• Movie Of The Week : देश के इतिहास के बारे में दिलचस्पी है तो "पानीपत" को जरूर देखिए.


    www.allaboutbusiness.in  Business News Portal

    एएबी फिल्म समीक्षक
    भारत के इतिहास को जानने वालों के लिए मराठों का नाम और उनकी शौर्य गाथाएँ की चर्चाएँ नई नहीं हैं लेकिन फिल्म पानीपत में को देख कर उनको भी अहसास हो जायेगा की इतिहास को दिखने का एक अंदाज़ यह भी होता है जो एक आम आदमी से लेकर विषय के जानकारों को एक सामान लुभाता है। फिल्म के निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने एक और मराठा योद्धा, सदाशिव राव भाउ की कहानी को बड़ी खूबी से पर्दे पर उकेरा है

    उन्होंने ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत का इतिहास दिखाने का उनका तरीका एकदम अलग है . फिल्म की कहानी से लेकर, अभिनेताओं का काम, फिल्मांकन रोमांच और यहां तक की भावुक दृश्य और रोमांस दिलकश अंदाज़ में परोसा है.


    अभिनय में रूचि रखने वाले शहर के एक दर्शक मनीष बोहरे के मुताबिक "दर्शकों को फिल्म के हर दृश्य उनका निर्देशकीय कौशल नजर आएगा. दृश्य सज्जा बेहद खूबसूरत हैं. हालांकि द्रश्यात्मक कारीगिरी कुछ जगह पर अजीब लगती है . क्योंकि ये आशुतोष गोवारिकर की फिल्म है तो इसका लम्बा होना भी बनता है. फिल्म का पहला भाग कुछ धीमा लगता है और काफी लम्बा भी है, जो आपके धैर्य का परीक्षा लेता है. हालाँकि दूसरे भाग में फिल्म रफ्तार पकड़ती है और आपका पूरा पैसा वसूल होता है. फिल्म करीब 3 घंटे लम्बी है।"

    फिल्म का संगीत अजय अतुल ने दिया है और ये काफी बढ़िया है. इसके साथ-साथ फिल्म का पार्श्वसंगीत भी दर्शकों को फिल्म के कथानक से तारतम्य बैठने में काफी मददगार साबित हो रहा है।

    पद्मावत फिल्म देखने के बाद ऐतिहासिक फिल्मों को देखने की बढ़ी हुई ललक के चलते पहले ही दिन पानीपत फिल्म देखने गए गोपालगंज के  हेमंत सैनी का कहना है कि "खलनायक अहमद शाह अब्दाली के किरदार में संजय दत्त ने जान डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उनका रूप देखकर कहीं -कंही दर्शकों को रणवीर सिंह के खिलजी की याद आएगी, लेकिन संजय के अब्दाली में खिलजी जैसा कुछ भी नहीं है. वो अपना एक अलग किरदार है, जिसे संजय दत्त ने अपने अलग और बढ़िया तरीके से निभाया है."

    फिल्म में अब्दाली किसी जानवर से कम नजर नहीं आता है वह अपने रास्ते में आने वाले किसी भी इंसान को नहीं बख्शता, लेकिन मराठा योद्धा  सदाशिव भाउ से सामना होने पर उसे अहसास होता है की वह अजेय नहीं है. संजय दत्त के अलावा नजीब के किरदार में मंत्रा ने भी बढ़िया काम किया है. इसके साथ ही अभिनेता साहिल सलाथिया, मोहनीश बहल, पद्मिनी कोल्हापुरे, जीनत अमान, विनीता महेश, नवाब शाह, गश्मीर महाजनी, सुहासिनी मुले और अभिषेक निगम ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है. इस फिल्म की मुख्य कलाकारों के साथ-साथ सहायक अभिनेताओं ने गजब काम किया है और यही तालमेल फिल्म को बेहतरीन बनाता है.

    फिल्म की कहानी 14 जनवरी 1761 में मराठाओं और अफगानों के बीच लड़ी गई तीसरी लड़ाई के बारे में है . इस लड़ाई में सदाशिव राव भाउ ने उस समय के सबसे खूंखार अफगानी बादशाहों में से एक अहमद शाह अब्दाली के साथ युद्ध लड़ा था और ये युद्ध इतना जबरदस्त था कि अब्दाली ने भी मराठाओं की बहादुरी और दृढ़ता की दाद दी थी.

    फिल्म में सदाशिव भाउ का किरदार निभाया है अर्जुन कपूर ने और उनका काम काबिल-ए-तारीफ है. अर्जुन कपूर एक शूरवीर योद्धा का किरदार निभा रहे हैं और इसमें होते हुए भी एक बेहद नम्र इंसान के रूप में नजर आए हैं. उनका गुस्सा, उनकी नम्रता और उनका देशप्रेम तो देखने लायक है ही साथ ही उनका कृति सेनन के साथ रोमांस भी काफी अच्छा है.