फ़रवरी 2022

Export Going UP-भारत से अमरूद के निर्यात में हई 260% की वृद्धि

एएबी समाचार
/ भारत से अमरूद के निर्यात में वर्ष 2013 से लेकर अब तक 260% की वृद्धि दर्ज की गई है। अमरूद का निर्यात अप्रैल-जनवरी 2013-14 के 0.58 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल- जनवरी 2021-22 में 2.09 मिलियन अमेरिकी डॉलर के स्‍तर पर पहुंच गया।

भारत से ताजे फलों के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। समस्‍त ताजे खाद्य पदार्थों की श्रेणी में सर्वाधिक निर्यात ताजे अंगूर का होता है। वर्ष 2020-21 के दौरान ताजे अंगूर का निर्यात कुल मिलाकर 314 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हुआ। 

अन्य ताजे फलों का निर्यात 302 मिलियन अमेरिकी डॉलर, ताजे आम का निर्यात 36 मिलियन अमेरिकी डॉलर और अन्य (पान के पत्ते और मेवा) का निर्यात 19 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान भारत से ताजे फलों के कुल निर्यात में ताजे अंगूर और अन्य ताजे फलों की हिस्सेदारी 92 प्रतिशत थी।

वर्ष 2020-21 के दौरान भारत से ताजे फलों का निर्यात प्रमुख रूप से 

बांग्लादेश (126.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

नीदरलैंड (117.56 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

संयुक्त अरब अमीरात (100.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

ब्रिटेन (44.37 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

नेपाल (33.15 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

ईरान (32.54 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

रूस (32.32 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

सऊदी अरब (24.79 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

ओमान (22.31 मिलियन अमेरिकी डॉलर) और 

कतर (16.58 मिलियन अमेरिकी डॉलर) को किया गया। वर्ष 2020-21 में भारत से ताजे फलों के निर्यात में शीर्ष दस देशों की हिस्सेदारी 82 प्रतिशत रही है। 

 

दही और पनीर के निर्यात में भी हुई वृद्धि

दही और पनीर के निर्यात में भी हुई वृद्धि
 

दही और पनीर (भारतीय कॉटेज चीज) के निर्यात में भी 200% की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है जो अप्रैल-जनवरी 2013-14 के 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर से काफी बढ़कर अप्रैल-जनवरी 2021-22 में 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर के स्‍तर पर पहुंच गया है।

उल्‍लेखनीय है कि पिछले पांच वर्षों से डेयरी निर्यात 10.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2021-22 (अप्रैल-नवंबर) में भारत से 181.75 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के डेयरी उत्पादों का निर्यात किया गया और चालू वित्त वर्ष में यह पिछले वर्ष के कुल निर्यात मूल्य को पार कर जाने की प्रबल संभावना है।

वर्ष 2020-21 में भारत से डेयरी उत्पादों का निर्यात प्रमुख रूप से 

यूएई (39.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

बांग्लादेश (24.13 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

अमेरिका (22.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

भूटान (22.52 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

सिंगापुर (15.27 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

सऊदी अरब (11.47 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

मलेशिया (8.67 मिलियन अमेरिकी डॉलर), 

(8.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर), ओमान (7.46 मिलियन अमेरिकी डॉलर) और 

इंडोनेशिया (1.06 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का किया गया। 2020-21 में भारत से डेयरी निर्यात में शीर्ष दस देशों की हिस्सेदारी 61 प्रतिशत से भी अधिक रही है।

Agriculture Alerts- उच्च तापमान और सूखी मिटटी चने के फसल के लिए खतरा

एएबी समाचार/ 
भारतीय वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया है कि शुष्क जड़ सड़न (DRR) रोग के लिए उच्च तापमान वाले सूखे की स्थिति और मिट्टी में नमी की कमी अनुकूल परिस्थितियां  हैं। यह रोग चने की जड़ और धड़ को नुकसान पहुंचाता है। यह कार्य रोग का प्रतिरोध करने के क्षेत्र में विकास और बेहतर प्रबंधन रणनीतियों के लिए उपयोगी होगा।

शुष्क जड़ सड़न रोग के कारण पौधे की ताकत कम हो जाती है, पत्तों का हरा रंग फीका पड़ जाता है, वृद्धि धीमी कम हो जाती है और तना मर जाता है। अगर बड़े पैमाने पर जड़ को नुकसान होता है, तो पौधे की पत्तियां अचानक मुरझाने के बाद सूख जाती हैं। 

 वैश्विक औसत तापमान में बढ़ोतरी के कारण पौधे में रोग पैदा करने वाले नए रोगाणुओं के बारे में अब तक अधिक जानकारी नहीं है। इनमें एक मैक्रोफोमिना फेजोलिना भी शामिल है। यह एक एक मिट्टी जनित नेक्रोट्रोफिक (परपोषी) है, जो चने में जड़ सड़न रोग का कारण बनता है। 

वर्तमान में भारत के मध्य और दक्षिण के राज्यों की पहचान डीआरआर रोग से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र के रूप में की गई है। इन राज्यों में चने की फसल का कुल 5 से 35 फीसदी हिस्सा संक्रमित होता है।

इस रोगजनक की विनाशकारी क्षमता और निकट भविष्य में एक महामारी की संभावित स्थिति को ध्यान में रखते हुए आईसीआरआईएसएटी (इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स) की डॉ. ममता शर्मा के नेतृत्व में एक टीम ने चने में डीआरआर के पीछे के विज्ञान को जानने की पहल शुरू की है।

Agriculture Alerts- उच्च तापमान और सूखी मिटटी चने के फसल के लिए खतरा

इस रोग की बारीकी से निगरानी करने वाली टीम ने इस बात का पता लगाया है कि कि 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच उच्च तापमान, सूखे की स्थिति और मिट्टी में 60 फीसदी से कम नमी शुष्क जड़ सड़न (डीआरआर) के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं।

आईसीआरआईएसएटी के जलवायु परिवर्तन से संबंधित उत्कृष्टता केंद्र में संचालित यह कार्य भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से समर्थित और वित्त पोषित है। इसने जलवायु कारकों के साथ इस रोग के नजदीकी संबंध को प्रमाणित किया है। इसके परिणाम 'फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस' में प्रकाशित किए गए हैं।

इन वैज्ञानिकों ने इस बात की व्याख्या की है कि मैक्रोफोमिना पर्यावरण की परिस्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला में जीवित रहता है। यहां तक कि तापमान, मिट्टी के पीएच (पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन मान) और नमी की चरम स्थिति में भी। 

उच्च तापमान और सूखे की स्थिति में चने की फसल में फूल और फली आने के चरणों के दौरान डीआरआर रोग बहुत अधिक होता है। वैज्ञानिक अब रोग का प्रतिरोध करने के क्षेत्र में विकास और बेहतर प्रबंधन रणनीतियों के लिए इस अध्ययन का उपयोग करने के तरीके की तलाश कर रहे हैं।

इसके अलावा यह टीम आणविक दृष्टिकोण से पहचाने गए रोग अनुकूल परिस्थितियों को दूर करने की भी कोशिश कर रही है। जीन एक्प्रेशन अध्ययनों के एक हालिया सफलता में वैज्ञानिकों ने कुछ चने की आशाजनक जीनों की पहचान की है, जो कि काइटिनेस और एंडोकाइटिनेस जैसे एंजाइमों के लिए एन्कोडिंग हैं। यह डीआरआर संक्रमण के खिलाफ कुछ सीमा तक सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से आईसीआरआईएसएटी की टीम ने पौधों से संबंधित इस तरह के घातक रोगों से लड़ने के लिए निरंतर निगरानी, बेहतर पहचान तकनीक, पूर्वानुमान मॉडल का विकास और परीक्षण आदि सहित कई बहु-आयामी दृष्टिकोण भी अपनाए हैं।

Indian Post Bankikng-डाकघरों के खाते आएंगे  मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के दायरे में

एए बी समाचार / लीविंग नो सिटीजन बिहाइंड पर बजट-उपरान्त वेबिनार का कल आयोजन किया गया। बजट में घोषणा की गई थी कि शत-प्रतिशत डाकघरों और डाकघरों के बीच संचालित होने वाले खातों को मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाया जायेगा। ग्रामीण निर्धनों, खासतौर से महिलाओं के जीवन पर इस कदम से क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर भी चर्चा की गई।

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वेबिनार के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया। “Assuring All Rural Poor Specially Women Access To Livlihood Options And Access To Financial Services (समस्त ग्रामीण निर्धनों, विशेषकर महिलाओं के लिये आजीविका विकल्पों और वित्तीय सेवाओं को सुगम बनाने की सुनिश्चितता) के तहत Any Time Anywhere Banking Services And Inter-Operable Services Through India Post (इंडिया पोस्ट के माध्यम से कभी भी, कहीं भी बैंकिंग सेवाओं और अंतर-परिचालन योग्य सेवायें) विषयक सत्र की अध्यक्षता ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने की। 

इसमें नीति आयोग और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञों तथा देश के विभिन्न भागों के डाकघरों की योजनाओं से जुड़े तमाम लोगों तथा हितधारकों ने हिस्सा लिया। शत-प्रतिशत मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के साथ-साथ डाकघरों के खातों के बीच आपस में चलने वाली सेवाओं पर चर्चा की गई। 

कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में वित्तीय और बैंकिंग सेवायें प्रदान करने के लिये डाक नेटवर्क के उपयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की। नीति आयोग के विशिष्ट विशेषज्ञ श्री अजित पई ने इस बात पर जोर दिया कि डाकघर ऋण, वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेश की आमूल उपलब्धि के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

वेबिनार में हुई चर्चा से उत्पन्न नतीजों को समय पर लागू करने के लिये विभाग एक विस्तृत रोडमैप तैयार करेगा।