नवंबर 2023

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 AAB NEWS/ आरपीएफ यात्रियों की सुरक्षा, संरक्षा और आराम सुनिश्चित करने का काम पूरी जिम्मेदारी से कर रहा है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) रेलवे संपत्ति, रेलवे प्लेटफॉर्मों तथा स्टेशनों के अन्य क्षेत्रों के साथ ही यात्रियों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह बल यात्रियों की सुरक्षा, संरक्षा और आराम के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है।

अक्टूबर 2023 में भी आरपीएफ ने अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के साथ ही अपने ग्राहकों को विश्वसनीय माल ढुलाई सेवा प्रदान करने में भारतीय रेलवे की मदद की।

आरपीएफ ने महती सुरक्षा उपायों और अपराध होने पर उनकी बखूबी जांच कर देश भर में फैली रेलवे की विशाल संपत्ति की सुरक्षा का काम पूरी सफलता से अंजाम दिया।

अक्टूबर 2023 के दौरान आरपीएफ की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है -

ऑपरेशन "नन्हे फरिश्ते" - खोए हुए बच्चों को बचाना: मिशन "नन्हे फरिश्ते" के तहत, आरपीएफ ने 601 से अधिक बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये बच्चे अलग-अलग वजहों से अपने परिवारों से बिछड़ गए थे। आरपीएफ ने उन्हें उनके परिवारों से मिलाने के लिए अथक प्रयास किया।

मानव तस्करी विरोधी प्रयास (ऑपरेशन एएएचटी): आरपीएफ की मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (एएचटीयू) ने देशभर में भारतीय रेल के स्टेशनों पर मानव तस्करों की योजनाओं को विफल करने के लिए लगातार काम किया। अक्टूबर 2023 में आरपीएफ ने 39 लोगों को तस्करों के चंगुल से बचाया।

ऑपरेशन "जीवन रक्षा"-जीवन बचाना: ऑपरेशन 'जीवन रक्षा' के तहत अक्टूबर 2023 में आरपीएफ की सतर्क और त्वरित कार्रवाई से प्लेटफॉर्म और रेलवे ट्रैकों पर ट्रेन के नीचे आने से पहले ही करीब 262 यात्रियों की जान बचाई गई।

महिला यात्रियों को सशक्त बनाना - "मेरी सहेली" पहल: आरपीएफ ने महिला यात्रियों की सुरक्षा को पूरी गंभीरता से लेते हुए "मेरी सहेली" पहल शुरू की है। अक्टूबर 2023 के दौरान, 232 "मेरी सहेली" टीमों ने 13,664 ट्रेनों में 423,803 महिला यात्रियों की सुरक्षित यात्रा को सुनिश्चित किया। इसके अलावा आरपीएफ ने महिलाओं के लिए आरक्षित कोचों में सवार पाए गए 5,722 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की।

दलालों पर नकेल कसना (ऑपरेशन "उपलब्ध"): दलालों के खिलाफ कार्रवाई में, आरपीएफ ने अक्टूबर 2023 में 490 लोगों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 42 अवैध सॉफ्टवेयर के साथ ही 43.96 लाख रुपये मूल्य के अगली तिथियों के टिकट भी जब्त किए।

ऑपरेशन "नार्कोस" - नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों का मुकाबला: आरपीएफ ने एक सराहनीय प्रयास में,  अक्टूबर 2023 के दौरान 99 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर उनसे 5.99 करोड़ रुपये मूल्य के नशीले पदार्थ जब्त किए। इन अपराधियों को कानूनी कार्रवाई के लिए अधिकार प्राप्त एजेंसियों को सौंप दिया गया।

यात्रियों की चिंताओं पर तत्काल ध्यान देना: आरपीएफ ने रेल मदद पोर्टल और हेल्पलाइन (नंबर 139 आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली नंबर 112 के साथ एकीकृत) के जरिये यात्रियों की सुरक्षा संबंधी शिकायतों का तुरंत समाधान किया। आरपीएफ को अक्टूबर 2023 में इस तरह की 30,300 से अधिक शिकायतें मिलीं जिन्हें हल करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की गई।

ऑपरेशन "यात्री सुरक्षा" - यात्रियों की सुरक्षा: आरपीएफ रेल यात्रियों के खिलाफ अपराधों को रोकने और उनका पता लगाने में पुलिस की मदद करता है। अक्टूबर 2023 में, आरपीएफ ने यात्रियों के खिलाफ अपराधों में शामिल 256 अपराधियों को गिरफ्तार किया और उन्हें संबंधित जीआरपी/पुलिस को सौंप दिया।

"ऑपरेशन संरक्षा" के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करना: यात्री सुरक्षा और रेल सेवाओं की सुरक्षा के प्रयास के तहत आरपीएफ ने अक्टूबर 2023 में चलती ट्रेनों पर पथराव करने वाले 33 लोगों को गिरफ्तार किया।

जरूरतमंदों की सहायता (ऑपरेशन सेवा): आरपीएफ ने अक्टूबर 2023 में अपनी रेल यात्रा के दौरान 272 बुजुर्ग, बीमार या घायल यात्रियों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए सहायता प्रदान की।

अवैध माल परिवहन पर अंकुश (ऑपरेशन सतर्क): "ऑपरेशन सतर्क" के तहत, आरपीएफ ने 10,33,149 रुपये कीमत के अवैध तंबाकू उत्पाद जब्त किए और 26,12,656 रुपए की अवैध शराब के साथ 127 लोगों को गिरफ्तार किया और उन्हें संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंप दिया गया।

 AAB NEWS/ केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य तथा उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज कर्तव्य पथ, नई दिल्ली से 'भारत' ब्रांड के अंतर्गत गेहूं के आटे की बिक्री के लिए 100 मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई। आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की एमआरपी पर उपलब्ध होगा। यह भारत सरकार द्वारा आम उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए  उठाए गए कदमों की श्रृंखला में नवीनतम है। 'भारत' ब्रांड आटा की खुदरा बिक्री से बाजार में किफायती दरों पर आपूर्ति बढ़ेगी और इस महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ की कीमतों में निरंतर कमी लाने में सहायता मिलेगी।

'भारत' आटा आज से केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ के सभी फिजिकल और मोबाइल आउटलेट पर उपलब्ध होगा और इसका विस्तार अन्य सहकारी/खुदरा दुकानों तक किया जाएगा।

ओपन मार्केट सेल स्कीम [ओएमएसएस (डी)] के अंतर्गत 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से अर्ध-सरकारी तथा सहकारी संगठनों यानी केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ और नैफेड को आटा में परिवर्तित करने और इसे जनता को बेचने के लिए आवंटित किया गया है। 'भारत आटा' ब्रांड के अंतर्गत एमआरपी 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होगी।

श्री गोयल ने इस अवसर पर कहा कि केंद्र के हस्तक्षेप से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों टमाटर और प्याज की कीमतें कम करने के लिए अनेक कदम उठाए गए थे। इसके अतिरिक्त उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र द्वारा केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से 60 रुपये प्रति किलो की दर पर भारत दाल भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इन सभी प्रयासों से किसानों को भी काफी फायदा हुआ है। श्री गोयल ने कहा कि किसानों की उपज केंद्र द्वारा खरीदी जा रही है और उसके बाद उपभोक्ताओं को रियायती दर पर उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र के हस्तक्षेप से विभिन्न वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन उपभोक्ताओं के साथ-साथ किसानों की भी मदद करने का है।

पृष्ठभूमि:

भारत सरकार ने आवश्यक खाद्यान्नों की कीमतों को स्थिर करने के साथ-साथ किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।

भारत दाल (चना दाल) पहले से ही इन 3 एजेंसियों द्वारा अपने फिजीकल और/या खुदरा दुकानों से एक किलो पैक के लिए 60 रुपये प्रति किलो और 30 किलो पैक के लिए 55 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है। प्याज भी 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेचा जा रहा है। अब, 'भारत' आटे की बिक्री प्रारंभ होने से उपभोक्ता इन दुकानों से आटा, दाल के साथ-साथ प्याज भी उचित और किफायती मूल्यों पर प्राप्त कर सकते हैं।

भारत सरकार के नीतिगत हस्तक्षेपों का उद्देश्य किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ पहुंचाना है। भारत सरकार किसानों के लिए खाद्यान्न, दालों के साथ-साथ मोटे अनाज और बाजरा का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करती है। पीएसएस (मूल्य समर्थन योजना) को लागू करने के लिए राष्ट्रव्यापी खरीद अभियान चलाया जाता है। यह किसानों को एमएसपी का लाभ सुनिश्चित करता है। आरएमएस 23-24 में 21.29 लाख किसानों से 262 लाख मीट्रिक टन गेहूं घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया। खरीदे गए गेहूं का कुल मूल्य 55679.73 करोड़ रुपये था। केएमएस 22-23 में 124.95 लाख किसानों से ग्रेड '' धान के लिए घोषित एमएसपी 2060 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 569 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदा गया। खरीदे गए चावल का कुल मूल्य रु. 1,74,376.66 करोड़ रुपये था।

खरीदा गया गेहूं और चावल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत देश में लगभग 5 लाख एफपीएस के नेटवर्क के माध्यम से लगभग 80 करोड़ पीडीएस लाभार्थियों को पूरी तरह से निशुल्क प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, लगभग 7 लाख मीट्रिक टन मोटे अनाज/बाजरा भी एमएसपी पर खरीदा गया और 22-23 में टीपीडीएस/अन्य कल्याण योजनाओं के अंतर्गत वितरित किया गया।

टीपीडीएस के दायरे में नहीं आने वाले आम उपभोक्ताओं के लाभ के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। किफायती और उचित मूल्य पर 'भारत आटा', 'भारत दाल' और टमाटर तथा प्याज की बिक्री एक ऐसा उपाय है। अब तक 59183 मीट्रिक टन दाल की बिक्री हो चुकी है, जिससे आम उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत गेहूं की बिक्री के लिए राष्ट्रव्यापी साप्ताहिक ई-नीलामी चला रहा है। इन साप्ताहिक ई-नीलामी में केवल गेहूं प्रोसेसर (आटा चक्की/रोलर आटा मिल) ही भाग ले सकते हैं। एफसीआई सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य के अनुसार एफएक्यू और यूआरएस गेहूं क्रमशः 2150 रुपये और 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक्री के लिए की पेशकश कर रहा है। व्यापारियों को ई-नीलामी में भाग लेने की अनुमति नहीं है क्योंकि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि खरीदे गए गेहूं को सीधे संसाधित किया जाए और आम उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर जारी किया जाए। साप्ताहिक ई-नीलामी में प्रत्येक बोलीदाता 200 मीट्रिक टन तक ले सकता है। एफसीआई ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत साप्ताहिक ई-नीलामी में बिक्री के लिए 3 लाख मीट्रिक टन गेहूं दे रहा है। सरकारी निर्देशों के अनुसार एफसीआई अब तक 65.22 लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले बाजार में जारी कर चुका है।

भारत सरकार ने गेहूं की कीमतों को कम करने के लिए उठाए गए उपायों की श्रृंखला के हिस्से के रूप में ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत बिक्री के लिए पेश किए जाने वाले गेहूं की कुल मात्रा को दिसंबर 2023 तक 57 लाख मीट्रिक टन के बजाय मार्च 2024 तक 101.5 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ा दिया है। यदि आवश्यक हुआ तो 31.3.2024 तक बफर स्टॉक से 25 लाख मीट्रिक टन (101.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक) तक गेहूं की अतिरिक्त मात्रा उतारने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।

पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए थोक विक्रेताओं/व्यापारियों, प्रोसेसरों, खुदरा विक्रेताओं तथा बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं जैसी विभिन्न श्रेणियों की संस्थाओं द्वारा गेहूं के स्टॉक रखने पर भी सीमाएं लगा दी हैं। गेहूं के स्टॉक होल्डिंग की नियमित आधार पर निगरानी की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि व्यापारियों, प्रोसेसरों और खुदरा विक्रेताओं द्वारा नियमित तौर पर गेहूं/आटा बाजार में जारी किया जाता है और कोई भंडारण/जमाखोरी नहीं होती है। यह कदम गेहूँ की आपूर्ति बढ़ाकर उसकी बाजार कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए उठाए गए हैं।

सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और बासमती चावल के निर्यात के लिए 950 डॉलर का न्यूनतम मूल्य लगाया है। एफसीआई ओएमएसएस (डी) के तहत घरेलू बाजार में चावल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी में बिक्री के लिए 4 लाख मीट्रिक टन चावल की पेशकश कर रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों के अनुसार एफसीआई 29.00-29.73 रूपये प्रति किलो ग्राम की दर से चावल बिक्री के लिए प्रस्तुत कर रहा है।

सरकार ने गन्ना किसानों के साथ-साथ घरेलू उपभोक्ताओं के कल्याण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता दिखाई है। एक ओर किसानों को 1.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान के साथ पिछले चीनी सीजन का 96 प्रतिशत से अधिक गन्ने के बकाए का पहले ही भुगतान किया जा चुका है, जिससे चीनी क्षेत्र के इतिहास में सबसे कम गन्ना बकाया लंबित है। दूसरी ओर विश्व में सबसे सस्ती चीनी भारतीय उपभोक्ताओं को मिल रही है। जहां वैश्विक चीनी मूल्य एक वर्ष में लगभग 40 प्रतिशत बढ़कर 13 साल के उच्चतम स्तर को छू रहा है, वहीं भारत में पिछले 10 वर्षों में चीनी के खुदरा मूल्यों में सिर्फ 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और पिछले एक वर्ष में 5 प्रतिशत से कम वृद्धि हुई है।

भारत सरकार खाद्य तेलों की घरेलू खुदरा कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का पूरा लाभ अंतिम उपभोक्ताओं को मिले। सरकार ने घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित और कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:

  • कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बेसिक शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया। इसके अलावा, इन तेलों पर कृषि-उपकर 20 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया। यह शुल्क संरचना 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दी गयी है।
  • 21.12.2021 को रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर बेसिक शुल्क 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया और रिफाइंड पाम तेल पर बेसिक शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया। इस शुल्क संरचना को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
  • सरकार ने उपलब्धता बनाए रखने के लिए रिफाइंड पाम तेल के खुले आयात को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है।
  • सरकार द्वारा की गई नवीनतम पहल में रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क 15.06.2023 से 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।

कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल, कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में पिछले वर्ष से गिरावट की प्रवृत्ति देखी जा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सरकार द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का असर घरेलू बाजार में पूरी तरह से हो रिफाइंड सूरजमुखी तेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल और आरबीडी पामोलीन की खुदरा कीमतों में 02.11.2023 तक एक वर्ष में क्रमशः 26.24 प्रतिशत, 18.28 प्रतिशत और 15.14 प्रतिशत की कमी आई है।

उपभोक्ता मामले विभाग 34 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में स्थापित 545 मूल्य निगरानी केन्द्रों के माध्यम से 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं के दैनिक खुदरा और थोक मूल्यों की निगरानी करता है। मूल्यों को कम करने के लिए बफर से स्टाक जारी करने, जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक सीमा लागू करने, आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाने, आयात कोटे में परिवर्तन, वस्तु के निर्यात पर प्रतिबंध आदि जैसे व्यापार नीति उपायों में परिवर्तन करने के लिए उचित निर्णय लेने के लिए मूल्यों की दैनिक रिपोर्ट और सांकेतिक मूल्य प्रवृत्तियों का विधिवत विश्लेषण किया जाता है।

उपभोक्ताओं को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता की जांच करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) की स्थापना की गई है। पीएसएफ के उद्देश्य हैं (i) फार्म गेट/मंडी पर किसानों/किसान संघों से सीधी खरीद को बढ़ावा देना; (ii) जमाखोरी और अनैतिक सट्टेबाजी को हतोत्साहित करने के लिए एक रणनीतिक बफर स्टॉक बनाए रखना; और (iii) स्टॉक की कैलिब्रेटेड रिलीज के माध्यम से उचित कीमतों पर ऐसी वस्तुओं की आपूर्ति करके उपभोक्ताओं की रक्षा करना। उपभोक्ता और किसान पीएसएफ के लाभार्थी हैं।

2014-15 में मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) कोष की स्थापना के बाद से आज तक सरकार ने कृषि-बागवानी वस्तुओं की खरीद और वितरण के लिए कार्यशील पूंजी और अन्य आकस्मिक खर्च प्रदान करने के लिए 27,489.15 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता प्रदान की है।

वर्तमान में पीएसएफ के तहत, दालों (तूर, उड़द, मूंग, मसूर और चना) और प्याज का गतिशील बफर स्टॉक बनाए रखा जा रहा है। दालों और प्याज के बफर से स्टॉक की कैलिब्रेटेड रिलीज ने उपभोक्ताओं के लिए दालों और प्याज की उपलब्धता और सामर्थ्य सुनिश्चित की है और ऐसे बफर के लिए खरीद ने इन वस्तुओं के किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने में भी योगदान दिया है।

टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव रोकने और इसे उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण निधि के तहत टमाटर की खरीद की थी और इसे उपभोक्ताओं को अत्यधिक रियायती दर पर उपलब्ध कराया गया था। राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) ने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से टमाटर की खरीद की है और दिल्ली-एनसीआर, बिहार, राजस्थान आदि के प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों में सब्सिडी देने के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध करा रहे हैं। टमाटरों को शुरुआत में खुदरा मूल्य 90 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा गया था, जिसे उपभोक्ताओं के लाभ के लिए क्रमिक रूप से घटाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है।

प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव रोकने के लिए सरकार पीएसएफ के तहत प्याज बफर बनाए रखती है। बफर आकार को वर्ष दर वर्ष 2020-21 में 1.00 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 2022-23 में 2.50 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। कीमतों को कम करने के लिए बफर से प्याज सितंबर से दिसंबर तक कम खपत वाले सीजन के दौरान प्रमुख खपत केंद्रों में एक कैलिब्रेटेड और लक्षित तरीके से जारी किया जाता है। 2023-24 के लिए प्याज बफर लक्ष्य को और बढ़ाकर 5 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। जिन प्रमुख बाजारों में कीमतें बढ़ी हैं, वहां बफर से प्याज का निपटान शुरू हो गया है। 28.10.2023 तक लगभग 1.88 लाख मीट्रिक टन निपटान के लिए गंतव्य बाजारों में भेजा गया है। इसके अलावा, सरकार ने 2023-24 के दौरान पीएसएफ बफर के लिए पहले से खरीदे गए 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक 2 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का निर्णय लिया है। सरकार ने मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में आपूर्ति में सुधार के लिए 28.10.2023 को प्याज पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया है।

घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए तुअर और उड़द के आयात को 31.03.2024 तक 'मुक्त श्रेणी' के तहत रखा गया है और मसूर पर आयात शुल्क 31.03.2024 तक शून्य कर दिया गया है। सुचारू और निर्बाध आयात की सुविधा के लिए तुअर पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क हटा दिया गया है।

जमाखोरी को रोकने के लिए, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत 31.12.2023 तक तुअर और उड़द पर स्टॉक सीमा लगाई गई है।

कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) बफर से चना और मूंग के स्टॉक लगातार बाजार में जारी किए जाते हैं। कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्यों को चने की आपूर्ति 15 रुपये प्रति किलोग्राम की छूट पर भी की जाती है।

इसके अलावा, सरकार ने चना स्टॉक को चना दाल में परिवर्तित करके उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिए 1 किलोग्राम के पैक के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम और 30 किलोग्राम पैक के लिए 55 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक रियायती दर पर "भारत दाल" ब्रांड नाम के तहत खुदरा निपटान के लिए चना दाल में बदलने की व्यवस्था शुरू की। भारत दाल का वितरण नेफेड, एनसीसीएफ, एचएसीए, केंद्रीय भंडार और सफल के खुदरा बिक्री केन्द्रों के माध्यम से किया जा रहा है। इस व्यवस्था के तहत चना दाल राज्य सरकारों को उनकी कल्याणकारी योजनाओं के तहत पुलिस, जेलों में आपूर्ति के लिए और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित सहकारी समितियों और निगमों के खुदरा दुकानों के माध्यम से वितरण के लिए भी उपलब्ध कराई जाती है।

भारत सरकार किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, अंत्योदय और प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत निशुल्क राशन (गेहूं, चावल और मोटे अनाज/बाजरा) और गेहूं, आटा, दाल और प्याज/टमाटर के साथ-साथ चीनी और तेल की उचित और सस्ती दरों को सुनिश्चित करके अपने किसानों, पीडीएस लाभार्थियों के साथ-साथ सामान्य उपभोक्ताओं के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।