• MP will again top in wheat procurement-आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका-मुख्यमंत्री

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    एएबी समाचार ।
    मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक  मध्यप्रदेश के किसानों की मेहनत रंग लाएगी और गेहूँ उपार्जन में प्रदेश पुन: देश में अव्वल होगा। उन्होंने कहा कि अन्नदाता किसानों को राज्य सरकार हरसंभव मदद कर रही है। रबी विपणन 2021-22 में किसानों की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिये पुख्ता इंतजाम किये जा चुके हैं, जिससे किसानों को अपनी उपज का विक्रय करने में कठिनाई का सामना न करना पड़े।

    इस वर्ष भी ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन

    किसानों की सहूलियत के लिये इस बार भी ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन की व्यवस्था की गई है। पोर्टल पर अभी तक 21 लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया है। पंजीयन का कार्य प्रदेश के 3518 केन्द्रों पर किया गया है। साथ ही गिरदावरी किसान एप, कॉमन सर्विस सेंटर और कियोस्क केन्द्रों पर भी किसानों को पंजीयन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई। उपार्जन व्यवस्थाओं में यह प्रयास भी किया गया कि कोई भी किसान पंजीयन से वंचित न रहे।

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    कुल 4500 केन्द्रों पर होगी गेहूँ खरीदी

    अधिकृत जानकारी के अनुसार वर्ष २०२१ के लिए प्रदेश के 4500 खरीदी केन्द्रों पर गेहूँ उपार्जन का कार्य किया जाएगा। खरीदी कार्य में स्व-सहायता समूहों, एफपीयू और एफपीसी को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी के साथ उसके भंडारण और परिवहन की पुख्ता व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। उपार्जन केन्द्रों पर गेहूँ खरीदी का कार्य मार्च माह से शुरू किया जाएगा। इसके लिये तय किया गया है कि इंदौर और उज्जैन में 22 मार्च से और शेष अन्य जिलों में एक अप्रैल से गेहूँ उपार्जन शुरू किया जाएगा। इस वर्ष लगभग एक करोड़ 25 लाख मीट्रिक टन गेहूँ और 20 लाख मीट्रिक टन दलहन एवं तिलहन उपार्जन का अनुमान है। उपार्जित स्कन्धों के शीघ्र परिवहन एवं भंडार की व्यवस्थाएँ भी सुनिश्चित की जा रही हैं।

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    गेहूँ उपार्जन में प्रदेश का कीर्तिमान किसानों की बदौलत

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में रबी विपणन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर एक करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन का जो इतिहास रचा गया, उसके मूल में किसानों की कड़ी मेहनत है। प्रदेश के किसानों ने मध्यप्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा भी हुई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश के इतिहास में समर्थन मूल्य पर हुई रिकार्ड खरीदी में सरकार द्वारा की गई चाक-चौबंद व्यवस्थाओं ने भी उत्प्रेरक की भूमिका निभाई।

    कृषि क्षेत्र में किये गये हैं अनेक नवाचार

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका है। कृषि क्षेत्र में आत्म-निर्भरता के लिये प्रदेश के किसानों के हित में खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आय को दोगुना करने के लिये अनेक नवाचार किये गये हैं। राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि कृषि का उत्पादन बढ़े, उत्पादन की लागत कम हो और किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्राकृतिक आपदा के दौरान किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान की पर्याप्त क्षतिपूर्ति हो सके, इसके लिये प्रावधानों में संशोधन भी किया गया है।

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    खाद, बीज के साथ सिंचाई और बिजली की व्यवस्था

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों को समय पर खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराते हुए सिंचाई के लिये पानी और बिजली की व्यवस्थाएँ की गई हैं। कोरोना काल में जब सभी गतिविधियाँ प्राय: बंद हो रही थी, उस समय विभिन्न योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से जल-संरचनाओं का निर्माण करवाया गया। इससे जहाँ एक ओर स्थानीय लोगों को कोरोना काल में रोजगार मिला, वहीं दूसरी ओर भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी होने से किसानों को सिंचाई के लिये पानी की सहज उपलब्धता भी सुनिश्चित हुई। प्रदेश में बड़ी एवं लघु सिंचाई योजनाओं पर भी युद्ध स्तर पर कार्य हुआ, जिसका लाभ किसानों को मिला।

    मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना

    किसानों को आर्थिक रूप से संबल प्रदान करने के लिये मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना भी शुरू की गई। इस योजना में अब तक 57 लाख 50 हजार से अधिक पात्र किसानों को दो-दो हजार के मान से लगभग 1150 करोड़ रूपये का भुगतान ऑनलाईन किया गया है। इसके अलावा किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि का लाभ भी प्रतिवर्ष प्रति किसान 6 हजार रूपये पूर्व से प्राप्त हो रहा है।

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि खाद, बीज और कीटनाशक दवाओं के नाम से किसानों के साथ छल करने वाले व्यवसायियों पर भी कड़ी कार्यवाहियाँ की गई हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रदेश में नकली खाद, बीज और दवाओं का विक्रय न हो।