुनकरों का पंजीकरण बिना किसी पंजीकरण शुल्क के करने का निर्देश दिया गया है।

श्री गोयल ने कहा कि ई-मार्केटप्लेस पर पंजीकरण करने से कारीगरों की दृश्यता बढ़ेगी और उनकी आय बढ़ाने वाले व्यवसायों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार GeM-पंजीकृत व्यवसायों को देश में प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर शामिल करने की सुविधा प्रदान करने का प्रयास करेगी और हस्तशिल्प और हथकरघा को प्राथमिकता देते हुए विदेशी वेबसाइटों पर अपने व्यवसायों को पंजीकृत करने पर जोर देगी। 

उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प और हथकरघा व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे उद्यमों को अधिकारियों का समर्थन, उन्हें GeM वेबसाइट पर अपने शिल्प के माध्यम से एक पहचान बनाने में मदद करेगा।

'मेड इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देते हुए, श्री गोयल ने अधिकारियों से हस्तशिल्प लाभार्थियों के लिए 'हैंडमेड इन इंडिया' लेबल से लाभ उठाने और अपने उत्पादों पर अधिक आय अर्जित करने के तरीके तैयार करने का आग्रह किया। 

श्री गोयल ने कहा कि 'हैंडमेड इन इंडिया' लेबल के तहत मशीन-निर्मित उत्पाद बेचने वाले व्यवसायों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेगी।

श्री गोयल ने कहा कि यदि बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है तो सरकार जूट और कपास का उत्पादन करने वाले किसानों की फसल खरीदने को तैयार है। 

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जूट और कपास के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है और विदेशी निर्यात के लिए खेतों के विजन को पूरा करने के क्रम में गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक उपलब्ध कराने को तैयार है।

उन्होंने वस्त्र क्षेत्र से तकनीकी नवाचार की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया, जिससे कारीगरों और बुनकरों का जीवन आसान हो जाएगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए लाभार्थियों को धन्यवाद दिया और वस्त्र के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना की।

हस्तशिल्प और हथकरघा को विश्व मंच पर फिर से परिभाषित करने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री गोयल ने कहा कि उद्योग को कारीगरों और बुनकरों की ब्रांड वैल्यू और आय बढ़ाने के लिए कपड़ा उत्पादों की गुणवत्ता और पैकेजिंग में सुधार की दिशा में काम करना चाहिए। 

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम-सूर्योदय योजना (मुफ्त सौर ऊर्जा संचालित रूफटॉप योजना), समर्थ योजनाओं और वस्त्र संबंधी योजनाओं से लाभ जैसी योजनाओं के एकीकरण से कारीगरों को अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने और उनकी आय में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने भारत में सबसे बड़े रोजगार सृजन क्षेत्र के रूप में वस्त्र क्षेत्र के महत्व और वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें प्रदान किए गए लाभों पर भी प्रकाश डाला। श्री गोयल ने पारंपरिक विरासत संस्कृति, तकनीकी प्रगति, अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से नवाचार और महिलाओं के सशक्तिकरण को मिलाकर प्रधानमंत्री के "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के विजन पर जोर दिया। स्पष्ट तौर पर यह वस्त्र मंत्रालय की पहली लाभार्थी बैठक है, जो इतने बड़े पैमाने पर आयोजित की गई थी।

बातचीत के दौरान वस्त्र और रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश और वस्त्र मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे। देश भर के 398 केंद्रों से हथकरघा, हस्तशिल्प, जूट, रेशम और समर्थ सहित विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 10,000 लाभार्थियों ने बातचीत में भाग लिया।

 12 अलग-अलग स्थानों से कुल 24 लाभार्थियों ने वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अपनी आजीविका को मजबूत करने के लिए प्राप्त होने वाले लाभों पर अपने अनुभव साझा करते हुए मंत्रियों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की।

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कोलकाता में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC-Inland Waterways Development Council) का पहला संस्करण देश के अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता और व्यवहार्यता बढ़ाने के प्रयास में कई पहलों के साथ संपन्न हुआ। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यों के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ नीति निर्माताओं और उद्योग जगत की हस्तियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

इस बैठक में देश में आर्थिक विकास और वाणिज्य के माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों को सक्षम करने के उद्देश्य से, देश में नदी क्रूज पर्यटन के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई। इस बड़ी राशि में से, अनुमानित रूप से 35,000 करोड़ रुपये क्रूज़ जहाजों के लिए और अमृतकाल के अंत में यानी 2047 तक क्रूज़ टर्मिनल बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। 

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कार्गो व्यापार के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ाने के लिए 15,200 करोड़ रुपये का निवेश अक्टूबर, 2023 में मुंबई में आयोजित ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (GMIS-Global Meritime India Summit) में आया है। 

इससे 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज होने की संभावना है, जिससे 2047 तक कार्गो व्यापार की मात्रा 500 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक बढ़ जाएगी। श्री सोनोवाल ने आज कोलकाता में (IWDC-Inland Waterways Development Council) के उद्घाटन सत्र में 'हरित नौका' दिशानिर्देश और 'नदी पर्यटन रोडमैप, 2047' भी जारी किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री सोनोवाल ने कहा कि भारत 2014 से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में प्रभावशाली ढंग से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता को महसूस किया जाना चाहिए क्योंकि हम पीएम श्री मोदी के एक विजन नीली अर्थव्यवस्था में दुनिया भर में अग्रणी बनने की दिशा में काम कर रहे हैं। 

अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC-Inland Waterways Development Council) की स्थापना हमारे समृद्ध, जटिल और गतिशील जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी। प्राचीन काल से ही जलमार्ग आर्थिक वृद्धि और मानव सभ्यता के विकास का माध्यम रहा है। 

हालांकि, समृद्धि के ये शानदार सिद्ध रास्ते दशकों तक उपेक्षित रहे, जिसके परिणामस्वरूप देश की अमूल्य संपत्ति बर्बाद हो गई। हमारे जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के लिए (IWDC-Inland Waterways Development Council) एक आधुनिक दृष्टिकोण, स्पष्ट रणनीति और अमृतकाल के अंत तक आत्मनिर्भर भारत के लिए सतत विकास सुनिश्चित करने के लक्ष्य की ओर प्रयास कर रहा है।

(IWDC-Inland Waterways Development Council) में नदी क्रूज़ पर्यटन के लिए उपयुक्त अतिरिक्त 26 जलमार्गों की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया था। अभी 8 जलमार्गों की परिचालन क्षमता है। 

इसी दौरान रात्रि विश्राम वाले क्रूज़ सर्किट की संख्या 17 से बढ़ाकर 80 की जाएगी। अंतर्देशीय जलमार्गों में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास में, नदी क्रूज टर्मिनलों की संख्या 185 तक बढ़ाई जाएगी, जो 15 टर्मिनलों की वर्तमान ताकत से 1233 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। 

बढ़ी हुई सर्किट की क्षमता के आधार पर, रात्रि प्रवास के साथ क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 5,000 से बढ़ाकर 1.20 लाख किया जाएगा। इसी प्रकार, राष्ट्रीय जलमार्गों पर रात्रि प्रवास के बिना स्थानीय क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 2 लाख से बढ़ाकर 15 लाख किया जाएगा।

इस बैठक में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक और केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर भी उपस्थित थे। 

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(IWDC-Inland Waterways Development Council)
में राज्य सरकारों के मंत्रियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और अन्य प्रमुख हितधारकों ने भी भाग लिया। आईडब्ल्यूडीसी का आयोजन भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए नोडल एजेंसी भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ((IWDC-Inland Waterways Development Council)) ने किया था। यह एक दिवसीय बैठक कोलकाता डॉक कॉम्प्लेक्स में जहाज एमवी गंगा क्वीन पर आयोजित की गई थी।

श्री सोनोवाल ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्ग प्रगति की धमनियां हैं, और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद ((IWDC-Inland Waterways Development Council)) उनकी क्षमता का दोहन करने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी के नेतृत्व में और सहयोगात्मक प्रयासों तथा रणनीतिक पहलों के साथ हमारा लक्ष्य अवसरों को भुनाना, अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में सतत विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना है। 

'हरित नौका - अंतर्देशीय जहाजों के हरित पारगमन के लिए दिशानिर्देश' के जारी होने के साथ केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय हमारे अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 

रोडमैप ने विभिन्न प्रकार के क्रूज के लिए 30 से अधिक अतिरिक्त संभावित मार्गों की पहचान की थी, जिसमें सभी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लंबे और छोटे, मनोरंजक और विरासत खंड शामिल थे। 

ऐसे अतिरिक्त नदी पर्यटन को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए मार्ग विकास, विपणन रणनीति, बुनियादी ढांचे के विकास और नेविगेशन सहित एक कार्य योजना और रोडमैप भी तैयार है।

कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, जो 2014 में घाटे में था, की स्थिति अब बदल गई है और इस वर्ष यह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 550 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध अधिशेष प्राप्त करेगा।

सरकार ने अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT-Inland Water Transport) की भूमिका को बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप, गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (एनडब्ल्यू-1) के विकास के लिए प्रमुख जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP-Jal Marg Vikas Pariyojna) सहित विभिन्न उपाय शुरू किए। यह परियोजना सामुदायिक घाटों के माध्यम से छोटे गांवों को शामिल करने के साथ-साथ कार्गो, रो-रो और यात्री नौका आवाजाही पर केंद्रित थी। 

इसके अलावा, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 में उल्लिखित (IWT-Inland Water Transport) की मॉडल हिस्सेदारी को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना है। इस लक्ष्य में समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के अनुरूप, कार्गो की मात्रा मौजूदा (IWT-Inland Water Transport) को 120 एमटीपीए से 500 एमटीपीए से अधिक ऊपर उठाना भी शामिल है।

जलमार्ग बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति में वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनलों की स्थापना शामिल है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में वृद्धि हुई है। कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल निर्बाध परिवहन की सुविधा और व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त प्रगति कर रहा है। 

फरक्का में एक नए नेविगेशनल लॉक के पूरा होने से जलमार्ग नौवहन क्षमता में वृद्धि होती है। 60 से अधिक सामुदायिक घाटों का चल रहा निर्माण स्थानीय कनेक्टिविटी और पहुंच के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। ये उपलब्धियां सामूहिक रूप से जलमार्ग बुनियादी ढांचे में दक्षता, कनेक्टिविटी और स्थानीय विकास को बढ़ावा देती हैं।

अंतर्देशीय जल परिवहन ((IWT-Inland Water Transport)) ने जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड, हाइड्रोजन और व्युत्पन्न (जैसे अमोनिया या मेथनॉल) प्रणोदन ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। प्रारंभिक चरण में, आठ इलेक्ट्रिक कैटमरैन जहाजों की तैनाती के साथ एक रणनीतिक कदम उठाया गया था। 

इन जहाजों को रणनीतिक रूप से तीर्थ पर्यटन के लिए रखा गया था, जिनमें से दो राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर अयोध्या, वाराणसी, मथुरा में और दो राष्ट्रीय जलमार्ग-2 पर गुवाहाटी में तैनात थे।  

(IWT-Inland Water Transport) देश में लॉजिस्टिक्स और यात्री आवाजाही परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 111 अधिसूचित राष्ट्रीय जलमार्गों के साथ, 24 राज्यों में 22,000 किमी से अधिक तक फैला हुआ आईडब्ल्यूटी परिवहन के एक प्रभावी वैकल्पिक साधन के रूप में उभरा है।

समुद्री अमृतकाल विजन 2047 भारत की 7500 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा, अंतर्देशीय जलमार्गों के महत्वपूर्ण नेटवर्क और तटीय जिलों में निहित वास्तविक विकास क्षमता का प्रत्यक्ष क्षेत्रीय तालमेल और समावेशी विकास तथा रोजगार पर क्रॉस-सेक्टोरल गुणक प्रभाव के साथ प्रतिनिधित्व करता है। 

समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के तहत आईडब्ल्यूटी को विकसित करने के लिए 46 पहलों की पहचान की गई है, जिनमें से तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जल परिवहन के मॉडल शेयर को बढ़ाने के लिए प्रमुख पहलों में बंदरगाह-आधारित समूह केंद्रों का निर्माण, तट-आधारित उत्पादन/मांग केंद्र, सड़क/रेल/आईडब्ल्यूटी कनेक्टिविटी/विस्तार परियोजनाओं के पास तटीय बर्थ का निर्माण शामिल है। ।

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नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि व्यवस्थित दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न हवाई-अड्डों पर भीड़ को कम किया गया। उन्होंने आज नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित किया। 

इस दौरान श्री सिंधिया ने हवाई-अड्डों पर भीड़ कम करने के लिए उठाए जा रहे व्यापक उपायों की जानकारी दी। ये उपाय पिछले त्योहारी मौसम के दौरान सामने आई चुनौतियों को देखते हुए उठाए गए हैं और इसका उद्देश्य सभी यात्रियों के लिए एक सुगम और कुशल यात्रा अनुभव सुनिश्चित करना है। 

इस अवसर पर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल डॉ. विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत) और मंत्रालय में सचिव श्री वुमलुनमंग वुअल्नम भी उपस्थित थे।


मंत्री ने बताया कि पिछले साल त्योहारी मौसम/सर्दियों- 2022 के दौरान प्रमुख हवाईअड्डों पर भीड़ की समस्या देखी गई थी। यह चिंता का कारण बन गई थी क्योंकि, यात्रियों को विभिन्न संपर्क स्थलों पर यात्रा संबंधित प्रक्रियाओं के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा था।

केंद्रीय मंत्री ने दिसंबर, 2022 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा के लिए व्यक्तिगत रूप से दिल्ली हवाईअड्डे का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने हवाईअड्डे की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के साथ बुनियादी ढांचे में जरूरी विकास के निर्देश दिए थे।

इसके साथ ही, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई जैसे अन्य प्रमुख हवाईअड्डा संचालकों को भी यात्री प्रसंस्करण में बाधाओं की पहचान करने और बढ़ती यात्री मांगों को पूरा करने के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने का निर्देश दिया गया, जिससे आगामी त्योहारी मौसम और यात्रियों की अधिक संख्या के दौरान ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो।

इसके बाद सितंबर, 2023 में 10 और हवाईअड्डों की पहचान की गई, जहां हवाईअड्डा परिचालकों को जहां भी आवश्यकता हो, अपनी क्षमता बढ़ाकर भविष्य में भीड़ को कम करने के लिए सक्रिय उपाय करने के लिए जागरूक किया गया। भीड़भाड़ के कारणों की पहचान करने के साथ इसे दूर करने की कार्य योजना तैयार की गई और उसे कार्यान्वित किया गया।
 

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इन बाधाओं को दूर करने और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता में सुधार करने के लिए कई उपाय किए गए हैं, जिनका सारांश निम्नलिखित है:

1. दिल्ली, मुंबई और अन्य हवाईअड्डों पर वेटिंग लाउन्ज, रिटेल आउटलेट्स, ऑफिस    की जगह को हटा कर दिया गया है, जिससे वहां अधिक यात्री बुनियादी सुविधाओं को समायोजित करने के लिए जगह बनाई जा सके।

2. यात्रियों को प्रतीक्षा समय के बारे में सूचित करने के लिए प्रवेश और पुलिस नाका स्थलों पर प्रतीक्षा समय स्क्रीन लगाई गई हैं।

3. अतिरिक्त प्रवेश द्वार/लेनें खोल दी गई हैं।

4. हवाईअड्डे परिचालकों ने स्वचालित प्रवेश की सुविधा के लिए प्रवेश द्वारों पर 2डी बार कोड स्कैनर लगाए और एयरलाइन्स को सलाह दी गई कि वे यात्रियों को जारी किए गए टिकटों पर बार कोड सुनिश्चित करें, जिससे यात्रियों के सुचारू प्रवेश की सुविधा के लिए इसे बार कोड स्कैनर द्वारा पढ़ा जा सके।

5. यात्रियों की सहायता के लिए सहायक कर्मियों की तैनाती की गई है।

6. प्रवेश और सुरक्षा जांच क्षेत्र, दोनों पर प्रतीक्षा क्षेत्र बढ़ा दिया गया है।

7. हवाईअड्डा परिचालकों को जगह की उपलब्धता के अनुरूप खुद बैग ड्रॉप सुविधा स्थापित करने की सलाह दी गई है।

8. एयरलाइन्स को सभी चेक-इन/बैगेज ड्रॉप काउंटरों पर पर्याप्त कर्मियों तैनात करने की सलाह दी गई है।

9. हवाई जहाज पर सवार होने से पहले सुरक्षा जांच स्थलों पर एक्स-रे मशीनों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई है।

10. हवाईअड्डे के पारगमन को निर्बाध बनाने के लिए यात्रियों को रियल टाइम पर अपडेट प्रदान करने के लिए सोशल मीडिया मंचों का उपयोग।

11. सुगम यात्रा अनुभव के लिए हवाईअड्डों पर चरणबद्ध तरीके से डिजी यात्रा शुरू की गई है।

12. भीड़ कम करने के उपायों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हवाईअड्डा परिचालकों, एयरलाइन्स और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के स्तर पर दैनिक आधार पर निगरानी।

 

इसके अलावा श्री सिंधिया ने बताया कि आव्रजन काउंटरों पर 100 फीसदी कर्मचारी सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय/आव्रजन ब्यूरो से संपर्क किया गया है। इसके अलावा क्षमता में बढ़ोतरी करके संबंधित हवाईअड्डों पर स्वीकृत संख्या को बढ़ाने के लिए सीआईएसएफ की तैनाती बढ़ाने के संबंध में गृह मंत्रालय/सीआईएसएफ को भी सक्रिय रूप से तैयार किया गया है। 

इसके अलावा हवाईअड्डा परिचालकों को आव्रजन/उत्प्रवासन काउंटरों और सुरक्षा मशीनों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए भी कहा गया है। इसके साथ ही बीओआई और सीआईएसएफ से इस उन्नत बुनियादी ढांचे को संचालित करने के लिए अपने कर्मियों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।

मंत्री ने कहा कि डिजी यात्रा 13 हवाईअड्डों पर शुरू की गई है। इसकी शुरुआत के बाद से 91 लाख से अधिक यात्रियों ने हवाईअड्डों के माध्यम से यात्रा करने के लिए डिजी यात्रा की सुविधा का लाभ उठाया है। 

इसके अलावा साल 2024 के दौरान 14 और हवाईअड्डों यानी चेन्नई, भुवनेश्वर, कोयंबटूर, डाबोलिम, मोपा गोवा, इंदौर, बागडोगरा, चंडीगढ़, रांची, नागपुर, पटना, रायपुर, श्रीनगर और विशाखापत्तनम पर डिजी यात्रा की सुविधा प्रदान की जाएगी।  इसके बाद चरणबद्ध तरीके से सभी हवाईअड्डों पर डिजी यात्रा की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।

मंत्री हवाईअड्डों पर भीड़ कम करने के लिए चिन्हित हवाईअड्डा परिचालकों और बीसीएएस के साथ साप्ताहिक आधार पर शमन उपायों की समीक्षा कर रहे हैं और प्रमुख हवाईअड्डों पर विकास के तहत महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की प्रगति की निगरानी भी कर रहे हैं।

श्री सिंधिया ने बताया कि दिल्ली हवाईअड्डे के अत्याधुनिक टर्मिनल-1 बिल्डिंग पर चौथे रनवे और ईस्टर्न क्रॉस टैक्सी-वे की शुरुआत, बेंगलुरु हवाई अड्डे पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परिचालन के साथ नए टी2 टर्मिनल की शुरुआत, हैदराबाद हवाईअड्डे पर विस्तारित टर्मिनल बिल्डिंग हवाईअड्डा, मुंबई हवाईअड्डे पर 3 और सुरक्षा लेन जोड़कर पूर्व-आरोहण सुरक्षा जांच क्षेत्र का पुनर्गठन, जल्द ही लखनऊ हवाई अड्डे पर नया टर्मिनल भवन पूरा किया जाएगा। 

इसकी आशा की जाती है कि ये हवाईअड्डे अधिक संख्या में यात्रियों को कुशलतापूर्वक संभालने में सक्षम होंगे और यात्रियों के लिए आरामदायक व बाधा मुक्त यात्रा सुनिश्चित करेंगे।

आने वाले दिनों में गुवाहाटी और पटना हवाईअड्डों पर बढ़ी हुई क्षमता वाले नए टर्मिनल भवनों को संचालित किया जाएगा, जिससे इन हवाईअड्डों पर यात्री प्रबंधन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। नोएडा (जेवर) और नवी मुंबई हवाईअड्डों पर नए हरित क्षेत्र हवाईअड्डों का परिचालन इनके क्रमश: निकटवर्ती दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डों की क्षमताओं की बढ़ोतरी में सहायक होगा।

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 AAB NEWS/ आरपीएफ यात्रियों की सुरक्षा, संरक्षा और आराम सुनिश्चित करने का काम पूरी जिम्मेदारी से कर रहा है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) रेलवे संपत्ति, रेलवे प्लेटफॉर्मों तथा स्टेशनों के अन्य क्षेत्रों के साथ ही यात्रियों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह बल यात्रियों की सुरक्षा, संरक्षा और आराम के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है।

अक्टूबर 2023 में भी आरपीएफ ने अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के साथ ही अपने ग्राहकों को विश्वसनीय माल ढुलाई सेवा प्रदान करने में भारतीय रेलवे की मदद की।

आरपीएफ ने महती सुरक्षा उपायों और अपराध होने पर उनकी बखूबी जांच कर देश भर में फैली रेलवे की विशाल संपत्ति की सुरक्षा का काम पूरी सफलता से अंजाम दिया।

अक्टूबर 2023 के दौरान आरपीएफ की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है -

ऑपरेशन "नन्हे फरिश्ते" - खोए हुए बच्चों को बचाना: मिशन "नन्हे फरिश्ते" के तहत, आरपीएफ ने 601 से अधिक बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये बच्चे अलग-अलग वजहों से अपने परिवारों से बिछड़ गए थे। आरपीएफ ने उन्हें उनके परिवारों से मिलाने के लिए अथक प्रयास किया।

मानव तस्करी विरोधी प्रयास (ऑपरेशन एएएचटी): आरपीएफ की मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (एएचटीयू) ने देशभर में भारतीय रेल के स्टेशनों पर मानव तस्करों की योजनाओं को विफल करने के लिए लगातार काम किया। अक्टूबर 2023 में आरपीएफ ने 39 लोगों को तस्करों के चंगुल से बचाया।

ऑपरेशन "जीवन रक्षा"-जीवन बचाना: ऑपरेशन 'जीवन रक्षा' के तहत अक्टूबर 2023 में आरपीएफ की सतर्क और त्वरित कार्रवाई से प्लेटफॉर्म और रेलवे ट्रैकों पर ट्रेन के नीचे आने से पहले ही करीब 262 यात्रियों की जान बचाई गई।

महिला यात्रियों को सशक्त बनाना - "मेरी सहेली" पहल: आरपीएफ ने महिला यात्रियों की सुरक्षा को पूरी गंभीरता से लेते हुए "मेरी सहेली" पहल शुरू की है। अक्टूबर 2023 के दौरान, 232 "मेरी सहेली" टीमों ने 13,664 ट्रेनों में 423,803 महिला यात्रियों की सुरक्षित यात्रा को सुनिश्चित किया। इसके अलावा आरपीएफ ने महिलाओं के लिए आरक्षित कोचों में सवार पाए गए 5,722 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की।

दलालों पर नकेल कसना (ऑपरेशन "उपलब्ध"): दलालों के खिलाफ कार्रवाई में, आरपीएफ ने अक्टूबर 2023 में 490 लोगों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 42 अवैध सॉफ्टवेयर के साथ ही 43.96 लाख रुपये मूल्य के अगली तिथियों के टिकट भी जब्त किए।

ऑपरेशन "नार्कोस" - नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों का मुकाबला: आरपीएफ ने एक सराहनीय प्रयास में,  अक्टूबर 2023 के दौरान 99 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर उनसे 5.99 करोड़ रुपये मूल्य के नशीले पदार्थ जब्त किए। इन अपराधियों को कानूनी कार्रवाई के लिए अधिकार प्राप्त एजेंसियों को सौंप दिया गया।

यात्रियों की चिंताओं पर तत्काल ध्यान देना: आरपीएफ ने रेल मदद पोर्टल और हेल्पलाइन (नंबर 139 आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली नंबर 112 के साथ एकीकृत) के जरिये यात्रियों की सुरक्षा संबंधी शिकायतों का तुरंत समाधान किया। आरपीएफ को अक्टूबर 2023 में इस तरह की 30,300 से अधिक शिकायतें मिलीं जिन्हें हल करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की गई।

ऑपरेशन "यात्री सुरक्षा" - यात्रियों की सुरक्षा: आरपीएफ रेल यात्रियों के खिलाफ अपराधों को रोकने और उनका पता लगाने में पुलिस की मदद करता है। अक्टूबर 2023 में, आरपीएफ ने यात्रियों के खिलाफ अपराधों में शामिल 256 अपराधियों को गिरफ्तार किया और उन्हें संबंधित जीआरपी/पुलिस को सौंप दिया।

"ऑपरेशन संरक्षा" के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करना: यात्री सुरक्षा और रेल सेवाओं की सुरक्षा के प्रयास के तहत आरपीएफ ने अक्टूबर 2023 में चलती ट्रेनों पर पथराव करने वाले 33 लोगों को गिरफ्तार किया।

जरूरतमंदों की सहायता (ऑपरेशन सेवा): आरपीएफ ने अक्टूबर 2023 में अपनी रेल यात्रा के दौरान 272 बुजुर्ग, बीमार या घायल यात्रियों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए सहायता प्रदान की।

अवैध माल परिवहन पर अंकुश (ऑपरेशन सतर्क): "ऑपरेशन सतर्क" के तहत, आरपीएफ ने 10,33,149 रुपये कीमत के अवैध तंबाकू उत्पाद जब्त किए और 26,12,656 रुपए की अवैध शराब के साथ 127 लोगों को गिरफ्तार किया और उन्हें संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंप दिया गया।

 AAB NEWS/ केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य तथा उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज कर्तव्य पथ, नई दिल्ली से 'भारत' ब्रांड के अंतर्गत गेहूं के आटे की बिक्री के लिए 100 मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई। आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की एमआरपी पर उपलब्ध होगा। यह भारत सरकार द्वारा आम उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए  उठाए गए कदमों की श्रृंखला में नवीनतम है। 'भारत' ब्रांड आटा की खुदरा बिक्री से बाजार में किफायती दरों पर आपूर्ति बढ़ेगी और इस महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ की कीमतों में निरंतर कमी लाने में सहायता मिलेगी।

'भारत' आटा आज से केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ के सभी फिजिकल और मोबाइल आउटलेट पर उपलब्ध होगा और इसका विस्तार अन्य सहकारी/खुदरा दुकानों तक किया जाएगा।

ओपन मार्केट सेल स्कीम [ओएमएसएस (डी)] के अंतर्गत 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से अर्ध-सरकारी तथा सहकारी संगठनों यानी केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ और नैफेड को आटा में परिवर्तित करने और इसे जनता को बेचने के लिए आवंटित किया गया है। 'भारत आटा' ब्रांड के अंतर्गत एमआरपी 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होगी।

श्री गोयल ने इस अवसर पर कहा कि केंद्र के हस्तक्षेप से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों टमाटर और प्याज की कीमतें कम करने के लिए अनेक कदम उठाए गए थे। इसके अतिरिक्त उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र द्वारा केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से 60 रुपये प्रति किलो की दर पर भारत दाल भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इन सभी प्रयासों से किसानों को भी काफी फायदा हुआ है। श्री गोयल ने कहा कि किसानों की उपज केंद्र द्वारा खरीदी जा रही है और उसके बाद उपभोक्ताओं को रियायती दर पर उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र के हस्तक्षेप से विभिन्न वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन उपभोक्ताओं के साथ-साथ किसानों की भी मदद करने का है।

पृष्ठभूमि:

भारत सरकार ने आवश्यक खाद्यान्नों की कीमतों को स्थिर करने के साथ-साथ किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।

भारत दाल (चना दाल) पहले से ही इन 3 एजेंसियों द्वारा अपने फिजीकल और/या खुदरा दुकानों से एक किलो पैक के लिए 60 रुपये प्रति किलो और 30 किलो पैक के लिए 55 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है। प्याज भी 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेचा जा रहा है। अब, 'भारत' आटे की बिक्री प्रारंभ होने से उपभोक्ता इन दुकानों से आटा, दाल के साथ-साथ प्याज भी उचित और किफायती मूल्यों पर प्राप्त कर सकते हैं।

भारत सरकार के नीतिगत हस्तक्षेपों का उद्देश्य किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ पहुंचाना है। भारत सरकार किसानों के लिए खाद्यान्न, दालों के साथ-साथ मोटे अनाज और बाजरा का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करती है। पीएसएस (मूल्य समर्थन योजना) को लागू करने के लिए राष्ट्रव्यापी खरीद अभियान चलाया जाता है। यह किसानों को एमएसपी का लाभ सुनिश्चित करता है। आरएमएस 23-24 में 21.29 लाख किसानों से 262 लाख मीट्रिक टन गेहूं घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया। खरीदे गए गेहूं का कुल मूल्य 55679.73 करोड़ रुपये था। केएमएस 22-23 में 124.95 लाख किसानों से ग्रेड '' धान के लिए घोषित एमएसपी 2060 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 569 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदा गया। खरीदे गए चावल का कुल मूल्य रु. 1,74,376.66 करोड़ रुपये था।

खरीदा गया गेहूं और चावल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत देश में लगभग 5 लाख एफपीएस के नेटवर्क के माध्यम से लगभग 80 करोड़ पीडीएस लाभार्थियों को पूरी तरह से निशुल्क प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, लगभग 7 लाख मीट्रिक टन मोटे अनाज/बाजरा भी एमएसपी पर खरीदा गया और 22-23 में टीपीडीएस/अन्य कल्याण योजनाओं के अंतर्गत वितरित किया गया।

टीपीडीएस के दायरे में नहीं आने वाले आम उपभोक्ताओं के लाभ के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। किफायती और उचित मूल्य पर 'भारत आटा', 'भारत दाल' और टमाटर तथा प्याज की बिक्री एक ऐसा उपाय है। अब तक 59183 मीट्रिक टन दाल की बिक्री हो चुकी है, जिससे आम उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत गेहूं की बिक्री के लिए राष्ट्रव्यापी साप्ताहिक ई-नीलामी चला रहा है। इन साप्ताहिक ई-नीलामी में केवल गेहूं प्रोसेसर (आटा चक्की/रोलर आटा मिल) ही भाग ले सकते हैं। एफसीआई सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य के अनुसार एफएक्यू और यूआरएस गेहूं क्रमशः 2150 रुपये और 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक्री के लिए की पेशकश कर रहा है। व्यापारियों को ई-नीलामी में भाग लेने की अनुमति नहीं है क्योंकि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि खरीदे गए गेहूं को सीधे संसाधित किया जाए और आम उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर जारी किया जाए। साप्ताहिक ई-नीलामी में प्रत्येक बोलीदाता 200 मीट्रिक टन तक ले सकता है। एफसीआई ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत साप्ताहिक ई-नीलामी में बिक्री के लिए 3 लाख मीट्रिक टन गेहूं दे रहा है। सरकारी निर्देशों के अनुसार एफसीआई अब तक 65.22 लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले बाजार में जारी कर चुका है।

भारत सरकार ने गेहूं की कीमतों को कम करने के लिए उठाए गए उपायों की श्रृंखला के हिस्से के रूप में ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत बिक्री के लिए पेश किए जाने वाले गेहूं की कुल मात्रा को दिसंबर 2023 तक 57 लाख मीट्रिक टन के बजाय मार्च 2024 तक 101.5 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ा दिया है। यदि आवश्यक हुआ तो 31.3.2024 तक बफर स्टॉक से 25 लाख मीट्रिक टन (101.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक) तक गेहूं की अतिरिक्त मात्रा उतारने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।

पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए थोक विक्रेताओं/व्यापारियों, प्रोसेसरों, खुदरा विक्रेताओं तथा बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं जैसी विभिन्न श्रेणियों की संस्थाओं द्वारा गेहूं के स्टॉक रखने पर भी सीमाएं लगा दी हैं। गेहूं के स्टॉक होल्डिंग की नियमित आधार पर निगरानी की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि व्यापारियों, प्रोसेसरों और खुदरा विक्रेताओं द्वारा नियमित तौर पर गेहूं/आटा बाजार में जारी किया जाता है और कोई भंडारण/जमाखोरी नहीं होती है। यह कदम गेहूँ की आपूर्ति बढ़ाकर उसकी बाजार कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए उठाए गए हैं।

सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और बासमती चावल के निर्यात के लिए 950 डॉलर का न्यूनतम मूल्य लगाया है। एफसीआई ओएमएसएस (डी) के तहत घरेलू बाजार में चावल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी में बिक्री के लिए 4 लाख मीट्रिक टन चावल की पेशकश कर रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों के अनुसार एफसीआई 29.00-29.73 रूपये प्रति किलो ग्राम की दर से चावल बिक्री के लिए प्रस्तुत कर रहा है।

सरकार ने गन्ना किसानों के साथ-साथ घरेलू उपभोक्ताओं के कल्याण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता दिखाई है। एक ओर किसानों को 1.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान के साथ पिछले चीनी सीजन का 96 प्रतिशत से अधिक गन्ने के बकाए का पहले ही भुगतान किया जा चुका है, जिससे चीनी क्षेत्र के इतिहास में सबसे कम गन्ना बकाया लंबित है। दूसरी ओर विश्व में सबसे सस्ती चीनी भारतीय उपभोक्ताओं को मिल रही है। जहां वैश्विक चीनी मूल्य एक वर्ष में लगभग 40 प्रतिशत बढ़कर 13 साल के उच्चतम स्तर को छू रहा है, वहीं भारत में पिछले 10 वर्षों में चीनी के खुदरा मूल्यों में सिर्फ 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और पिछले एक वर्ष में 5 प्रतिशत से कम वृद्धि हुई है।

भारत सरकार खाद्य तेलों की घरेलू खुदरा कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का पूरा लाभ अंतिम उपभोक्ताओं को मिले। सरकार ने घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित और कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:

  • कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बेसिक शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया। इसके अलावा, इन तेलों पर कृषि-उपकर 20 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया। यह शुल्क संरचना 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दी गयी है।
  • 21.12.2021 को रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर बेसिक शुल्क 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया और रिफाइंड पाम तेल पर बेसिक शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया। इस शुल्क संरचना को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
  • सरकार ने उपलब्धता बनाए रखने के लिए रिफाइंड पाम तेल के खुले आयात को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है।
  • सरकार द्वारा की गई नवीनतम पहल में रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क 15.06.2023 से 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।

कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल, कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में पिछले वर्ष से गिरावट की प्रवृत्ति देखी जा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सरकार द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का असर घरेलू बाजार में पूरी तरह से हो रिफाइंड सूरजमुखी तेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल और आरबीडी पामोलीन की खुदरा कीमतों में 02.11.2023 तक एक वर्ष में क्रमशः 26.24 प्रतिशत, 18.28 प्रतिशत और 15.14 प्रतिशत की कमी आई है।

उपभोक्ता मामले विभाग 34 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में स्थापित 545 मूल्य निगरानी केन्द्रों के माध्यम से 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं के दैनिक खुदरा और थोक मूल्यों की निगरानी करता है। मूल्यों को कम करने के लिए बफर से स्टाक जारी करने, जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक सीमा लागू करने, आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाने, आयात कोटे में परिवर्तन, वस्तु के निर्यात पर प्रतिबंध आदि जैसे व्यापार नीति उपायों में परिवर्तन करने के लिए उचित निर्णय लेने के लिए मूल्यों की दैनिक रिपोर्ट और सांकेतिक मूल्य प्रवृत्तियों का विधिवत विश्लेषण किया जाता है।

उपभोक्ताओं को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता की जांच करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) की स्थापना की गई है। पीएसएफ के उद्देश्य हैं (i) फार्म गेट/मंडी पर किसानों/किसान संघों से सीधी खरीद को बढ़ावा देना; (ii) जमाखोरी और अनैतिक सट्टेबाजी को हतोत्साहित करने के लिए एक रणनीतिक बफर स्टॉक बनाए रखना; और (iii) स्टॉक की कैलिब्रेटेड रिलीज के माध्यम से उचित कीमतों पर ऐसी वस्तुओं की आपूर्ति करके उपभोक्ताओं की रक्षा करना। उपभोक्ता और किसान पीएसएफ के लाभार्थी हैं।

2014-15 में मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) कोष की स्थापना के बाद से आज तक सरकार ने कृषि-बागवानी वस्तुओं की खरीद और वितरण के लिए कार्यशील पूंजी और अन्य आकस्मिक खर्च प्रदान करने के लिए 27,489.15 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता प्रदान की है।

वर्तमान में पीएसएफ के तहत, दालों (तूर, उड़द, मूंग, मसूर और चना) और प्याज का गतिशील बफर स्टॉक बनाए रखा जा रहा है। दालों और प्याज के बफर से स्टॉक की कैलिब्रेटेड रिलीज ने उपभोक्ताओं के लिए दालों और प्याज की उपलब्धता और सामर्थ्य सुनिश्चित की है और ऐसे बफर के लिए खरीद ने इन वस्तुओं के किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने में भी योगदान दिया है।

टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव रोकने और इसे उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण निधि के तहत टमाटर की खरीद की थी और इसे उपभोक्ताओं को अत्यधिक रियायती दर पर उपलब्ध कराया गया था। राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) ने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से टमाटर की खरीद की है और दिल्ली-एनसीआर, बिहार, राजस्थान आदि के प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों में सब्सिडी देने के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध करा रहे हैं। टमाटरों को शुरुआत में खुदरा मूल्य 90 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा गया था, जिसे उपभोक्ताओं के लाभ के लिए क्रमिक रूप से घटाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है।

प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव रोकने के लिए सरकार पीएसएफ के तहत प्याज बफर बनाए रखती है। बफर आकार को वर्ष दर वर्ष 2020-21 में 1.00 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 2022-23 में 2.50 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। कीमतों को कम करने के लिए बफर से प्याज सितंबर से दिसंबर तक कम खपत वाले सीजन के दौरान प्रमुख खपत केंद्रों में एक कैलिब्रेटेड और लक्षित तरीके से जारी किया जाता है। 2023-24 के लिए प्याज बफर लक्ष्य को और बढ़ाकर 5 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। जिन प्रमुख बाजारों में कीमतें बढ़ी हैं, वहां बफर से प्याज का निपटान शुरू हो गया है। 28.10.2023 तक लगभग 1.88 लाख मीट्रिक टन निपटान के लिए गंतव्य बाजारों में भेजा गया है। इसके अलावा, सरकार ने 2023-24 के दौरान पीएसएफ बफर के लिए पहले से खरीदे गए 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक 2 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का निर्णय लिया है। सरकार ने मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में आपूर्ति में सुधार के लिए 28.10.2023 को प्याज पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया है।

घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए तुअर और उड़द के आयात को 31.03.2024 तक 'मुक्त श्रेणी' के तहत रखा गया है और मसूर पर आयात शुल्क 31.03.2024 तक शून्य कर दिया गया है। सुचारू और निर्बाध आयात की सुविधा के लिए तुअर पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क हटा दिया गया है।

जमाखोरी को रोकने के लिए, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत 31.12.2023 तक तुअर और उड़द पर स्टॉक सीमा लगाई गई है।

कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) बफर से चना और मूंग के स्टॉक लगातार बाजार में जारी किए जाते हैं। कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्यों को चने की आपूर्ति 15 रुपये प्रति किलोग्राम की छूट पर भी की जाती है।

इसके अलावा, सरकार ने चना स्टॉक को चना दाल में परिवर्तित करके उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिए 1 किलोग्राम के पैक के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम और 30 किलोग्राम पैक के लिए 55 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक रियायती दर पर "भारत दाल" ब्रांड नाम के तहत खुदरा निपटान के लिए चना दाल में बदलने की व्यवस्था शुरू की। भारत दाल का वितरण नेफेड, एनसीसीएफ, एचएसीए, केंद्रीय भंडार और सफल के खुदरा बिक्री केन्द्रों के माध्यम से किया जा रहा है। इस व्यवस्था के तहत चना दाल राज्य सरकारों को उनकी कल्याणकारी योजनाओं के तहत पुलिस, जेलों में आपूर्ति के लिए और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित सहकारी समितियों और निगमों के खुदरा दुकानों के माध्यम से वितरण के लिए भी उपलब्ध कराई जाती है।

भारत सरकार किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, अंत्योदय और प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत निशुल्क राशन (गेहूं, चावल और मोटे अनाज/बाजरा) और गेहूं, आटा, दाल और प्याज/टमाटर के साथ-साथ चीनी और तेल की उचित और सस्ती दरों को सुनिश्चित करके अपने किसानों, पीडीएस लाभार्थियों के साथ-साथ सामान्य उपभोक्ताओं के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।